RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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अमन लोगों के जाते ही बरखा का मोबाइल बजने लगा. उसने देखा तो, शिखा दीदी का कॉल आ रहा था. उसने फ़ौरन कॉल उठाया और उनसे बताया कि, हम सब वापस ही आ रहे है और इतना कह कर उसने कॉल रख दिया.
बरखा के कॉल रखते ही हम सब घर वापस आने लगे. लेकिन कोई किसी से कुछ नही बोल रहा था. सब अपने अपने ख़यालों मे खोए, ये ही सोच रहे थे कि, अब आगे क्या करना है. बस ये ही सब सोचते हुए हम लोग घर पहुच गये.
हम लोगों के इतनी देर से वापस आने से शिखा दीदी कुछ परेशान सी लग रही थी और हमारे पहुचते ही जब उन्हो ने हम सब को किसी सोच मे खोया सा देखा तो, उनकी ये चिंता ओर भी ज़्यादा बढ़ गयी. उन्हो ने हमारे पास आते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “क्या हुआ, आप लोगों को वापस आने मे इतनी देर क्यो लग गयी और आप सब किस सोच मे खोए हुए हो.”
शिखा दीदी की इस बात पर छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “ये सब जमाई राजा और उनके भाई की बातों की वजह से परेशान है. बारात अब कल यही पर आना है और बारातियों के स्वागत के इंतज़ाम की सारी ज़िम्मेदारी इन लोगों की है.”
छोटी माँ की बात सुनकर, शिखा दीदी कुछ देर तक सोचती रही और फिर अचानक उन्हो ने गुस्से मे भड़कते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “ये उन लोगों ने क्या मज़ाक लगा रहा है. यदि उन्हे ऐसा ही करना था तो, पहले बताना चाहिए था. क्या खड़े पर भी कोई इस तरह की हरकत करता है क्या. ठहरो मैं अभी उनसे बात करती हूँ. यदि उनकी ये ही शर्त है तो, मुझे ये शादी हरगिज़ नही करनी.”
ये कहते हुए शिखा दीदी, अपने मोबाइल से कॉल लगाने को हुई. मगर छोटी माँ ने उनका हाथ पकड़ कर उनको रोकते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “उन लोगों ने इनके साथ ऐसा करने की कोई ज़बरदस्ती नही की है. उन्हो ने इनके सामने सिर्फ़ अपनी एक बात रखी थी और इन सब ने खुशी खुशी उस बात को मान लिया.”
लेकिन इस बात को सुनने के बाद भी, शिखा दीदी का गुस्सा कम नही हुआ. उन्हो ने फिर अपनी बात को रखते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “लेकिन उनको ऐसी कोई बात रखने की क्या ज़रूरत थी. क्या उन्हो ने ये भी नही सोचा कि, इतना सब इतनी जल्दी कैसे हो पाएगा. यदि उनके मन मे ऐसी कोई बात थी तो, उन्हे अपनी ये बात पहले रखनी चाहिए थी.”
छोटी माँ बोली “उनके मन मे ऐसी कोई बात नही थी. मैने ही उनसे कहा था कि, मैं चाहती हूँ कि, शिखा की बारात उसके दरवाजे पर आए. उनकी तो बारात की सारी तैयारी हो चुकी थी. लेकिन फिर भी उन्हो ने मेरी बात को मान लिया.”
छोटी माँ की इस बात ने शिखा दीदी ही नही, बल्कि हम सबको भी हैरान करके रख दिया था. क्योकि हम सब इस बात को नही समझ सके थे कि, अमन ने अचानक से ये बात हमारे सामने कैसे रख दी. लेकिन अब छोटी माँ की बात सुनकर, हमे सारी कहानी समझ मे आ चुकी थी.
मेरी समझ मे अब ये बात भी आ चुकी थी कि, ये सब कुछ जो छोटी माँ कर रही है. इसमे कही ना कही कीर्ति का हाथ भी है. क्योकि शेखर भैया के इस सपने के बारे मे मैने सिर्फ़ निक्की और कीर्ति को ही बताया था.
