RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
?,,,,( बुर से अपने होठों को हटाते हुए बोली)
मजा तो बहुत आ रहा है रे लेकिन तेरी उंगलियों ने मेरी प्यास को और ज्यादा भड़का दी है,, जो कि अब मेरा बेटा ही अपने मोटे मुसल से बुझा सकता है,,,,।
( इतना देने के साथ ही निर्मला अपनी बेटे को उसकी टांगों के बीच में आने का इशारा करते हुए बोली,,,।)
शुभम मेरे बेटे दिखा दे इतनी ताकत आज मुझे एैसा जमकर चोद़ के मैं पानी पानी हो जाऊं,,,,।
तुम चिंता मत करो मम्मी मेरा मोटा ले ले तुम्हारी बुर में घुसकर गदर मचा देगा,,,( इतना कहते हुए शुभम बिस्तर से नीचे उतर आओ और कोमल को एक तरफ करते हैं निर्मला की टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया कोमल यह सब बड़े गौर से देख रही थी।,, शुभम अपने मोटे तगड़े लंड को पकड़कर अपनी मां की बुऱ की गुलाबी पत्तियों के बीच सटा दिया,,, जैसे ही सुभम का मोटे लंड का सुपाड़ा बुर पर स्पर्श हुई वैसे ही निर्मला की सिसकारी छूट गई,,,,।
ससससहहहहहह,,,,, आहहहहहहहहहहह रे सुभम मेरै राजा।,,,,,,,,
निर्मला का इतना कहना था कि सुदामा ने अपने दोनों हाथों से अपनी मां की मोटी मोटी चिकनी जांघो को पकड़ कर थोड़ा सा फैलाया,,, और हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का दिया,, निर्मला की बुर पहले से ही पानी पानी हो चुकी थी,,,
पहले से ही गीली हो चुकी बुर के अंदर शुभम का मोटा तगड़ा लंड आराम से सरक गया,,,, शुभम पहले प्रयास में ही अपने आधे लंड को अपनी मां की बुर में प्रवेश करा चुका था।,,, कॉमर्स धड़कते दिल के साथ यह मंजर देख रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था, वेसे तो ऊसे पहले से ही मालूम था कि सुभम अपनी मां को चोदता है लेकिन इस समय वह दोनों के इतने करीब होकर यह नजारे का लुत्फ उठा रही थी कि,,,, उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कोमल की सांसे भारी चल रही थी। कमरे में तीनों नंगे थे वह कोमल और निर्मला को संभोगनीय अवस्था में देख रही थी,,,। उत्तेजना के मारे उसका गला सूख रहा था जिस तरह से निर्मला एकदम खुले तौर पर अपने बेटे से चुदवा रही थी ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि यह दाेनो मां बेटे हैं बल्कि ऐसा लग रहा था कि एक मदमस्त औरत एक जवान लड़के को अपना आशिक अपना प्रेमी बनाकर उसे से चुद़वा रही है।,,,, निर्मला आंखों में मदहोशी का नशा लेकर अपने बेटे की तरफ प्यासी और उत्सुकता भरी नजरों से देख रही थी। उसे इंतजार था जब वह पूरा का पूरा लंड बुर में डालकर उसकी जमकर चुदाई करना शुरू करता। ऐसा नहीं था कि सिर्फ कोमल की ही सांसे तेज चल रही थी,,, निर्मला भी सांसे थामे लेटी हुई थी।,, शुभम का भी दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, तीनों इस पल का भरपूर आनंद उठाना चाहते थे लेकिन तीनों की स्थिति अलग थी शुभम अपनी मां को जमकर चोदना चाहता था निर्मला अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में महसुस करना चाहती थी,, और कोमल अपनी आंखों के सामने एक बेटे को अपनी मां को जमकर चोदते हुए देखना चाहती थी यह देखना चाहती थी कि मर्द औरत के यहां तो कितना मजबूर हो जाता है कि सारे रिश्ते नातों को भूल कर बस उसमे समा जाने की ही चेष्टा करता रहता है।,,
शुभम अपनी मां की चिकनी कमर को दोनों हाथों से थामे अगले प्रहार के लिए तैयार हो चुका था निर्मला दी अपने आप को अपने बेटे के अगले जबरदस्त धक्के को सहने के लिए तैयार कर चुकीे थी,, और पूरी तरह से चोदा से भरा हुआ शुभम एक जोरदार प्रहार करता है और उसका पूरा समाचार लंड उसकी मां की दिल की गहराई में समा जाता है,,,,।
सहहहहहहहह,,,,, सुभम,,,,,,, आहहहहहहहहहह,,,,, पूरा घुस गया रे,,,,,आहहहहहहहह,,,,
