Kamukta kahani अनौखा जाल
09-12-2020, 12:41 PM,
#15
RE: Kamukta kahani अनौखा जाल
भाग १५)

“क्या मैं अभय, मिस्टर अभय से बात कर रहा हूँ??” दूसरी ओर से एक मध्यम भारी सा आवाज़ सुनाई दिया |

“जी.. बोल रहा हूँ |” मैं बोला |

“ह्म्म्म... मुझे पूरी उम्मीद थी की तुम अभी मुझे घर पर ही मिलोगे.. |” दूसरी ओर से आवाज़ आई |

“जी, वो तो ठीक है पर मैंने आपको पहचाना नहीं.. |” मैं सशंकित लहजे में बोला |

“हम्म.. जानता हूँ.. तुम मुझे नहीं पहचानोगे और ना ही तुम मुझे जानते हो .. पर मैं तुम्हारे बारे में बहुत कुछ जानता हूँ.. वरन ये समझ लो की मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानता हूँ |” दूसरी ओर से वही धीर स्थिर सी आवाज़ आई |

मेरे कान खड़े हो गए | मैं फ़ौरन पूरी सतर्कता के साथ उसकी आगे की बोली जाने वाली बातों के बारे में सोचने लगा और सबसे ज़्यादा इस बात पे फोकस था मेरा अब की आगे क्या होने वाला है, ये मुझे कैसे जानता है, क्या चाहता है इत्यादि |

“सुनो, मैं जानता हूँ की अभी तुम्हारे दिलो दिमाग में बहुत सारे ख्याल आ रहे होंगे .. आना वाजिब भी है.. मुझे तुम अपना दोस्त ही समझ लो | अपना शुभ चिन्तक.. | मैं बस अभी के लिए इतना ही कहना चाहूँगा कि तुम जो कुछ भी कर रहे हो वो खतरों से खाली नहीं है | जान भी जा सकती है | ऐसा भी हो सकता है की कोई तुम्हे मार कर फेंक दे और महीनो किसी को कुछ पता भी न चले.. | ये सब कोई बच्चो का खेल नहीं है जो तुम इन सबमें हाथ धो कर पीछे पड़ गए | बेहतर होगा की तुम किसी ओर की मदद लो... पुलिस की ही मदद ले लो |” – उस शख्स ने बड़े ही शांत पर चिंतित से स्वर में कहा |

“जी.. मैं आपके बातों और जज्बातों का कद्र करता हूँ.. अच्छा लगा की एक अजनबी-से हो कर भी आप मेरी इतनी फ़िक्र कर रहे हैं... पर बात जब परिवार की हो तो मदद के लिए खुद आगे आना चाहिए.. ऐसा मेरा मानना है | रही पुलिस की बात तो अभी उन्हें इसमें इन्वोल्व नहीं करना चाहता मैं | और मरने की बात तो छोड़ ही दीजिए .. जो जन्मा है वो मरा भी है | नथिंग स्ट्रेंज ओर डिफ्फरेंट इन इट | मैं पीछे नहीं हटने वाला | - मैंने पूरी दृढ़ता से अपनी बात रखी |

दूसरी ओर एक लम्बी सी ख़ामोशी छाई रही | सिर्फ़ गहरी सांस लेने की आवाज़ सुनाई दे रही थी |

फिर,

“ह्म्म्म.. ठीक है .. जब करने-मरने की ठान ही चुके हो तो मैं और कह भी क्या सकता हूँ | पर तुम्हारी मदद के लिए ज़रूर रहूँगा हमेशा |” – दूसरी ओर से आई आवाज़ में चिंता की लहरें थी |

“वैसे अभी मिल सकते हो क्या?” – उस आदमी ने पूछा |

“क्यों? कोई मदद करना चाहते हो क्या? किस बारे में मिलना है तुम्हें ?” मैंने रिटर्न प्रश्न किया |

“तुम्हारी चाची के बारे में बात करनी थी |” बहुत शोर्ट और गंभीर आवाज में कहा उसने |

सुनते ही मेरे सतर्कता के भी छक्के छूटे .. हाथ से रिसीवर छूटने को हो आया | थोड़ी हडबडाहट सी हुई | संभल कर मैंने भी उसी भाँति गंभीर आवाज़ में पूछा, “क्या बात करना है आपको मेरी चाची के बारे में?”