मेरा मन तो हो रहा था की, अभी कीर्ति से कॉल लगा कर बात कर लूँ. लेकिन ऐसा कर पाना संभव नही था. इधर छोटी माँ की इस बात को सुनकर, शिखा दीदी ने अपनी परेशानी जाहिर करते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “लेकिन आंटी, इतनी जल्दी ये सब कैसे हो पाएगा और फिर आपको ये सब परेशानी मोल लेने की ज़रूरत ही क्या थी. इस से आपके लिए भी तो कोई परेशानी खड़ी हो सकती है.”
शिखा दीदी की इस बात पर छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “इस बात को लेकर तुम्हारा इस तरह से परेशान होना ग़लत नही है. लेकिन मैने ऐसा करके किसी के लिए कोई परेशानी खड़ी नही की है. क्योकि मैं जानती हूँ कि ये सब हो जाएगी. अब रही बात इस सब से मेरे लिए कोई परेशानी खड़ी होने की बात तो, मुझे लगता है कि, मेरे बेटे को मेरा ऐसा करना ज़रा भी बुरा नही लगा होगा.”
“इसके बाद रह गये मेरे पति तो, वो कभी मेरे किसी भी मामले मे अपनी टाँग अड़ाना पसंद नही करते और मेरी बेटियाँ इतनी छोटी है कि, वो इन सब बातों की ज़्यादा समझ नही रखती है. इसके अलावा मुझे किसी की कोई फिकर नही है. लेकिन यदि तुम्हे मेरा ये सब करना ठीक नही लगता है तो, अभी भी कुछ नही बिगड़ा है. तुम अभी कॉल करके उन लोगों को इस बात के लिए मना कर सकती हो.”
इतनी बात कह कर छोटी माँ चुप हो गयी. छोटी माँ की इस बात के जबाब मे शिखा दीदी ने कहा.
शिखा दीदी बोली “आंटी मेरा ये मतलब बिल्कुल नही था. मैं बस आपको किसी परेशानी मे फँसते देखना नही चाहती थी. आपको जो ठीक लगे, आप वो ही कीजिए. मुझे आपके कुछ भी करने से कोई परेशानी नही है.”
शिखा दीदी की ये बात सुनते ही, छोटी माँ ने हम सब से कहा.
छोटी माँ बोली “अब तुम सब यहा ऐसे ही खड़े रहोगे या फिर अपनी तैयारियाँ भी सुरू करोगे.”
लेकिन छोटी माँ की ये बात सुनते ही शिखा दीदी ने कहा.
शिखा दीदी बोली “अरे तैयारियाँ तो होती रहेगी. पहले आप सब खाना तो खा लो.”
मैं बोला “दीदी आप खाना लगवाए, तब तक हम थोड़ा काम निपटा लेते है.”
मेरी बात सुनकर, शिखा दीदी छोटी माँ के साथ अंदर चली गयी और हम लोग आपस मे चर्चा करने लगे कि, अब हमे क्या क्या काम निपटाना है. सब से पहले राज ने पंडाल वाले को कॉल करके, उस से अभी रात को ही एक बड़ा भारी पंडाल तैयार करने की बात करने लगा.
लेकिन रमज़ान के चलते पंडाल वाला ऐसा करने को तैयार नही था. फिर भी किसी तरह राज ने उसको तैयार कर ही लिया. इसके बाद उसने लाइट वाले को कॉल किया और सुबह जल्दी आकर लाइट लगाने की बात कर ली.
हमारे ये दो काम बहुत जल्दी ही निपट गये थे. ऐसा इसलिए भी हुआ था क्योकि, राज ने ये काम जिनसे करवाया था, वो दोनो ही शहर के जाने माने पंडाल और लाइट वाले थे. इसलिए उनके पास समान की कोई कमी नही थी और वो हमारा इतना बड़ा काम खड़े खड़े ही करने को तैयार हो गये थे.
इन दोनो को हमे अपने काम के लिए तैयार करने मे इसलिए भी परेशानी नही आई थी, क्योकि वो पहले से ही हमारे साथ काम कर रहे थे. लेकिन हमारी असली परेशानी अब सुरू होने वाली थी. क्योकि अब हमे खाने वाले और बाकी चीज़ों का इंतज़ाम करना था.
