RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
हेलो मम्मी कैसी हैं आप,,,
बस बेटा मैं तो एकदम ठीक हूं तू कैसी है,,,
मैं भी ठीक हूं,,,
( तभीे केवल टावल लपेटकर शुभम बाथरुम से बाहर आ गया,, बाथरुम से बाहर आकर वह गैलरी में आया तो उसकी नजर सीधे सिढ़ीयों के पास खड़ी होकर बात कर रही निर्मला पर पड़ी,,,,, खुले खुले बाल और बालों से टपक रहे पानी की वजह से गीली हो चुकी उसके ब्लाउज मे से साफ साफ नजर आ रही काली रंग की ब्रा की काली पट्टी नजर आ रही थी जो कि गोरे बदन पर और भी ज्यादा जच रही थी,,,, शुभम की नजर निर्मला के बदन पर ऊपर से नीचे की तरफ बराबर घूम रही थी,,, खास करके शुभम अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को घूर रहा था जिसमें कि बेहद थिऱकन हो रही थी। शुभम से रहा नहीं गया और वह अपने कमरे में जाने की वजाय सीढ़ियों से नीचे उतर कर सीधे अपनी मां के करीब पहुंच गया जोकि फोन पर अपनी मां से बातें कर रही थी,,,,
और जाते ही शुभम पीछे से अपनी मां को अपनी बाहों में भर लिया एक तो पहले से ही अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देखकर उसका लंड खड़ा होने लगा था जो कि इस तरह से उसे अपनी बाहों में भरने की वजह से उसका लंड पूरी तरह से टनटना कर खड़ा हो गया,,, इस तरह से एकाएक शुभम के द्वारा बाहों में भरने की वजह से निर्मला चौंक उठी,,,, औरत के मुंह से आउच निकल गया,,,, तभी सामने से उसकी मां बोली,,,,
क्या हुआ बेटी ईस तरह से चौकी क्यों?,,,
कककक,,, कुछ नहीं मम्मी चूहा आ गया था,,,, ( तब तक शुभम अपनी मां की गर्दन को चूमने लगा,,,,)
और बता मम्मी क्या हाल है घर में सब ठीक है ना,,,।
अरे सब ठीक है यहां सब मजे में है,,,,
और पापा,,,
तेरे पापा भी बिल्कुल ठीक है,,, तू बता सब कुछ ठीक है ना दामाद जी कैसे हैं,,,
दामाद जी भी ठीक है ऑफिस गए हैं,,,,।( तभी सुभम उत्तेजित होने लगा,,, वह अपनी मां की गोरी गर्दन को चोदते चोदते अपने दोनों हाथ को आगे की तरफ लाकर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबोच लिया वह उत्तेजना में इतनी जोर से चुचियों को मसला था कि निर्मला के मुंह से फिर से आह निकल गई,,,।)
आहहहहह,,,,
क्या हुआ बेटी तू चीख क्यों रही है,,,,
कुछ नहीं मम्मी वही चुहा है बार-बार परेशान कर रहा है,,,,
यह चूहा भी ना ठीक से हम दोनों को बात भी नहीं करने दे रहा है,,, अच्छा अपना शुभम कैसा है बहुत ही सुंदर लड़का है मेरा तो मन करता है कि उसे अपने पास बुला लूं,,,,
अरे मम्मी अब वह बच्चा थोड़ी रहा,,, वह बड़ा हो गया है,,,तुम
नहीं जानती कितना शरारत करता है,,,। अब तो बड़ा परेशान करने लगा है,। ( शुभम की हरकतें बढ़ती जा रही थी वहां ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को दबाते दबाते धीरे-धीरे ब्लाउज के बटन भी खोल दिया,,,, निर्मला कोभी शुभम कि इस तरह की हरकत में बेहद आनंद मिल रहा था वरना उसे वह कब से रोक दी होती,,, शुभम जल्दी से ब्रा की स्ट्रेप को पकड़कर उपर की तरफ कर दिया और अपनी मां की नंगी चूचियों को हथेली में भर भर कर मसलने लगा,,,।)