( कोमल यह देखकर पूरी तरह से हैरान हो चुकी थी शुभम का पूरा का पूरा लंड उसकी मां की बुर की गहराई में ऐसा खो गया था कि मानो कोई पानी में डूब गया हो। कोमल इस बात से हैरान थी कि शुभम का इतना लंबा लंड छोटी सी बुर के अंदर कैसा समा गया था।,,,,,,,,,
आहहहहहहहह,, बेटा बस अब तो धीरे-धीरे चोदता हुआ मुझे जन्नत की सैर करा मेरे तन बदन को निचोड़ डाल,,, आहहहहहहहह,,,
( इतना कहना था कि शुभम अपने मोटे लंबे लंड को वापस बुर की गहराई से बाहर की तरफ खींच कर एक और जबरदस्त धक्का मारा और इस बार भी लंड का सुपाड़ा सब कुछ चीरते हुए बुर की गहराई में समा गया।
एक बार फिर से निर्मला के मूंह आह निकल गई लेकिन इस बार शुभम ने निर्मला को समझने का कोई भी मौका नहीं दिया और अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए उसको चोदना शुरू कर दिया शुभम के हर धक्के के साथ निर्मला की आह के साथ सिसकारी छूट जा रही थी। यह नजारा कोमल को पूरी तरह से उत्तेजना से भर दिया वह अपने हाथों से ही अपनी बुर को मसलना शुरू कर दि।,,, निर्मला यह देखकर मन ही मन प्रसन्न होने लगी शुभम के हरदा के के साथ उसका मांसल बदन पानी की लहर की तरह लहरा जा रहा था अपने बेटे से चुदवाती हुई वह कोमल से बोली,,,
सससहहहहहहह,,,, कोमल देख,,,, आहहहहहहहह,,, ऐसे चुदवाया जाता है,,, ससससहहहहहह. ,,, जब तू मेरे बेटे से चुदवाई गी तो ओहहहहहहहहह मां उसका मोटा लंड ऐसे ही तेऱी बुर के अंदर आहहहहहहहह,,, बाहर होगा।,,,,,,ऊहहहहहहहह,,,,
देख ऐसे ही हर धक्के के साथ तेरे मुंह से भी आहहहह ऊहहहहह की आवाज आएगी,,,,,,।
कोई बात नहीं बुआ मैं सब कुछ सहन कर लूंगी तुम्हें अपने बेटे से ही तरह से चुदवाते हुए देख कर मेरी बुर मे भी आग लग रही है,,,,।
( इतना कहने के साथ ही कोमल बिस्तर पर चढ़ गई अोर निर्मला की चुचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दी,,, निर्मला को दुगना मजा मिलने लगा। निर्मला की बुर गप्प गप्प करके अपने बेटे के लंड को अंदर ले रही थी। कोमल की बुर पानी फेंक रही थी उससे कुछ बर्दाश्त नहीं हो रहा था वह जल्द से जल्द शुभम से चुदना चाहती थी,,,, जब उससे बुर की गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई तो वह निर्मला के चेहरे पर घुटनों को गर्दन के अगल-बगल मोड़ कर बैठ गई और अपनी बुर को निर्मला के होठो से सटाते हुए बोली,,,
सहहहहहहह बुआ,,,,,,, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है अपना तो अपने बेटे का लंड लेकर मस्त हो रही हो लेकिन यह सब देख कर मेरी बुर में आग लगी हुई है अब जल्दी से जल्दी ईसे चाटकर ठंडी करो,,,,ओहहहहहहह बुआ जल्दी करो बुआ,,,,,,
अरे तू तो एकदम रंडी हो गई है रे,,,,,
अब कुछ भी हो जाओ हमेशा तुमसे कम ही रहूंगी और इतना कहने के साथ ही खुद ही अपनी रसीली भी बुर को निर्मला की होठों पर रगड़ना शुरू कर दी,,, आखिर कोमल की जवानी और उसकी मादक खुशबू से भरपूर बुर का स्वाद चखने से भला निर्मला कब तक अपने आप को रोक पाती,,,, वह भी अपनी जीभ उसमे घुमाना शुरू कर दी,,, दोनों मस्त हुए जा रहे थे। शुभम तो यह नजारा देखकर उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी अपनी आंखों के सामने वह कोमल की गहराई गांड को गोल गोल घूमते हुए देखकर और ज्यादा उत्तेजित हो चुका था और उसके झटके और भी अत्यधिक तेज होने लगे थे उसे जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अपनी उंगली को उसकी बुर में डालना शुरू कर दिया कोमल की उत्तेजना और मस्ती दोनों पढ़ रही थी। शुभम एक हाथ से कोमल की नरम नरम गांड दबा रहा था तो एक हाथ की बीच वाली उंगली को वह उसकी बुऱ के अंदर बाहर करते हुए उसके जोश को और ज्यादा बढ़ा रहा था।
