मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-11-2021, 12:31 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मालदीव से वापस आने के बाद हम बैंगलोर में एक साल तक रहे. पूरा समय हमारी सेक्स लाइफ जोरदार रही. पोर्न फिल्म देखकर गर्म होक चुदाई करना हमारे लिए आम था. कभी कभी जॉन और क्रिस्टीना को याद करके काफी फैंटसी वाली चुदाई होती थी. मैं भी बढ़ चढ़ कर जॉन मुझे कैसे चोद रहा हैं उसका वर्णन करती. पराग भी क्रिस्टीना को अलग अलग प्रकार से चोदने के बारे में विस्तार से बोलता. अब तक उन दोनोंके अलावा किसी और के बारे में सोचा नहीं था. शायद पराग को डर था की मुझे बुरा न लग जाए.

फिर पराग को मुंबई की एक बड़ी कंपनी का ऑफर आया. वहांपर बहुत सारे उम्मीद्वारोंके बीच कांटे की टक्कर थी. सूरत मुंबई से नजदीक होने के कारण हम दोनों भी चाह रहे थे की वो नौकरी मिल जाए. फिर मेरे डैड के एक ख़ास दोस्त की पहचान से पराग को वो नौकरी मिल गयी. हम मुंबई मायानगरी में जाकर बस गए. डैड ने जुहू के एकदम पॉश लोगोंके बीच हमें एक महंगा सा दो बैडरूम वाला फ्लैट दिलाया, उसका किराया बैंगलोर के किराये से तीन गुना था. पराग को उसकी कंपनी से गाडी और ड्राइवर भी मिला हुआ था. कुल मिलाकर कहे तो, हमारी पांचो उंगलिया घी में और सर कढ़ाई में था.

अब धीरे धीरे हमारे सेक्स लाइफ में थोड़ी बोरियत आ गयी, वही बाते, वही सम्भोग के तरीके, कुछ सामान्य सा हो गया. परोक्ष रूप से पराग ने गांड चुदाई (ऐनल सेक्स) के बारे में बात छेड़ने का एक-दो बार प्रयास किया, मगर मुझे उसमें बिलकुल रूचि नहीं थी. पोर्न फिल्म में भी अगर वैसा दृश्य आये तो हम उसे आगे कर देते थे. अब सेक्स लाइफ को रंगीन बनाने के लिए हमने कुछ फैशन, मॉडलिंग, टीवी और फिल्म से जुड़े लोगोंसे पहचान बनायीं. उनके साथ हाई सोसाइटी पार्टियोंमें जाने लग गए. पराग विदेशी सूट और मैं सेक्सी गाउन या दुसरे अंगप्रदर्शन करने वाले कपडे पहनती थी. इन पार्टियोंमें कभी कोई मॉडल, कोई टीवी स्टार या अमीर व्यवसायी से मुलाक़ात हो जाती थी. हमसे कई जवान और खूबसूरत जोड़े आकर मिलते थे, लगभग सभी के मन में अदलाबदली से सम्भोग करने की इच्छा थी. क्योंकि ऐसी पार्टियोंमें अक्सर लोग दुसरे सेक्सी जोडोंकी तलाश में ही जाते थे.

इन पार्टियोंमें जाकर भी कोई ऐसा कपल नहीं मिला जिसके साथ अदलाबदली करने की इच्छा हो. कुछ दिन के बाद जब हम एक पोर्न फिल्म देख रहे थे, तब उसमें एक ऐसा दृश्य आया, जहाँ पर लड़की अपनी सहेली को अपने पति से चुदवाती हैं. थ्रीसम सेक्स वाला वो दृश्य देखते हुए मैं पराग का लंड चूसने लगी.

अनायास ही पराग के मुँह से निकल गया, "काश ऐसा थ्रीसम का मज़ा मुझे भी मिले. अनु डार्लिंग, मैं तुम और कोई सुन्दर हॉट सी लड़की तीनो एक साथ रात भर चुदाई करे, कितना मजा आयेगा हनी."

