XXX Hindi Kahani घाट का पत्थर
05-30-2020, 01:57 PM,
#34
RE: XXX Hindi Kahani घाट का पत्थर
इतने में माला और उनके अन्य साथी भी वहां आ गए और राज को खींचकर अपने साथ ले गए। सबने मिलकर आइसक्रीम खाई। आइसक्रीम बहुत अच्छी बनी थी परंतु आनंद किसी को भी न आया। रात्रि के बारह बज चुके थे। दिन के थके-मांदे तो थे ही। घर वापस पहंचते ही सोने की तैयारी की। राज, जय और अनिल एक कमरे में और बाकी सब दूसरे में। रानी और मधू तो आते ही सो गई। परंतु माला और डॉली बाहर बालकनी में खड़ी आपस में बातें करने लगीं। माला के पेट में कोई बात न रहती थी। तनिक-सी किसी ने सहानुभूति प्रकट की तो उसकी हो गई। डॉली ने जब राज की बात कही तो माला ने स्टेशन जाते समय की सारी घटना उसे कह सुनाई।

'माला, यह तुमने अच्छा नहीं किया।'

'परंतु अब जो भूल मुझसे हो गई है, उसका क्या करू।"

'तुम्हारे लिए साधारण भूल है। यदि उसने डैडी से कह दिया... तो?'

'इसकी तुम चिंता न करो। वह डैडी से कभी न कहेगा।'

'क्या तुम्हें इसका विश्वास है?'

'हां चलो, अब सो जाओ। सवेरे जाना है। रात बहुत हो चुकी है।' माला ने डॉली को ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया और स्वयं भी लेट गई। सवेरे की गाड़ी से सब बंबई लौट आए। सेठ साहब ने राज से रात को न आने के विषय में कुछ न कहा। जलपान करके दोनों फैक्टरी चले गए। डॉली के कॉलेज की छुट्टी थी और वह रात की थकी हुई थी। उसने अपने कमरे का दरवाजा बंद किया और सो गई।
*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

संध्या का समय था। डॉली बाहर बरामदे में बैठी कॉलेज का काम कर रही थी। एक साइकिल बरामदे के सामने रुकी। परंतु डॉली अपने काम में इतनी व्यस्त थी कि उसने उस ओर ध्यान ही न दिया। वह उसी प्रकार सिर नीचा किए बैठी लिखती रही। अनायास आगन्तुक की आवाज सुनकर वह चौंक गई। 'हुजूर की सेवा में नमस्कार करती हूं।' स्वर माला का था।

डॉली ने सिर उठाकर देखा और बोली, 'नमस्कार की बच्ची। इतने दिन से कहां थी? जब से पूना से लौटकर आई हो, सूरत नहीं दिखाई।'

'क्या करू, पूना से लौटी तो बुआ बीमार थीं। कॉलेज से छुट्टी ले रखी है। आज कुछ तबियत ठीक थी तो सोचा कि अपने प्राण-प्यारों से मिल लिया जाए।'

'अच्छा पहले तो बैठ जाओ।' डॉली ने पुस्तक बंद करते हुए कहा।

माला पास ही बिछी कुर्सी पर बैठ गई।

'हां, अब कहो, क्या मंगवाऊं, चाय या शरबत?'

'इस गरमी में साइकिल चलाकर आई हूं और ऊपर से चाय!'

'तो शरबत ही सही... किशन!' डॉली ने नौकर को आवाज देते हुए कहा, 'और कोई सेवा?'

'तुम सेवा करोगी? कोई सेवा हो तो मुझसे कहो।'

'न बाबा, तुम्हारी की हुई सेवा के तो अहसान अभी तक भूले नहीं!'

'कौन-सी?'

'जो राज को स्टेशन पहुंचाते समय की थी।'

'ओह! कहो राज का पारा अभी तक उतरा है या नहीं?'

'मुझे तो उतरा हुआ दिखाई नहीं देता।'

'क्यों, क्या बात है?'

'उसने तो मुझसे बोलना ही छोड़ दिया है। मेरे तैयार होने से पहले ही फैक्टरी चला जाता है और संध्या को भी देर से लौटता है। पहले तो इधर मैं कॉलेज से आई उधर वह आ पहुंचा।'

'डॉली, क्या तुम्हें यह मालूम न था कि वह तुमसे प्रेम करता है?'

