RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
“न । कतई कुछ नहीं जानती मैं ।”
“वो कभी जिक्र नहीं करती थी अपनी फैमिली का ? मां-बाप का ? किसी भाई का ? बहन का ? किसी और करीबी रिश्तेदार का जो कि उसका वारिस होने का दावेदार बन सके ?”
“नहीं करती थी । मुझे तो लगता है कि वो कोई अनाथ लड़की थी ।”
“दख्ल दौलत का हो तो अनाथों के नाथ निकल आते हैं । जरा इस बात को आम हो लेने दो कि पायल ढाई-करोड़ की रकम की स्वामिनी बनकर मरी थी, फिर देखना ऐसे-ऐसे सगे वाले निकल आयेंगे उसके जिनका कि अपनी जिन्दगी में उसने कभी नाम भी नहीं सुना होगा ।”
“कहीं ऐसा तो नहीं कि ये खबर पहले ही आम हो चुकी थी और किसी ने पायल का वारिस बनकर इस रकम पर काबिज होने के लिये उसका खून कर दिया था ।”
“यानी कि बुलबुलों में से ही कोई उसकी करीबी या दूर-दराज की रिश्तेदार है ?”
“वो कैसे ?”
“भई कत्ल का शक तो यहां मौजूद लोगों में से ही किसी पर किया जा रहा है ।”
“ओह ! नहीं, नहीं । हमारी उससे कोई रिश्तेदारी नहीं ।”
“तुम अपने बारे में ऐसा कह सकती हो । औरों की गारण्टी कैसे कर सकती हो ?”
“ऐसा कहीं होता है ? पूरे तीन साल हमने साथ गुजारे फिर भी हमें पता न लगा हो कि हममें से कोई पायल की किसी तरीके से रिश्तेदार भी थी, ऐसा कहीं हो सकता है ? ऐसी बात कहीं छुपती है ? ऐसी बात का जिक्र तो आके रहता है किसी न किसी तरीके से ।”
“श्याम नाडकर्णी से कैसे शादी कर ली थी उसने ?”
“बस, कर ली थी ।”
“कितनी उम्र का आदमी था वो शादी के वक्त ?”
“यही कोई तीस बत्तीस का ।”
“फिर तो नौजवान ही हुआ ।”
“हां ।”
“और पायल की क्या उम्र थी तब ?”
“वो तब अभी मुश्किल से बीस की हुई थी ।”
“शक्ल-सूरत, तन्दुरुस्ती वगैरह में, पर्सनैलिटी वगैरह में कैसा था ये श्याम नाडकर्णी ?”
“मामूली ! सब मामूली ।”
“तो फिर गैर-मामूली क्या था जिसका पायल ने रोब खाया ?”
“उसका ताजा-ताजा बाप मरा था जिसकी ढेरों दौलत का वो इकलौता वारिस था ।”
“बस, यही सोल क्वालीफिकेशन थी नाडकर्णी की शादी के मामले में ?”
“हां । और वो भी यूं पैदा हुई थी जैसे लाटरी लगती है । बाप हट्टा-कट्टा तन्दुरुस्त आदमी था जिसे कभी जिन्दगी में जुकाम नहीं हुआ था, नब्बे साल तक हिलने वाला नहीं लगता था लेकिन फिर भी एकाएक मर गया । अपनी जिन्दगी में वो इतना सख्त मिजाज था कि लड़के को पूरे डिसिप्लिन में रखता था जिसकी वजह से बेटे के बागी हो जाने का अन्देशा था लेकिन वो परवाह नहीं करता था ।”
“यानी कि बाप जिन्दा होता तो रुपये-पैसे के मामले में श्याम नाडकर्णी की पेश न चलती !”
“सवाल ही नहीं पैदा होता । इस लिहाज से तो वो पूरी तरह से अपने बाप पर आश्रित था ।”
“ऊपर से सुन्दरियों की सोहबत का रसिया था ?”
“हां ।”
“फिर कैसे बीतती ।”
“बाप जिन्दा होता तो न बीतती । तभी तो बोला उसकी लाटरी लगी थी ।”
“पायल से उसकी आशनाई ये लाटरी लगने से पहले से थी या बाद में हुई थी ।”
“बाद में हुई थी ।”
“यानी कि काफी चालू लड़की थी ये पायल ?”
“हां । काफी अच्छे-भले सीधे चलते बटोही को रास्ता भटका देती थी ।”
“श्याम नाडकर्णी सीधा चलता बटोही था ?”
“हां ।”
“तुम्हें कैसे मालूम ?”
“बस, यूं ही ।”
“वो श्याम नाडकर्णी की पहली शादी थी ?”
पायल ने तुरन्त जवाब न दिया ।
“हां ।” - आखिरकार वो बोली ।
“और पायल की ?”
“अरे, उस नन्ही-सी लड़की की और क्या दसवीं शादी होती !”
“नन्ही-सी लड़की ने दोबारा शादी क्यों न की ?”
“तुम्हें वजह मालूम होनी चाहिये । कैसे वकील हो तुम ? अपने पति के कानूनी तौर पर मृत घोषित किये जाने से पहले वो दोबारा शादी करती तो क्या वो शादी गैर-कानूनी न मानी जाती ?”
“इस बिना पर कि उसके पति ने उसे त्याग दिया था और वो जानबूझकर गायब था, वो दोबारा शादी कर सकती थी ।”
“तब वो उस पति की सम्पति की, जिसने कि उसे त्याग दिया था, वारिस तो नहीं बन सकती थी ?”
“हां, दोनों काम तो नहीं हो सकते थे । नया पति और पुराने पति की दौलत दोनों तो उसे नहीं मिल सकते थे । ...उसे अपने पति की मौत का अफसोस था ?”
“जैसे उदगार कल वो ज्योति के सामने जाहिर करके गयी है, उससे तो लगता है कि था ।”
“अभी भी । पति की मौत के सात साल बाद भी ?”
“जाहिर है ।”
“तुम्हारी कभी उससे मुलाकात हुई ?”
“नहीं ।”
“कभी खोज-खबर भी न लगी ?”
“खोज-खबर तो लगी थी एक बार । उन दिनों मेरा इन्दौर की एक नाइट क्लब के साथ सिंगिंग असाइनमैंट चल रहा था जबकि वो मेरे से मिलने के लिये वहां पहुंची थी लेकिन इत्तफाक से ऐन उसी रोज मैं वहां नहीं गयी थी । वो मेरे लिये सन्देशा छोड़ गयी थी कि लौटकर आयेगी लेकिन कभी लौटी नहीं थी ।”
“क्यों ?”
“वो नाम को ही नाइट क्लब थी । असल में तो वो एक दारू का अड्डा ही था । पायल को वहां का माहौल नहीं भाया होगा, वापिस लौट के आने लायक नहीं लगा होगा । ऊंची नाक थी न उसकी ।”
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