Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:04 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तो तू जा मुझे कार की विंडो में से अपनी साड़ी उठाकर पेशाब करते हुए देखा तो उसे कैसा लग रहा था।( निर्मला स्टेरिंग संभालते हुए और अपनी नजरों को सामने टीकाकर बोली।)


अरे कैसा क्या लग रहा था मेरा तो लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,जी मे आ रहा था कि मैं भी तुम्हारे पीछे खड़े होकर तुम्हारी बुर में लंड पेल दूं।,,,,


तो पेला क्यों नहीं?( निर्मला उत्सुकता के साथ बोली।)

अरे उस समय मैं ऐसा कैसे कर सकता था।


क्यों नहीं कर सकता था,,,,?

कोई अपनी मां को चोदता है क्या,,? और वैसे भी मुझे चोदना कहां आता था।

अगर तुझे चोदना आता तो क्या तू मुझसे पूछे बिना ही मुझे चोदने,, लगता,,,( निर्मला स्टेरिंग संभालते हुए शुभम की तरफ देखते हुए बोली)

नहीं शायद मैं ऐसा नहीं कर सकता हां लेकिन इच्छा तो मेरी बहुत हो रही थी।

ईससे पहले से ही बहुत इच्छा हो रही थी या उस समय रात के समय बारिश के माहौल में और मुझे पेशाब करते हुए देखकर तेरी इच्छा होने लगी थी,,,।


सच कहूं तो पहले से ही ऐसी इच्छा होती थी लेकिन उस समय कार में तुम्हें अपनी साड़ी उठाकर पेशाब करते हुए देखकर मेरा लंड फड़फड़ाने लगा था। सच अगर मुझे पता होता कि, तुम मुझसे चुदवाने के लिए तैयार हो तो मैं जरूर तुम्हारी इजाजत लिएे बिना ही चोदना शुरू कर देता,,,, लेकिन क्या तुम भी पहले से ही तैयार थी या कार में ही तुम्हारे मन में यह ख्याल आया,,,,,

( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि इस तरह की बातों में उसे बेहद मजा आ रहा था और सफर भी अपने आप कटते चला जा रहा था। अपने बेटे के साथ इस तरह की खुली चर्चा करने में उसे बेहद उत्तेजना का अनुभव हो रहा था। वह भी खुले तौर पर अपने बेटे के सवाल का जवाब देते हुए बोली ।)

पहले तो मेरे मन में ऐसा कुछ भी नहीं था लेकिन धीरे-धीरे जब मैं तेरे पेंट में बना तेरा तंबू देखती तो ना जाने मुझे क्या होने लगता था। तेरे पेंट में बने तंबू को देखकर मुझे इतना तो यकीन हो गया था कि तेरा लंड बहुत दमदार है और तब से मेरी बुर में ना जाने कैसी हलचल सी मचने लगी थी,,,,

( शुभम बड़े गौर से और मजे लेकर अपनी मां की बात सुन रहा था इस तरह की गरम बातें सुनकर उसके लंड में जान आ रही थी उसके पेट में फिर से तंबू बनना शुरू हो गया था।)
मैं शुरु से ही अपने आप पर बहुत कंट्रोल करती आ रही थी लेकिन मुझे लगता नहीं था कि मैं ज्यादा दिन तक अपने आप पर कंट्रोल कर पाऊंगी क्योंकि वैसे भी मेरा तन बदन पहले से ही प्यासा था। मेरी बुर पहले से ही एक मोटे तगड़े लंड के लिए तड़प रही थी लेकिन मैं यह बात किसी से कह नहीं पा रही थी। लेकिन उस रात को हाइवे के किनारे और घने पेड़ के नीचे बरसती बारिश में मेरे सब्र का बाद एक दम से टूट गया था,,, मैं जानबूझकर तुझे उकसाने के लिए विंडो से अपनी बुर दिखाते हुए पेशाब कर रही थी। क्योंकि मैं जानती थी कि तुम मुझे जब पेशाब करते हो इतनी नजदीक से मेरी बुर देखेगा तो तेरा मन एकदम से चुदवासा हो जाएगा,,,, मैं चाहती तो कार के बाहर जाकर भी पेशाब कर सकती थीै लेकिन उस रात को ना जाने मुझे क्या हो गया था मैं चुदवाने के लिए एकदम से तड़प उठी थी।,,, और जब तू भी पेशाब करने के लिए विंडो से अपने नंगे खड़े लंड को बाहर निकाल दो पेशाब करने लगा दो कुछ गरम नजारे को देखकर मेरे सब्र का बांध एकदम से टूट गया। मैं उसी समय फैसला करने की आज की रात में तेरे लंड का स्वाद चख कर रहूंगी,,, मैं उस समय एकदम से भूल गई कि तू मेरा बेटा है और मैं तेरी मां हूं उस पल में मां बेटे के संबंध को पूरी तरह से अपने दिमाग से निकाल चुकी थी बस मेरे दिमाग में यही था कि तु एक जवान मर्द है जिसके पास बहुत ही मोटा तगड़ा औरतों को संतुष्टि प्रदान करने वाला लंड है। और मैं प्यासी औरत हूं जिसके पास मर्दों को अपने बस में करने के लिए उसकी रसीली बुर है,,, जो की बहुत प्यासी है और उसे एक दमदार तगड़े लंड की जरूरत है,,।बस फिर क्या था मैं तेरा लंड को पकड़कर अपनी बुर पर रख दी और तू भी मां बेटे के रिश्ते को पूरी तरह से भुलकर अपने लंड को मेरी बुर के अंदर उतारता चला गया।,,,

