RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
दूसरी तरफ शुभम शीतल की क्लास के अगल-बगल चक्कर लगा रहा था। वह बार-बार आते जाते क्लास के अंदर झांक ले रहा था क्योंकि क्लास के अंदर शीतल मैडम के साथ कोई औरत बैठी हुई थी,,,, शीतल भी बार-बार क्लास के बाहर चक्कर काट रहे हैं शुभम को देख ले रही थी। क्लास में उससे बातें कर रही उस औरत के बारे में सोच-सोच कर शीतल का मन कसमसा जा रहा था वह उसे भगा देना चाह रही थी,,,
लेकिन वह एक टीचर थी इसलिए ऐसा करना उसे शोभा नहीं दे रहा था फिर भी वह किसी तरह से उसे समझा-बुझाकर बाद में आने के लिए बोल दी और वह औरत चली गई, जैसे ही क्लास के बाहर वह औरत निकली का रास्ता देख रहा सुभम झट से क्लास के अंदर दाखिल हो गया,,,, क्लास में आया देखकर शीतल बहुत खुश हो गई लेकिन अगले ही पल उसे याद आ गया कि वह कुछ दिनों के लिए गांव जा रहा है इसलिए उसके चेहरे पर फिर से उदासी के बादल छाने लगे,,,
जब से शुभम के लिए उसके मन में आकर्षण पैदा हुआ था तब से शीतल और भी ज्यादा बन ठनकर स्कुल आने लगी थी। लेडीज परफ्यूम की खुशबू से पूरी क्लास महक रही थी,,
और शीतल के बदन से आ रही भीनी भीनी मादक खुशबू की वजह से शुभम के तन बदन में,,, उन्मादकता का एहसास भर जा रहा था। इस बार शुभम ने ही हल्के से दरवाजे को थोड़ा सा बंद कर दिया था और शीतल शुभम की इस हरकत को देखकर अंदर तक उत्तेजना का अनुभव करने लगे,,,, एक अजीब सी उत्तेजना का एहसास उसके तन बदन अपनी आगोश में भर लिया था उसे ऐसा महसूस होने लगा कि जैसे उसके बेटे की उम्र का लड़का उसके कमरे में आकर के दरवाजे की कुंडी लगा रहा है और वह भी सिर्फ इसलिए ताकि वह उसे आराम से चोद सकें और शीतल भी अपने बेटे संमान उस लड़के को अपना तनबदन संपूर्ण रूप से उसे सौंपने के
सब कुछ जानते हुए भी शुभम अनजान बनते हुए बोला,,,
मैडम आपने मुझे बुलाई थी,,
फिर मैडम शुभम मैंने तुम्हें कितनी बार कहीं होगी तुम मुझे अकेले में शीतल ही बुलाया करो लेकिन ऐसा लगता है कि तुम मुझे अपना नहीं समझते,,,,
नहीं मैम,,,
देखो फिर मैम अब तो ऐसा ही लगने लगा है कि तुम मेरी बातों को और मुझे कुछ नहीं समझते,,,,
सॉरी सॉरी,,,,,,,शीतल,,,,,,
हां,,,,, ऐसी बुलाया करो मुझे,,,, नाम लेकर, जब तुम मुझे नाम लेकर बुलाते हो तो ऐसा लगता है कि कोई अपना मुझे बुला रहा है,,,। नाम लेने से अपनापन महसूस होता है लेकिन तुम तो मुझे शायद अपना समझते ही नहीं हो,,,,,। ( इतना कहते हुए शीतल दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई वह यह जताना चाहती थी कि वह शुभम से नाराज है,,,। जैसे ही क्लास में शुभम प्रवेश किया था वैसे ही उसकी नजर सीधे सीकर के खूबसूरत भरावदार बदन पर ही घूम रही थी, इस समय पीतल की पीतल की तरफ होने की वजह से शुभम की नजरें उसकी मखमली चिकनी पीठ से होते हुए उसके कमर के नीचे भरावंदार ऊठे हुए नितंबों पर टिकी हुई थी,,, और शुभम उसके नितंबों को प्यासी नज़रों से घूर रहा था शुभम उसकी बातों का जवाब देते हुए बोला,,।)
नहीं शीतल ऐसी कोई भी बात नहीं है मैं आपकी इज्जत करता हूं तभी तो आपके कहने से मैं चला आता हूं।
चले तो आते हो लेकिन मुझे हमेशा प्यासी छोड़ कर चले जाते हो,,,
मैं कुछ समझा नहीं,,,,
इसमें समझने वाली कौन सी बात है उस दिन तुम्हें तुम्हें साफ-साफ बता चुकी हूं,। की जिस दिन से अनजाने में मैंने तुम्हारे लंड को पेंट के ऊपर से इस पर की थी तब से मेरे तन बदन में ना जाने कैसी हलचल सी मची हुई है।
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