RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तुम्हें यकीन नहीं हो रहा है ना मामी,,,
( जवाब में वह मुंह से कुछ बोले बिना ही सिर्फ ना में सिर हिलाते हुए अपनी बुर की तरफ ही देखे जा रही थी।)
तो तुम कहो तो मैंने जो उस आंटी के साथ किया वह तुम्हारे साथ भी करके दिखा सकता हूं।
( वह एक बहाने से अपनी मम्मी के सामने अपने मन की बात को प्रस्तावित कर रहा था,,, प्रस्तावित क्या कर रहा था एक तरह से वह अपनी मामी को उकसा रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि जिस काम को एक और जिंदगी भर नहीं रहती ना तो उस बारे में कुछ ज्ञान ही रहता है ऐसी बात को अगर उसके सामने नमक मिर्च लगाकर बताई जाए तो वह उस काम को करने के लिए मन ही मन बेहद उत्सुक हो जाती हैं और वही हाल उसकी मामी का भी हो रहा था।,,, भले ही बुर चाटने वाली बात उसके लिए समझ के परे थी,, लेकिन मन ही मन वह बेहद उत्साहित भी होती जा रही थी तभी तो वह शुभम की बात को सुनकर थोड़ा सा हैरान होते हुए बोली,,,।)
क्या,,,,,, क्या कहा तूने कहीं तू पागल तो नहीं हो गया है तुझे क्या लगता है कि मैं तेरे इस पागलपन में तेरा साथ दूंगी,,,,
कैसा पागलपन मामी मैं तो हकीकत बयां कर रहा हूं।
( जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर करते हुए बोला)
तू जो कह रहा है वह सच है या झूठ यह तो मैं नहीं जानती लेकिन जो तू करने के लिए कह रहा है वह पागलपन हीं है,,, तो कैसे सोच भी सकता है कि मैं तुझे उस गंदे स्थान पर मुंह लगाने दूंगी वहां से पेशाब किया जाता है।( वह जानबूझकर उसे मना करने का नाटक कर रही थी लेकिन मन ही मन वह चाह रही थी कि वह ऊसकी बुर को चाटे,,, अपनी मामी की बात सुनकर शुभम उसे समझाते हुए बोला।)
मामी इसमें क्या हुआ जरूरी तो नहीं कि जहां से पेशाब किया जाता है वह स्थान गंदा ही हो मुझे भी शुरू शुरू में ऐसा ही लग रहा था अगर वह आंटी मुझ पर जोर नहीं देती तो शायद मैं भी उस सुख से वंचित रह जाता जिस सुख से आप वंचित रह जाना चाह रही हैं।,,,
( शुभम का इस तरह से मनाना और जिद करना उसकी बुर को चाटने के लिए यह बात उसकी मामी को बेहद आनंदित कर दे रही थी।,,, शुभम को उसकी बुर चाटने के लिए लालायित देखकर वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी। फिर भी अपने चेहरे पर नाराजगी के भाव दर्शाते हुए बोली,,,।)
नहीं शुभम तू समझता क्यों नहीं कितना गंदा लगता है सोच मुझे तो सुनकर ही बड़ा अजीब लग रहा है सबको उसे चाटेगा तो शायद,,, नहीं जाने दे मुझे ऐसा शौक नहीं लेना किसी को कुछ पता चल गया तो आफत अा पड़ेगी,,,,
मामी यहां कहां किसी को कुछ पता चलने वाला है घर में कोई है भी तो नहीं और वैसे भी मुझे तो ऐसा लगता है कि सच में तुम्हें मेरी बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है और तुम्हें यकीन दिलाने के लिए मुझे वह करके दिखाना पड़ेगा,,,( एक बार शुभम अपनी मामी को और ज्यादा उत्तेजित करने के तरीके उसकी बुर में से अपनी उंगली को बाहर खींच लिया और उसे अपनी मामी को दिखाते हुए उस पर लगे नमकीन रस को अपनी जीभ बाहर निकालकर चाटते हुए बोला।) अब बोलो मामी क्या कहती हो मैं जो कह रहा हूं बिल्कुल सच कह रहा हूं बस एक बार मुझे अपनी बात रखने का मौका दो आप जिंदगी भर याद रखोगी,,,,
( शुभम को इस तरह से अपनी बूर के रस को चाटते हुए देखकर वह एकदम से दंग रह गई,,, उसे तो अपनी आंखों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं हो रहा था कि जो हुआ देख रही है वह सच है या कोई सपना,,, लेकिन जो वह देख रही थी वह बिल्कुल सच था। वह तुमसे मंत्रमुग्ध हो चुकी थी उसका मुंह खुला का खुला था और वह शुभम को देख रही थी जो कि बार-बार उस उंगली को जिस पर उस का मदनरस लगा हुआ था,, उसे चाटे जा रहा था,,, अब तो उसकी और भी ज्यादा उत्सुकता बढ़ गई हो जल्द से जल्द शुभम की जीभ को अपनी बुर की गहराई में महसूस करना चाहती थी।,,, सुभम उसी तरह से उंगली को चाटते हुए बोला,,,
बोलो मामी अब क्या ख्याल है चाट कर दिखाऊं क्या?