हम सब अब इसी सोच मे खोए हुए थे कि, इतनी बड़ी शादी का खाना बनाने के लिए किसको तैयार किया जाए कि, तभी हमे कुछ लोग आते हुए दिखाई दिए और हम बात करना बंद करके उनको देखने लगे.
उन्हो ने जब आकर अपना परिचय दिया तो, हम सबके चेहरे खिल उठे. उन्हे अजय ने भेजा था. वो उसकी पार्टी की तैयारी मे लगे थे. लेकिन अजय ने अब उन्हे वहाँ पार्टी ना होने की बात बोल कर, यहाँ भेज दिया था.
हमने उनसे कहा कि, वो जो कुछ वहाँ पर पार्टी के लिए बना रहे थे. वो ही अब उन्हे यहाँ पर बनाना है. हमारी बात सुनकर, उन ने समान की एक लिस्ट निकाल कर दे दी और वो सब समान की माँग अभी ही करने लगे.
उनके समान की लिस्ट देख कर तो, मेरे पसीने छूट गये. ऐसा लग रहा था कि, जैसे उन्हो ने सारी की सारी दुकान ही लाने की लिस्ट पकड़ा दी हो. उपर से वो सब समान उनको अभी के अभी ही चाहिए था और इतनी रात को कोई भी दुकान खुली होने की कोई उम्मीद नही थी.
मुझे परेशान देख कर वो लिस्ट राज ने ले ली. लेकिन लिस्ट देख कर वो भी सोच मे पड़ गया. ये ही हाल लिस्ट देख कर हीतू का भी हुआ. मगर जब वो लिस्ट हीतू से नेहा ने ली तो, उसे हमारी परेशानी की वजह समझ मे आ गयी. उसने लिस्ट देखते हुए उन लोगों से कहा.
नेहा बोली “ये सारा समान आपको एक घंटे के अंदर मिल जाएगा.”
इसके बाद, उसने बर्तन वाली लिस्ट राज को पकड़ा कर उस से वो सब मंगवाने को कहा और फिर उसने मुझसे और हीतू से अपने साथ चलने को कहा. हम दोनो नेहा की बात सुनकर, उसके साथ चलने लगे.
कुछ ही देर मे हम उसके घर पहुच गये. घर मे दुर्जन सोया हुआ था. पहले तो उसने दुर्जन को इस तरह सोने के उपर से बहुत गुस्सा किया और फिर वो लिस्ट दुर्जन को देते हुए सारा समान एक घंटे के अंदर लाने को कहा.
दुर्जन ने बिना कुछ कहे लिस्ट ले ली और फिर कपड़े पहनने लगा. हम लोग दुर्जन को वो लिस्ट देकर वापस आ गये. दुर्जन के दबदबे की कहानी मैं अजय से सुन चुका था. इसलिए मुझे पूरा यकीन हो गया था कि, हमारा ये काम भी हो जाएगा.
हम वहाँ से वापस लौटे तो, राज डीजे वाले से कल के लिए डीजे और अर्केस्त्र (ऑर्केस्ट्रा) की बात कर रहा था. उसने डीजे वाले को भी कल के लिए तैयार कर लिया था. इस तरह से हमारे सारी ज़रूरी काम की तैयारी हो चुकी थी.
अब सिर्फ़ उपरी तामझाम फैलाना बाकी रह गया था और अब इसी सब के बारे मे योजना बना रहे थे. इस बीच शिखा दीदी कयि बार हमे खाने के लिए बोलने आई. लेकिन हम उन्हे बस थोड़ी देर मे आने की बोलकर टालते रहे.
कुछ ही देर मे पंडाल वाला बड़े पंडाल का समान लेकर आ चुका था. उसने पुराना पंडाल खोलना सुरू कर दिया था. अब 1:30 बज चुका था और इस बार शिखा दीदी ने आते ही खाने के उपर से हम सब पर गुस्सा करना सुरू कर दिया था.
इसलिए अब हमने खाना खा लेने मे ही अपनी भलाई समझी और हम उनके साथ खाना खाने आ गये. छोटी माँ आंटी के पास बैठी बातें कर रही थी. मुझे लगा कि वो खाना खा चुकी है. लेकिन जब शिखा दीदी ने उनसे खाना खाने लिए कहा तो, मैने उन से कहा.
