Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 02:53 PM,
#67
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
वो बड़ी ही तेजी से मेरे लंड को चूसने और चाटने लगी..उसके मुंह से सादाप-२ की आवाजें आ रही थी.
वहां नाजिर ऋतू की टी शर्ट उतार कर और उसके ब्रा के स्ट्रेप को कंधे से नीचे गिरा कर उसके चुचे को बड़ी ही बेरहमी से दबा रहा था...उन्होंने अपना मुंह आगे किया और अपने काले -२ दांतों से ऋतू के निप्पल को दबा कर काट दिया..ऋतू अपने ऊपर हो रहे इन भयानक हमलो से सिसक रही थी उसके चेहरे पर उभरता दर्द साफ़ दिखाई दे रहा था..उसने याचना भरी नजरों से मेरी तरफ देखा पर मैंने उसे पुचकारकर नाजिर अंकल का साथ देने को कहा.
अचानक रूबी ने मेरे लंड को अपने मुंह से निकालकर मेरी बाल्स को अपने मुंह में भर लिया..और एक हाथ से वो मेरे लंड को ऊपर नीचे भी कर रही थी..मेरी दोनों गोटियाँ उसके मुंह में घुस रही थी..वो उन्हें किसी कैंडी की तरह से चूस रही थी..फिर उसने उन्हें भी बाहर निकाला और अपनी लम्बी जीभ से मेरी गांड के छेद को चाटने लगी...ये मेरे लिए बिलकुल नया अनुभव था..मुझे वहां बड़ी गुदगुदी सी होने लगी..उसकी गीली जीभ मेरे छेद को कुरेद रही थी..उसने अपने होंठ भी वहां पर चिपकाये...मुझे बड़ी घिन्न सी आई उनके ऐसा करने पर...लेकिन फिर थोडा -२ मजा भी आने लगा...
मेरे लंड को वो काफी तेजी से ऊपर नीचे कर रही थी..मुझे लगा की मेरा निकलने वाला है, इसलिए मैंने उन्हें एक झटका दिया और उठ खड़ा हुआ..और उन्हें बिस्तर पर गिरा कर उनकी टांगो को चोडा करके ऊपर उठा दिया..और फिर टांगो में फंसी हुई कच्छी को बड़ी बेरहमी से खींचकर उतार दिया..वो फट कर ही निकल पायी उन मोटी टांगो से..
अब मेरे सामने रूबी की सफाचट चूत थी..ऐसा लगता था की किसी कमसिन कलि की चूत है जिसपर अभी तक कोई बाल भी नहीं आया है..उसके अन्दर से रस की धार बाहर आ रही थी, मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना मुंह नीचे करके गरमा गरम चूत पर रख दिया..वो चिल्ला पड़ी
आआआआआआआआआअह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊऊऊऊह्ह उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ .......होय्य्य्यय्य्य्य .......म्मम्मम्म
मैंने अपनी एक ऊँगली भी डाल दी चूत में. अपने होंठो से मैंने उनकी चूत की फांको को फैलाया और बीच में से चमकते हुए क्लिट को अपनी जीभ से दबा दबाकर कुरेदने लगा....वो तो पागल सी होकर मेरे मुंह को अपनी चूत पर कण्ट्रोल करती हुई घिसने लगी..सही में यारों..इतनी गरम औरत मैंने आज तक नहीं देखी थी..
उसकी चूत में से गरम फुहारें निकल रही थी और मेरा मुंह गिला हो चूका था..पर मैंने उसकी चूत में रस को चुसना नहीं छोड़ा.. आआअयीईईईईईईईई ऑफ़ ऑफ़ ऑफ़ फक फक फक,.......मर्र्र्रर गयीईईई आआआआआआआआह्ह्ह्ह मैं समझ गया की अगर मैंने कुछ और देर की तो वो झड जायेगी...इसलिए मैं उठा और अपना लंड उनकी आग उगलती हुई चूत पर लगाया और एक धक्का दिया..
उनकी चूत की चिकनाहट ही इतनी थी की मुझे ज्यादा जोर लगाने की जरुरत ही नहीं पड़ी..लंड अन्दर तक सरकता चला गया... आआआआआआआआआआआआह्ह्ह म्मम्मम्मम्म....
आनंद के मारे उनकी आँखें बंद हो गयी और उनके चेहरे पर हलकी हंसी आ गयी थी..
मैं नीचे झुका और रूबी के गुलाबी होंठों को चूसने लगा...मैंने लंड उनकी चूत में ले जाकर छोड़ दिया था..कोई और हरकत ना पाकर उन्होंने नीचे से धक्के देने शुरू कर दिए... उम्म्म्म चोदो ना...डाल कर रुक क्यों गए.....