क्यों परेशान करने लगा है उसे रोका कर,,,,
अरे मम्मी तुम नहीं समझोगी अब वह जवान हो गया है,,, उसे कितना भी रोकने की कोशिश करो वह नहीं रुकता और अपनी मनमानी करके ही रहता है,,,। ( शुभम अपनी हरकतों की वजह से निर्मला के बदन मेभी कामाग्नि को भड़काने लगा,,, वह चूचियों को मसलते मसलते एक हाथ नीचे की तरफ ले जा कर के साड़ी को ऊपर की तरफ सरकाने लगा,,,
निर्मला उसे रोकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसकी हरकत की वजह से उसकी बुर में खुजली होने लगी थी,,, और वैसे भी आज रविवार का दिन था घर पर शुभम और उसके सिवा कोई नहीं था इसलिए वह शुभम को वह जो करता था उसे करने दे रही थी और साथ में खुद भी मजे ले रही थी,,,।)
क्या सच में निर्मला वह इतना शरारती हो गया,,है।
अब क्या बताऊं मम्मी बहुत शरारत करने लगा है पहले तो मान भी जाता था लेकिन अब तो बिल्कुल नहीं मानता,,, ना तो मुझे दिन में आराम मिलता है और ना ही रातों को चैन मिलता है इतना ज्यादा परेशान करने लगा है।
बेटा आप कर भी क्या सकते हैं इकलौता लाड़ला जो है,,,
( तभी शुभम उत्तेजना की वजह से साड़ी को पूरी तरह से कमर तक चढ़ाकर,,, पेंटिं को साईड में करके अपने एक ऊंगली को बुर के अंदर डाल दिया,,,,)
आहहहहहह,,,,,,, ( निर्मला के मुख से फीर से चीख निकल गई,,,।)
अब क्या हुआ बेटी,,,,
क्या बताऊं मम्मी ऐसा लगता है कि मैं चूहा भी शुभम से मिला हुआ है बार-बार परेशान कर रहा है,,,,।( शुभम के साथ-साथ निर्मला भी पूरी तरह से उत्तेजित होने लगी थी क्योंकि शुभम जी और जोर से अपनी उंगली को बुऱ के अंदर बाहर कर रहा था,,,, और साथ में अपने खड़े लंड को साड़ी के ऊपर से ही गांड की दरार में धंसा रहा था। निर्मला पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसे बहुत मजा आ रहा था खास करके ऐसी अवस्था में अपनी मां से बात करने में उसे अजीब प्रकार की सुख की अनुभूति हो रही थी,,,,। तभी शुभम अपना टावल भी निकाल फेंका और पूरी तरह से नंगा हो गया,,, नंगे लंड को शुभम साड़ी को और ऊपर की तरफ उठा कर ऊसकी मदमस्त गोरी गांड पर रगड़ने लगा,,, नंगे लंड की रबड़ को अपनी नंगी गांड पर महसुस करके निर्मला पीछे की तरफ देखने लगी,,, निर्मला की नजर अपने बेटे के खड़े लंबे लंड पर अटकसी गई तभी सामने से उसकी मां बोली,,।)
बेटा इतना परेशान कर रहा है तो उसे पकड़ क्यों नहीं लेती,,,
क्या करूं मम्मी मेरी हिम्मत नहीं हो रही है यह चूहा कुछ ज्यादा ही बड़ा है,,,,।( निर्मला मुस्कुराते हुए अपने बेटे के लंड की तरफ देखते हुए बोली,,,।,,, शुभम लगातार अपनी मां की बुर को अपनी उंगली से पेल रहा था,,) क्या करूं मुझे डर भी लग रहा है क्योंकि इधर-उधर काट ले रहा है,,,।
तो हिम्मत करके पकड़ ले बेटा वरना ज्यादा परेशान करेगा,,,
तुम कहती हो तो मम्मी मैं ट्राय करती हूं,,,,।( इतना कहने के साथ ही निर्मला अपना एक हाथ पीछे की तरफ ले जा कर के अपने बेटे के लंड को पकड़ी थी की तभी उसकी गर्माहट महसूस करते ही उसे झट से छोड़ दी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी गरमा गरम साइलेंसर को छु ली हो,,,)
आऊच्च,,,,,
अब क्या हुआ?
