RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
थोड़ी ही देर बाद निर्मला की गाड़ी घर के गेट पर आकर खड़ी हुई और शुभम एक पल की भी देरी किए बिना गाड़ी से नीचे उतर कर जल्दी से मेन गेट खोल दीया। बिरबलाची एक्सीलेटर पर अपने पैर का दबाव देते हुए कार कोे गेट के अंदर ले आई,,,, गाड़ी को गैराज में पार्क करके वह घर के दरवाजे पर आकर अपने पर्स से घर की चाबी निकालने लगी
पर्स में से चाबी छोड़ते समय उसकी साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिर गया और उसके दोनों बड़े बड़े खरबूजे शुभम की आंखों के सामने अपना नृत्य दिखाने लगे,,, निर्मला लो कट ब्लाउज पहन रखी थी इसलिए दोनों खरबूजे ऐसा लग रहा था कि अभी ब्लाऊज से कूदकर बाहर आ जाएंगे,,, सुभम से रहा नही गया और वह हांथ आगे बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से ही चुचियों को दबा दिया,,,,
आाऊच्च,,,, क्या कर रहा है दरवाजे को खोलने दे तुझसे तो जरा भी सब्र नहीं होता,,,( इतना कहते हुए वह दरवाजे का लॉक खोलने लगी,,) अरे मैं कहीं भागी थोड़ी जा रही हूं,,,,
( दरवाजा खोल कर घर में प्रवेश करते हुए) अब तो दिन भी अपना है और रात भी अपनी है,,,,।
क्या करूं मम्मी तुम्हारी चुचियों है इतनी खूबसूरत और बड़ी-बड़ी कि इन्हें देखते ही दबाने का मन करने लगता है।
( शुभम की बात सुनकर मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए दरवाजा लॉक करके)
दबाने का मन करता है तो दवा भी लेना और पी भी लेना लेकिन आराम से इतना कि जल्दबाजी दिखाएगा तो ना तो तू ही ठीक से मजा ले पाएगा ओर ना मैं ही,,,, चल अब जल्दी से हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो जाते हैं भूख भी बहुत लगी है,,,,
( इतना कहकर वह दोनों हाथ पैर धोने चले गए और थोड़ी ही देर में फ्रेश होकर डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए,, डाइनिंग टेबल पर निर्मला और शुभम दोनों आमने सामने बैठे हुए थे।
निर्मला रेस्टोरेंट से लाई खाने हथेली को खोलने लगी और उसमें से सब्जियां और चपाती बाहर निकाल कर प्लेट में रखने लगी तभी शुभम पास में ही रखें सेव के बाऊल मैसे एक सेव निकाल कर खाने लगा यह देख कर निर्मला मुस्कुराते हुए बोली,,,
लगता है तुझे सेव काफी पसंद है,,,,
हां मम्मी से वो तो मुझे बहुत पसंद है लेकिन इन छोटे-छोटे से उसे मेरा मन नहीं भरता जब से मैंने तुम्हारे खरबूजों का स्वाद चखा हूं तबसे उनके सामने यह सेव भी फीकी पड़ने लगी हैं ।
( निर्मला खाना परोस चुकी थी और मुस्कुराते हुए सेव के बगल में पड़े केले के गुच्छों में से एक केला तोड़कर उसे छीलने लगी,,, और छिलने के बाद ऊसे मुंह मे डालते हुए बोली,,,)
मुझे तो केला पसंद है,,,
( अपनी मां की यह बात सुनते ही वह तपाक से बोला)
किसका?
तेरा और किसका,,,, मेरा अब इन छोटे-छोटे केलों से मन नहीं भरता,,,, छोटे केले कब अंदर जाकर कब खत्म हो जाते हैं इस बात का पता ही नहीं चलता लंबा केला होता है तो इसका एहसास होता रहता है कि तुमने कुछ खाया है,,,
( निर्मला की बात सुनकर शुभम को बहुत मजा आ रहा था वह फिर बोला,,,।)
उस छोटे से पहले से क्यों पेट भर रही होै तुम्हारे सामने बड़ा बड़ा केला पड़ा है।,,,
वह केला भी खाऊंगी लेकिन समय आने और इत्मीनान से,,,
लेकिन मम्मी मेरा केला तो पूरी तरह से तैयार हो चुका है,,,
तू अब बहुत शैतान हो गया है,, मुझसे इस तरह की बातें करने में तुझे शर्म नहीं आती,,
नहीं पहले आती थी लेकिन अब तो बिल्कुल नहीं आती,,, तुम्हें आती है क्या,,,?
