RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
दोनों जड़वंत होकर एक दूसरे को देखे जा रहे थे। उसकी मामी की हालत पल-पल खराब हुए जा रही थी उसकी नजरें हटाए नहीं हट रही थी। उसका गला सूखता जा रहा था। वैसे भी जिंदगी में पहली बार आज ही के दिन वह दूसरी बार किसी गैर मर्द के उस औजार के दर्शन कर रही थी,,, जिस औजार के प्रति प्रत्येक औरत के मन में उत्सुकता बनी रहती है। और वह तो पहले से ही प्यासी थी,,, सुबह सुबह संपूर्ण नग्नावस्था में अपने भांजे के लंड का दीदार करके,,, जो उसकी हालत हुई थी और अब दूसरी बार पेंट में बने तंबू को देखने के बाद उससे भी खराब हालत होती जा रही थी। उसका मन बड़े ही अजीब ढंग से मचल रहा था बुर से लगातार नमकीन रस झर रहा था,,, पहली बार ही ऊसकी बुर इतना ढेर सारा पानी फेंक रही थी जिसकी वजह से उसका पेटीकोट तक गीला हो जा रहा था। वह शुभम की पेंट में बने लंड की वजह से अद्भुत रचना को देखकर दंग हो गई थी। नंगा होने पर और पजामा पहनने के बावजूद भी जिस तरह का नजारा शुभम ने दिखाया था उत्तरा के नजारे की उम्मीद उसके पति से बिल्कुल भी नहीं थी और ना ही उसने कभी इस तरह का नजारा अपने पति के द्वारा देख पाई थी। इसलिए तो वह एकदम मुक दर्शक बनकर नजारे का आनंद ले रही थी,, इसमें सकहां पीछे हटने वाला था अब तक तो वहां अपनी मामी के कलात्मक और उन्मादक बदन के पिछले हिस्से को देखकर ही उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुका था लेकिन उसके इस तरह से घूम जाने से,,, उसकी आंखों के सामने उसकी मम्मी का अधखुला ब्लाउज साफ नजर आ रहा था और उसमें से झांकते हुए दोनों गोलाइयां किसी फड़फड़ाते हुए कबूतर की तरह लग रहे थे । जिन्हें शुभम अपने दोनों हाथों से पकड़ना चाहता था उन्हें दुलारना चाहता था। लेकिन इन सब में अभी कुछ समय की प्रतीक्षा करने को मजबूर था।, अपनी मामी को इस तरह से खामोश होकर,, बस तंबू को देखता हुआ पाकर शुभम खुद आगे बढ़ते हुए बोला,,,।
मामी ये सरसों कि शीशी मिल गई अब बताओ क्या करना है,,,,
( शुभम की बात सुनते ही जैसे उसे किसी ने पकड़कर नींद से झगझोऱते हुए जगाया हो,,, इस तरह से वह चोंकते हुए बोली,,,,)
आहहहहहहहह,,,,, ,, अरे,,,,, मैं क्या बताऊं तुझे तो पता ही होगा ना क्या करना है,,,।
हां मुझे तो पता है क्या करना है, तुम्हारी मालिश करना है । लेकिन कहां से शुरू करना है यह तो आप को ही बताना होगा कहां पर दर्द कर रहा है,,, कहां नहीं कर रहा है यह आप बताएंगी तभी ना मुझे पता चलेगा,,,,
अब क्या बताऊं बेटा तुझे दर्द तो मेरा पूरा शरीर ही कर रहा है लेकिन तू मेरी कमर पर मालिश करदे, कमर ही ज्यादा परेशान कर रही है।
( इतना कहने के साथ ही वह बिस्तर पर पेट के बल लेटने लगी,,, अपनी मामी को इस तरह से बिस्तर पर लेटते हुए देखकर उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसकी मामीं उससे चुदवाने के लिए बिस्तर पर लेट रहीं हो,,,, इसलिए तो शुभम अपने तंबू को जानबूझकर भी छुपाने की बिल्कुल कोशिश नहीं कर रहा था क्योंकि वह जानता था कि मामी की टांगों के बीच पहुंचने का रास्ता उसके पजामे में से होकर ही गुजरता है,,, इसलिए उसके लिए ही अच्छा है कि जितना ज्यादा उनका ध्यान उसके पजामे पर होगा उतनी जल्दी ही वहउसकी टांगों के बीच पहुंच सकता है।,,,
