RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला चाय बना कर ले आई और अपने हाथों से सबको चाय का कप थम आने लगी रीता की नजर निर्मला की खूबसूरती पर ही टिकी हुई थी। उसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि रूप और खूबसूरती से भरा हुआ खजाने का पिटारा अशोक के पास था फिर भी वह उसके साथ क्यों शारीरिक संबंध बनाते आ रहा था यह बात उस को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही थी हालांकि यह बात जरूर थी कि अशोक के बताए अनुसार निर्मला पूरी तरह से एक ठंडी औरत थी लेकिन जिस तरह से वह निर्मला की खूबसूरती और उसकी बदन के बनावट को उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और भरावदार गांड के उभार को देख रही थी,,,, इससे उसे बिल्कुल भी ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था कि, निर्मला कहीं से भी ठंडी औरत है उसके अंदर वैसे ही जवानी की चिंगारी भड़क रही थी। और निर्मला के जवानी किए चिंगारी मर्दों के बदन में आग लगाने के लिए काफी थी।,,, रीता की टकटकी बंधी आंखों को देख कर शुभम समझ गया कि वह भी उसकी मां की खूबसूरती से पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी है यह देखकर वह मन ही मन खुश हो रहा था जब एक औरत एक औरत की खूबसूरती देखकर इस कदर आकर्षित हो सकती है तो उस औरत की खूबसूरती के आगे किसी भी मर्द की क्या विषाद थी की निर्मला की खूबसूरती के आगे घुटने टेक कर उसका गुलाम ना बन जाए। और ऐसी खूबसूरत औरत का गुलाम बनने के लिए तो दुनिया का हर मर्द तैयार रहता है। खैर ईस समय रीता की गर्म बातों ने शुभम के बदन में खलबली मचाई हुई थी। जिस तरह से वहां उसके बाप के सामने ही शुभम को उसकी मां के साथ संबंध बनाने के लिए उकसा रही थी यह देखकर शुभम की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई थी क्योंकि यह बात उसके पापा के कानों में जरूर पड़ रही थी लेकिन वह इस समय कुछ भी बोल सकने की हालत में बिल्कुल भी नहीं थे। और इसी हालात का तो शुभम पूरी तरह से फायदा उठाने के लिए ही अपने बाप का साथ दे रहा था ताकि वक्त आने पर वह अपने बाप के सामने खड़ा हो सके क्योंकि उसे इस बात का अंदाजा तो था ही कि एक ना एक दिन उसके और उसकी मां के बीच के संबंध के बारे में उसके पापा को जरूर पता चल जाएगा लेकिन उस दिन के तूफान से पहले वह अपनी कश्ती को मजबूत कर लेना चाहता था। क्योंकि जवानी के समंदर में समुंदर के रुख को जाने बगैर उतरना बेवकूफी होती है। और शुभम ऐसी बेवकूफी नहीं करना चाहता था। वह मन ही मन इस बात से और ज्यादा खुश नजर आ रहा था कि उसका बाप पूरी तरह से उसके कब्जे में आ चुका था क्योंकि उसके बाप की नजर में तो वह ऊसके राज को उसकी मां से छिपाकर,,, एक अच्छा बेटा होने का फर्ज निभा रहा था लेकिन अशोक इस बात से बिल्कुल अनजान था कि शुभम उसकी मदद उसके राज को वह अपने मतलब के लिए छुपा रहा था।,,,