( शुभम की हरकत देख कर तो वह एकदम स वह कुछ बोल नहींपा रही थ
शुभम की बात का क्या जवाब देना है इस बात का उसे बिल्कुल भी ख्याल नहीं रहा वह बस आश्चर्यचकित होकर सिर्फ सुभम को ही देखे जा रही थी।, शुभम समझ गया कि उसकी हरकत को देखकर उसकी मामी उन्माद से भर चुकी है,,, अब उसके लिए अपनी मंजिल पाना कोई मुश्किल काम नहीं था इसलिए सुबह अब बिना कुछ बोले अपनी मामी के दोनों कंधों पर हाथ रखकर उसे बिस्तर पर लिटाने की कोशिश करने लगा जिसमे उसे कुछ ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी क्योंकि जैसे जैसे वह कंधों पर दबाव देता जा रहा था वैसे वैसे उसकी मामी नीचे की तरफ लेटती चली जा रही थी।,,, जो कि उसकी तरफ से पूरी मंजूरी दर्शा रहा था अगले ही पल वह बिस्तर पर लेटी हुई थी,,, शुभम की नजर उसकी जांघों के बीच झाटों के झुरमुटो पर ही टीकी हुई थी। जिसे वह ललचाई नजरों से देख रहा था उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बालों से भरी बु्र का भी स्वाद उसे चखने को मिलेगा। वह मदहोशी के आलम में लेती हुई थी उसकी आंखें हल्की-हल्की खुली थी जिससे वह शुभम की हरकत को देख रही थी शुभम तो ललचाई नजरों से उसकी कोई देखे जा रहा था और उसके हल्के हल्के अपनी उंगलियों से सहला भी रहा था जिससे उसका उन्माद निरंतर बढ़ता जा रहा था। उसकी सांसो की गति तेज होने लगी थी जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पके हुए पपीते की तरह ऊपर नीचे होकर झूल रही थी। वह अब संपूर्ण रूप से नंगी नजर आ रही थी उसके बदन को ढकने के लिए वस्त्र तो थे लेकिन वह खुले हुए थे ब्लाउज के सारे बटन खुले हुए थे और उसकी पेटीकोट कमर तक चढ़ी हुई थी,, इसलिए जिस अंग को छुपाने के लिए वस्त्र उसके बदन पर थे वह अब किसी काम के नहीं थे। शुभम की मामी का बदन उत्तेजना के मारे कसमसा रहा था और शुभम उसकी कसमसाहट को और ज्यादा बढ़ाने के लिए अपनी उंगली से उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों को कुरेद रहा था । शुभम की मम्मी के बदन में पूरी रूप से उत्तेजना का काम ज्वर अपना असर दिखा रहा था। शुभम से आप अपने आप को रोक पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हुए जा रहा था इसलिए वह धीरे-धीरे अपने होठों को ऊसकी जांघो के बीच बढ़ाने लगा। और अगले ही पल उसके होंठ उसकी रसीली फुली हुई कचोरी समान बुर पर थी। शुभम के होठों पर उसकी झांट के बाद इस पर सो रहे थे जिसकी वजह से उसकी भी उत्तेजना बढ़ रही थी। उसकी मामी इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि उसकीबुर किसी पावरोटी की तरह फुल चुकी थी। अभी शुभम अपनी जीभ का स्पर्श उस पर नहीं कराया था खाली अपने होठों को उस पर रखकर उसकी तपिश को महसूस कर रहा था। इतने में ही तो उसकी सांसो की गति एकदम तीव्र हो गई अपनी उत्तेजना को वह दबा नहीं पा रही थी इसलिए बिस्तर पर लंबी लंबी सांसे लेते हुए अपनी कमर को हल्के उसके ऊपर नीचे कर रही थी। उत्तेजना के मारे सुभम कभी बुरा हाल था। उससे भी रहा नहीं जा रहा था और वह धीरे से अपनी जीभ को बाहर निकालकर बुर की पतली लकीर पर फिराने लगा,, इतने में तो उसकी मामी की सिसकारी छूट गई।
सससससहहहहहहहह,,,, आहहहहहहहहहह,,,,,, शुभम,,, ।
( उसके मुंह से मात्र शुभम का नाम फुटा भर था कि शुभम ने धीरे-धीरे अपनी जीभ को गुलाबी पत्तियों के बीच घुसेड़ना शुरू कर दिया,,, अब तो उसकी और भी ज्यादा हालत खराब होने लगी।)
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