बड़ा चुहा है मम्मी काटने दौड़ता है,,,।
अरे तू कैसी औरत है कितनी हड्डी करती हो कर के एक छोटे से चूहे से डरती है,,,
मम्मी दूर रहकर बातें करने से कुछ नहीं होता अगर आप इधर होती तो आप भी ऊसे नहीं पकड़ पाती इतना बड़ा चूहा, है ।
( शुभम उत्तेजना के परम शिखर तक पहुंच गया था और साथ ही उस शिखर पर अपनी मां को भी लिए जा रहा था दोनों की हालत खराब हुए जा रही थी,,, निर्मला का मन ललच अपने बेटे के लंड को पकड़ने के लिए,,,, इसलिए वह फिर से अपने हाथ को पीछे ले जाकर एक बार फीर से अपने बेटे के लंड को पकड़ लि और उसे आगे पीछे करते हुए मुट्ठीयाने लगी,,,, और उसे मुट्ठीयाते हुए बोली,,,।)
पकड ल़ी हूं मम्मी,,,
सच बेटा,,,
हां मम्मी बड़ी मुश्किल से पकड़ी हूं,,,
देखना बेटा संभाल कर पकड़ना कहीं तुझे काट ना ले,,
मम्मी काटने की तो बहुत कोशिश कर रहा है लेकिन मैंने इसका मुंह अपनी हथेली में दबोच रखी हूं,,,,
बहुत अच्छे बेटा ऐसे ही पकड़े रहना,,,,
( निर्मला फोन पर अपनी मां से बातें करते हुए अपने बेटे के लंड को पकड़कर और भी ज्यादा गर्मा गई थी,,, ऊसे भी चुदने की खुजली मची हुई थी,,,, दोनों के बदन में कामाग्नि की तपिश बराबर तप रही थी,,, शुभम पूरी तरह से तैयार था अपनी मां को चोदने के लिए और निर्मला भी पूरी तरह से अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर चुदने के लिए तैयार थी,,,, शुभम अपनी मां को इशारा करके झुकने के लिए कह रहा था ताकी वह अपनी मां को पीछे से चोद सके,,, लेकिन निर्मला झुकने की बजाए फोन पर बात करते हुए बोली,,,
रुको मम्मी मैं इसे छोड़ आऊं वरना फिर से परेशान करेगा,,,
हां-बेटी तू जा जल्दी से छोड़ कर आ,,,,,
( निर्मला को आज बेहद उत्तेजना का अनुभव हो रहा था मां अपने बेटे के लंड को पकड़े हुए ही सीढ़ीयो की तरफ आगे बढ़ी,, शुभम को समझ पाता इससे पहले ही सीढ़ियों पर बैठकर पीछे की तरफ लेट गई,,, और अपनी दोनों टांगो को फैला कर अपने बेटे के लंड को पकड़े हुए उसके सुपाड़े को अपनी बुर के मुहाने पर रख दी,,, और अपने बेटे को हाथ से इशारा करते हुए लंड को बुर में डालने के लिए बोली,,,, शुभम एक पल भी गवाए बिना अपनी कमर का दबाव बुर की तरफ बढ़ाने लगा और देखते ही देखते उसका पूरा समुचा लंड बुर में उतर गया,,, जैसे ही उसने देखी थी शुभम का पूरा लंड ऊसकी बुर में समा गया है,,, वह फिर से फोन को कान पर लगाते हुए बोली,,,
बोलो मम्मी,,,,( उत्तेजना की वजह से उसकी आवाज में थोड़ी थरथराहट थी।)
छोड़ दी बेटा,,,
हां मम्मी मैंने उसे इसकी बिल में छोड़ दी,,,
आराम से चला गया ना,,,
हां मम्मी अपने काम से चला गया आखिरकार बिल भी तो उसी ने बनाया था इसलिए तो उसे जाने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हुई,,,,