उसकी मांमीे बिस्तर पर पेट के बल लेट चुकी थी,,, शुभम बिस्तर के करीब खड़ा होकर अपनी मामी का गदराया बदन देखते हुए मस्त हुए जा रहा था। उसकी नजर खास करके,, उसकी बड़ी बड़ी चौड़ी गांड पर ही टिकी हुई थी। जिसको वहां अपने हाथों से पकड़ कर दबाना चाहता था, उसे रगड़ना चाहता था, अपने होठ लगाकर उसकी नर्माहत को चूमना चाहता था।,, भाभी नजरों से उसे देख रहा था उसकी मां भी अपनी तिरछी नजर से शुभम की तरफ देखकर मन ही मन प्रसन्न हुए जा रही थी वह समझ चुकी थी कि उसका गदराया बदन देखकर शुभम पागल हुए जा रहा है।,,, वह उसके हाथों के स्पर्श को अपनी कमर पर अपने पूरे बदन पर महसूस करना चाहती थी,,, वह देखना चाहती थी किसी पराए मर्द का स्पर्श बदन में किस तरह की खलबली को जगाता है।,, इसलिए वह शुभम की तरफ देखे बिना ही बोली,,,
शुभम जल्दी कर मेरे बदन का दर्द मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है,,, मेरी कमर पर जरा मालिश कर दें,,,
ठीक है मम्मी आप बिल्कुल चिंता मत करिए अभी आप का दर्द गायब हो जाएगा,,,।
( इतना कहने के साथ ही वह बिस्तर पर बैठ गया और सरसों के तेल के ढक्कन को खोलकर, तेल की बूंदो को कमर पर टिपकाने लगा।। जैसे जैसे तेल की बूंद पतली कमर पर गिरकर फिसल रही थी वैसे वैसे शुभम का लंट खड़ा होता जा रहा था।
शुभम अपनी मामी की कमर पर दोनों हथेली रखकर मालिश करना शुरू कर दिया,,, हथेली की गर्माहट और गैर मर्द के स्पर्श की वजह से कुछ ही पल में उसकी मामी की हालत खराब होने लगी वह कुछ बोल सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी। शुभम की नजर तो मालीश करते हुए,, उसकी बड़ी बड़ी गांड पर टिकी हुई थी जी मैं तो आ रहा था कि उसके दोनों हथेली उस पर रखकर सहलाना शुरु कर दे लेकिन ऐसा वह कर नहीं पा रहा था। दूसरी तरफ उसकी मामी उत्तेजना से भर चुकी थी उसकी सांसे हल्की-हल्की सिसकारी में बदलने लगी थी। उसके मन में थी ऐसा हो रहा था कि वह सारे कपड़े उतारकर एकदम नंगी हो जाए और शुभम से पूरे बदन की मालिश करवाएं लेकिन ऐसा करने में उसे शर्म महसूस हो रही थी, हालाकी उत्तेजना के मारे उसका दिल बल्लियों उछल रहा था। फीर भी थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए शुभम से बोली,,,।
वाह बेटा मान गए जिस तरह से तू मालिश करता है शायद ही ऐसी कोई मालिश करता होगा,,,
तो क्या मामी आपकी कमर का दर्द ठीक हो गया,,,
हां बेटा तेरा हाथ लगते ही ठीक हो गया लेकिन क्या बताऊं कमर के साथ-साथ तो मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा है।,,,
( अपनी मामी की बात सुनते ही शुभम समझ गया कि उसके मन में और भी कुछ चल रहा है इसलिए वह बोला।)
तो इसमें क्या हुआ मामी लाओ मैं तुम्हारे पूरे बदन की मालिश कर देता हूं, वैसे भी मेरे पास कोई काम नहीं है इससे आपकी मदद भी हो जाएगी और मेरा टाइम पास भी हो जाएगा,,,