मैं बोला “आप तो कब से खाना खाने अंदर आई थी. फिर आपने अभी तक खाना क्यो नही खाया.”
छोटी माँ बोली “मुझे भूख नही थी. इसलिए सोचा की, थोड़ी देर बाद तुम लोगों के साथ ही खाना खा लुगी.”
ये कहते हुए छोटी माँ भी हमारे साथ खाना खाने बैठ गयी. लेकिन मुझे उनकी इस बात पर बहुत गुस्सा आ रहा था. इसलिए अब मैं किसी से कोई बात नही कर रहा था और चुप चाप खाना खा रहा था.
असल मे मेरे इस तरह उन से गुस्सा होने की वजह ये थी कि, छोटी माँ समय की बहुत पाबंद थी. समय पर सोना, समय पर उठना, समय पर खाना खाना ये सब उनकी आदत मे शामिल था.
लेकिन आज मेरी वजह से आज उनकी हर बात का समय बदल गया था. ना तो वो समय पर खाना खा पाई थी और ना ही समय पर सो पाई थी. ये ही नही सुबह भी उनके खाने के समय पर, उनसे बात करते समय मेरे साथ वो हादसा हो गया था.
जिसके बाद से वो मुझे लेकर परेशान थी. अब तो मुझे ये बात भी परेशान कर रही थी कि, उन्हो ने सुबह भी कुछ खाया है या नही खाया. इसलिए भले ही मैं उनसे बात नही कर रहा था. लेकिन बार बार मेरी नज़र उनकी तरफ ही जा रही थी.
उनको खाना खाते देख कर, मेरे दिल को कुछ कुछ तसल्ली मिल रही थी. सब आपस मे बातें कर रहे थे. मगर मैं चुप चाप खाना खा रहा और बार बार छोटी माँ को देख रहा था.
मेरी इन सब हरकतों से शायद छोटी माँ को मेरे मन के अंदर चल रही बातों का अहसास हो गया था. इसलिए उन्हो ने बिना किसी बात के ही, बात बनाते हुए शिखा दीदी से कहा.
छोटी मा बोली “आज तो लगता है, खा खा कर मेरा पेट ही फट जाएगा.”
छोटी माँ की ये बात सुनकर, मैं गौर से उनकी तरफ देखने लगा. क्योकि जब से वो आई थी, मैने उन्हे एक ग्लास पानी तक पीते नही देखा था. वही उनकी इस बात पर शिखा दीदी ने हैरान होते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “आंटी आप जब से यहाँ आई है. तब से मैं आपको खाने और चाय नाश्ते का बोल बोल कर थक गयी हूँ. लेकिन आपने हमारे यहाँ एक कप चाय तक नही पी है. फिर आप ऐसा क्यो कह रही है कि, खा खा कर आपका पेट फट जाएगा.”
छोटी माँ बोली “अरे मैं घर से खाना खा कर निकली थी. मेरी भतीजी ने मुझे बिना खाना खाए घर से बाहर निकलने ही नही दिया. अब इसके बाद भी तुम लोग मुझे ज़बरदस्ती खाना खिलाओगे तो, मैं ये ही तो कहुगी ना.”
छोटी माँ की इस बात को सुनकर, सब हँसने लगे और मुझे भी इस बात का सुकून महसूस हुआ कि, कीर्ति ने छोटी माँ बिना कुछ खाए पिए घर से नही निकलने दिया.
हम खाना खा कर बाहर आए तब तक पुराना पंडाल खुल चुका था और नये पंडाल के लगने का काम सुरू हो गया था. अब 2 बज चुके थे और खाना बनाने वाले बार बार समान का पुच्छ रहे थे.
उनकी बात सुनकर नेहा ने राज को कॉल लगाया तो, उसने कहा कि, 10 मिनट मे सारा समान पहुच जाएगा. इसके बाद मुश्किल से 10 मिनट ही लगा होगा कि, वो समान आ गया जिसकी लिस्ट हमने दुर्जन को दी थी.