चलो अच्छा हुआ कि तूने ऊसे रास्ता दिखा दी वरना और ज्यादा परेशान करता,, ।
हां मम्मी खुद भी परेशान हो रहा था और मुझे भी परेशान कर रहा था,,,,( तब तक शुभम अपनी मां की बुर में लंड को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से निर्मला की सांसे उखड़ने लगी थी,,, निर्मला लंबी लंबी सांसे भरने लगी और उसकी गहरी सांसों की आवाज सुनकर उसकी मां बोली,,,,।)
क्या हुआ बेटा तुम इतना हाफ क्यों रही है।
कुछ मम्मी और क्या है थोड़ा जल्दी-जल्दी गई थी ना इसलिए आने जाने में सांस चढ़ गई।
तो इतनी जल्दी भी क्या थी आराम से उसे छोड़ दी होती,,,
अरे मम्मी मैं तो आराम से ले जा रही थी लेकिन वह चूहा जल्दबाजी में था अगर जल्दी नहीं करती तो ना जाने कहां का कहां घुस जाता,,,
( शुभम को अपनी मां की दो अर्थ वाली भाषा को सुनकर बहुत ही आनंद आ रहा था,,,, और अपनी मां की बात सुनकर वह और भी ज्यादा उत्तेजित होकर के जोर जोर से धक्के लगा रहा था जिसकी वजह से निर्मला की सिसकारी छूट जा रही थी और वह बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू करके उस सिसकारी की आवाज को दबाए हुए थी,,, लेकिन तभी शुभम ने इतनी तीव्र गति से अपने लंड ऊसकी बुर के अंदर बाहर करना शुरू किया कि कितना भी दबाने के बावजूद भी उसके मुंह से सिसकारी की आवाज निकल ही गई,,,,
सससहहहहहह आहहहहहहह,,,,,,
यह केसी आवाज़ थी बेटा तुझे दर्द हो रहा है क्या,,,
( अब निर्मला क्या बोलती उसके मुंह से सिसकारी की आवाज फुट पड़ी थी लेकिन फिर भी बहाना बनाते हुए बोली)
मम्मी जल्दी-जल्दी जाने में मेरा हाथ दीवाल से लग गया और थोड़ा सा छिल गया जिसकी वजह से दर्द होने लगा है,,,।
ज्यादा तो नहीं लगी,,,
नहीं मम्मी ज्यादा नहीं लगी,,,,( निर्मला इस तरह से अपने बेटे से चुदाई का पूरा आनंद ले रही थी उसके हर धक्के के साथ उसकी सांसे उखड़ने लग रही थी,,,
शुभम पूरी तरह से मदहोश हो चुका था। उसके बदन में मस्ती की लहर दौड़ रही थी वह मस्ती के साथ अपनी मां की दोनों नंगी चूचियों को अपनी हथेली में जोर जोर से दबाते हुए,, जोर जोर से धक्के लगा रहा था,,, शुभम के हर धक्के के साथ निर्मला का लावा पिघलता जा रहा था। बड़ी मुश्किल से निर्मला अपनी सांसो को संभाले हुए थी,,, अपनी गहरी चल रही सांसो को वह अपने काबु में करना चाहती थी लेकिन उससे हो नहीं रहा था,,,,,, तभी उसकी मां बोली,,,
अरे तेरे चूहे के चक्कर में मैं तुझे अपनी बात बताना तो भूल ही गई,,,
( निर्मला अपनी मां की बात सुन कर कुछ बोल पाती इससे पहले ही शुभम ने इतनी जोर जोर से धक्के लगाना शुरु कर दिया कि उसके मुंह से आखिरकार सिसकारी की आवाज फुट ही पड़ी,,,।,,,,
ससससहहहहह,,,,, आहहहहहहह,,,,,,
यह कैसी आवाज़ है बेटी,,, तुझे दर्द हो रहा है क्या,,,,?
