MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 12:24 PM,
#23
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
फिर 1 बजे कीर्ति के कॉल आना बंद हो गये और मैने भी मेहुल को गुड नाइट बोल कर कॉल रख दिया. क्योकि कीर्ति के कॉल को बिज़ी देख कर मुझे जो अशांति हुई थी. वो अब कीर्ति को अपना कॉल बिज़ी दिखा कर शांति मे बदल चुकी थी.

मैने लाइट बंद की और सोने की कोशिश करने लगा. लेकिन तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई. मैने लाइट चालू कर दरवाजा खोला तो सामने नाइट सूट मे कीर्ति खड़ी थी.

वो बहुत ज़्यादा गुस्से मे लग रही थी और खा जाने वाली नज़रो से मुझे देख रही थी. मेरे दरवाजा खोलते ही, वो आकर मेरे बेड पर बैठ गयी और मुझ पर भड़कते हुए कहने लगी.

कीर्ति बोली “इतनी रात को किस से बात कर रहे थे. मैं कॉल पर कॉल लगाए जा रही हू. मगर तुम्हारे पास मेरा कॉल उठाने तक की भी फ़ुर्सत नही है.”

शायद कीर्ति का ये गुस्सा मेरे कॉल को बिज़ी देख कर ही था. लेकिन मैने उसके गुस्से की परवाह किए बिना उस से कहा.

मैं बोला “मैं मेहुल से बात कर रहा था और इसमे इतना गुस्सा करने वाली कौन सी बात हो गयी. मैने भी तो तुझे कॉल किया था और तेरा भी कॉल बिज़ी जा रहा था. क्या तब तूने मेरा कॉल उठाया था.”

मेरी इस बात से कीर्ति को समझ मे आ गया कि, मैं भी उसका कॉल बिज़ी रहने की वजह से नाराज़ हूँ. इसलिए उसने थोड़ा नरम पड़ते हुए मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “मेरा कॉल बिज़ी था तो क्या हुआ. मैने कॉल से फ्री होते ही, तुझे वापस कॉल तो लगाया. तेरी तरह तो नही किया कि, कॉल से फ्री होते ही, लाइट बंद करके सो गयी हूँ.”

कीर्ति की बात सही थी. लेकिन मैं उसे कैसे बताता कि, मुझे उसका कॉल बिज़ी रहना क्यो अच्छा नही लगा. इसलिए मैने बात को बदलते हुए, उस से कहा.

मैं बोला “अब इतनी रात को, ये फालतू की बात बदाना बंद कर और ये बता कि, तुझे क्या बोलना है.”

कीर्ति बोली “बोलना तो तुझे है. कॉल तो तूने लगाया था. मैं तो सिर्फ़ इसलिए कॉल लगा रही थी कि, तेरा कॉल आया था.”

मैं बोला “मुझे जो बोलना था, वो मैने एसएमएस मे बोल दिया है. तेरा कोई रिप्लाइ नही आया तो, मैने ये जानने के लिए कॉल लगा दिया था कि, तू जाग रही है या सो गयी है. मुझे क्या मालूम था कि, तू इतनी रात को किसी के साथ बिज़ी है.”

मैने गुस्से मे एक ही साँस मे अपनी सारी भडास कीर्ति पर निकाल दी. जिसे सुनकर, कीर्ति के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और उसने मुझे छेड़ते हुए कहा.

कीर्ति बोली “क्यो मुझे इतनी रात को बिज़ी देख कर तुझे जलन हो रही है.”

मैं बोला “मुझे क्यो जलन होगी. मैं तेरा बाय्फ्रेंड नही, भाई हूँ और इसलिए ये मुझे अच्छा नही लगा.”

कीर्ति बोली “तो ये बोल ना कि, अपना कॉल बिज़ी रख कर, तू मुझसे इसका बदला ले रहा था.”

मैं बोला “मैं किसी गर्लफ्रेंड के साथ बिज़ी नही था. अपने दोस्त से बात कर रहा था.
वो भी कॉल मैने नही, उसने लगाया था.”

कीर्ति बोली “तो मुझे भी इतनी रात को किसी से बात करने का कोई शौक नही है. लेकिन जिसे मालूम है कि, आज मेरा बर्तडे है और मुझे सबसे ज़्यादा प्यार करता होगा तो, वो मुझे रात को 12 बजे सबसे पहले विश करने की कोशिश तो करेगा ना.”

मैं बोला “क्यो, क्या एसएमएस करके विश नही किया जा सकता है.”

कीर्ति बोली “हर कोई तेरी तरह तो होता नही है कि, एसएमएस कर दिया और काम हो गया. जो ज़्यादा प्यार करते है, उनका मन खुद बोल कर विश करने का ही होता है.”

मैं बोला “चल जो तुझे ज़्यादा प्यार करता है. उसने तुझे विश कर दिया. अब हो गया ना. तो अब जाकर सो जा और मुझे भी सोने दे.”

कीर्ति बोली “क्या तू उस से बात करेगा. जिसने अभी मुझे कॉल करके विश किया.”

मैं बोला “मुझे किसी से बात करने की ज़रूरत नही.”

मगर कीर्ति ने मेरी बात नही मानी और कॉल लगा दिया. दूसरी तरफ से कॉल उठाते ही उसने कहा.

कीर्ति बोली “यार गड़बड़ हो गयी है. मेरे भाई को मेरा तुझसे इतनी रात को बात करना पसंद नही आया. वो मुझ पर गुस्सा कर रहा है. अब तू ही उसे कुछ समझा.”

ये कह कर उसने फोन मुझे थमा दिया. मुझे उस समय कीर्ति की इस हरकत पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था कि, पता नही किस से मेरी बात करवा रही है. लेकिन ना चाहते हुए भी, मैने फोन अपने कान से लगा लिया और कहा.

