RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
दूसरी तरफ जवानी की ओखली पूरी तरह से मुसल से कुटवाने के लिए तैयार थी। ।।
कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म होता जा रहा था निर्मला कोमल और शुभम तीनों में से किसी ने इस बात की कभी कल्पना भी नहीं की थी कमरे में इस तरह से वह तीनों एक साथ जवानी के रस मे डूबेंगे। निर्मला के चेहरे पर उन्माद साफ तौर पर छलक रहा था कुछ देर पहले निर्मला घबराहट के मारे सोचने समझने की शक्ति खो बैठी थी चित्र सी कोमल उसे धमका रही थी उसे देखते हुए निर्मला पूरी तरह से डर गई थी और उसे लगने लगा था कि अब वह अपने ही परिवार में बदनाम हो जाएगी,,, लेकिन जिस तरह से शुभम ने समझा बुझा कर उसे जवानी के मजे लूटने के लिए कमरे में लाया था उसे देख कर निर्मला काफी खुश और आश्चर्य में थी।
लेकिन इस समय कमरे में मौजूद तीनों शख्स एक दूसरे के बदन पर खेल रहे थे। कोमल अपनी शर्म हया को त्याग कर अपनी बुआ की बड़ी-बड़ी चुचियों को दबा दबा कर पीने में व्यस्त हो गई थी। निर्मला इस तरह से कोमल के द्वारा चूची पीने पर वह मदहोशी के आलम में मस्त हुए जा रही थी,, जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत के हाथों से अपनी सुडोल बदन को इस तरह से दबावा रही थी मसलवा रही थी,,,, निर्मला कभी सोचा भी नहीं थी कि एक स्त्री होने के बावजूद भी किसी गैर स्त्री का उसके बदन को इस तरह से चुमना चाटना दबाना उसे इतना अच्छा लगेगा,,,, औरत के साथ मजे लेने का यह उसका पहला अवसर था इसलिए इसके बारे में उसे इसके प्रति आनंद की अनुभूति की कल्पना भी नहीं थी लेकिन घर के पीछे जिस तरह से वह कोमल के नितंबों से खेल रही थी उसे उस पल बेहद आनंद की अनुभूति हुई थी इसलिए वह इस समय कमरे में अपनी उसी आनंद को और ज्यादा बढ़ाने के उद्देश्य से कोमल को और कस कस के दबा दबा कर चुचीयां पीने के लिए उकसा रही थी,,, और साथ ही अपने दोनों हाथों से कोमल की भरावदार गांड को दबाए भी जा रही थी,,,
दोनों औरतों को इस तरह से आपस में मजे लेकर मस्ती करते हुए देखकर शुभम पूरी तरह से कामा तूर हो चुका था। उस का मुसल ओखली में जाने के लिए छटपटा रहा था शुभम घुटनों के बल बैठकर धीरे-धीरे करके कोमल की चड्डी को नीचे की तरफ सरका दिया और चड्डी को बिना पैरों से निकाले ही घुटनों तक लाकर छोड़ दिया।,,, शुभम सांसे उत्तेजना के मारे तीव्र गति से चल रही थी वह आंखों में नशा लिया कोमल की गोलाकार गांड को देखे जा रहा था। जो कि अभी भी कुर्ती से ढकी हुई थी जिसे शुभम अपने हाथों से पकड़कर थोड़ा सा ऊपर उठाते हुए, कोमल की गोरी गोरी गांड पर अपनी नाक रगड़ कर उसकी मादक खुशबू को महसूस करने लगा।,,, कोमल के नितंबों से आ रही बेहद नाटक खुशबू शुभम के लिए नशे का काम कर रही थी, उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी थी।,,, शुभम से कोमल के बदन से आ रही उत्तेजक खुशबू बर्दाश्त नहीं हो रही थी।,, और वह अपनी नाक को कोमल की मुलायम गांड की दोनों फांकों को हाथों से पकड़कर फैलाते हुए बीच की दरार में अपनी नाक को ऊपर से नीचे की तरफ रगड़ने लगा,,, शुभम की इस हरकत की वजह से कोमल का बदन कसमसानेे लगा,,,, शुभम जीस तरह की हरकत कर रहा था उसकी वजह से कोमल की कमर दाएं बाएं पानी की लहर की तरह लहरा रही थी जिससे यह नजारा और भी ज्यादा उत्तेजक हुए जा रहा था।