कुछ नहीं मम्मी जल्दी-जल्दी आने जाने की वजह से मेरी सांसे भारी हो चली थी,,,,
अरे तो इसमें जल्दी करने वाली क्या बात है आराम से ले जा कर के छोड़ती तू,,,,
मैं तो आराम से ही ले जा रही थी मम्मी लेकिन चूहे को जल्दबाजी मची हुई थी इसलिए जल्दी करना पड़ा,,,,
अच्छा पहले तू जा करके पानी पी ले,,,
मम्मी बस निकलने ही वाला है,,,,( निर्मला के मुंह से ऊत्तेजना के कारण ेएकाएक निकल पड़ा और वह अपनी गलती को जानकर अपने ही जीभ को अपने दांत से दबा ली,,, )
क्या निकलने वाला है यह तू क्या कह रही है मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,
ऐसी कोई भी बात नहीं है मम्मी लेकिन आप कौनसी असली बात बताना चाह रहीे थी,,,
अरे वही बताने के लिए तो मैंने तुझे फोन की थी,,,, तेरे छोटे भाई की शादी तय हो गई है,,, आज से 10 दिन बाद की तारीख रखी हुई है,,,,
अरे वाह मम्मी यह तो तुमने बहुत ही अच्छी खबर सुनाई,,,
( तभी शुभम 2,,,,4 धक्के और बड़ी तेजी से लगा दिया,,,)
आहहहह आहहहहह,,,,
अरे यह कैसी आवाजें तू निकाल रही है,,,,
कुछ नहीं मम्मी खुशी की वजह से वाह-वाह कह रही थी,,,,
तुझे जल्दी आना है कोई बहाना नहीं चलेगा आखिर मेरे छोटे भाई की शादी है पहले आएगी तभी ना रंगत जमेगी,,,
कोई बात नहीं मम्मी मैं पहले आ जाऊंगी,,,
( कभी शुभम अपनी चरम शिखर की तरफ पहुंचते हुए जोर जोर से धक्के लगा कर चोदने लगा,,,, और दो चार धक्कों के बाद ही झड़ गया,,, साथ में निर्मला भी अपना मदन रस छोड़ दी,,, जैसे ही उसे महसूस हुआ कि शुभम के लंड नें पिचकारी छोड़ दिया है,,,, तभी राहत की सांस लेते हुए उसके मुंह से निकल गया,,,,।)
हो गया,,,
क्या हो गया,,,
अरे मम्मी मेरे छोटे भाई की शादी तय हो गई वह भी सेटल हो जाएगा,,,, इसलिए कह रही हूं कि सब कुछ सही हो गया,,,
अच्छा ठीक है चल अब मैं फोन रखती हूं और तू जल्दी आ जाना सबको लेकर के आना ऐसा ना हो की सिर्फ तू ही आ जाए,,,बाकी सब रह जाए,,,,
( दोनो के बीच बातें चल ही रही थी की शुभम निर्मला के ऊपर से उठ कर खड़ा हो गया निर्मला भी अपने कपड़े ठीक करते हुए बोली,,,।)
मम्मी मैं और सुभम तो आ जाएंगे लेकिन उनका कोई भरोसा नहीं है काम के सिलसिले में उन्हें बाहर भी जाना पड़ता है लेकिन मैं पूरी कोशिश करूंगी ऊन्हैं साथ लाने की,,,
ठीक है बेटा तुम लेते आना अच्छा मैं रखती हूं,,,
( इतना कहने के साथ ही फोन कट हो गया)
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