मैंने किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह उनका कहना माना और अपने लंड के धक्के उसकी चूत में लगाने शुरू कर दिए.. उफ़ उफ्फ्फ आह आह आह आह फक फक फक आआआआअह्ह्ह ...... म्मम्मम स्सस्सस्सस.........ओईए.........अह्ह्हह्ह मैंने एक हाथ से उनके चुचे को मसला और दुसरे को अपने मुंह में डालकर उनका दूध पीने लगा... पी ले ....मेरा सारा दूध पी ले..बेटा ....मेरा बच्चा....रेहाआअन .......वो चिल्लाई....
मैं रेहान का नाम सुनकर चोंक गया.. वहां नाजिर भी अपनी पत्नी के मुंह से चुदाई के समय रेहान का नाम सुनकर रुक गया और फिर कुछ सोचकर उनके चेहरे पर कुटिल सी मुस्कान आ गयी..वो समझ गए की रूबी चुद तो मुझसे रही है पर उसके ख्यालों में उनका बेटा रेहान है ...ये जानकार उन्हें कोई गुस्सा नहीं आया क्योंकि एक तरह से उनका रास्ता भी तो साफ़ हो गया था..हिना के लिए. मैं भी सब समझ सा गया..पर मुझे इस बात से कुछ फर्क नहीं पड़ता था..वो मुझे रेहान बुलाय या आशु..मुझे तो बस उनकी रसीली चूत से मतलब था..इसलिए मैंने और तेजी से रूबी की चुदाई करनी शुरू कर दी..
आआआअह्ह अआः ऑफ़ ऑफ़ ऑफ़ ऑफ़ ......अयीईईईईई........
नाजिर भी ऋतू की तरफ फिर से मुड़ा और उसके गोरे जिस्म को फिर से चूसने लगा...अब तक ऋतू के सारे कपडे उतर चुके थे..नाजिर ने भी अपने ऊपर के कपडे उतार दिए थे..उसका भीमकाय शरीर काफी भयानक सा लग रहा था, उसकी छाती औरतों जैसी बड़ी होकर झूल सी रही थी...और वो ऋतू का सर पकड़कर अपने निप्पल्स को जबरदस्ती उसके मुंह में ठूस रहा था...वहां पर काफी घने बाल थे..ऋतू को उलटी सी आ रही थी, वो शायद काफी दिनों से नहाया भी नहीं था, उसके जिस्म से बड़ी ही गन्दी स्मेल आ रही थी, ऋतू के पास और कोई चारा नहीं था उसने बड़ी मुश्किल से अपना मुंह खोला और उसके भद्दे से लटकते हुए मोटे निप्पल को मुंह में लेकर चूसने लगी..शरीर की गन्दी महक अन्दर जाते ही उसके नथुने फड़क उठे..पर वो कुछ भी ना कर पायी क्योंकि नाजिर ने उसके सर को पीछे से अपने सीने पर दबा रखा था. वो बेचारी अपने भाई के लिए वो सब करने को बाधित थी.
थोड़ी देर चूसने के बाद उसने ऋतू को पीछे किया..वो सांस भी नहीं ले पा रही थी...खुली हवा पाकर वो ऊपर मुंह खोलकर सांस लेने लगी..नाजिर ने अपनी पेंट को नीचे सरकाया और पूरा नंगा होकर खड़ा हो गया..उसका लम्बा लंड देखकर तो मैं भी घबरा गया..काला सांप था एनाकोंडा जैसा...वो बुरी तरह से फुफकार रहा था...ऋतू की तो हालत ही पतली हो गयी ये सोचकर की उसे इस लंड से चुदना पड़ेगा..उसने फिर से मेरी तरफ देखा पर मैंने अपना सर घुमा लिया और रूबी के रूबी जैसे चुचे चूसने लगा..
रूबी ने मुझे नीचे किया और झटके से मेरे ऊपर आकर बैठ गयी..अब उसके उछलते हुए मोटे मुम्मे मेरे सामने थे मैंने उसकी बाँहों को पकड़ा और उसे नीचे खींचा ..उसके दोनों खरबूजे मेरे मुंह पर आ गिरे और मैं उन्हें ऊपर उछल उछल कर पकड़ने की कोशिश करने लगा....उसे भी इस गेम में बड़ा मजा आ रहा था..मैंने हाथ नीचे करके उसकी मोटी गांड को जकड लिया और दबाने लगा..मैंने एक ऊँगली नीचे करी अपने अन्दर जाते लंड के साथ जोड़कर उसकी चूत में डाल दी..मेरी ऊँगली पर अन्दर की चिनाई लग गयी और मैंने वोही ऊँगली उसकी गांड के छेद में डाल दी...उसका पूरा शरीर अकड़ गया और वो और तेजी से मेरे लंड को कुचलने लगी.
वहां नाजिर खान ने ऋतू को अपने सामने बैठाया और अपना काला नाग उसके मुंह में डाल दिया..उसका सुपाडा ही इतना बड़ा था की ऋतू का मुंह फटने सा लगा..उसके मुंह में सिर्फ आगे का हिस्सा जा कर फंस सा गया..अपने काले लंड को मासूम सी, बेटी जितनी उम्र की लड़की के मुंह में फंसा देखकर , नाजिर को बड़ा सुकून सा मिला और अगले ही पल उस कसाई ने एक तेज झटका मारा और अपना आधा लंड ऋतू के मुंह के अन्दर तक उतार दिया....
