RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
सुगंधा और शुभम दोनों बिस्तर पर लेटे हुए थे। सुगंधा जिंदगी की अपनी पहली चुदाई की वजह से एकदम खा चुकी थी पेट के बल लेटी हुई थी परंतु संपूर्ण रूप से नंगी ही थी शुभम अपनी कामयाबी पर प्रसन्न हो रहा था। वह मन में सोच रहा था कि अब उसे चले जाना चाहिए क्योंकि,,, सुगंधा काफी थक चुकी थी और उसकी आंख लग रही थी और वैसे भी यहां ज्यादा देर तक रुकना उसके लिए ठीक नहीं था किसी भी वक्त उसका छोटा मामा आ सकता था।,,, वह बिस्तर पर से उतरने वाला था की तभी उसकी निगाह फिर से नंगी लेटी हुई सुगंधा की गोलाकार नितंबो पर पड़ गई जो की लालटेन की रोशनी में चमक रही थी। हम अपनी लालच को रोक नहीं पाया और उसकी गोरी गोरी गांड को सहलाने लगा,,, बुझी हुई आग में अभी भी चिंगारी बाकी थी और यह चिंगारी तो मादकता से भरी हुई थी जो कि बहुत ही जल्दी आग पकड़ दी थी और ठीक वैसा ही हुआ शुभम के सहलाने के साथ साथ ही शुभम सुगंधा की गोरी गोरी गांड की वजह से एक बार फिर से उत्तेजित होने लगा,, और बेसुध सो रही सुगंधा को अपने हाथों से पीठ के बल लेटा कर उसकी दोनों टांगों को फेलाया और एक बार फिर से सुगंधा से एकाकार हो गया,,,, शुभम सुहागरात मनाते हुए सुगंधा को 3 बार चोदा और कमरे से बाहर निकल गया सुगंधा पूरी तरह से थक चुकी थी इसलिए गहरी नींद में सो रही थी काफी देर के बाद शुभम का मामा अपने शयनकछ मे पहुंचा तो काफी अंधेरा था वह लालटेन की रोशनी को थोड़ी सी बढ़ा दिया तो कमरे में उजाला ही उजाला हो गय उसकी नजर बिस्तर पर पड़ी तो,
उसकी नजर बिस्तर पर पड़ी तो बिस्तर का नजारा देखकर एकदम भौचक्का रह गया। बिस्तर पर उसकी पत्नी बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी पेट के बल लेटी होने की वजह से उसकी चिकनी मखमली पीठ और उसकी गोल गोल गांड साफ नजर आ रही थी जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत को नंगी देख रहा था वह अपनी बीवी के नंगे पन की खूबसूरती को देखकर एकदम सन्न रह गया। वह मन ही मन इतनी खूबसूरत बीवी पाकर प्रसन्न हुए जा रहा था, उसके बुद्धू पन का यही सबसे बड़ा सबूत था कि,, सुगंधाको इस तरह से नंगी बिस्तर पर लेटे रहने पर उसकी खूबसूरती से प्रसन्न हो रहा था ना कि उसे इस बात की हैरानी हो रही थी कि अपनी बीवी को सुहागरात के दिन उसकी गैर हाजिरी में इस तरह से संपूर्ण रूप से नंगी होकर लेटने की क्या जरूरत थीै इस बारे में तो वह सोच ही नहीं रहा था बिस्तर के नीचे उसके सारे कपड़े पड़े हुए थे उसकी साड़ी ब्लाउज ब्रा उसकी पेंटी,, बिस्तर तितर बितर हुआ था चादर पर सिलवटें पड़ी हुई थी लेकिन क्यों पड़ी हुई थी इतना सोच सके उसमे इतना दिमाग ही नहीं था,,, ऊसके बिखरे हुए बाल उसके होठों पर की लाली जोकी फीकी पड़ चुकी थी दरवाजा खुला हुआ था,,,, लेकिन वह ऐसा क्यों हुआ है इस बारे में बिल्कुल भी सोच नहीं रहा था। वह बस सु्गंधा को एक टक देखे जा रहा था। सुगंधा की खूबसूरत बदन के उतार-चढ़ाव को देख कर उसके बदन में ना जाने कैसी हलचल होने लगी,,,, सुगंधा के बदन का एक एक कटाव उसे अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था।,,, उत्तेजना कौन हो रहा था लेकिन क्या करना है उसे कुछ समझ में भी नहीं आ रहा था,,,,। अगर उसकी जगह कोई और मर्द होता है तो अब तक सुगंधा पर चढ़ाई कर चुका था लेकिन वह खामोश नजरों से ढेर सारी मन मे खलबली लिए सुगंधा के नग्न बदन का दर्शन करता रहा,,,। उसकी जगह कोई और शख्स होता तो अपनी सुहागरात के दिन पत्नी को युं अकेले ही सुहाग की सेज पर नंगी लेटे हुए देखता और बिस्तर के इर्द-गिर्द गिरे हुए उसके कपड़ों को देखता तो मैं समझ जाता कि उसकी पीठ पीछे सुहागरात के दिन उसके ही शयनकछ में क्या हुआ है,,,, लेकिन वह सुगंधाको नींद से जगाने की भी तस्ती ना लेते हुए,,,, कुछ देर तक यूं ही देखता रहा और सुगंधा से थोड़ी दूरी बनाकर वहीं सो गया,,