बंद कमरे में आपसी रिश्तों के बीच वासना का सेलाब उठ रहा था। कोमल गर्म सिसकारी भरते हुए अपनी गदराई गांड को निर्मला के चेहरे पर रगड़ रही थी शुभम अत्यधिक जोश में अपने लंड के खुंटे को अपनी मां की जमीनी बुर मे गाड़ रहा था। मां बेटे दोनों की जांघों की आपस में टकराने से छप छप की आवाज आ रही थी जो कि दोनों के जोश को बढ़ा रही थी। शुभम की चुदाई तीव्र गति से हो रही थी। वह अपनी मां को बड़े जोश के साथ चोद रहा था, तीनो अपनी अलग ही दुनिया में मस्त हुए जा रहे थे । कुछ देर बाद अपने बेटे की जबरदस्ती चुदाई का सामना नहीं कर पाई और भल भलाकर झड़ने लगी,,,, लेकिन शुभम नहीं झढ़ा था उसकी आंखों के सामने कोमल की गदराई जवान गांड लहरा रही थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे शुभम को इशारा कर रही हो अपनी तरफ बुलाने के लिए और यही देखकर शुभम का जोश और ज्यादा बढ़ गया वह अपनी मां की बुर में से अपना लंड वापस निकाला,, उसका पानी अभी नहीं निकला था। लेकिन उसके लंड से निर्मला का मदन रस अभी भी टपक रहा था,, शुभम अपने दोनों हाथोे से कोमल की पतली कमर को थाम कर अपनी तरफ खींचने लगा शुभम की भुजाओं में अत्यधिक बल था इसलिए कमर को समझ पाती इससे पहले ही वह कोमल को अपनी तरफ खींच लिया और जैसे ही उसकी बड़ी बड़ी गांड शुभम के लंड के करीब आई शुभम उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए उसे नीचे की तरफ दबाने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे कोमल भी उसके ईसारे को समझ गई और वह भी निर्मला पर ही झुक गई सुबह मैं अपने दोनों हाथों से कोमल कि सुडौल नितंबों को पकड़कर ऊपर की तरफ उठाया, जेसे ही उसे लगने लगा कि ऊसका लंड ठीक उसकी बुर के सामने है तो वह अपने लंड को कोमल की बुर के मुहाने पर रखकर जोश में जोरदार धक्का मारा और एक साथ ही उसका आधा लंड कोमल की बुर में समा गया,,, लेकिन इतनी जबरदस्त प्रहार के लिए कोमल पूरी तरह से तैयार नहीं थी इसलिए उसके मुंह से चीख निकल गई,,, उसकी चीख की आवाज सुनकर निर्मला उसके बालों में उंगली घुमाते हुए बोली।
क्या हुआ कोमल रानी पूरा घुस गया क्या ?
नहीं बुआ अभी तो आधा ही गया है,,,,( कोमल दर्द से कराहते हुए बोली,,,,।)
पुरा घुसेगा तब मजा आएगा। ( ईतना कहने के साथ ही निर्मला कोमल की चुचीयो को थामकर ऊसे दबाने लगी।
कोमल मस्त होने लगी, निर्मला के नंगे बदन पर झुककर घुटनों के बल बैठी हुई थी शुभम कोमल की मस्त गांड को पकड़कर अपना आधा लंड ऊसकी बुर में पेल चुका था। जिंदगी में पहली बार उसने इस तरह का आनंद उठा रहा था वह क्यों निर्मला और कोमल भी,,, पूरी तरह से मजा लूट रही थी,,, कोमल की बुर अभी भी बहुत टाइट थी तभी तो शुभम का आधा लंड बुर की गहराई में फंस चुका था। शुभम के बदन में उत्तेजना अपना असर दिखा रही थी उसका जोश बढ़ता जा रहा था,,, उसकी आंखों के सामने दो दो गुलाबी बुर नजर आ रही थी एक ने पानी फेंक दी थी और दूसरी आधे लंड को अंदर लेकर कुलबुला रही थी। अपने दोनों हाथों से कोमल की चूचियों को दबाकर उसकी हालत और खराब किए जा रही थी कोमल जी निर्मला की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचीयो को दोनों हाथों से पकड़ कर अपने आप को संभाले हुए थी। शुभम जोशं से भरा हुआ कोमल की गांड को अपनी हथेलियों में भर भर कर दबा रहा था। शुभम एक बार फिर से करारा झटका मारा और इस बार उसका पूरा का पूरा लंड बड़ी तेजी से बुर की गहराई में उतर गया। जबरदस्त प्रहार की वजह से कोमल चीख ऊठी,,,
आहहहह,,,,, मर गई रे। आहहहहहहहहहह,,,,,,,
घबराओ मत मेरी कोमल रानी और तुम्हारी बुर का भी उद्घाटन हो गया है तुम्हारी बुर मे मेरे बेटे ने लगता है पूरा का पूरा लंड घुसा दिया है तभी तुम ईस तरह से चीख रही हो।,,,,,
( जवाब में कोमल बोली कुछ नहीं बस अपना सिर हिलाकर हामी भर दी उसे बहुत जोर का दर्द हो रहा था वह अपने दांत को भींचे हुए थी,,,, निर्मला उसे सांत्वना देते हुए बोली,,,।)
सब ठीक हो जाएगा अभी थोड़ी देर में ही तुम खुद ही उसके लंड पर कूद कूद कर चुदवाओगी बस थोड़ा धैर्य रखो,,
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