RE: Kamukta kahani प्रेम की परीक्षा
रामु और डाली तो डर गए और दोनों ने तुरंत अपने कपड़े पहने ओर बाहर आ गए और मुझसे माफी मांगने लकगे ओर कहने लगे कि मैं इस बारे में किसी से भी ना कहु डाली तो थर थर कपङे लगी ।वो बहुत ही धिरे से बोली
डाली• अगर तुम चाहो मेरे साथ कुछ कर लो पर ये बात किसी मत कहना नही तो मैं कहि मुँह दिखाने के लायक नही रहूंगी।
मैं• ठीक है मैं किसी से कहूंगा तो नही पर रमु तु सुन आज जेबद तेरा मेरे साथ किसी भी तरह कोई रिश्ता नही है काज के बाद अब मेरे घर के आस पास भी नही आना न ही दीदी के बारे में सोचना भी मत।
रामु डाली के कान में कुछ कहता है और डाली हस देती है ।तुरन्त अपने कपड़े जगह जगह से फाड् लेती बाल को बिखेर लेती है और चिलाने लगती है बचाओ बचाओ
अभी ज्यादा रात हुई नही थी तो सभी लोग जागे हुए थे सभी आवाज सुनकर इस तरफ भाग कर आये सब आये और डाली सेपूछा क्या हुआ तो डाली ने बोला कि यह प्रेम मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा था अच्छा हुआ जो रमु भईया आ गए नही तो मैं कहि भी मुह दिखाने के लायक भी नही रहती।
यह सुनकर सबका गुस्सा मुझपर फुट पड़ा मैं बोलता रह गया कि मैंने ये सब नही किया ये इसकी चाल है मुझे फसाने की।पर नेरी बात कोई सुना नही तबतक घर और भी पता चल गया कि यंहा पर क्या हुआ है तो बापू तो गुस्सा हो गए और यंहा पर आ गए उनके पीछे मा ओर दीदी भी आई।
यंहा आने पर सबने बापू को वही बताया जो डाली ने सब को बोल दिया इतना सुनने के बाद तो बापू पूरे गुस्सा हो गए और मुझे बुरी तरह मारा दीदी ओर माँ दोनों रो रही थी पर किसी की हिम्मत नही हुई मुझे आ कर बचाये। मैं बेहोश हो गया तो जाकर बापू ने मरना बन्द किया ।जब मुझे होश आया तो मैंने उठाने की कोशिश की तो पता चला कि मेरे हाथ और पैर रस्सी से बांध दिए गए है।मैन छूटने की बहुत कोशिश की पर छूट नही सका ।मुझे अब रामु के घर से उठा कर गांव के प्रधान के घर ला दिया गया था और बापू और गांव के लगभग सभी लोग वहां पर मौजूद थे । मुझे कुछ व समझ मे नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ क्यूंकि कोई भी मेरी बात मानने को तैयार नही था ।ऊपर से मैं अनाथ था बापू तो गुस्सा में कुछ भी सुनने को तैयार नही थे ।रक़म भी मौके का फाद उठा कर मुझे गालिया देते हुए दो तीन झापड़ मार दिया पर अब जब मुझे ये एहसास हुआ कि मैं दीपा के घरके सामने हु ओर सभी लोग यही है तो मैं इस आशा में इधर उध्रदेखने लगा तो दीपा मुझे दिखी पर उसके साथ डाली बैठी थी और रो रही थी उसके कंधे पर सर रख कर।
मैं बेगुनाह होते हुए भी अपनी बेगुनाही साबित नही कर पा रहा था।और अब दीप भी मुझे नफरत की नजर से देख रही थी वो । वो भी डाली की बातों में आ गयी थी।मुझे प्यास लगी थी तो मैंने पानी मांगा तो दीपा के पापा ने उसकसे पानी लाने को बोला ।वो गयी और पानी पिलाया मुझे पर अब मुझे उसकी नजरो में प्यार नही नफरत ओर दुख दिखाई दे रहे थे
प्रधान•हरीश भाई कब आप बोलो अब इसके साथ क्या किया जाए पुलिस के पास गए तो लड़की की बदनामी होगी और गांव में इस्का रहना अब ठीक नही है ।
बौ •प्रधान जी अब मैं इससे अपने रिश्ते तोड़ता हु ऐसा बलात्कारी के लिए मेरे घर ने कोई जगह नही है मैन इसे अनाथ समझकर आने घर मे जगह दी थी मैं क्या जानता था कि ये ऐसा निकलेगा।
प्रधान•तो ठीक है कल इसे पूरे गांव ने इसके चहरे पर कालिख पोत कर पूरे गांव में घुमाया जाएगा।
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