मैं बोला “हेलो.”

मगर दूसरी तरफ से हेलो की आवाज़ सुनते ही मेरा सारा गुस्सा गायब हो गया. क्योकि दूसरी तरफ से एक लड़की की आवाज़ थी. मेरी आवाज़ सुनने के बाद उस लड़की ने कहा.

लड़की बोली “मैं नितिका बोल रही हूँ. आप कीर्ति को क्यो डाँट रहे है. क्या हम उसे बर्तडे विश भी नही कर सकते.”

मैं बोला “ऐसा कुछ भी नही है. मैने सिर्फ़ ये कहा कि इतनी रात तक, फोन पर बात करना अच्छी बात नही है.”

नितिका बोली “सॉरी, इसमे उसकी कोई ग़लती नही है. उसने मुझसे कहा था कि, आपका कॉल आ रहा है. यदि वो अभी वापस कॉल नही लगाएगी तो, आप गुस्सा करोगे. लेकिन मैं ही उस से कुछ ज़रूरी बात करने लगी. जिसमे इतनी देर हो गयी. प्लीज़ आप कम से कम, आज उसके बर्तडे वाले दिन उस पर गुस्सा मत कीजिए.”

मैं बोला “ठीक है नही करूगा. ये लीजिए, आप कीर्ति से बात कीजिए.”

ये कह कर मैने मोबाइल कीर्ति को पकड़ा दिया. मगर कीर्ति ने उस से कल बात करने की बात बोल कर कॉल रख दिया. उसके कॉल रखते ही, मैने उस से कहा.

मैं बोला “ये सब नाटक करने की क्या ज़रूरत थी. ये बात तू सीधे भी तो बोल सकती थी की, नितिका से बात कर रही थी.”

कीर्ति बोली “तुम भी तो सीधे पूछ सकते थे कि, मैं किस से बात कर रही थी. बात को इतना घुमा कर कहने की क्या ज़रूरत थी. मुझे तुम्हारे मन से इस शक़ को निकालना था कि, मैं अपने बाय्फ्रेंड से बात कर रही थी.”

ये कह कर कीर्ति मुझे देख कर मुस्कुराने लगी और मेरा सर शर्म से झुक गया. मैने धीरे से उस से कहा.

मैं बोला “चल ठीक है, अब रात बहुत ज़्यादा हो गयी है. तू जाकर सो जा, मुझे भी नींद आ रही है.”

कीर्ति बोली “रात ज़्यादा हो गयी तो क्या हुआ. मैं अपने घर पर ही हूँ. कोई सड़क पर तो नही खड़ी कि, मुझे किसी बात का कोई डर हो.”

उसकी बात सुनकर, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मैने उसकी तरफ देखते हुए कहा.

मैं बोला “तू भी बड़ी अजीब है. कभी तो बात ही नही करती और कभी इतना बात करती है कि, कुछ बोलने ही नही देती.”

कीर्ति बोली “ज़्यादा मस्का लगाने की ज़रूरत नही है. ये कंजूसी दिखाना बंद करो और मुझे मेरा बर्तडे गिफ्ट दो.”

मैं बोला “तेरा बर्तडे गिफ्ट कही भागा नही जा रहा. सुबह ले लेना.”

कीर्ति बोली “कुछ देने के लिए मैं सुबह तक का इंतजार कर सकती हूँ. लेकिन कुछ लेने के नाम से मुझसे एक पल का भी इंतजार नही होता. मुझे तो मेरा गिफ्ट अभी चाहिए वरना मैं रात भर यही बैठी रहूगी.”

मैं बोला “तुझ मे और निमी मे ज़रा भी फरक नही है. बस एक बात को पकड़ लिया तो, पकड़ लिया.”

ये कहते हुए, मैं ब्रेस्लेट निकाल कर, उसके हाथ मे थमा देता हूँ और वो उसे मेरे सामने ही पहन लेती है. फिर उसकी नज़र सलवार सूट के पॅकेट पर पड़ती है और वो उसकी तरफ इशारा करते हुए कहती है.

कीर्ति बोली “इस पॅकेट मे क्या है.”

मैं बोला “कुछ नही, कुछ बुक्स है.”

कीर्ति बोली “अभी तुमने ठीक ही कहा कि, मैं बिल्कुल निमी जैसी हूँ. अब बताओ इसमे क्या है.”

मैं बोला “बताया तो कि, इसमे बुक्स है.”

कीर्ति बोली “जब निमी को इस बात पर विस्वास नही है कि, इसमे बुक्स है, तो फिर मैं कैसे विस्वास कर सकती हुँ कि, इसमे बुक्स है.”

ये बात सुन कर मैं चौंक गया और मैने उस पुछा.

मैं बोला “क्यो, क्या बोला निमी ने.”

कीर्ति बोली “जब तुम बुक्स बोलकर, वहाँ बिना रुके सीधे अपने कमरे मे आ गये तो, निमी कह रही थी कि, भैया ज़रूर मेरे लिए कुछ लाए है. लेकिन यहाँ सब बैठे है और वो किसी को दिखाना नही चाहते थे. इसलिए जल्दी से उसे अपने कमरे मे ले गये.”

मैं बोला “ये निमी बिल्कुल शैतान की नानी है. ना जाने कहाँ कहाँ, अपना दिमाग़ चलाती रहती है.”

कीर्ति बोली “और निमी की बड़ी बहन मैं हूँ तो, मैं शैतान की बड़ी नानी हुई.”

मैं बोला “क्या मतलब है तेरा.”

कीर्ति बोली “जो निमी का था.”
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