समान के आते ही, खाना बनाने वालों ने अपना काम सुरू कर दिया. हम सब भी छोटे मोटे काम करने मे लगे गये. बरखा हमारे लिए चाय लेकर आई तो, वो रिया लोगों से उपर चल कर सोने को कहने लगी. वो लोग अभी सोने जाना नही चाहती थी. लेकिन बाद मे हमारे समझाने पर सभी सोने चली गयी.
अब सिर्फ़ बरखा और नेहा ही हमारे साथ जाग रही थी. मैने उन्हे भी सोने को कहा, लेकिन वो दोनो हमारे साथ जागती रही. हम सब इन सब कामो मे इतने व्यस्त थे कि, हमे पता ही नही चला कब सुबह हो गयी.
सुबह शिखा दीदी आकर हमे चाय दी. नेहा और मेहुल तो चेयर पर बैठे बैठे ही सो गये थे. शिखा दीदी ने उनको चाय के लिए जगाने को कहा तो, मैने मना कर दिया. जिसके बाद वो छोटी माँ को चाय देने की बात बोल कर जाने लगी.
उनकी इस बात पर मैने उन से कहा कि छोटी माँ अभी सो रही होगी. इस पर उन्हो ने मुस्कुराते हुए मुझे उपर की तरफ इशारा किया. मैने सर उठा कर उपर देखा तो, छत पर छोटी माँ और प्रिया खड़ी हमको ही देख रही थी.
प्रिया को इतनी सुबह सुबह देख कर मुझे कुछ हैरत ज़रूर हुई और मैने नीचे खड़े खड़े ही उस से कहा.
मैं बोला “आज सूरज पश्चिम से कैसे निकल आया.”
मेरी बात सुनकर, उसने मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “कभी कभी सूरज पश्चिम से भी निकल आता है. आज देख लो, फिर दोबारा देखने को नही मिलेगा.”
प्रिया की बात सुनकर सब हँसने लगे. तभी कीर्ति का कॉल आने लगा. उसका कॉल उठाते ही सबसे पहले मैने उसे कल रात को बात ना कर पाने के लिए सॉरी कहा, फिर उसे बताया कि, शायद आज भी मैं उस से ज़्यादा बात नही कर पाउन्गा. उसने इस मुझसे इस सब की ज़रा भी फिकर ना करने की बात कही और फिर शादी के बारे मे बातें पूछती रही.
कीर्ति से थोड़ी बहुत बात करने के बाद मैने कॉल रख दिया. तब तक मेहुल और नेहा की भी नींद खुल गयी थी. लेकिन नेहा तो उठते ही अंदर सोने चली गयी और मेहुल राज से फ्रेश होने के लिए घर चलने की बात कर रहा था.
मैने राज को रिया लोगों को भी अपने साथ ले जाने को कहा. इसके बाद राज, मेहुल और रिया लोगों को अपने साथ लेकर घर चला गया. मैने मेहुल से अपने कपड़े यही लाने के लिए बता दिया था.
हीतू को मैने बार बार घर जाने को कहा, लेकिन वो राज लोगों के आने के पहले जाने को तैयार नही था. ऐसे ही काम काज मे वक्त बीत गया और 10 बजे राज लोग वापस आ गये.
उनको अभी से तैयार देख कर, मुझे याद आया कि, ये सब अमन की शादी मे शामिल होने की तैयारी कर के आए है. मेरे लिए भी इस वक्त जितना यहाँ होना ज़रूरी था. उतना ही अमन और निशा की शादी मे शामिल होना ज़रूरी था.
मेरी समझ मे ये नही आ रहा था कि, मैं यहाँ का काम छोड़ कर निशा भाभी की शादी मे कैसे जाउ. मुझे यू परेशान देख कर, बरखा ने मुझसे कहा.
बरखा बोली “क्या हुआ, तुम किस सोच मे खोए हुए हो.”
मैं बोला “दीदी, हमे निशा भाभी की शादी मे भी तो शामिल होना है. मुझे समझ मे नही आ रहा है कि, अब हम यहाँ पर ये काम चलता हुआ छोड़ कर वहाँ कैसे जाए.”
मेरी इस बात ने बरखा को भी सोच मे डाल दिया था. आंटी हमारे पास ही खड़ी हमारी ये बातें सुन रही थी. उन्हो ने हमे इस बात को लेकर परेशान होते देखा तो, हम से कहा.