पराग के तने हुए लौड़े को बाहर निकालकर मैंने उसकी आँखोमें देखा और पूंछा, "डार्लिंग, क्या सचमुच मेरे और कोई और लड़की के साथ थ्रीसम करना चाहते हो?"

"सिर्फ सोच के तो खुश हो जाऊं. अपनी अनेक फैंटसी में से यह एक और," मुझे बुरा न लगे इसलिए पराग ने बात को पलटने की कोशिश की.

"नहीं डार्लिंग, तुम अगर सचमुच मेरे साथ किसी और हॉट लड़की के साथ सेक्स करोगे तो मुझे भी अच्छा लगेगा. मैं बस किसी दुसरे आदमी के साथ चुदाई करना नहीं चाहती." मैंने उसका लंड चूसना जारी रखा.

"अनु डार्लिंग, क्या तुम सच कह रही हो? क्या इसका अर्थ ये हैं की तुम किसी जोड़े के साथ स्वैपिंग नहीं करोगी, मगर किसी और लड़की को हम दोनोंके साथ थ्रीसम सेक्स में शामिल करने के लिए तैयार हो?"

मैंने लौड़ा चूसते हुए हाँ में सर हिलाया और फिर कहा, "तुम्हारी ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है जान."

बस इतना सुनते ही पराग का फव्वारा निकल गया और मेरे मुँह में गाढ़ा और गरम वीर्य छोड़ दिया.

हम दोनों एक दुसरे को चिपक कर कुछ समय तक लेटे रहे, फिर मैंने उसकी आंखोंमें झाँक कर कहा, "पराग, मैं सचमुच दिल से कह रही हूँ, किसी हॉट लड़की के साथ थ्रीसम करेंगे. तुम मेरे जानकारी के बगैर किसी लड़की को चोदोगे तो मुझे बुरा लगेगा, मगर मेरे साथ एक ही बिस्तर पर हम तीनों सेक्स का आनंद लेंगे, तो मुझे ख़ुशी होगी. मुझे भी इस बात की संतुष्टि होगी की मैंने तुम्हे सुख देने में कोई कसर नहीं छोड़ी."

अगले कई दिनोंतक हम ऐसी सुन्दर, हॉट और अकेली लड़की कौन हो सकती हैं इसके बारे में सोचते रहे. अचानक मैंने कहा, "पराग, तुम्हारे ऑफिस की रिसेप्शनिस्ट डॉली भी तो जबरदस्त माल हैं. क्या उसका कोई बॉयफ्रेंड या पति हैं?"

"मेरे ख्याल से उसका एक बॉयफ्रेंड था मगर कुछ दिन पहले ही दोनोंका रिश्ता टूट गया हैं. कल ही ऑफिस के लोग इस बारेमें बात कर रहे थे."

"फिर क्या सोचना हैं, मार दो हथोड़ा!"

"मगर मेरी उसके साथ कुछ ख़ास जान पहचान नहीं हैं डार्लिंग. और उसपर इतने सारे लड़के मरते रहते हैं, वो किसी शादीशुदा कपल के साथ क्यों घुल मिल जायेगी?"

"उस बात का जिम्मा मेरा. अब कल से तुम दोपहर के खाने पर घर नहीं आओगे."

"मगर क्यों? और उसका डॉली से क्या सम्बन्ध हैं?"

"तुम बस देखते जाओ."

पराग मुझे अच्छे से जानता था, अगर एक बात मैंने ठान ली तो फिर उसे पूरी कर के रहूंगी. अगले ही दिन से रोज ड्राइवर पराग को ऑफिस छोड़कर घर वापिस आने लगा. मैं करीब एक बजे उसका भोजन लेकर ड्राइवर के साथ ऑफिस पहुँच जाती थी. पहले ही दिन डब्बा चपरासी को देने के बाद मैंने डॉली से मुलाक़ात की और फिर ये सिलसिला रोज चलता रहा. अब मैं उसकी तारीफ करने लगी और अक्सर छोटा सा डब्बा (जिसमे पकोड़े, मिठाई या कुछ नमकीन) डॉली को भी देने लगी.