चाय नाश्ता करने के बात अशोक को ऑफिस के काम के लिए शाम को मिलने के लिए बोल कर वह दरवाजे की तरफ जाने लगी तो निर्मला औपचारिक रूप से उसे दरवाजे तक छोड़ने गई,,,, और जाते-जाते निर्मला की खूबसूरती की तारीफ करती गई,,,, एक औरत के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर निर्मला को भी काफी अच्छा महसूस हो रहा था।
अशोक निराला की गहराई में शुभम को धन्यवाद किया क्योंकि जो काम शुभम ने उसके लिए किया था शायद दूसरा बेटा होता तो ऐसा कभी नहीं करता। अशोक अपने बेटे से काफी खुश था इसलिए गांव जाने के लिए उसे जेब खर्च के तौर पर ₹5000 अपने पास रखने के लिए दे दिया ताकि वह खर्च कर सके इतनी ज्यादा रकम उसने पहली बार जेब खर्च के लिए लिया था लिया क्या था बिना मांगे ही मिल गया था इसलिए वह भी बहुत खुश था।।
गांव जाने के लिए शुभम और निर्मला तैयार हो चुके थे,,। कार से जाना था इसलिए निर्मला ने,,, खाने पीने का सामान पैक कर के गाड़ी में रख ली थी निर्मला फूलों वाली साड़ी पहनी थी जिसमें उसका बदन फूल की तरह महक उठा रहा था।
ब्लाउज में कैद बड़ी बड़ी चूचियां बाहर आने के लिए गदर मचा रही थी वह तों बड़ी मुश्किल से निर्मला ने ब्लाऊज के बटन लगा कर उन्हें ब्लाउज के अंदर ठुंस रखी थी। निर्मला को तैयार हुआ देखकर शुभम का नंबर ठुनकने लगा,,, निर्मला आगे आगे चल रही थी और सुभम पीछे पीछे शुभम की नज़र तों अपनी मां की मदमस्त मटकती हुई गांड पर ही टिकी हुई थी, अपनी मां की मटकती हुई गांड को देख कर शुभम का मन उसे चोदने को कर रहा था। लेकिन वह अपने आप पर कंट्रोल किए हुए था क्योंकि ऊन दोनों को निकलना था। घर के बाहर आकर हमें मिला घर के दरवाजे को लॉक करने लगी तो,, शुभम अपनी मां की गांड पर एक चपत लगाते हुए बोला,,,
मम्मी तुम तुम आज बहुत खूबसूरत लग रही हो एकदम माल लग रही हो,,,,
तो ईससे पहले खूबसूरत नहीं लग रही थी क्या,,( दरवाजे पर ताला लगाते हुए बोली)
नहीं ऐसा नहीं है खूबसूरत तो तुम हमेशा ही लगती हो लेकिन आज कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रही हो,,,,
चल अब बातें मत बनाओ हमें जल्दी निकलना है शाम तक हमें अपने गांव पहुंच जाना है कहीं बातों में उलझ गए तो यही देर हो जाएंगी,, ( अपने बेटे की बात सुन कर मुस्कुराते हुए बोली,, अभी सुबह के 6:00 ही बज रहे थे और निर्मला शुभम के साथ अपने गांव के लिए निकल रही थी क्योंकि उसे मालूम था कि तकरीबन 12 14 घंटे का रास्ता है और अगर वह सुबह जल्दी नहीं निकलेगी तो काफी रात हो जाएगी और गांव का मामला होने से मुश्किल भी लग रहा था इसलिए वह जल्दी निकल रही थी। और वैसे भी निर्मला कम स्पीड में और संभाल कर गाड़ी चलाती थी इसलिए उन लोगों का जल्दी निकलना भी बहुत जरूरी था। अशोक यह जानते हुए भी कि उसके बीवी और बच्चे गांव जा रहे हैं लेकिन फिर भी वह घर पर नहीं आया था। क्योंकि घर की चाबी एक अशोक के पास ही होती थी। गाड़ी में बैठते बैठते शुभम बोला,,
सच मम्मी तुम आज बेहद हॉट लग रही हो मन तो कर रहा है कि कार में ही तुम्हारी चुदाई कर दूं।,,,,,