“फ़ोन पर संभव नहीं है.. तुम बस ये बताओ की क्या तुम अभी मुझसे मिलने आ सकते हो ?” – दूसरी तरफ़ से भावहीन स्वर उभरा |

“जी... बिल्कुल आ सकता हूँ.. कहाँ आना होगा मुझे?” मैंने घड़ी की ओर देखते हुए उतावलेपन में कहा |

“दस मिनट बाद ही तुम्हारे घर से पहले वाले मोड़ पर एक कार .. आई मीन एक टैक्सी आ कर रूकेगी .. तुम्हें देख कर दो बार हेडलाइट्स ऑन-ऑफ़ करेगी .. उसमें बैठ जाना.. वो तुम्हे मुझ तक पहुँचा देगी...और हाँ, एक बात और.. उस बेचारे टैक्सी ड्राईवर से कोई सवाल जवाब मत करना .. वो तो सिर्फ़ मेरे कहने पर ही तुम्हे लेने आएगा और मुझ तक छोड़ जाएगा... ओके?” – निर्देशात्मक लहजे में कहा उस शख्स ने |

मेरे ओके या कुछ और कहने के पहले ही उसने फ़ोन रख दिया था | मैंने रिसीवर क्रेडल पर रखा | नज़र दौड़ाई घड़ी पर ... सवा नौ बज रहे थे रात के | इससे पहले कभी बाहर जाना नही हुआ रात में | ये पहली बार था और जाना ज़रूरी भी | मैं सीधे अपने रूम गया, तैयार हुआ और चाची को उनके रूम के बाहर से आवाज़ दिया,
“चाची... थोड़ा काम से निकल रहा हूँ... कुछ ही देर में आ जाऊंगा |”
कह कर बाहर निकल गया मैं.. तब तक चाची अपने रूम से निकल आई थी.. सवालिया नज़रों से मुझे देख रही थी | पर मेरे पास टाइम नही था रुकने का या फिर उनके किसी बात का जवाब देने का.. मैं जो भी कर रहा हूँ और करने जा रहा हूँ .. वो तो चाची के लिए ही है न...|

----------------------------

जैसा फ़ोन पे कहा गया था ठीक वैसा ही हुआ... मोड़ पे एक टैक्सी आ कर रुकी | दो बार हेडलाइट्स ऑन-ऑफ़ हुई | मैं टैक्सी के पास गया | दरवाज़ा खोला और उसमें बैठ गया | ड्राईवर ने टैक्सी के अन्दर का लाइट ऑफ़ कर रखा था.. शायद उसे ऐसा करने के लिए कहा गया था .. मैंने कुछ पूछना और सोचना उचित नहीं समझा, फिलहाल तो मंजिल पर पहुँचना ज़्यादा ज़रूरी था | करीब चालीस मिनट तक टैक्सी चलती रही | ड्राईवर चुप.. मैं चुप... एक अजीब सी विरानियत छाई हुई थी टैक्सी के अन्दर | शहर के व्यस्त सड़कों और माहौल को पीछे छोड़ते हुए एक सुनसान से रास्ते पे टैक्सी बढे चले जा रही थी |