हां मुझे तो आती है,,,, (निर्मला मुस्कुराते हुए प्लेट को शुभम की तरफ बढ़ाते हुए बोली,,,।)
अच्छा,,,,,, जब अपनी दोनो टांगे फैलाकर मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाती हो तब तो नहीं आती,,,
( शुभम की इस बात पर वह उसे आंखें तैर्ते हुए देख कर बोली,,,)
हां,,, तब नहीं आती,,,
( इस तरह की अश्लील बातें करने में दोनों को बेहद मजा आ रहा था बल्कि निर्मला तो मैं तो कभी सोची नहीं थी कि उसका बेटा या वह खुद ही इस तरह की बातें आपस में करेंगे लेकिन,, हालात और माहौल और दोनों के बीच का रिश्ता ही इस तरह का कुछ हो गया था,,की इस तरह की अश्लील बातें आपस में करना दोनों के लिए एकदम सहज होने लगा था।
और दोनों को इस तरह की अश्लील गंदी बातें करने में बेहद आनंद की प्राप्ति भी हो रही थी। और इस तरह की बातें आपस में करना दोनों के लिए अच्छी बात भी थी। क्योंकि जिस तरह से निर्मला अपने बेटे के साथ खुलकर मजा करना चाहती थी उसके लिए आपस में बातचीत के दौरान इतना खुलना उचित था। निर्मला और शिवम दोनों एक दूसरे को देखते हुए मुस्कुरा भी रहे थे और खा भी रहे थे,,। निर्मला खाना खाते समय मन-ही-मन इरादा बना चुकी थी कि आज की रात वह अपने बेटे को अपनी रसीली बुर का स्वाद चखा कर ही रहेगी,,। वह आज पूरी तरह से अपनी बेटे के साथ मजा लेना चाहती थी अपने पति के लंड को मुंह में लेने से गिन्न का अनुभव करने वाली निर्मला मन ही मन यह भी ईरादा बना रही थी कि आज वहां अपने बेटे के खड़े मोटे और लंबे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस कर देखेगी कि क्या सच में औरतों को लंड चूसने में आनंद की अनुभूति होती है।
कैसा लगता होगा जब मोटा लंड मुंह में जाता होगा वह कैसे हरकत करेंगी जब सच में वह अपने बेटे के मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर लॉलीपोप की तरह चुसेगी,,,, खाना खाते समय यह सब सोचकर उस की उत्सुकता और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी और साथ ही इस तरह के मादक ख्यालात की वजह से,,, उस की रसीली बुर से नमकीन रस का स्राव हो रहा था। जिसको वह साफ-साफ महसूस कर पा रही थी हर निवाले के साथ उसके बदन में उत्सुकता के साथ-साथ कामोत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी,,, वह लगातार अपने बेटे की तरफ देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और उसकी मुस्कुराहट में कामुकता छलक रही थी। अपनी मां की एक सीमा तक मुस्कुराहट को देखकर शुभम की ऊत्तेजना बढ़ने लगी थी जिसका सीधा असर उसके पैंट में हो रहा था। जिसे वह बार-बार दूसरे हाथ से एडजस्ट कर ले रहा था और इस हरकत को निर्मला भी बखूबी पहचान रही थी। निर्मला से अपने बेटे का इस तरह से कसमसानाऔर उत्तेजित होना देखा नहीं गया और वह बोली,,,।
लगता है तुम्हें केला खिलाने का मन कर रहा है,,,,
हां मम्मी और वह भी पूरा,,,( इतना कहने के साथ ही वह अपने एक पेऱ को आगे बढ़ाकर अपनी मां के पैरों की एड़ियां से रगड़ने लगा,,,, शुभम पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डुबकी लगा रहा था और उसका साथ उसकी मां बराबर दे रही थी क्योंकि वह भी दूसरे पर से शुभम के पैर को रगड़ना शुरू कर दी,,, दोनों बेहद उत्तेजित नजर आ रहे थे,,,
क्या मैं तेरा केला पूरा खा पाऊंगी,,,,,
खां जाओगीे और पूरा पेट भर के खाओगी,,,, ( शुभम निवाला मुंह में डालते हुए बोला)
तुझे शायद पता नहीं जब मैं पहली बार तेरे मोटे लंबे लंड को देखेगी तो मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह तेरा लंड है,,
( निर्मला इतना कहने के साथ ही पानी का गिलास लेकर उसे पीने लगी,,)
तुम्हें ऐसा क्यों लगा था मम्मी,,,
क्योंकि तेरे पापा का लंड तेरे से पतला और तेरे लंड की लंबाई से आधा ही होगा,,,,,( निर्मला अफसोस जताते हुए बोली)
तब तो मम्मी सच में तुम्हें कभी भी मजा नहीं आता होगा,,
हां ऐसा ही है लेकिन तब मुझे संतुष्टि थी मुझे यह नहीं पता था ना कि लंड इतना बड़ा भी होता है क्योंकि मैंने तो अपनी जिंदगी में तो तेरे पापा का हीं देखी थी,,,,,।
सिर्फ पापा का तुम सच कह रही हो मम्मी,,,,
हां रे मैं बिल्कुल सच कह रही हूं लेकिन तू ऐसा क्यों पूछ रहा है,,,।
नहीं बस ऐसे ही,,,( वह बात को बदलते हुए दूसरा निवाला मुंह में डालने लगा,,)
नहीं तू ऐसे ही नहीं पूछ रहा है कुछ तो बात है,,,। ( निर्मला आशंका जताते हुए बोली वह कुछ कुछ समझ रही थी कि वह क्या कहना चाह रहा है लेकिन वह खुद उसके मुंह से सुनना चाहती थी।)
|