अब ऑफिस में जाने के समय और शाम को लौटते समय पराग भी डॉली से बातचीत करने लग गया. अपनी सुंदरता की प्रशंसा कौनसी लड़की को अच्छी नहीं लगती? दो-तीन हफ्तोंमें मैं और डॉली ख़ास दोस्त बन गए. उसने अपना मोबाइल नंबर मुझे दिया और हम दोनों कभी एक दुसरे को मेसेजस भेजने तो कभी फ़ोन पर गप्पे मारने लग गए. अब तक बात सिर्फ दोस्ती और उसकी असीमित तारीफ़ तक ही सिमित थी. इस मामले में बहुत सावधानी से काम लेना ज़रूरी था, क्योंकि डॉली पराग के ही ऑफिस में काम करती थी.

डॉली आयु में हमसे दो साल बड़ी थी. वो भी मेरी तरह सांवली थी मगर उसके वक्ष मुझसे थोड़े बड़े दीखते थे. उसका चेहरा अभिनेत्री सायरा बनो से काफी मिलता था. वो तीन और लड़कियोंके साथ एक छोटे से फ्लैट में रहती थी जो ऑफिस से काफी दूर था. उसकी तीनो रूम मैट्स स्वभाव से कुछ ख़ास अच्छी नहीं थी, और वो मजबूरी में उनके साथ रहती थी. एक दिन बातों बातों में पता चला की अगले हफ्ते डॉली का जन्मदिन हैं मगर उसने कोई ख़ास प्लान बनाया नहीं था. मैंने तुरंत कहा, "डॉली, इस बार का यह ख़ास दिन तुम मेरे और पराग के साथ बिताओ. हम तुम्हारे जन्मदिन को यादगार बनाने की पूरी कोशिश करेंगे."

"अरे नहीं अनुपमा, आप क्यों कष्ट उठा रही हैं, और वैसे भी मेरा जन्मदिन बुधवार को हैं, हफ्ते के बिलकुल बीच में. आप दोनोको अगले दो दिन कठिनाई हो जायेगी."

"अगर तुम मुझे और पराग को अपना मित्र मानती हो तो तुम हमारे साथ आओगी. नहीं तो मैं समझूंगी की मैं तुम्हारी कुछ नहीं."

अब इतना कुछ बोलने के बाद बिचारी डॉली को मेरी बात माननी ही पड़ी. रात को चुदाई के समय ये किस्सा मैंने पराग को बताया. फिर हमने उसे किसी बढ़िया से थ्री स्टार रेस्ट्रॉन्ट में ले जाने की योजना बनायीं. हम शाकाहारी हैं मगर डॉली तो मांसाहार भी लेती थी, इसलिए ऐसे रेस्ट्रॉन्ट को चुना जहाँ दोनों भी स्वादिष्ट मिलते हैं. साथ में बड़ा सा बर्थडे केक और मेकअप सामान उपहार के स्वरुप में ले लिया.

बुधवार के दिन मैं सज धज कर चार बजे के करीब ऑफिस पहुँच गयी. मेरा एक सुन्दर सा गाउन मैंने डॉली को दिया और वो बाथरूम में जाकर उसे पहन कर आ गयी. तब तक पराग भी आ गए थे. फिर हम तीनो कार में बैठ कर उस रेस्ट्रॉन्ट पर पहुँच गए. आज ड्राइवर को शाम को देर तक रुकने के लिए कहके रखा हुआ था, जिसके उसे अच्छे खासे पैसे भी मिलते थे.
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-11-2021, 12:31 PM

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