Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:43 PM,
#88
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
एक बार फिर से दोनों की प्यास बुझाने की बजाए और ज्यादा भड़क गई थी,,,, शुभम बिल्कुल नंगा ही बाथरुम से बाहर निकल गया था और भागता हुआ अपने कमरे में घुस गया था,,,
बाथरूम में निर्मला भी पूरी तरह से वस्त्र विहीन थेी,, बाथरूम में एकाएक अपनी मां को आया हुआ देखकर वह पूरी तरह से हड़बड़ा गई थी,,, वह तो उसकी मां का ध्यान ना होने पर सर्वप्रथम अपने बेटे को बाथरुम से निकालने का काम की थी उसके जाने के बाद भी उसे कपड़े पहनने की या अपने बदन को टावल से ढक लेने की भी शुध नही थी। वैसे भी ऐसे हालात मे इंसान सबसे पहले अपनी गलती को छुपाने की कोशिश करता है बाकी सब कुछ हुआ भूल जाता है और वही काम निर्मला ने भी की थी मौका देख कर सबसे पहले बाप ने बेटे को बाथरुम से बिना कपड़ों के ही बाहर भेज दी थी,,,, क्योंकि ऐसी हालत में अगर उसकी मां उन दोनों को देख लेती तो एक नया बखेड़ा खड़ा हो जाता और जो की अभी तक अपनी मां की संस्कारी लाडली बनी हुई बेटी थी वह एकाएक उसकी नजरों से गिर जाती,,,, बल्कि ऐसे हालात में अगर उसकी मां उन दोनों को देख लेती तो शायद उन्हें दिल का दौरा तक पड़ जाने की उम्मीद थी। क्योंकि शुभम की उम्र उस तरह की नहीं थी कि वह अपनी मां के साथ पूरी तरह से नग्न अवस्था में स्नान कर सके अब वह पूरी तरह से जवान लड़का हो चुका था और ऐसी हालत में अपनी मां के साथ नग्नावस्था में बाथरूम में होना सब कुछ बयां कर देता,,,
वह तो गनीमत थी कि निर्मला की मां की आंखों से चश्मा नीचे गिर गया बरवा चश्मा ढूंढने में ही व्यस्त हो गई और बाथरूम भी काफी लंबा था और निर्मला शुभम दोनों बाथरूम के कोने में खड़े होकर के एक दूसरे की प्यास बुझाने की कोशिश कर रहे थे,,,, और इसलिए निर्मला की मां की नजर सीधे उन दोनों पर नहीं पड़ी।,,,
अपनी मां को इस तरह से नीचे झुक कर चश्मा ढूंढने के लिए फर्स टटो लेते हुए देख कर और खुद को बचाने की हड़बड़ाहट में नग्नावस्था में ही निर्मला लगभग दौड़ते हुए अपनी मां के करीब गई और,,, फर्श पर गिरा चश्मा उठा कर अपनी मां की आंखो पर लगाते हुए बोली,,,

क्या मम्मी आप भी तो थोड़ा संभाल कर चला करिए और ऐसी क्या जल्दी पड़ गई थी कि आप इस तरह से बाथरुम में इतनी तेजी से अंदर आई,,, वह तो अच्छा हुआ कि सही समय पर आपके हाथों में टावल आ गया वरना आप गिर जाती,, आपको चोट भी लग सकती थी,,,,

अरे बेटी क्या करूं मुझे जोर की पेशाब लगी हुई थी तो मैं अंदर आ गई,,,, और जल्दबाजी मे मेरा पैर फीसल गया, ( चश्मा पहन कर वह उठने को हुई,,,तो निर्मला सहारा देकर उसे उठाने लगी जैसे ही वह अपने पैरों पर खड़ी हुई अपने चश्मे को ठीक करते हुए,,,) तू ठीक ही कह रही है अच्छा हुआ कि मेरे हाथों में टॉवल,,,( इतना कहते हुए वह एकदम शांत हो गई वह ऊपर से नीचे तक निर्मला को देखने लगी निर्मला पूरी तरह से नंगी थी,,,,,) हे भगवान,,,,,, निर्मला बेटी,,,,,
तू बाथरूम एकदम नंगी होकर जाती है तुझे शर्म नहीं आती तुझे जरा भी,,,,लाज लिहाज है की नही,,,, क्या औरतों को इस तरह से नहाना शोभा देता है,,,,, यह संस्कारी औरतों का काम बिल्कुल भी नहीं है निर्मला तु शहर में आकर एकदम बदल गई है।
( अपनी मां की बातों को सुनकर उसे अपनी स्थिति का भान हुआ तो झट से हैंगर पर लटके टॉवल को उठाकर अपने बदन से लपेट ली,,,)

क्या मां इस बाथरुम में मैं अकेली ही तो थी कपड़े पहन कर नहाऊ या कपड़े उतारकर क्या फर्क पड़ता है।,,,, ऐसे भी यहां कौन देखने वाला है।,,,

क्या पागलों जैसी बात कर रही है निर्मला पर इस तरह से नंगी होकर के नहाना संस्कार में नहीं है।

क्या मम्मी आप भी दकियानुसी बातों को लेकर के अभी तक चल रही है। अरे इस तरह से बाथरूम में चारदीवारी के अंदर बंद हो कर के कपड़े उतार कर नहा रही हुं तो इस में क्या हर्ज है।

हर्ज क्या है,, मैं इतना तो समझ सकती हूं कि शहर में रहकर रहने का रंग ढंग बदल ही जाता है लेकिन तू बंद चारदीवारी की बात कर रही है तो यह चारदीवारी बंद कहां है,,,, दरवाजा तो तू खुला छोड़ कर अंदर इस तरह से नंगी होकर के नहाने जा रही है,,,,,
( अपनी मां की बात सुनते ही उसे ख्याल आया कि लगता है शुभम जल्दबाजी में दरवाजा बंद करना भूल ही गया तब उसे अपनी और सुभम की गलती का एहसास हुआ,,,, वह बात को संभालते हुए बोली,,,।)

मम्मी दरवाजा भूलकर खुला छूट गया होगा वैसे मैं हमेशा खुला नहीं छोड़ती,,, और वैसे भी अगर खुला छूट गया तो इधर दूसरा है ही कौन जो मुझे इस तरह से देख लेगा,,,

क्यों शुभम घर पर नहीं है और वैसे भी तुझे इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि अब वह जवान हो रहा है,,,, ( जवान होने वाली बात सुनकर वह मन ही मन में बोली मुझे पता है मम्मी की मेरा बेटा जवान हो रहा है कभी तो उसके साथ में बाथरूम में मजा करना चाहती थी लेकिन ऐन मोके पर तुम जो चली आई,,,,) अगर मेरी जगह वही चला आता अोर तुझे ईस हाल में देखता,,, तो तू सोच वह क्या करता तेरे बारे में क्या सोचता हूं क्योंकि अब वह जवान हो रहा है,,,,( अपनी मां की ईस बात पर वह मन ही मन में बोली,,, मुझे देख कर वह क्या सोचता वह तो खुद ही मेरे नंगे बदन से आकर लिपट जाता,,,, और मुझे चोद देता,,,) तुझे अब इस बात का ख्याल रखना चाहिए,,,।

क्या मम्मी आप अभी छोटी सी बात का बतंगड़ बना रही हो ( वह अपने नंगे बदन टुवाल से छुपाते हुए बोली)


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 03-31-2020, 03:43 PM

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