'जानती क्यों नहीं थी।'

फिर तुमने उसे इस प्रकार अंधेरे में क्यों रखा? किसी दिन साफ-साफ कह देती कि तू जय को पसंद करती है।

'तू नहीं जानती कि उसको साफ इंकार करना कितना कठिन है

'तो क्या अब वह कठिनता दिन-प्रतिदिन सरल होती जा रही है?'

'नहीं परंतु मैं करू क्या?'

'वह बुद्धिमान है। उसे किसी समय ठीक प्रकार से समझा दो। वह स्वयं ही तुम्हारा ध्यान छोड़ देगा।'

'वह तो मैं चाहूं तो आज भी हो सकता है, परंतु वह मुझे कितना चाहता है, इसका अनुमान तुम नहीं लगा सकती।'

"जब उसकी चाहना का ध्यान है तो उसकी ही रहो।'

'यह कैसे संभव है?'

"क्या वह तुम्हें पसंद नहीं?'

"पसंद की बात नहीं। शुरु से ही मैं उससे कुछ इतनी अधिक घुल मिल गई थी कि वह समझने लगा कि मैं भी उससे प्रेम करने लगी हूं। मैंने सोचा कि इस बेचारे का यहां कोई नहीं, यदि दो घड़ी मन बहला ले तो मेरा क्या जाता है और मेरे भी हंसने-खेलने का सामान मुफ्त में हो गया।'

'दूसरे शब्दों में तुम उसे खिलौना समझकर उसके साथ खेलती रही।'

'नहीं, ऐसा तो मैंने कभी नहीं समझा, मेरा विचार था कि थोड़ी-सी उपेक्षा भी उसे मुझसे दूर रख सकती है।'

'और अब?'

'अब वह दिल बहलावा मेरे लिए एक संकट-सा बन गया है।'

'तुम तमाशा देखकर केवल हंसना जानती हो, पुरस्कार देना नहीं।'

'तुम्हें तो सदा हंसी ही सूझती है।'

'और मैं कर भी क्या सकती हूं?'

'जो आग तुमने लगाई है, उसे ही बुझा दो। आगे मैं संभाल लूंगी।'

'मैं तुम्हारा मतलब नहीं समझी।'

"किसी प्रकार राज को यह विश्वास दिला दो कि जो बात तुमने उससे कही थी वह झूठ थी।'

'अर्थात् तुम जय से प्रेम नहीं करती।'

'नहीं।'

'राज से प्रेम करती हो।'

'तुम तो फिर हंसी करने लगी। यह तो केवल राज को बताना है।'

'डॉली, एक बात कहूं?'

'कहो, क्या है?'

'वैसे राज जय से कहीं अच्छा है। मेरा मतलब है सुंदर, मधुर स्वभाव वाला....।'

'तुम्हीं उसके साथ विवाह कर लो ना! करू बात। आदमी बहुत दिलचस्प भी है।'

'लो यह खूब रही। प्रेम तुमसे करे और तुम उसे किसी और को सौंपो।'

‘परंतु तुमने छोटा मुंह बड़ी बात वाली कहावत नहीं सुनी क्या ?'

'तुम्हारा मतलब है कि जय उससे कहीं अधिक मूल्य दे सकता है!'

'क्यों नहीं?'

'भला कैसे? मैं भी सुनूं!'

'उसके पास पैसा है, राज से अधिक पढ़ा हुआ है, मान है और हमारी टक्कर का है। राज तो फिर भी हमारा एक नौकर ही है।'

'इसका अर्थ है कि तुम्हें जय से अधिक उसके धन से प्रेम है।'

'क्यों नहीं! कौन लड़की यह नहीं चाहती कि वह अपने पति के घर सुख से जीवन बिताए, अच्छे से अच्छा पहने, खाए और सुख और आदर से रहे?'

'इन सब वस्तुओं के सामने क्या राज का प्रेम भरा दिल कम है?'
Reply


Messages In This Thread
RE: XXX Hindi Kahani घाट का पत्थर - by hotaks - 05-30-2020, 01:57 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,639,763 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 560,407 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,292,727 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 976,940 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,732,053 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,146,405 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,065,340 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,449,790 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,158,043 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 298,168 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)