Maa Sex Kahani माँ का आशिक
10-08-2020, 02:13 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब:" लेकिन अम्मी आपका मन लग जाएगा क्या मेरे बिना ? मैं तो सोच कर ही डर रहा हूं कि आपके बिना कैसे रह पाऊंगा।

शहनाज़ उसके गाल को चूमते हुए बोली:" शादाब में तेरे बिना खुद नहीं रह सकती लेकिन बेटे तेरे कुछ सपने है और मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से आपका कोई सपना अधूरा रहे मेरे भोले सैयां शादाब ।

शादाब शहनाज़ की बात सुनकर उससे कस कर लिपट गया और दोनो ने एक दूसरे को पूरी ताकत से अपनी बांहों में कस लिया। शहनाज़ अंदर से पूरी तरह से टूट गई थी लेकिन शादाब की खुशी की वजह से वो अपने आपको खुश दिखा रही थी।

शहनाज़ उससे लिपटी हुई ही बोली:" किस टाइम निकलना हैं तुम्हे ?

शादाब:" थोड़ी देर बाद ही निकलना पड़ेगा तभी जाकर मै फार्म भर पाऊंगा।

शहनाज़:" तो एक काम करो पहले दादा दादी जी को बता दो और उसके बाद तैयार हो जाओ।

शादाब नीचे की तरफ दौड़ पड़ा और दादा दादी को सब बताया तो पहले तो खुश हुए लेकिन अगले ही पल उदास हो गए क्योंकि शादाब फिर से वापिस जा रहा था।

दादा:" बेटा खूब मन लगाकर पढ़ाई करना और टेस्ट पास करना ही होगा तुझे।

दादी:" बस शादाब बेटा थोड़ा जल्दी ही वापिस अा जाना क्योंकि अब कमजोरी अा गई हैं शरीर में, क्या पता कब खुदा का बुलावा अा जाएं

दादा:" तुम भी पता नहीं कैसी बाते करती हो, बेटा जा रहा हैं उसे हंस कर विदा करना चाहिए।

शादाब भी अपने दादा दादी का प्यार देखकर उदास हो गया और आखिर कार वो उदास मन से उपर की तरफ चल पड़ा जहां शहनाज़ उसके लिए खाना बना चुकी थी ताकि रात तक शादाब आराम से घर का खाना खा सकें

शहनाज़ पूरी तरह से उदास थी और उसकी आंखे आंसू से भीगी हुई थी। शादाब के आने का उसे प पता नहीं चला और शादाब ने उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया तो शहनाज़ शादाब का चेहरा पीछे होने का फायदा उठाकर अपने आंसू साफ़ करने लगी लेकिन शादाब से ये सब ना छुपा रह सका और उसने शहनाज़ को अपनी तरफ घुमा दिया और उसकी आंखो में आंसुओ को देखकर उदास हो गया और बोला:"

" मा मैं आपका दर्द समझ सकता हूं, लेकिन क्या करू मजबूरी है! आप एक बार बोल दो मैं रुक जाता हूं।

शहनाज़ ने एक जोर की सिसकी ली और उसकी रुलाई फूट पड़ी तो वो शादाब से कस कर लिपट गई। शहनाज़ अपने बेटे की छाती से लगकर जोर जोर से सुबकने लगी तो शादाब उसकी कमर सहलाने लगा और बोला:"

" अम्मी मै आज नहीं जाऊंगा आपको छोड़कर, मैं आपको ऐसे रोता हुआ नहीं छोड़ सकता।

शहनाज़ ने अपना चेहरा उपर उठाया जो कि पूरी तरह से आंसुओ से भीग गया था और उसकी आंखे लाल हो गई थी और रह रह कर उनमें से अमृत की धारा बह रही थी। शहनाज़ का चेहरा देखकर कोई भी आदमी विश्वास कर सकता था कि इस औरत का सब कुछ लूट लिया गया है। शादाब ने शहनाज़ के चेहरे को हाथो में भर लिया और उसके आंसू साफ करने लगा तो शहनाज़ ने पूरी हिम्मत से अपनी रुलाई को तो रोक लिया लेकिन चेहरे पर उभरी हुई पीड़ा साफ नजर आ रही थी।

