Desi Porn Kahani काँच की हवेली
05-02-2020, 01:14 PM,
#43
RE: Desi Porn Kahani काँच की हवेली
अपडेट 32




कल्लू पसीने से लथ-पथ फावड़ा चलाए जा रहा था. वह अपने हाथों को फावड़ा सहित उपर तक उठाता और ज़ोर से मिट्टी पर दे मारता. वह मिट्टी पर फावड़ा ऐसे मार रहा था जैसे उस मिट्टी से उसका जनम का बैर हो.

कुच्छ देर निक्की उसे फावड़ा चलाते हुए देखती रही फिर धीरे से उसे आवाज़ दी. - "कैसे हो कल्लू?"

निक्की की आवाज़ से कल्लू चौंककर पिछे मुड़ा. निक्की पर नज़र पड़ते ही उसकी आँखों में आश्चर्य समाया. वह काँपते स्वर में बोला - "आप?"

निक्की की नज़र उसके चेहरे पर जम गयी. वह कल्लू को ध्यान से देखने लगी. उसकी आँखें सूजी हुई और लाल थी. ऐसा लगता था जैसे वो रात भर सोया नही था, या देर रात तक रोता रहा था. उसकी आँखों में अभी भी वही पीड़ा व्याप्त थी. जो कल शाम को थी. निक्की ने पुछा - "तुम इतनी धूप में काम क्यों कर रहे थे?"

निक्की की बात पर कल्लू धीरे से मुस्कुराया. उसकी मुस्कुराहट में व्यंग था. वह खुद की लाचारी पर व्यंग से मुस्कुराया था. - "ग़रीब मजदूर, धूप और बारिश की परवाह करने लगे तो उसके घर का चूल्हा कभी नही जलेगा निक्की जी." उसकी आवाज़ में कंपन था. वह आगे बोला - "आप बताइए? आप यहाँ किस लिए आई हैं?"

"मैं तुम्ही से मिलने आई हूँ, कुछ बातें करनी थी तुमसे." निक्की ने उसे उत्तर दिया - "क्या तुम मेरे साथ उस पेड़ के नीचे बैठ सकते हो? यहाँ बहुत धूप है, मैं ज़्यादा देर यहाँ खड़ी नही रह सकती."

"जी चलिए." कल्लू बोला और फावड़ा वहीं छोड़कर मेध पर रखा तथा गम्छा हाथ में उठाए पेड़ की छाँव तले आया. फिर निक्की से पुछा -"कहिए क्या कहना चाहती हैं आप?"

"कल जब मैं तुम्हे झरने के किनारे देखी थी तब तुम बहुत उदास से थे. तुम्हारी आँखों में मैने एक गहरी पीड़ा देखी थी. लेकिन मैं उसका कारण नही जान सकी. मुझे बताओ कल तुम किस लिए उदास थे?" निक्की कल्लू के चेहरे पर अपनी नज़रें जमाए रखी.

"क्या करेंगी आप ये जानकार....?" कल्लू एक फीकी मुस्कुराहट छोड़ता हुआ बोला - "दुख और उदासी तो ग़रीबों का गहना है निक्की जी. इनके बिना तो वो विधवाओ जैसा लगता है."

"कल्लू.....मैं तुम्हारी पीड़ा समझती हूँ. क्योंकि आज कल मैं भी उसी पीड़ा को भोग रही हूँ." निक्की कल्लू की बातों से भावुक होकर बोली - "तुम कंचन से प्यार करते हो ना?"

कल्लू चौंका ! उसने आश्चर्य से निक्की को देखा. उसे निक्की के चेहरे पर घनी उदासी के बादल दिखाई दिए. उसकी भी आँखों में वही पीड़ा का अनुभव किया. जिस पीड़ा से वह पूरी रात कराहता रहा था.

"हां कल्लू, मैं रवि से प्रेम करती हूँ. उससे शादी करना चाहती हूँ. पर वो मुझसे नही कंचन से प्यार करता है." निक्की कल्लू की उलझन दूर करते हुए बोली - "मैं कल तुम्हे देखते ही जान गयी थी कि तुम कंचन से प्रेम करते हो. लेकिन ये बात मैं तुम्हारे मूह से सुनना चाहती थी. बोलो प्रेम करते हो ना कंचन से?"

कंचन की याद से उसकी आँखें डॅब्डबॉ आई. वैसे तो वो सुबह से ही कंचन के ख्यालो में डूबा हुआ था. पर अब निक्की का स्नेह पाकर उसकी पीड़ा बाहर छलक आई थी. उसके कुच्छ बोलने से पहले ही उसकी आँखों से आँसू की दो मोटी-मोटी बूंदे निकल कर उसके गालों में फैल गयी. वह बेबसी में अपने होठ चबाने लगा. उसने निक्की को देखा. निक्की उसे ही देख रही थी. कल्लू निक्की से कुच्छ कहना चाहा पर उसके गले ना उसका साथ नही दिया.

"कुच्छ ना कहो कल्लू, मैं सब समझ गयी. तुम्हारी आँख से बहते आँसुओ ने मुझे वो सब कह दिया जो मैं जान'ना चाहती थी." कल्लू की पीड़ा की आँच से निक्की का नारी हृदय पिघल गया. कल्लू के दुखो का अनुभव करके उसकी आँखे भी बरस पड़ी.