आंटी बोली “तुम लोगों को को निशा की शादी मे ज़रूर शामिल होना चाहिए. तुम यहाँ की फिकर बिल्कुल मत करो. सिर्फ़ 2-4 घंटे की ही तो बात है. इतनी देर मैं यहाँ संभाल लुगी. तुम लोग बेफिकर होकर वहाँ जाओ.”
मैं बोला “लेकिन आंटी, आप अकेले सब कुछ कैसे संभाल पाएगी. यदि यहाँ किसी चीज़ की ज़रूरत पड़ी तो, आप अकेली परेशान हो जाएगी.”
आंटी बोली “ऐसा कुछ नही होगा और फिर मैं अकेली भी नही हूँ. दुर्जन भैया तो घर पर ही है. उनके रहते मुझे किसी बात की कोई परेशानी नही होने वाली है.”
मैं बोला “लेकिन आंटी, दुर्जन अंकल तो यहाँ एक बार भी देखने नही आते कि, यहाँ क्या चल रहा है.”
आंटी बोली “हां, तुम्हारी ये बात सही है. कल मैने भी दुर्जन भैया से ये ही बात बोली थी. लेकिन उनका कहना था कि, बच्चे लोग सब काम अच्छे से कर रहे है. इसलिए मैं बीच मे नही आ रहा हूँ. मगर उन्हे जहाँ कही भी मेरी ज़रूरत महसूस होगी, मैं आ जाउन्गा. इसी वजह से अभी मैं कही आ जा भी नही रहा हूँ. ताकि ज़रूरत पड़ने पर किसी को मुझे ढूँढना ना पड़े.”
आंटी की इस बात को सुनकर, मैं दुर्जन के बारे मे सोचने लगा. एक तरफ तो वो एक बार भी ये देखने नही आया था कि, यहाँ पर क्या चल रहा है और दूसरी तरफ आधी रात को हमारे कहने पर, हमसे बिना कोई सवाल किए ही सारा समान लाकर हमे दे दिया था.
उसका ये बर्ताव मुझे बहुत ज़्यादा अजीब लग रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे की दुर्जन को इस शादी के होने से ज़्यादा खुशी नही हो रही थी. मैं अभी इस सोच मे खोया हुआ था कि, तभी मेहुल ने मुझसे कहा.
मेहुल बोला “आंटी ठीक कह रही है और तूने ये कैसे सोच लिया कि, तेरे यहाँ पर ना होने से यहाँ के काम मे कोई परेशानी आ सकती है. यहाँ का काम देखने के लिए मैं यही रहुगा और इसके लिए मैं तेरी कोई बात नही सुनुगा.”
मेहुल की बात सुनकर, हीतू ने भी मुझे भरोसा दिलाया की, वो मेहुल के साथ पूरे समय रहेगा और काम मे कोई भी रुकावट नही आने देगा. उनकी बात सुनकर मुझे कुछ तसल्ली हुई.
मुझे मेहुल का अपने साथ ना जा पाना अखर रहा था. लेकिन उसका मेरी गैर मौजूदगी मे यहाँ पर रहना एक तरह से मेरे रहने के समान ही था. इसलिए मैने भी उस से कोई बहस नही की और फिर हीतू को फ्रेश होने घर भेज कर, मैं भी फ्रेश होने चला गया.
फ्रेश होने के बाद, मैने शिखा भाभी के लाए हुए कपड़े पहने और तैयार होकर नीचे आ गया. छोटी माँ तो पहले से ही तैयार थी. बस बरखा की तैयारी चल रही थी और नेहा भी अपने घर तैयार होने चली गयी थी.
कुछ ही देर मे बरखा भी तैयार होकर आ गयी. उसने आते ही नेहा को कॉल लगा कर जल्दी आने को कहा. जिसके बाद नेहा भी तैयार होकर भागते हुए हमारे पास आ गयी. नेहा के आते आते 11 बज चुके थे. इसलिए अब हमने यहाँ से निकलने मे ज़्यादा देर करना ठीक नही समझा और दो गाड़ियों मे बैठ कर, हम निशा भाभी के घर के लिए निकल पड़े.
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