Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
11-05-2020, 12:30 PM,
#68
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
मीना बोली- एक तो रितेश का लंड तुमसे सबसे बड़ा है और दूसरे हम सभी ने तुम्हारे लंड के टिप को छुआ था, तुम सभी के लंड चिपचिप कर रहे थे, मतलब तुम्हारे रस की बूंदें बाहर आ चुकी थी पर रितेश के लंड से कोई रस नहीं निकल रहा था।

मीना की बात सुनकर सभी मर्द रितेश के लंड को टच करने लगे ताकि वो जान सकें कि मीना जो कह रही है वो सही है या नहीं। जब सभी ने रितेश के लंड को बारी बारी छू लिया तो कहने लगे- ठीक है, तो सुहाना और रितेश की जोड़ी आज के चुदाई का प्रोग्राम शुरू करेंगे और बाकियों की पर्ची निकाली जायेगी।

अब फैसला यह होना था कि पर्ची मर्दों की निकाली जायेगी या हम औरतों की। सभी ने मिलकर फैसला किया कि मर्दों की पर्ची निकाली जायेगी और औरतें पर्ची उठा कर देखेंगी कि किसके पास कौन मर्द आता है।

अमित, टोनी और अश्वनी के नाम की पर्ची उछाली गई। मैंने, नमिता और मीना ने एक एक पर्ची उठाई। मेरे हिस्से में अश्वनी आया, नमिता को टोनी और मीना को अमित मिल गया। फिर तय हुआ कि बारी बारी से सभी चुदाई का खेल खेलेंगे और बाकी जोड़ियां उस खेल को देखकर आनन्द लेंगी। एक शर्त जो पहले से ही थी कि सभी औरतें हाई हील सैन्डिल पहने रहेंगी और कोई भी जोड़ी केवल चुपचाप चुदाई का खेल देखेगी और कोई हरकत नहीं करेगी और अगर गलती से भी कोई हरकत होती है तो उस जोड़ी को चुदाई का मौका नहीं मिलेगा।

टोनी फिर बोल उठा कि इस गेम वाली चुदाई में या फिर अन्त तक?

मैं- 'नहीं एक ही ट्रिप वाली चुदाई में!'

टोनी ने एक फिर प्रश्न किया- मान लो सुहाना और रितेश चुदाई कर चुके हैं और तीसरी जोड़ी का चुदाई खेल शुरू है और रितेश और सुहाना ने नियम तोड़ा तो?

नमिता बोली- जिस जोड़ी का चुदाई का प्रोग्राम हो चुका होगा वो अलग अलग बैठेगा।

सभी सहमत हो गये। अब बारी थी सुहाना और रितेश की चुदाई की...

बाकी जोड़ियाँ सुहाना और रितेश के ईर्द-गिर्द गोला बना कर अपने पार्टनर की गोद में बैठ गई। चूंकि सभी के दिमाग में उत्तेजना थी और सभी के लंड तने हुए थे और साथ में लड़कियों की गांड और चूत उनके लंड से सटी हुई थी तो लाजिमी सी बात थी कि हरकत होनी है। मैं अश्वनी की गोद में बैठी हुई थी और उसका लंड मेरी गांड से टच कर रहा था और मेरी गांड में सुरसुराहट सी हो रही थी। हम सभी को यह लग रहा था कि यह मजा नहीं सजा मिली है लेकिन बर्दाश्त करना था तो मैं अश्वनी की जंघा पर बैठ गई। सभी की हालत एक जैसे ही थी, बाकी की दोनों जोड़ियाँ भी मेरी देखादेखी अपने अपने पार्टनर की जांघ पर बैठ गई। इधर रितेश और सुहाना का गेम शुरू होने वाला था। हाई हील सैन्डिल पहने होने के कारण सुहाना और रितेश की लम्बाई बिल्कुल बराबर हो गई, रितेश सुहाना के समीप आया, उसे अपने से चिपकाया और दोनों ही दो मिनट तक ऐसे ही खड़े रहे। फिर रितेश ने सुहाना के दोनों गालों को अपनी हथेलियों में लिया और अपने होंठ उसके होंठ को चूसने लगा। उसके बाद दोनों एक-दूसरे से जीभ लड़ा रहे थे और एक दूसरे की जीभ को अपने मुंह में लेने की कोशिश कर रहे थे। थोड़ी देर तक तो इसी तरह चलता रहा! उधर उन दोनों का खेल चल रहा था और बाकी के लोग अपनी केमेन्ट्री पेल रहे थे, कोई कह रहा था कि शुरूआत अच्छी है, काफी बढ़िया से होंठ चूस रहे है एक दूसरे के! अश्वनी भी केमेन्ट्री कर रहा था और उसका एक हाथ चुपचाप सबकी नजरों को बचा कर मेरी कमर और पेट को सहला देता। होंठ चूसते चूसते रितेश ने सुहाना के बालों को खोल दिया। क्या लम्बे बाल थे सुहाना के... सुहाना के बाल जब खुल कर नीचे की तरफ जा रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि कोई सांप बल खाकर चल रहा हो। बाल सुहाना के इतने लम्बे थे कि उसके चूतड़ को पूरा ढक चुके थे। रितेश ने अपने एक हाथ को सुहाना की गर्दन पर रखे और उसके गालों को चूमते हुए उसकी गर्दन को भी चूम रहा था। उसके बाद रितेश सुहाना के पीछे आ गया, उसकी गर्दन को चूमते हुए उसकी चूचियों को दबा रहा था और सुहाना ने अपने दोनों बांहों की माला बनाकर रितेश की गर्दन में डालकर आंखें बन्द कर ली थी, जो कुछ भी रितेश उसके साथ कर रहा था, वो उसका मजा ले रही थी।

