RE: xxx indian stories आखिरी शिकार
अनिल साहनी और रोशनी एक बनती हुई इमारत की तीसरी मंजिल पर छुपे हुये थे । वह इमारत प्रिंस एल्बर्ट रोड के बहत समीप थी । इमारत ग्यारह मंजिलों तक उठाई जा चुकी थी और अभी और ऊंची बन रही थी । यह उनका सौभाग्य था कि वे लोग इस इमारत की तीसरी मंजिल पर पहुंचकर छुपने में सफल हो गये थे । बहुत-सी घटनायें थीं जिनका जिक्र नौ बजे के न्यूज ब्राडकास्ट में नहीं था । जैसे मिशन कम्पाउन्ड के पिछवाडे की गली में जिस पलिसमैन को घायल करके वे दोनों भागे थे, वह अपनी सीटी बजाने में सफल हो गया था और जो दो पुलिसमैन राज और मार्गरेट के पीछे भाग रहे थे उनमें से एक सीटी की आवाज सुनकर वापिस आ गया था । उसने अनिल साहनी और रोशनी को भागते देखा था और उन पर अपनी सर्विस रिवाल्वर से फायर झोंकने आरम्भ कर दिये थे।
उस पुलिसमैन की एक गोली अनिल साहनी के बायें कन्धे को फाड़ती हुई गुजर गई थी।
फायरिंग और सीटी की आवाज सुनकर कई और पुलिसमैन उस गली में पहुंच गये थे और उनकी बाकायदा तलाश शुरू हो गई थी। अगर उस बनती हुई इमारत में उन्होंने शरण न ली होती तो वे जरूर पुलिस के हाथों में पड़ जाते
बड़ी कठिनाई से अनिल साहनी ने अपने शरीर से अपना कोट अलग किया । उसके कन्धे से इतना खून बह चुका था और अभी भी बह रहा था कि उसकी कमीज का बाई बांह कलाई तक खून से तर हो गयी थी ।
रोशनी के मुंह से सिसकारी निकल गई ।
"तुम्हारा चाकू कहां है?" - एकाएक वह बोली ।
"कोट की जेब में ।" - अनिल साहनी क्षीण स्वर से बोला - "क्यों?"
रोशनी ने कोई उत्तर नहीं दिया । उसने उसके कोट की जेब से चाकू निकाल लिया । उसने अनिल साहनी की कमीज की खून से तर बांह को कन्धे से काटकर अलग कर दिया । इसी प्रकार उसने कमीज की दूसरी बांह भी कन्धे से काट दी।
उसने अपना रूमाल निकालकर उसके कन्धे के जख्म पर बांधा और फिर जख्म को मजबूती से कमीज की बांह से बांध दिया । खून बहना बन्द हो गया।
"थैक्यू ।" - अनिल साहनी भर्राये स्वर से बोला - "थैक्यू ।"
रोशनी ने ऊपर से उसे उसका कोट पहना दिया ।
दोनों प्रतीक्षा करने लगे।
रात के दस बज गये।
"राज और मारिट का क्या हुआ होगा?" - एकाएक अनिल साहनी बोला |
"वे लोग भाग निकलने में सफल हो गये होंगे।" - रोशनी आशापूर्ण स्वर से बोली । "या शायद वे पुलिस की पकड़ में आ चुके हों !"
"हो सकता है।"
"शायद मामले की पेचीदगियां बढती देखकर राज हमारी मदद से हाथ खींच ले ?"
"मुझे वह ऐसा आदमी तो नहीं लगता था ।"
"लेकिन अगर ऐसा हो भी गया तो क्या हम दोनों जार्ज टेलर की तलाश करके उसका काम तमाम करने में सफल हो पायेंगे?"
"हमें सफल होना ही है ।" - रोशनी दृढ स्वर में बोली - "राज हो या न हो ।"
"वह लड़की कहती थी कि जार्ज टेलर मर चुका था ।"
"वह बकती है । वे ऐसा इसलिए कहती है कि हम उसके भाई को मरा समझदार उसका पीछा छोड़ दें।" - रोशनी कुद्ध स्वर से बोली ।
अनिल साहनी चुप रहा। "हमें हर हालत में जार्ज टेलर को टापू पर पहुंचना है ।" - रोशनी बोली - "रास्ता साफ होते ही हमें डेनवर के लिये रवाना हो जाना है । मुझे उम्मीद है कि वहीं हमारी राज से भी मुलाकात हो जायेगी।"
"डेनवर कैसे पहुंचेंगे हम ?"
"हमें किसकी प्रकार किंग्स क्रास रेलवे स्टेशन पर पहुंचना है । डेनवर के लिये गाड़ियां वहां से जाती हैं।"
"लेकिन क्या हम रेलवे स्टेशन जैसी जगह पर पुलिस की निगाहों से बच पायेंगे? ऐसी जगहों पर तो हमारी विशेष रूप से तलाश हो रही होगी
"हमें कोई साधन निकालना ही पड़ेगा।" - रोशनी दृढ स्वर से बोली - "हमें हर हालत में डेनवर पहुंचना है।"
"कोई साधन सोचा है तुमने ?"
"हां । हम चुपचाप मालगाड़ी पर सवार होकर डेनवर की ओर रवाना हो सकते हैं । मालगाड़ी में हम रेलवे यार्ड से ही सवार हो सकते हैं । इस प्रकार हम रेलवे स्टेशन पर पुलिस की या किसी की भी निगाहों में आने से बचे रह सकते हैं।"
"किंग्स क्रास स्टेशन कहां है ?"
"ग्रेज इन रोड के समीप ।" “
वहां तक कैसे पहुंचेंगे हम ?"
"पैदल चल कर ।"
"लेकिन मैं पैदल नहीं चल सकता।" - अनिल साहनी क्षीण स्वर से बोला - "मेरे शरीर में से बहुत ज्यादा खून बह चुका है । मुझमें पैदल चलने की हिम्मत नहीं है ।"
"तो फिर हमें टैक्सी पर सवार होने का खतरा उठाना पड़ेगा ।" - रोशनी बोली ।
अनिल साहनी चुप रहा।
*** ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
|