RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला के मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी अपने बेटे से बात करने के बारे में सोच कर ही,,,,, वह बहुत ज्यादा उत्सुक भी थी अपने बेटे से बात करके अपने नए रिश्ते के बारे में सारी रुकावटें और धारणाओं को साफ कर लेना चाहती थी। उसकी इच्छा यही थी कि अपने बेटे के साथ खुलकर आनंद लें और वह भी उसके साथ खुले तौर पर जैसे एक मर्द अपनी प्रेमिका से बर्ताव करते हैं उसी तरह से वह भी बर्ताव करें। इन्हीं सब के बारे में बात करने के लिए अपने बेटे के कमरे की तरफ जाने लगी,,,,, निर्मला के मन में वासना का जो बीज अंकुरीत हो रहा था उस पौधे पर अपने बेटे के हांथों से पानी डालने जा रही थी। निर्मला के मन में इस बात को लेकर बहुत दुविधा थे कि वह अपने बेटे से इस बारे में बात की शुरुआत केसे करेगी। यही सब सोचते हुए निर्मला अपने बेटे के कमरे तक पहुंच गई,,,,, मन में बड़ी हलचल सी मच रही थी क्या कहे क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था दरवाजा बंद था उसे यह नहीं पता था कि अंदर शुभम सो रहा है या जाग रहा है लेकिन फिर भी मन की दुविधा को अपने अंदर उमड़ रही भावनाओं को पंख देने के लिए वह दरवाजे पर दस्तक दी,,, दरवाजे पर खट खट की आवाज से ही शुभम अपने बिस्तर पर से नीचे खड़ा हो गया,,,, वह इतना तो समझ गया था कि दरवाजे पर उसकी माही खड़ी है क्योंकि घर में उन दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं था,, लेकीन यह समझ में नहीं आ रहा था की आखिर ऊसकी मां क्यों आई है लेकिन तभी उसकी आंखों में चमक आ गई इस बात को लेकर कि शायद उसकी मां का फिर से मूड बन गया है। वह तुरंत बिस्तर पर से नीचे उतर गया। निर्मला दूसरी बार दरवाजे पर दस्तक देती ईससे पहले ही वह दरवाजा खोलते हुए बोला।
क्या बात है मम्मी आप यहां,,,,,
क्यों आ नहीं सकती क्या,,,,?
नहीं मेरे कहने का यह मतलब नहीं था आप इतने टाइम पर आराम करती हैं इसलिए,,,,,,
हां मुझे तुझसे कुछ जरूरी काम था,,,,,,( निर्मला की यह बात सुनते ही शुभम का दिल जोरो से उछलने लगा उसे लगने लगा कि उसकी मां फिर से उसके साथ चुदवाना चाहती है। इसलिए जानबूझकर बनते हुए वह बोला।)
क्या काम था मम्मी,,,,,
अरे सब कुछ यही खड़े-खड़े पूछता रहेगा या मुझे अंदर भी आने देगा,,,
हां हां मम्मी अंदर आइए ना (इतना कहते हुए वह थोड़ा सा बगल में हो गया और निर्मला कमरे के अंदर प्रदेश कि कमरे में निर्मला के प्रवेश करते ही मारे खुशी के शुभम ने दरवाजा बंद कर दिया,,,,, ऊसे लगने लगा कि अब फिर से मम्मी की खूबसूरत रसीली बुर में लंड डालने को मिलेगा,,,, निर्मला भी बड़ी मस्ती के साथ अपनी साड़ी के आंचल को हवा में लहराते हुए बिस्तर पर अपनी मद मस्त गांड का सारा वजन रख कर आराम से बैठ गई,,,,,, और शुभम से बोली,,,)
आज तू भी इधर मेरे बगल में बैठ,,,, ( शुभम को तो बस सुनने भर की देरी थी वह तुरंत जाकर अपनी मां की बगल में बैठ गया,,,, और बोला,,,,,)
क्या बात है मम्मी आप क्या बात करना चाहती हो,,,,,
( अपने बेटे की इस सवाल पर निर्मला हिचकिचा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था की बात की शुरुआत कैसे करें इसलिए शर्मा कर इधर उधर नजरें घुमा ले रही थी इसलिए यह देखकर शुभम दुबारा अपनी मां से बोला,,,।)
क्या हुआ मम्मी आप क्या बात करना चाहती हैं मुझे बताओ तो,,,,,
बेटा,,,,,, मैं हम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ उस बारे में बात करना चाहती हुं।,,,,
कैसी बात मम्मी,,,,,
देख आज तुझे मै अपनी जिंदगी की पूरी सच्चाई बताती हूं,,,