कुछ ही देर में एक टूटे फूटे से घर के पास आ कर टैक्सी रुकी | ड्राईवर ने एक कागज़ का टुकड़ा बढ़ा दिया मेरी तरफ़ | मैं बिना कुछ बोले उस टुकड़े को ले कर टैक्सी से उतरा .. जेब से छोटी पॉकेट टॉर्च निकाल कर कागज़ को देखा | उसमें लिखा था, “अपने सीध में देखो. घर की तरफ़ .. लाल ईंटों के तरफ़ चले आओ |” मैंने नज़र उठा कर घर की तरफ़ टॉर्च की लाइट फेंकी.. पेंट भी उतर गई थी घर की.. सीमेंट पलस्टर भी आधे अधूरे से निकल आये थे | सामने तीन खम्बे थे घर के ... उनमें से एक खम्भे का बहुत बुरा हाल था | सिर्फ़ ईंटें ही बचीं थी | लाल ईंटें ...ऑफ़ कोर्स ...| मैं धीरे सधे कदमों से आगे बढ़ा |

उस खम्भे के पास पहुँच कर रुका..और इधर उधर देखने लगा |

तभी एक आवाज़ गूँजी,
“ आ गए...?! अब बिना कोई सवाल किये इस खम्भे से अपनी पीठ टिका कर पलट कर खड़े हो जाओ.. जिधर से आये, तुम्हारा मुँह उस तरफ़ होना चाहिए..|”

मैं बिना कुछ कहे ठीक वैसा ही किया जैसा की करने को कहा गया | फिर आवाज़ आई और इस बार महसूस हुआ की आवाज़ ठीक मेरे पीछे से आ रहा है और इस आवाज़ का मालिक जो भी है, वो भी मेरी तरह ही उसी खम्भे से पीठ टिकाए बात कर रहा है, “सुनो अभय.. तुम बहादुर हो इसमें अब मुझे कोई संदेह नहीं है.. मौत का डर दिखाने पर और रात को अचानक से बुलाने पर भी तुम नहीं डरे.. ये काबिले तारीफ़ है.. पर एक बात हमेशा याद रखना की बहादुरी और बेवकूफी के बीच एक बहुत महीन; बारीक सी रेखा होती है... अगर काम कर गया तो रेखा के इस तरफ़.. यानि बहादुरी का गोल्ड मैडल और अगर कहीं चूक गये और रेखा के उस तरफ़ चले गये तो समझो जिल्लतों भरी, तौहीन वाली, साथ ही जग हँसाई वाली बेवकूफी के मशहूर किस्से... | और इन दोनों का या इनमें से किसी एक का चुनाव हम नहीं हमारी नियत और वक़्त करता है ... नियत कैसी भी हो ... वक़्त बड़ा बेरहम होता है.. वो किसी का सगा नहीं... इसलिए एक बार फिर सोच लो... क्या विचार हैं तुम्हारे... क्या वाकई तुम पूरी तरह से तैयार हो .. ऐसे काम के लिए..??”

मैंने शालीनता पर साथ ही कठोरता के साथ उत्तर दिया, “आपकी बातें बहुत पसंद आई मुझे .. माफ़ी चाहूँगा .. आपका दिल दुखाते हुए.. मैं उन लोगों में से नहीं जो फैसला कर के सोचते है और पलट जाते हैं... मैं जो भी फैसला करता हूँ ... हमेशा सोच कर ही फैसला करता हूँ... अब ये बताइए की इतनी रात में मुझे यहाँ बुलाने का क्या कारण है ?”

दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई, “ह्म्म्म.. ठीक है.. सुनो.. पिछले कुछ महीनो से शहर में अंडरवर्ल्ड और टेररिस्ट आर्गेनाइजेशन के लोग काफ़ी सक्रिय हो गए हैं और एकदम से बाढ़ आई हुई सी लग रही है इन लोगों की | चरस, कोकेन, गांजा, और कई तरह के दुसरे ड्रग्स सप्लाई किये जा रहे हैं मार्किट में... पुलिस भी कुछ खास नहीं कर पा रही क्यूंकि इन लोगों के काम करने का ढंग काफ़ी अलग और समझ से परे है | सिर्फ़ इतना ही नहीं.. ये लोग आर्म्स .. यानि की हथियारों की स्मगलिंग में भी शामिल हैं | और ऐसे काम में ये खुद शामिल ना होकर यहाँ के भोले भाले स्टूडेंट्स, बच्चे और यहाँ तक की घर की औरतों को भी शामिल कर रहे हैं.. और मुझे लगता है की तुम्हारी चाची भी ऐसे लोगों के साथ या तो मिली हुई है या फिर इनके चंगुल में फंस गई है | सच क्या है ये तो पता चल ही जाएगा... पर अब ये तुम सोचो की तुम्हे आगे क्या करना है.. और हाँ मैं तुम्हारी मदद के लिए हमेशा रहूँगा... पर दिखूंगा नहीं...|”