ग्गुन गूं .....गूं....की आवाज ही आ पाई ऋतू के गले से..
और उसकी आँखों से अश्रु की धार फिर से बह निकली..वो अपनी नाक से ज्यादा से ज्यादा सांस लेने की कोशिश कर रही थी पर छोड़ने का रास्ता तो बंद था इसलिए उसी रास्ते से सांस छोड़ भी रही थी..पर वो ज्यादा देर तक ऐसा नहीं कर पायी और उसने खांसते हुए नाजिर के लंड को बाहर धकेल दिया..
प्लीस...ऐसा मत करो अंकल...वो रो रही थी...मैंने जानकार उस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और रूबी की चूत मारने में लगा रहा.
रूबी अब मुझे रेहान कह कर ही बुला रही थी...
हां रेहान चोद अपनी अम्मी को...हाँ ऐसे ही....अयिओईईइ चोद बेटा...डाल अपना लंड अपनी अम्मी की चूत में....आआह्ह हां बेटा...चोद अपनी रांड जैसी अम्मी की चूत को...
वो पागलों की तरह बदबदाये जा रही थी और मेरे लंड पर उछल उछल कर उसका कचुम्बर बना रही थी....जल्दी ही रूबी की चूत ने गर्म लावा उगलना शुरू कर दिया...आआआआआआह्ह्ह्ह बेटा......चोद मुझे......मैं तो गयीईईईईईईईइ......... और वो गहरी साँसे लेती हुई मेरी छाती पर गिर पड़ी...
थोड़ी देर तक उसकी कमर पर हाथ फेरते रहने के बाद वो उठी और बेड पर घोड़ी बन कर लेट गयी...उसकी उठी हुई गांड बड़ी ही दिलकश लग रही थी...मैंने उसके गांड के छेद को देखा तो मेरे लंड का ईमान डोल गया और मैंने अपना लंड उसके पीछे वाले छेद पर टिका दिया...वो समझ गयी और एक तेज धक्का पीछे की तरफ मारा और मेरा लंड अपनी कसी हुई गांड के छेद में उतार लिया...
आआआआआआआआआअह्ह्ह्ह मैं हलके से चिल्लाया और उसके गोल ग्लोबस को पकड़कर दबाने लगा और धक्के मारने लगा.. आआआआआआअ आःह्ह्ह ऑफ ऑफ ऊऊऊ ऊऊऊऊअ
जल्दी ही इसकी गांड के छेद में मैंने गोलियां दागनी शुरू कर दी..
आआआआआअह्ह्ह मैं गया..........आआआआआआअह्ह और मैं उनकी कमर पर चुमते हुए ढेर हो गया...
तभी मैंने एक तेज चीख सुनी...वो चीख ऋतू की थी...नाजिर उसकी चूत को बुरी तरह से चाट रहा था...
अब मैं बेड पर रूबी के साथ लेट गया और हम दोनों उन दोनों की चुदाई का खेल देखने लगे..
नाजिर तेजी से अपनी मोटी और खुरदुरी जीभ से मेरी ऋतू की चिकनी चमेली जैसी चूत को चाट रहा था..उसके बड़े से मुंह के आगे ऋतू की खुली हुई चूत किसी खिलोने की तरह लग रही थी, ऋतू की दोनी जाँघों को चोडा करके नाजिर अंकल ने अपनी घनी दाड़ी वाला मुंह उसकी चूत पर झुका रखा था , अपने होंठो से ज्यादा वो अपने दांत यूस कर रहे थे, और ऋतू की चूत के फैले हुए होंठो को अपने मुंह में डालकर वो ऊपर तक खींच-खींचकर छोड़ देते थे जिसकी वजह से ऋतू की चीखे निकल रही थी, उसने नाजिर के सर को पीछे की तरफ से पकड़ा हुआ था, और दर्द होने पर वो उनके बाल खींच देती थी, पर इस बात से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा था..
नाजिर ने अपनी मोटी उँगलियों से उसकी गुलाबी चूत के किवाड़ खोले और उंदर से झांकती उसकी क्लिट को अपने मुंह में भर लिया..नाजिर का मुंह अन्दर तक जाने की वजह से उसकी दाड़ी के लम्बे बाल भी उसकी चूत की अंदरी दीवारों को छु रहे थे, जिसकी वजह से उसे बड़ी गुदगुदी सी हो रही थी, पर जैसे ही नाजिर ने क्लिट को मुंह में भींचा उसकी साँसे ही रुक गयी..नाजिर ने क्लिट को अपने दांत के नीचे दबा लिया, पर काटा नहीं, पर ऋतू को लगा की वो तो गयी..उसे पीड़ा के साथ - २ मजा भी आ रहा था..उसके मुंह से एक लम्बी आनंदमयी सिसकारी निकली..
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RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा - by desiaks - 12-13-2020, 02:53 PM

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