( निर्मला को इस तरह की बातें करने मैं बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और सुभम की हालत ख़राब हुए जा रही थी उसका लंड पूरी तरह से तैयार हो चुका था।,,, उत्तेजना के मारे शुभम का गला सूख रहा था वह थुक से अपने गले को गीला करते हुए और पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए बोला।)

लेकिन तुम्हें कैसे मालूम था कि मैं तुम्हें चोदने के लिए तैयार हो जाऊंगा,,,,,


बेटा अपनी मां को देखकर लंड खड़ा हो जाए,,, और वह अपनी मां को पेशाब करते हुए बड़े ही कामुक नजरों से देखता हो,, तो कैसे पता नहीं चलेगा कि वह इशारा मिलने पर अपनी मां को चोदेगा नहीं देखा था ना तूने जैसे ही मैं तेरे लंड को पकड़कर अपनी बुर पर रखी थी,,, तू बिना रुके एकदम सांड की तरह एक ही रफ्तार में किस तरह से मेरी बुर के अंदर अपने लंड को धड़ाधड़ अंदर-बाहर कर रहा था।

( इतना कहने के साथ ही निर्मला हंसने लगी और साथ में शुभम भी हंसने लगा,,,, दोनों को बहुत मजा आ रहा था सफर धीरे-धीरे करता चला जा रहा था दोपहर हो चुकी थी 3:00 बज रहा था अब दोनों को भूख भी लगना शुरू हो गई थी,,,।
हाइवे के किनारे ढेर सारे ढाबे बने हुए थे निर्मला उसी एक ढाबे पर अपनी कार खड़ी कर दी खाना तो वह साथ में लाई गई थी लेकिन फिर भी वह एक ढाबे में गई जहां पर कुछ फैमिली और कुछ सवारियां बैठकर भोजन कर रहे थे। शुभम और निर्मला दोनों कुर्सी पर बैठकर खाने को मंगाए और साथ में घर से लाया भोजन भी निकाल कर बैठ गए थोड़ी ही देर में खाना खाने के बाद,,,, निर्मला और शुभम वहीं रुक कर बाकी सवारियों के साथ आराम करने लगी क्योंकि लगातार निर्मला चार-पांच घंटे से कार चला रही थी उसकी कमर दुखने लगी थी करीब आधे घंटे तक आराम करने के बाद वह निकलने के लिए उठी,,,, वह पहले तो इधर उधर देख कर लेडीज बाथरूम देखने लगी लेकिन उधर पर ऐसा कुछ भी सुविधा नहीं था उसे जोरों की पेशाब लगी थी,,। तभी उसकी नजर कुछ औरतों पर पड़ी जो की ढाबे के पीछे की तरफ से आ रही थी और जा रही थी उसे यकीन हो गया कि वह औरते भी शौच करने के लिए ही ढाबे के पीछे जा रही हैं, तो वह भी धीरे से उठी और पीछे की तरफ जाने लगी तो वहां पर सच में औरतें पेशाब करने के लिए ही जा रही थी यह जानकर के चेहरे पर सुकून के भाव नजर आने लगे क्योंकि उसे बहुत जोरों से पेशाब लगी थी। अपनी मां को पीछे की तरफ जाते देखकर शुभम समझ गया कि वह पेशाब करने जा रही है उसे भी पेशाब लगी थी लेकिन उस साइड से नहीं जा सकता था क्योंकि वह औरतें ही आ जा रहे थे इसलिए वह ढाबे के दूसरे तरफ से पीछे की तरफ जाने लगा,,,,, निर्मला ढाबे के पीछे की तरफ जाते समय उसकी नजर थोड़ी ही दूर पर गई तो वहां पर कुछ आदमी बैठे हुए थे जोकि औरतों को ही पेशाब करते हुए देखकर आपस में हंसी ठिठोली कर रहे थे एक बार तो निर्मला के मन में हुआ कि वह उधर पेशाब करने ना जाए,,, लेकिन वह ज्यादा देर तक पेशाब को रोक भी नहीं सकती थी इसलिए उसे जाना ही पड़ा वह जानती थी कि उन मर्दों की निगाहें उसके ऊपर ही टिकी हुई है क्योंकि मर्दों की नजर हमेशा गोरी चमड़ी पर कुछ ज्यादा ही फीसलती है। लेकिन निर्मला इसमें बिलकुल मजबूर हो चुकी थी क्योंकि पेशाब की तीव्रता कुछ ज्यादा ही थी और उसे पेशाब करना बहुत जरूरी था वैसे मैं वह अपने मन को मजबूर करके झाड़ियों के बीच पेशाब करने जाने लगी,, कभी उसके करीब से एक औरत पेशाब करने के लिए जाते हुए निर्मला से बोली,,,