इतना सुनते ही मैं से बोल पड़ा, “तो क्या मेरी माँ भी??”

इसपर आवाज़ आई, “नहीं....मुझे नहीं लगता.. जैसा तुम सोच रहे हो.. अगर वैसा ही कुछ होता तो अभी तक तुम्हें बहुत कुछ पता चल गया होता या फिर उन लोगों ने खुद ही तुम्हें इसके बारे में कोई इशारा या सन्देश दे दिया होता... तुम्हारी माँ बिल्कुल ठीक है और सुरक्षित है.. तुम निश्चिंत रहो | उन लोगों ने किसी तरह तुम्हारे घर में घुस कर वो तस्वीरें लीं होंगी |”

मैं आश्चर्य में भरकर बोला, “तो आपको ये भी पता है की उन लोगों ने मेरी माँ की तस्व....”

मेरी बात को बीच में काटते हुए उस शख्स ने कहा, “मैंने तुम्हे पहले ही कहा था की मैं सब कुछ जानता हूँ ... अगर मेरे सब कुछ जान लेने पर तुम्हें यकीं नहीं तो अब इतना तो मानोगे ही की मैं बहुत कुछ जानता हूँ..?!” सब कुछ और बहुत कुछ पर जोर देते हुए कहा उसने |

मैं – “अच्छा, एक बात बताइए... अगर आप मुझे दिखेंगे नहीं तो मैं आपसे मदद कैसे मांगूंगा?? आपको कैसे पता चलेगा की मैं मुसीबत में हूँ भी या नहीं...?”

“वो मैं देख लूँगा.. और कभी अगर कांटेक्ट करने की ज़रूरत महसूस हुई तो मैं खुद ही कांटेक्ट कर लूँगा...| अभी इससे ज़्यादा और कुछ नहीं बता सकता |” भावहीन स्वर में बोला वो...|

मैं – “अच्छा, एक और बात.. कम से कम इतना तो बताइए की आप हैं कौन या फिर आप मेरी ही मदद क्यों कर रहे हैं??” मेरे इस प्रश्न में मेरे उतावलेपन का स्तर साफ़ नज़र आ रहा था |

“सही समय आने पर सब खुद ब खुद ही पता चल जाएगा... डोंट वरी.. आज के लिए इतना ही.. वो टैक्सी तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देगी ... बाय...|” पहले जैसे स्वर में ही कहा उसने |

अभी मैं कुछ कहता या कोई प्रतिक्रिया देता... खट से एक आवाज़ हुई.. मैं धड़कते दिल को संभाले धीरे धीरे खम्भे के दूसरी तरफ़ गया.. घुप्प अँधेरा... टॉर्च जलाया... चारों तरफ़ ईंटें और कई दूसरी चीज़ें गिरी हुई थीं... उस शख्स का कहीं कोई नामो निशान नहीं था.. ऐसा लग रहा था जैसे की हवा में विलीन हो गया हो | मन में कई सवाल, अंदेशों और संदेहों को टटोलता – संभालता मैं टैक्सी की ओर बढ़ चला.. घर वापस जाने के लिए .......

क्रमशः

***********************************

Reply


Messages In This Thread
RE: Kamukta kahani अनौखा जाल - by desiaks - 09-12-2020, 12:41 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,559,996 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 551,080 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,258,045 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 951,146 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,687,786 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,109,641 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,000,302 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,220,597 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,091,531 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,653 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)