धत्,,,,, बदमाश,,,,( ऐसा कहते हुए निर्मला भी ड्राइवर सीट पर बैठ गई और गाड़ी स्टार्ट करके गैर बदलकर अपने नाजुक पैरों से एक्सीलेटर दबा दी गाड़ी का पहिया रफ्तार पकड़ने लगा,,, शुभम बार-बार मुस्कुराकर अपनी मां की तरफ ही देखे जा रहा था उसे इस तरह से अपनी तरफ देखकर निर्मला को थोड़ा शर्म सी महसूस होने लगी और वह बोली,,,,।
ऐसी क्या देख रहा है ऐसा लग रहा है कि आज मुझे पहली बार देख रहा है।
मम्मी तुम्हें चाहे जितनी बार देखो ऐसा लगता है कि पहली बार ही देख रहा हुं।,,,
तुझे अब बहुत बातें आने लगी है पहले तो काफी खामोश रहता था लेकिन अब तो बस टपर टपर बस बोलता ही जाता है।
क्या करूं मम्मी तुम्हारी संगत ने मुझे ऐसा कर दिया है।,,,
मेरी संगत तुझे खराब लग रही है क्या,,,( स्टीयरिंग को संभालते हुए)
ऐसी संगत तो मुझे जिंदगी में नहीं मिलने वाली,,,,,
( अपनी बेटे की बात सुनकर निर्मला मुस्कुरा दी,,, कुछ ही देर में निर्मला की कार मुख्य हाईवे पर दौड़ने लगी,,,,, निर्मला की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी क्योंकि वह गांव में खासकर के खेतों में अपने बेटे से चुदवाना चाहती थी,,,, क्योंकि खेतों से उसकी कुछ यादें जुड़ी हुई थी जब वह गांव में रहकर पढ़ाई करती थी तब उसकी सहेलियां जो कि काफी खुली हुई थी निर्मला से वह लोग अपनी अतरंग बातें भी बता दिया करती थी। आने से काफी सहेलियों ने अपने बॉयफ्रेंड के साथ खेतों में चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे शौच जाने के बहाने अपने बॉयफ्रेंड से चुदवाने का आनंद ले चुकी थी और यह बात जब वह लड़कियां निर्मला से बताती तो अनजाने में ही उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगती। उसके मन में भी इस बात को लेकर बेहद उत्सुकता मच जाती थी लेकिन वह अपने मन की बात किसी से कह नहीं पाती थी बस कुछ पल के लिए ही उसके मन में खेतों में चुदवाने की उत्सुकता बनी रहती थी इसके बाद वह खुद भूल जाती थी सब कुछ क्योंकि वह ज्यादातर पढ़ाई मे हीं ध्यान देती थी,,,, लेकिन वह मैंने सोचती थी कि जब उसकी शादी होगी तो वह किसी न किसी बहाने अपने पति से खेतों में जरूर जरूर चुदवाएगी लेकिन उसकी शादी शहर में हो गई,,, और अपने संस्कार की वजह से वह अपने पति से अपने मन की बात बता भी नहीं पाई लेकिन आज जाकर उसका सपना ऐसा लगने लगा था कि पूरा होगा,,,, और वह भी इस सपने को वह अपने बेटे के लंड से चुदवा कर पूरा करेंगी। निर्मला मन ही मन में यह सब सोचकर बेहद प्रसन्न हो रही थी,,,, उसको इस तरह से मुस्कुराते देखकर शुभम बोला,,,
क्या बात है मम्मी तुम बहुत खुश नजर आ रही हो,,,
सारी खुशी की बात तो है यही आज कितने बरसों के बाद में अपने गांव जा रही हुं। क्या तू खुश नहीं हो?
मैं भी बहुत खुश हूं मम्मी लेकिन मैं इसलिए भी खुश हूं कि मैं तुम्हें गांव में खेतों के बीच चोदना चाहता हूं। मैं महसूस करना चाहता हूं कि, खुले आसमान के नीचे खेतों के बीच में चुदाई करने में कैसा मजा आता है।,,
( निर्मला के मन में जो चल रहा था वही बात वह अपने बेटे के मुंह से सुनकर एकदम रोमांचित हो उठी रोमांचित होते हुए बोली)
बहुत मजा आएगा बेटा,,,
क्या मम्मी तुम पहले भी खेतों में चुदवा चुकी हो,,?