दरवाजे पर हो रही दस्तक की आवाज सुनकर सुगंधा की नींद टूटी तो बंद खिड़की में से आ रही हल्की हल्की धूप को देखकर वह चौक गई क्योंकि समय काफी हो गया था,, बाहर उसकी भतीजी कोमल इतनी देर हो जाने की वजह से जगा रही थी,,,,,
चाची ओ चाची अरे अभी तक सो रही हो नीचे सब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं जल्दी से नहा कर आ जाओ,,,,
आई,,,,,,, ( इतना कहते हुए सुगंधा हर बढ़ाते हुए बिस्तर से नीचे उतर गई वह अभी भी नींद के झोंके मे हीं थी,, वह लपक कर दरवाजे की तरफ जा रही थी,, लेकिन तभी उसे थोड़ा अजीब सा लगा तो वह अपने बदन पर नजर दौड़ाई तो एकदम से हक्की बक्की रह गई,,, वह एकदम से चौंक गई,,, सुबह संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में थी,,। एकदम नंगी अपने आप को देख कर वह शर्म से पानी-पानी हो गई,,, कमरे में नजर दौड़ाई तो बिस्तर के इर्द-गिर्द में ऊसके कपड़े गिरे पड़े थे। चारों तरफ बस उसके ही कपड़े बिखरे पड़े थे फर्श पर गिरी अपनी पैंटी और ब्रा को देखकर वह एकदम से शर्मिंदा हो गई वह अपनी हालत पर शरमाते हुए मन ही मन अपने आप को ही कोसते हुए बुदबुदाने लगी,,, उसे रात का सारा वाक्या याद आने लगा,, वह कभी सोची भी नहीं थी कि वाह यह सब इतनी आसानी से कर लेगी तभी,, उसे याद आया कि रात को उसके पति ने तीन बार उसकी चुदाई किया था,,, वह तो थक कर चूर हो चुकी थी,,,, इसलिए बेसुध होकर बिना कपड़े पहने ही सो गई थी,,,, कभी उनकी नजर बिस्तर पर पड़ी तो वह करीब जाते हुए बोली,,,,
यह महाशय को देखो,,, खुद कपड़े पहन कर सो गए और मुझे ऐसे ही नंगी लेटे रहने दीए,,,, अभी बताती हूं,,,।
सुनिए,,,, सुनिए कितनी सुबह हो गई है और आप अभी तक सो रहे हैं,,( सुगंधा झकझोरते हुए अपने पति को जगाने लगी,,,, ईस तरह से जगाने से उसकी नींद भी खुल गई,,, लेकिन सुगंधा द्वारा लगाए जाने पर वह थोड़ा सा चौक छा गया क्योंकि पहली बार उसे कोई औरत जगा रही थी,,,, इसलिए हड़ बढ़ाते हुए बोला,,,
कककककक,,, कौन,,,,,, क्या हुआ,,,,,,
अरे मैं हूं इतना घबरा क्यों रहे हो,,,,,
ओहहहहह तुम मै तो घबरा ही गया,,,,
ओह देख रहे हो धूप निकल आई है और तुम अभी तक सो रहे हो,,,,
हां वह क्या है ना कि रात भर जगा हूं इसलिए,,,
( उसकी बात सुनकर सुगंधा शर्मा गई,,, वह कुछ और कह रहा था और सुगंधा कुछ और समझ रही थी इसलिए वह बोली,,,।)
तो सो जाना चाहिए था ना किसने कहा था रात भर जागने के लिए,,,,
क्या करूं मेरे बस में कुछ नहीं था काम ही कुछ ऐसा था कि मुझे रात भर जागना पड़ा,,,,। ( तभी उसकी नजर सुगंधा के नंगे बदन पर पड़ी तो वह ऊपर से नीचे तक उसे घूर कर देखने लगा सुगंधा को इस बात का एहसास होते ही वह एक बार फिर से शर्मा गई क्योंकि वह फिर से कपड़े पहनना भूल गई थी और जल्दी से,,, अपनी पत्नी के पीछे की तरफ जाकर जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी,,, और कपड़े पहनते हुए बोली,,,
आप मुझे कपड़े पहनने के लिए भी नहीं जगाए,,,
तुम सो रही थी तो तुमको जगाना ठीक नहीं समझा,,,
हां मुझे जगाना ठीक नहीं समझे और मुझे ऐसे ही सोते रहने दिए और खुद कपड़े पहन कर सो गए,,