,,, कोमल को जरा सा भी संभलने का मौका नहीं मिल रहा था। कोमल अपने ऊखड़ती हुई सांसो को दुरुस्त नहीं कर पा रही थी। सुभम नीचे से लगा हुआ था तो निर्मला ऊपर से उसकी आग को और ज्यादा बढ़ाते हुए अपने दोनों हाथों में कुर्ती के ऊपर से ही उसकी दोनों कबूतरों को दबा दबा कर दाना खिला रही थी। कोमल इस तरह की उत्तेजना का सामना करते हुए पूरी तरह से कामातुर हो चुकी थी। वह भी पागलों की तरह छोटे बच्चे की तरह निर्मला का दूध पिए जा रही थी,,, शुभम पर तो जैसे,, काम का भूत सवार हो गया था वह अपनी नाक को नितंबों की दरार के बीचो-बीच रगड़ते हुए। कोमल की भूरे रंग के छेद कर अपनी नाक रख कर उसकी खुशबू को अपने अंदर उतार रहा था,, जिससे उसकी उत्तेजना में निरंतर बढ़ोतरी हो रही थी शुभम की यह हरकत कोमल के बदन में हलचल बढ़ा रही थी,। कोमल समझ नहीं पा रही थी कि सुभम यह क्या कर रहा है लेकिन जो भी कर रहा था उससे उसका आनंद दुगुना होता जा रहा था तभी शुभम ने ऐसी हरकत कर दिया कि पल भर में भी कोमल की बुर से मदन रस की पिचकारी छूट पड़ी,,, इसमें कोमल का दोष बिल्कुल भी नहीं था अपनी उत्तेजना पर काबू कर पाने में वह अभी पूरी तरह से कच्ची थी,,,। वैसे भी बदन की उत्तेजना क्या होती है इस बात से वाकिफ भी शुभम ने हीं कराया था,,,। इसलिए तो शुभम ने जब अपनी जीभ निकालकर कोमल की नितंबों के लकीर के बीचो-बीच के उस भूरे रंग के संवेदनशील क्षेंद पर रखकर उसे चाटना शुरू किया तो कोमल का भेरू जवाब दे गया और वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाई और नियंत्रण खोने की वजह से,,, उसका इस कमरे में पहला स्खलन हो गया। उसका बदन पूरी तरह से अकड़ गया था और उसकी बुर से मदन रस नीचे फर्श पर चूने लगा,,, जिस तरह से अकड़ते हुए कोमल के मुंह से हल्की सी सिसकारी की आवाज आई थी। निर्मला को समझते देर नहीं लगी थी कोमल झड़ रही थी। इसी बात की पुष्टि करने के लिए अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर कोमल की जांघो के बीचो-बीच बुर पर रख दी,, जिसमें से अभी भी मदन रस का स्राव हो रहा था,,,यह देख कर निर्मला मुस्कुराते हुए बोली,,,।
वाह कोमल रानी तुम तो अभी से पानी छोड़ रही हो अभी तो पूरी रात बाकी है।,,, (इतना कहने के साथ ही कोमल की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए निर्मला ने अपनी नाजुक हथेली में कोमल के कोमल अंग को दबोच ली। जिससे कोमल के मुंह से सिसकारी निकल गई,,।
आहहहहहहहह,,, बुआआआआ,,,,,,,,
क्या हुआ मेरी प्यारी कोमल रानी,,,, अभी से सिसकारी छुटनें लगी,,,,,( इतना कहने के साथ ही निर्मला ने कोमल को संभालने का मौका ना देते हुए अपनी बीच वाली उंगली को सीधे उसकी रसीली पुर के अंदर बिना रुके घुसादी,,, बुर पूरी तरह से गीली होने की वजह से निर्मला की बीच वाली लंबी उंगली पूरी की पूरी बुर के अंदर समा गई,,,,,,।
आहहहहहहहहह,,, मर गई रे बुआआआ,,,,,,,,,,,
( कोमल को निर्मला की हरकत की वजह से दर्द का का एहसास हो रहा था लेकिन निर्मला बिना रुके अपने बीच वाली उंगली को धीरे धीरे उसके घर के अंदर बाहर करने लगी और उंगली से उसकी बुर को चोदते हुए बोली,,,,।)
तुम्हारा अभी से यह हाल है कोमल रानी अभी तो मेरी सिर्फ ऊंगली गई है,,,, तब तुम इतना छटपटा रही हो,,, तब क्या होगा जब मेरा बेटा तुम्हारी बुर में अपना मोटा लंबा लंड डालकर तुम्हे चोदेगा,,,,,।
( निर्मला को कोमल की बुर अभी तक कुंवारी ही लग रही थी उसे यह नहीं मालूम था कि जिस बुर में उंगली डालकर उसे मोटे तगड़े लंड से डराने की कोशिश कर रही है ऊसी बुर के अंदर उसका बेटा अपना मोटा बड़ा लंड डालकर उसे पेल चुका था। लेकिन कोमल भी इस बात को निर्मला के सामने जाहिर नहीं होने देना चाहती थी इसलिए बात को घुमाते हुए बोली,,,,।
बुआ मुझे तुम डरा रहे हो बाकी मैं आपसे चली जाऊं और तुम अकेले ही शुभम के लंड से चुद कर मजा ले सको,,, लेकिन आज मैं भी तय करके आई हूं कि आज की रात में भी तुम्हारे साथ मजा लूंगी और तुम्हारे बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाऊंगी,,,,,,
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