सच कहूं तो बिल्कुल नहीं( स्टेरिंग घुमाते हुए) लेकिन मेरे मन में बरसों से यह बात कभी हुई है कि मैं भी खेतों में चुदवाऊं
सच मम्मी,,,,
हां शुभम यह सब तो सोच-सोच कर मेरा तन बदन कसमसा जा रहा है।,,,,,,
( अपनी मां की यह बात सुनकर शुभम की नजर निर्मला की बड़ी बड़ी छातियों पर चली गई जिस परसे से साड़ी धीरे धीरे नीचे सरक रही थी। शुभम तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मा की चूची दबाते हुए बोली,,,
हां मम्मी सच में ऐसा लग रहा है कि तुम्हारी दोनों लंड लेने के लिए तड़प रही है।
(। शुभम के द्वारा इस तरह के चूची पकड़ने की वजह से निर्मला के बदन में गुदगुदी होने लगी,,, और वह हंसते हुए बोली।)
शुभम हाथ हटा ले मेरा ध्यान भटक जाएगा,,,,
और जो इस तरह से मेरा ध्यान भटका रही हो ऊसका क्या?
अब मैं क्या कर रही हुं।
अपनी साड़ी का पल्लू क्यों नीचे गिरा रही हो?
अरे तू पागल हो गया है क्या मैं गिरा रही हूं कि अपने आप खुद ही हवा से नीचे सरक रहा है।
नहीं तुम ही गिरा रही हो,,,,
भला मैं क्यों गिराऊंगी अपना पल्लू,,,
अपनी चूची दिखाने के लिए,,,,
हां,,,,, हांंं ऐसा लग रहा है कि तूने जैसी मेरी चूची देखा ही नहीं है।
देखा हूं लेकिन इस समय तुम. मुझे जानबूझकर अपनी चूची दिखा कर ऊकसाना चाहती हो,,,, ( शुभम लगातार ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चूची दबाते हुए बोला,,,)
अरे मैं तुझे क्यों अपनी चूची दिखाऊंगी और वह भी कार में,, और वैसे भी कौन सा ब्लाउज का बटन खुला हुआ है जो तुझे मेरी चूची नजर आ रही है।( स्टीयरिंग संभालते हुए)
अरे बटन खुला हुआ नहीं है तो क्या हुआ ब्लाउज पहनने के बाद भी तो तुम्हारी आधी से ज्यादा चुची बाहर को ही नजर आती है। और देखो तो सही (ब्लाउज के ऊपर से चूची को दबाते हुए) मेरे इस तरह से दबाने से तुम्हारी चूची को साइज भी बढ़ने लगा है। तुम मुझसे उस दिन कि तरह फिर से लगता है कि कार मे चुदवाना चाहती हो,,,
धत्त,,, पागल मुझे ठीक से गाड़ी चलाने दे,,,,( निर्मला शुभम को बार-बार हाथ हटाने के लिए बोल रही थी लेकिन खुद उसका हाथ नहीं हटा रही थी क्योंकि उसे भी बेहद मजा आ रहा था।)
पागल नहीं मैं सच कह रहा हूं और मैं गारंटी के साथ कह सकता हूं कि तुम्हारी बुर ईस समय पानी छोड़ रही है तुम्हारी पैंटी भी गीली हो रही होगी,,,,।
शुभम तु मुझे गाड़ी चलाने दे वरना मेरा ध्यान इधर उधर हो गया तो गाड़ी टकरा जाएगी,,,,,
कुछ नहीं होगा मम्मी तुम आराम से चलाओ,,, कहों तोे मै तुम्हारी साड़ी उठाकर देख लु की तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही है या नहीं अभी दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा,,
( अपने बेटे की ऐसी चीज और उसकी बातें सुनकर वह जोर से हंसने लगी कि तभी उसकी नजर हाइवे के किनारे उसी पेड़ के ऊपर गई जिस पेड़ के नीचे उस रात को शुभम के साथ निर्मला ने अपनी सारी मर्यादा को तोड़ दी थी उस पर नजर पड़ते ही उसके बदन में रोमांच की लहर दौडने़ लगी,, और वह झट से बोली,,,
शुभम वह देख वह वही पेड़ है जिसके नीचे कार के अंदर हम दोनों ने रात गुजारी थी,,,
( शुभम अपनी मां की बात सुनते ही उस तरफ देखने लगा)
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