( शुभम अपनी मां की तरफ ध्यान से देख रहा था वह तो अपनी मां की खूबसूरती में खोया हुआ था उसका गोऱा रंग ट्यूबलाइट के उजाले में और भी ज्यादा चमक रहा था। वह बार बार पंखे की हवा में लहरा रही अपनी बालों की लटों को बार-बार अपनी उंगलियों से गोरे गाल पर से हटा दे रहीे थी। जिससे निर्मला की यह अदा शुभम के बदन में हलचल मचा दे रही थी।)
बेटा तू मुझे देखकर यही समझता होगा कि मैं बहुत खुश हूं मेरी जिंदगी बड़े अच्छे से गुजर रही है और तेरे पापा मुझे बेहद प्यार करते हैं। ( शुभम अपनी मां की तरफ बड़े ध्यान से देख रहा था और उसकी बातों को सुन रहा था।) मेरे मुस्कुराते हंसते चेहरे के पीछे कितना दर्द कितना दूख छुपा हुआ है आज मैं तुझे सब बताऊंगी।
मम्मी तुम्हारी बात का कोई मतलब नहीं समझ पा रहा हूं आप कहना क्या चाहतीे हैं।( शुभम अपनी मां को बड़े ही आश्चर्य के साथ बोला वाकई में उसे अपनी मम्मी की बात समझ में नहीं आ रही थी कि आखिर वह कहना क्या चाह रही थी।)
बेटा पहले तो मैं तुझे साफ साफ शब्दों में बता देना चाहती हुं कि तेरे पापा मुझसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करते।
( अपनी मां की यह बात सुनते ही शुभम एकदम आश्चर्यचकित हो गया उसे अपनी मां के कहे गए शब्दों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था।)
हां बेटा यह बिल्कुल सच है शुरु शुरु में शादी के बाद तो 3 साल तक उन्होंने मुझसे बेहद प्यार किया लेकिन तेरे जन्म के बाद जैसे वह मुझ से दूरी रखने लगे। और यह सिलसिला आज तक जारी है।
मम्मी मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि ऐसा आपके साथ हुआ है और हो रहा है क्योंकि आप को देख कर आप के चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर कभी भी ऐसा नहीं लगता कि आप इतना ज्यादा दुखी है।
क्या करूं बेटा झूठी मुस्कान पर दुनिया के सामने अपना दुख छुपा ले जाती हुं लेकिन अब तू बड़ा हो गया है इसलिए तुझे मैं यह सब बता रही हूं। तेरे साथ जो मुझे इस तरह के संबंध की शुरूआत करनी पड़ी इसके पीछे भी यही कारण है।
( शुभम को अपनी मम्मी की यह बात समझ में नहीं आई वह जानना चाहता था कि उसके साथ इस तरह के संबंध बने हैं उसके पीछे इन हालातो को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। ईसलिए वह अपनी मां से बोला,,,,
मम्मी मैं कुछ समझा नहीं,,,,,
अब तुझे कैसे समझाऊं मुझे समझ में खुद नहीं आ रहा है कि यह बात मैं तुझसे बोलु या ना बोलु। ( निर्मला इधर उधर देखते हुए बोली।)
मम्मी आप सब अब बता ही रही हो तो यह भी बता दो,,,,
तुझे जरूर बताऊंगी लेकिन तू मेरे बारे में कुछ गलत मत समझना तेरी मम्मी अभी भी पहले की ही तरह है बस थोड़ा सा प्यार पाना चाहती है। तेरे जन्म के बाद तेरे पापा मुझ से शारीरिक संबंध ना के बराबर रखने लगे,,,, शारीरिक संबंध मतलब तेरे पापा मुझे चोदना ही बंद कर दिए,,,, ( चोदना शब्द सुनते ही शुभम के कान के साथ-साथ उसका लंड भी खड़ा हो गया और यह शब्द बोलते हुए और वह भी अपने बेटे के सामने निर्मला के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई,,,, शुभम आश्चर्य के साथ बोला।)
मम्मी यह कैसे शब्दों का प्रयोग आप कर रही है।?
क्या करूं बेटा अब यह तुझसे ना कहूं तो किससे कहूं,, मैं अब जानती हूं कि तू बड़ा हो गया है समझदार हो गया है इसलिए तू मेरी इन बातों को जरूर समझेगा,,,,, तू शायद नहीं जानता की औरतों की भी बहुत इच्छा होती है।
( शुभम अपनी मां के कहने का मतलब अच्छी तरह से जानता था फिर भी अनजान बनता हुआ बोला।)
कैसी इच्छा मम्मी?
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