( यह बात सुनकर उसे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन वह कुछ बोल भी नहीं पाया एक औरत से बात करने में वह हीचकीचा रहा था,,, सुगंधा के बात करते हैं समय वहां अपनी नजरों को इधर-उधर फेर ले रहा था,,, सुंगंधा से वहां से आंख मिलाकर बात नहीं कर पा रहा था। इस बात पर लगातार सुगंधा भी कॉल कर रही थी लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की फोन पर जिस तरह से खुली बातें कर रहा था और कल सुहागरात के बाद,,, आपस में इतना खुल जाने के बावजूद भी जिस तरह के बाद नजरें चुराकर बातें कर रहा था यह बात सुगंधा के समझ के परे थे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की एक मर्द होकर भी यह औरतों की तरह क्यों शर्मा रहा है फोन वाले पति और सुहागरात वाली पति के समानता इस समय बिल्कुल भी मैच नहीं खा रही थी। यह बात उसे बड़ी अजीब लग रही थी,,,, तभी वह नजरे नीचे झुकाए बोला,,,
तुम रात को बिना कपड़ों के ही सोती हो क्या,,,,
नहीं तो,,, मेरी आंख लग गई थी तो मैं ऐसे ही सो गई,,
तो कपड़े उतारे ही क्यों थे पहनकर सोई होती,,,
आपने ही तो उतारे थे,,,,( सुगंधा शर्म और आश्चर्य के भाव लिए हुए बोली,,,,
( सुगंधा की बात सुनकर उसे भी कुछ अजीब सा लगा लेकिन वह कुछ बोल नहीं पाया वह ना जाने क्यों सुगंधा के अस्तित्व से घबरा भी रहा था और शर्मा भी रहा था,, इसका यही कारण था कि आज तक वह किसी भी औरत के करीब नहीं किया था और ना ही किसी को अपने करीब आने दिया था,,
सुगंधा को उसका सवाल कुछ अजीब सा लग रहा था,,, तभी उसका ध्यान उसकी आवाज पर गई तो वह लगभग चौक सी गई क्योंकि उसकी आवाज फोन पर की और ना ही रात वाली आवाज से किसी भी प्रकार का मेल खा रही थी दोनों आवाज बिल्कुल अलग अलग थी सुगंधा काफी हैरान हो गई उसे किसी अनहोनी घटना की आशंका लगने लगी,,,, तभी मन में कुछ सोच ही रही थी कि तभी फिर से कोमल दरवाजे पर आकर बुलाने लगी,, व दरवाजे की तरफ बड़ी ही थी कि तभी उसका पति भी बिस्तर से खड़ा हो गया,,,, एक बार फिर से सुगंधा का माथा ठनक गया क्योंकि जिसके साथ वह अपनी सुहागरात मनाते हुए हमबिस्तर हुई थी उसकी लंबाई कुछ ज्यादा ही थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है,,। उसने अभी तक शादी के मंडप से लेकर के अब तक अपने पति पर जरा भी ध्यान ही नहीं थी थी वह तो केवल फोन पर हो रही बातों के दरमियान केवल आवाज को ही पहचानती थी,,, और उसी परिचित आवाज के बदौलत ही वह अपनी सुहागरात भी बनाई थी लेकिन आप उसका माथा ठनक रहा था सब कुछ सोच कर उसे चक्कर सा अाने लगा था,,,। तभी बार-बार दरवाजे पर हो रही दस्तक की वजह से उसने दरवाजा खोल दी,,,
क्या चाची कितना समय हो गया है और आप हैं कि अभी तक सो रही हैं नीचे सब लोग आपका इंतजार कर रहे हैं,,, चाचा कहां है? ( कोमल सुगंधा की तरफ देखते हुए बोली और सुगंधा नई नवेली दुल्हन होने के नाते लंबा सा घुंघट निकाल ली थी,,, सुगंधा की तरफ देखकर कोमल कमरे में नजर दौड़ाई तो उसका चाचा भी दरवाजे की तरफ बढ़ रहा था और उसे देखते ही कोमल बोली,,,
चाचा जी जल्दी करिए पापा आपको बुला रहे हैं,,,
( इतना कहकर कोमल सुगंधा को अपने साथ ले जाने लगी सुगंधा सोचने लगी कि यह मेरा पति है तो सुहाग रात कीसके साथ मनाई,,, उसका मन बहुत घबरा रहा था उसे यह सोच कर और ज्यादा घबराहट हो रही थी कि कहीं ऐसा तो नहीं हो गया कि शादी किसी और के साथ और सुहागरात कोई और मना के गया । नहीं ऐसा नहीं हो सकता हो सकता है मेरे मन का भ्रम हीं हो,, शायद शादी के टेंशन की वजह से मेरे मन में ऐसी अजीब से ख्याल आ रहे हैं और थकान भी काफी है,,,। हे भगवान जैसा मैं सोच रही हूं ऐसा बिल्कुल भी ना हो मैं तो मैं कहीं किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाऊंगी,,, सुगंधा यह सब अपने मन में ही अपने आप से बातें किए जा रही थी,,, तभी कोमल सुगंधाको बाथरूम के सामने छोड़ते हुए बोली,,,
चाची जल्दी से नहा धोकर फ्रेश हो जाओ आस पड़ोस की औरतें तुम्हें देखने आने वाली है,,
( इतना कहकर कोमल चली गई और सुगंधा भारी मन के साथ नहाने के लिए बाथरूम मे घुस गई।)
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