शहनाज़ ने बड़ी कठिनाई से अपने आपको संभाला और बोली:
" खबरदार शादाब जो रुकने की बात करी तो, मेरे आंसू तो रुक जायेंगे लेकिन अगर तेरे सपने अधूरे रह गई तो तेरी शहनाज़ जीते जी मर जाएगी।

शादाब शहनाज़ की बात सुनकर अंदर से दुखी हुआ लेकिन वो जानता था कि उसकी आंख से निकला एक भी आंसू शहनाज़ के पूरे वजूद को तबाह कर देगा इसलिए सारे दुख दर्द को अपने अंदर ही समेटने लगा।

शहनाज़ ने उसका गाल फिर से चूम लिया और अपने होंठो पर स्माइल लाते हुए बोली:"

" चल अा मेरे पास बैठ मेरी गोद में, तुझे अपने हाथो से खाना खिला कर भेजूंगी मेरे राजा।

शहनाज़ ने बेड पर दस्तरखान लगा दिया और सब खाने का सामान उस पर रख दिया और अपनी बांहे फैला दी तो शादाब भी हल्की सी दर्द भरी स्माइल करता हुआ उसकी गोद में बैठ गया और अपनी बांहे उसके गले में लपेट दी और उसके चेहरे को एक सदियों से बिछड़े हुए प्रेमी की तरह चूमने लगा।

शहनाज़ अपने बेटे का ऐसा भावपूर्ण प्यार देख कर गदगद हो उठी और बोली:"

" उफ्फ मेरे राजा शादाब, पहले खाना तो खा ले मेरी जान

शादाब ने शहनाज़ के गाल को मुंह में भर कर चूस लिया और शहनाज़ ने उसका चेहरा आगे की तरफ कर दिया। अब शहनाज़ की चूचियां शादाब की पीठ में सटी हुई थी लेकिन दोनो को इसका बिल्कुल भी एहसास नहीं था क्योंकि अब सिर्फ उनके दरमियान बस आत्मिक प्यार रह गया था और जिस्मानी प्यार से दोनो कोसो दूर थे। शहनाज़ ने एक रोटी का निवाला बनाया और शादाब के मुंह में डाल दिया तो शादाब प्यार से उसे खाने लगा और शहनाज़ अपने बेटे को खाना खाते हुए देखकर खुद को अंदर से सहज महसूस कर रही थी।

शहनाज़ ने एक और खाने का निवाला बनाया और फिर से शादाब के मुंह में दिया तो शादाब ने शहनाज़ की उंगली को हल्का सा काट दिया और शहनाज़ मुस्कुराई और बोली:"

" लगता है मेरे बेटा कुछ ज्यादा ही भूखा हैं जो मेरी उंगलियां भी खा जाना चाहता है।

शादाब ने भी हल्की सी स्माइल दी और बोला:"

" अम्मी आप खाना ही इतना टेस्टी बनाती है कि आपकी उंगलियां तक चाट जाने को मन करता हैं।

शहनाज़: अब मस्का लगाने से कुछ मिलने वाला नहीं हैं, सब कुछ तुझे दे दिया राजा।

शादाब:" उफ्फ अम्मी मैं मस्का नहीं लगा रहा हूं बल्कि सच बोल रहा हैं मेरी शहनाज़

शादाब भी शहनाज़ को खाना खिलाने लगा और जल्दी ही दोनो मा बेटे खाना खा चुके तो अब सादाब के जाने का समय हो गया तो शहनाज उससे नजरे नहीं मिला पा रही थी ताकि वो बिना रोए शादाब को विदा कर सके।
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RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक - by desiaks - 10-08-2020, 02:13 PM

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