हां रे मैं भी यही चाहती हूं लेकिन क्या करूं ईस तरह से कपड़ों में तो मेरी मालीश हो नहीं पाएगी,,,, और तेरे सामने मुझे कपड़े उतारने में शर्म आ रही है,,,।( वह उसी तरह से लेटे लेटे ही बोली,,, शुभम अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी मा्मी भी उसके सामने पूरे कपड़े उतार कर नगी होने के लिए उतावली है लेकिन झिझक रही है। अब उसकी यह झिझक को उसे ही खत्म करना था,,। इसलिए वह बोला।
इसमें क्या हुआ मामी मेरे सामने कैसी शर्म,,,, आपको इस समय मदद की जरूरत है और घर पर कोई है भी नहीं मेरे अलावा आपकी मदद मे हीं कर सकता हूं। जरा सोचो मेरी मदद करने से अगर आप को आराम मिल जाएगा तो तुम्हारे साथ साथ मुझे भी कितना अच्छा लगेगा,,,
( शुभम अपनी मामी को बातों के जाल में फंसा रहा था एक तरह से उसका झिझक कम कर रहा था,,, दूसरी तरफ उसकी मामी तो पहले से ही पूरी तरह से तैयार थी। लेकिन वह अपने ही भांजे के सामने अपने कपड़े कैसे उतार सकती थी। भले ही मन में वह शुभम के साथ सब कुछ करने के लिए तैयार हो चुकी थी लेकिन उसके सामने इस तरह की हरकत करने में उसे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी।,,ईसलिए वह आनाकानी करते हुए बोली।,,,
बेटा मैं जानती हूं कि तु मेरी मदद करना चाहता है,,, और मुझे भी तेरी मदद की जरूरत है लेकिन तू ही सोच एक औरत किसी मर्द के सामने अपने कपड़े कैसे उतार सकतीे हैं,,।( इतना कहते हुए वह शुभम की तरफ देखने लगी जोकी वह ऊसकी बड़ी बड़ी गांड को ही देखे जां रहा था। यह देखते ही उसकी बुर मैं सिरहन सी दौड़ने लगी,,, वह अपने मन में ही बोली बाप रे यह औरतों को इस तरह से घुरता होैगा मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,, चलो अच्छा ही है ईसके मन में अगर काम भावना जागेगी तो मेरे ही काम आएगी,,, शुभम इस बात की परवाह किए बिना कि उसकी मामी उसकी तरफ ही देख रही है वह बिना झिझक के उसकी गदराई गांड की तरफ देखते हुए बोला।
क्या मालूम एक तरफ मुझे अपना बेटा भी कहती हो और एक तरफ गैर-मर्द कह कर अपनी मदद करने नहीं दे रही हो। जब ऐसा ही करना था तो खुद ही अपनी कमर पर मालिश कर ली होती मुझे क्यों खामखा बुला ली,,,, वैसे भी 2 दिन का थका हारा मैं अपने कमरे में आराम कर रहा था।
( ऐसा कहते हुए वह जानबूझकर अपना मुंह लटका कर बैठ गया ताकि उसकी मामी को लगे कि वह गुस्सा हो गया है।,, भले ही दुनियादारी की समझ उसकी मामी में थोड़ा कम हो लेकिन मर्दों की चांचिया गिरी से वह बिल्कुल वाकिफ थी। वह जानती थी कि जिस लड़के का लंड उसे देखकर बार-बार खड़ा हो जा रहा है और वह मालिश करते हुए बार-बार उसकी गांड को ही नीहार रहा है,,,वो बिल्कुल मासूम या भोला तो नहीं हो सकता,,, वह समझ गई थी कि वह किस कारण से रूठ रहा है लेकिन इसमें उसका भी तो फायदा छीपा हुआ है। इस बात पर गौर करते हुए वह मन में सोची कि,,, खुद से ही कपड़े उतारकर नंगी होने से अच्छा है कि,
वह अपने भांजे की जिद और उसके रूठने की वजह से अपने कपड़े उतारकर नंगी हो जाए,,,, इसलिए वह बोली,,,
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