अश्वनी इस सीन को देखकर कह उठा- वाह सुहाना, क्या पोज है ऐसा लग रहा है कि कामदेव कामदेवी रति की ज्वाला शांत करने की कोशिश कर रहे हैं और काम देवी अपनी आंखें बन्द किये हुए एक-एक पल का मजा ले रही हैं।

वास्तव में सुहाना बिल्कुल सब कुछ भूल चुकी हो, उसके मुंह से केवल बीच बीच में सीईईई की आवाज आ रही थी। रितेश की दोनों हथेलियाँ सुहाना के दोनों लटकते हुए खरबूजे जैसी चूचियों को काबू में करके उसको तेज-तेज भींच रही थी और बीच बीच में उसकी निप्पल को तेजी से मसल दे रही थी। जब कभी रितेश की हथेलियाँ और उंगलियाँ सुहाना की चूचियों या घुणडी को तेजी से मसलती तभी एक आह की आवाज उसके मूंह से निकलती लेकिन इन हालातों में भी वो अपनी आँखों को बन्द किये ही रही। इधर अश्वनी जैसे ही एक सिसकारी सुहाना के मुंह से सुनता, वो उतनी ही तेजी से मेरे पेट को दबा देता, जिससे मुझे दर्द होता लेकिन मैं इसलिये चुप हो जाती कि कहीं मेरा दर्द हमारी सजा में तब्दील न हो जाये। मैंने कई बार इशारों से अश्वनी को रोकने की कोशिश की लेकिन वो जब भी सुहाना की सीत्कार सुनता तो उसका रिऐक्शन मेरे साथ भी ऐसा ही होता।

फिर रितेश सुहाना की पीठ को चूमते हुए उसके नीचे की तरफ बढ़ने लगा, जैसे जैसे वो सुहाना के नीचे की ओर बढ़ता, वैसे ही वैसे वो सुहाना की पीठ पर अपने दूसरा हाथ का प्रेशर देता और सुहाना भी उसी तरह झुक जाती। रितेश सुहाना के कमर तक पहुंचता, उससे पहले सुहाना काफी झुक चुकी थी और उसकी चूत और गांड का छेद एक ही सेन्टर पर आ चुके थे। रितेश के हाथ अब सुहाना के कूल्हों पर थे, एक जोर से चांटा रितेश ने सुहाना के कूल्हे पर लगाता। उधर रितेश ने चांटा कूल्हे पर लगाया इधर अश्वनी ने मेरे पेट को कस कर मसल दिया। काफी तेज दर्द हुआ,

पर इस बार मैंने अश्वनी के कान में कहा- जो कुछ करना वो हमारी बारी आने पर करना, मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ।

अश्वनी चुपचाप सॉरी बोला और उसने सबकी नजरें बचा कर मेरे गाल को चूम लिया।

रितेश इस तरह नीचे बैठ गया था कि उसका मुंह सुहाना के चूत के ठीक सामने था, रितेश ने सुहाना के दोनों छेदों को बारी-बारी चूमा और फिर उसने सुहाना की चूत पर बहुत सारा थूक थूक दिया, उस थूक से सुहाना की चूत को गीला करने लगा, फिर अपनी हथेली को चाट कर गीला करता, फिर अपनी हथेली से अपने लंड को पौंछता, फिर सुहाना की चूत को कस कर उसी हथेली से रगड़ता। फिर रितेश खड़ा हुआ और अपने लंड को सुहाना की चूत पर रगड़ते रगड़ते एक झटके से उसकी चूत में पेल दिया। 'ओक्क...' की एक हल्की सी आवाज सुहाना के मुंह से निकली। रितेश ने 12-14 धक्के कस-कस कर लगाये और फिर लंड को बाहर निकाल कर सुहाना की गांड में पेल दिया। दो तीन कोशिश करने के बाद रितेश का लंड सुहाना की गांड में धंस चुका था। एक बार फिर रितेश तेज-तेज धक्के लगाने लगा। फिर कुछ धक्के लगाने के बाद इस बार रितेश सुहाना के आगे आया और अपना लंड सुहाना के मुंह की ओर कर दिया। सुहाना उसी पोजिशन में रितेश के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी, सुहाना कभी टोपे पर जीभ फेरती तो कभी पूरा लंड अपने मुंह के अन्दर ले लेती तो कभी वो रितेश की गोटियों को कस कर दबा देती। अब बारी रितेश की थी, जब कभी भी सुहाना रितेश की गोटियों को दबाती तो रितेश की सीत्कार निकल जाती। अश्वनी रितेश के इस सीत्कार का आनन्द ले रहा था, उसे लग रहा था कि सुहाना ने रितेश को अपने काबू में कर लिया। रितेश की तरह सुहाना भी रितेश के लंड पर थूकती और फिर अपने हाथों से उस थूक से रितेश के लंड पर मालिश करती।
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RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की - by desiaks - 11-05-2020, 12:30 PM

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