देख रही हो बहन इतना बड़ा डाटा खोल रखा है लेकिन औरतों के लिए पेशाब करने के लिए एक छोटा सा बाथरूम नहीं बनवा रखा है।,,,

बनवा दिया होता तो औरतो को पेशाब करते हुए कहा देख पाता, इसीलिए तो उसने बनवाया नहीं ताकि आराम से औरतों की गांड को देख कर मजा ले सकें,,,,( निर्मला भी उस औरत के सुर में सुर मिलाते हुए बोली लेकिन उस औरत की वजह से उसमें थोड़ी हिम्मत आ गई थी और वह दोनों झाड़ियों के बीच पेशाब करने के लिए आगे बढ़ चली,,, वहां पहुंचते ही उस औरत ने तुरंत अपनी साड़ी को ऊपर कमर तक उठाइ और पेसाब करने बैठ गई उसे भी बड़े जोरों से पेशाब लगी हुई थी,,, उसे देखकर निर्मला भी अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,, दूसरी तरफ बैठ कर औरतों के पेसाब करने के नजारे को देखकर मदमस्त हो रहे मर्दों की आंखें जब निर्मला की गोरी गोरी टांगों पर पड़ी तो उनके होश उड़ गए,,,, वह लोग टकटकी बांधे बस निर्मला को ही देखे जा रहे थे निर्मला यह जान रही थी कि वह लोग उसे ही देख रहे हैं लेकिन वह उन लोगों की तरफ नहीं देखना चाहती थी वरना उन लोगों को ऐसा लगता है कि वह जानबूझकर उन लोगों को अपनी गांड का दर्शन करा रही है।

इसलिए वह भी बेझिझक उस औरत की तरह अपनी सारी को कमर तक उठा ली और पेंटी को जांघो तक. नीचे कर दी,,, और तुरंत नीचे बैठ कर पेशाब करने लगी उन मर्दों की तो होश ऊड़ गएे जब उन लोगों की नजर निर्मला की बड़ी-बड़ी और गोरी गांडशपर पड़ी,,, सभी के लंड एक साथ खड़े हो गए थे, इतनी ज्यादा उत्तेजना का असर ऊन लोगों में होना लाजिमी था,, क्योंकि उन लोगों ने अभी तक इतनी खूबसूरत औरत ना तो देखी थी और ना ही इतनी खूबसूरत औरत की नंगी गांड का कभी दर्शन किए थे। ऐसी खूबसूरत गांड को देखते देखते उन लोगों का पानी निकल जाने का डर बना हुआ था,,,, उनमें से ही एक ने अपने लंड को मसलते हुए बोली,,,

यार कसम से मैंने तो अपनी जिंदगी में ऐसी खूबसूरत औरत नहीं देखी और ना ही इतनी खूबसूरत गांड देखि है मेरे लंड का तो बुरा हाल हो गया है।,,,,,



तेरा ही नहीं हम लोगों का भी यही हाल हो रहा है कसम से ऐसी औरत मिल जाए तो,, रात भर इसकी बुर में लंड डालकर पड़े रहे,,,,

( निर्मला की मस्त मस्त गांड के दर्शन करके यह लोग मस्त हुए जा रहे थे और आपस में ख्याली पुलाव पका रहे थे दूसरी तरफ से शुभम झाड़ियों के पास पहुंच गया था और जल्दी से अपने लंड को बाहर निकालकर मुतना शुरू कर दिया था उन औरतों से करीब 2 मीटर की दूरी पर खड़ा होकर वह पेशाब कर रहा था जहां से निर्मला के बगल में बैठ कर पेशाब कर रही औरत की नजर उस पर पड़ गई,, उस औरत की नजर सीधे शुभम के खड़े लंबे झूलते हुए लंड पर ही पड़ी और उसके मोटे-ताजे लंड को देखकर वह दांतो तले उंगली दबा ली,,, और ना चाहते हुए भी आखिरकार उसके मुंह से निकल ही गया,,,

बाप रे बाप इंसान का हा या गधे का,,, जिस औरत की बुर में जाएगा उसके तो परखच्चे उड़ा देगा,,,

उस औरत की बात सुन रही निर्मला एकदम से सकपका गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या कहे जा रही है। जब वह अभी नजरें उठाकर चकर पकऱ देखने लगी तो,, करीब 2 मीटर की दूरी पर झाड़ियों के बीच खड़ा शुभम उसे नजर आ गया जोकि पेशाब कर रहा था निर्मला की भी नजर उसके झुलते लंड पर पड़ी तो वह समझ गई कि सारा मामला क्या है। अपने बेटे के हथियार की तारीफ दूसरी औरत के मुंह से सुनकर वह मन ही मन खुश होने लगी।

थोड़ी ही देर बाद शुभम निर्मला अपनी कार में आकर बैठ गए थे और निर्मला कार को फिर से हाईवे पर दौड़ाने लगी थी।


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 04-01-2020, 03:04 PM

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