"निक्की जी. मैं बहुत अभागा इंसान हूँ, बचपन से मुझे सिवाए दुख के कुच्छ भी ना मिला. जो भी मुझसे मिला सबने मेरा तिरस्कार किया किसी ने मुझे गले से नही लगाया." कल्लू भर्राये स्वर में बोला - "आज मैं सिर्फ़ इसलिए नही रो रहा हूँ कि मैं बचपन से जिसे चाहता आया हूँ वो किसी और को चाहती है. बल्कि आज मेरी आँखें इसलिए रो रही है कि आज किसी ने मुझसे पुछा कि मैं दुखी क्यों हूँ. किसी ने ये जान'ने का प्रयास किया कि मैं क्या चाहता हूँ. निक्की जी......जब आपसे कोई कड़वी बात कहता होगा तब आप बहुत दुखी होती होंगी, तब आपका मन रोने को करता होगा. लेकिन मैं उस वक़्त दुखी होता हूँ जब कोई मुझे सहानुभूति दिखाता है. मुझसे ढंग से प्यार से बातें करता है. क्योंकि मुझे इसकी आदत नही है निक्की जी. मैं बचपन से लोगों की गालियाँ फटकार- दुतकार खा-खाकर बड़ा हुआ हूँ. किसी की सहानुभूति मुझे अच्छी नही लगती. लोगों की प्यार भरी बातें मुझे रुला देती है. इसलिए मैं आपसे हाथ जोड़कर निवेदन करता हूँ कि मुझसे ऐसे बोल ना बोलिए जो मेरी पीड़ा को बढ़ा दे. कंचन को चाहना मेरी भूल थी. मैं अब उसे भूलना चाहता हूँ. आप भी भूल जाइए की आपने क्या देखा. क्या नही देखा. मुझ ग़रीब पर रहम कीजिए और अपनी हमदर्दी से मुझे दूर रखिए. मैं सह नही सकूँगा....मर जाउन्गा मैं." ये कहकर कल्लू फफक पड़ा.

एक खंजर सा निक्की के सीने में धस्ता चला गया. वह पीड़ा से कराह उठी. उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई उसके सीने में खंजर घुसाकर उसके दिल को कुरेद रहा रहा हो. "ये क्या हो रहा है मुझे." वह बड़बड़ाई - "ये कैसी पीड़ा है जो मेरी छाती में उठ रही है?. क्या ये कल्लू की पीड़ा है या कुच्छ और है?" निक्की छटपटाई. वह अपनी छाती को मसल्ने लगी. उसे अपने अंदर कुच्छ बदलता सा महसूस हुआ. वो नही जान पाई उसे क्या हो रहा है पर वो तड़प रही थी.

कल्लू की सिसकियाँ थमी तो उसने निक्की को देखा. निक्की के चेहरे पर नज़र पड़ते ही उसकी आँखों में आश्चर्य उभरा. निक्की की आँखों में आँसू थे. - "निक्की जी आप......आप क्यो रो रही हैं?"

"बस ऐसे ही रोने का मन हुआ." निक्की अपने आँसुओ को पोछते हुए बोली - "लेकिन आज के बाद तुम कभी खुद को अकेला मत समझना. आज के बाद मैं तुमसे रोज़ मिलूंगी और ऐसे ही रुलाने वाली बातें करूँगी. तुम्हे बाद में जितना रोना हो रो लेना." निक्की बोली और पलटकर जाने लगी.

कल्लू स्तब्ध सा खड़ा निक्की को जाते हुए देखता रहा. अचानक निक्की मूडी. फिर वो तेज़ी से चलते हुए कल्लू तक आई और बोली. - "मुझे किस करो."

"जी....!" कल्लू हकलाया.

"किस का मतलब नही समझते?" निक्की ने पलकें झपकई. - "मैं चुम्मि की बात कर रही हूँ. चुमो मुझे."

कल्लू का सर चकराया. उसके समझ में नही आ रहा था कि अच्छी भली निक्की को क्या हो गया? वह काँपते स्वर में बोला - "निक्की जी, क्यों मुझ ग़रीब का मज़ाक बना रही हैं आप?"

"देखो मुझे मज़ाक पसंद नही. मैं जो कुच्छ कह रही हूँ बहुत सीरियस्ली कह रही हूँ." निक्की ने गंभीरता से कहा.

कल्लू मूर्खों की तरह निक्की को देख रहा था. उके समझ में नही आ रहा था कि निक्की उसपर इतनी दया क्यों दिखा रही है? वह हैरान परेशान खड़ा रहा.

"देखो मैं तुम पर कोई तरस नही खा रही हूँ, और ना ही ये समझना कि मैं तुमसे प्रेम करने लगी हूँ. बस अभी मेरा मन कर रहा है तुम्हे किस करने को. इसलिए कह रही हूँ. किस मी." निक्की ने आँखें दिखाई.

कल्लू अब भी असमंजस में पड़ा हुआ था. निक्की आगे बढ़ी और उसकी गर्दन को पकड़कर अपने होंठ उसके होंठों से सटा दिए.

एक लंबा चुंबन उसके होंठों पर धरने के बाद उससे अलग हुई. फिर मुस्कुराते हुए बोली - "अब कैसा महसूस कर रहे हो?"

कल्लू कुछ ना बोला. वो पागलों की तरह निक्की को देख रहा था.

निक्की एक मुस्कुराहट छोड़ती हुई वहाँ से चल दी.
Reply


Messages In This Thread
RE: Desi Porn Kahani काँच की हवेली - by hotaks - 05-02-2020, 01:14 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,570,964 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 552,326 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,262,863 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 954,817 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,693,517 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,114,474 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,009,529 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,250,807 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,100,864 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 291,592 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)