Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:21 PM,
#37
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला बाथरूम में अपना मुंह धो रही थी। उसने अपने बेटे के माल के एक बूंद को भी अपने मुंह में जाने नहीं दी थी अपने चेहरे पर इस तरह से अपने बेटे का माल गिरने की वजह से उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था। रह रह कर उसे उबकाई आ रही थी। बाथरूम में उसने अपना मुंह अच्छे से साफ की,,,,, अपने बेटे के लंड से निकली जबरदस्त पिचकारी को देखकर वह आश्चर्यचकित उसे इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था और शायद अगर किसी के मुंह से सुनती तो उसे यकीन भी नहीं होता लेकिन उसने तो कुछ पल पहले ही अपनी आंखों से और अपने हाथ में लेकर देखी थी। लंड से पानी कितनी तेज पिचकारी निकलता देख कर उसकी बुर पानी-पानी हो गई थी। क्योंकि उसके पति का जब भी पानी निकलता था तो बस बूंद बूंद करके निकलता था।
निर्मला हाथ मुंह धो कर आईने में अपने चेहरे को देख रही थी जो कि शर्म से बिल्कुल लाल लाल हो चुका था। आज उसने अपनी जिंदगी में कुछ ज्यादा ही हिम्मत दिखा दी थी जिसके एवज में उसे आनंद भी बेशुमार मिला था बस इतना गिला उसके मन में रह गया था कि काश वह थोड़ी और हिम्मत दिखा पाती तो जिस लंड को वह अपनी मुट्ठी में भर कर हिला रही थी वही लंड उसकी बुर के परखच्चे उड़ा देता और उसकी बरसों से उभरी हुई प्यास को शांत करने में मदद कर देता। निर्मला की हथेली में जिस तरह से शुभम का मोटा लंड अपनी रंगत भी खेल रहा था उसे अपनी आंखो से देख कर और उसे अपने अंदर महसूस करके निर्मला इस समय भी पानी पानी हुए जा रही थी। जब भी वह अपने बेटे के लंड के बारे में सोचती तो उसकी बुर से दो चार बूंदे नमकीन पानी की टपक ही पड़ रही थी। निर्मला को वह बाथरुम से बाहर जाने में शर्म आ रही थी क्योंकि वासना का असर धीरे-धीरे शांत होने लगा था और वासना के शांत होते ही वासना की जगह फिर से रिश्तो की मर्यादाओं ने जगह बना ली। और दोस्तों के बीच मर्यादाओं के होते यह सब संभव नहीं था,,,,, तूफान शांत होने लगा था लेकिन जब भी कोई बड़ा तूफान आकर गुजर जाता है तो अपने पीछे निशान छोड़ जाता है। उसी तरह से निर्मला भी अब इस तरह की गलती दोबारा ना करने की कसमें खाकर अपने मन को समझाने लगी लेकिन एक प्यासी औरत कर भी क्या सकते थे। जिस तरह से एक प्यासी इंसान को पानी पीने के बाद ही शांति मिलती है उसी तरह से एक प्यासी औरत को भी जब तक उसकी प्यास बुझ ना जाए तब तक वह तड़पती और बहकती रहती है। ऐसा ही कुछ निर्मला के साथ भी हो रहा था बार-बार वह गलती ना दौहराने की कसम खाती और बार बार उसका मन बहकने लगता था।
जिस तरह से उसका बेटा उसकी बड़ी बड़ी चूची को देख रहा था यह सब जानते हुए भी निर्मला को उत्पन्न ना जाने क्यों अपनी चूची अपने बेटे को दिखाने में इतनी आनंद की अनुभूति हो रही थी कि पूछो मत,,, एक अजीब और अद्भुत प्रकार का रोमांच निर्मला को प्राप्त हो रहा था और किसी भी तरह से अपनी चूचियों को ढकने की दरकार नहीं की। बल्की उसका बेटा और अच्छे से चूचियों का नजारा देख पाए इस तरह से वह बैठ गई थी। दवा लगाने की अद्भुत और अदम्य साहस की प्रक्रिया में जिस तरह का आनंद निर्मला को मिला था उस आनंद को प्राप्त करके निर्मला खुश थी।
दूसरी तरफ शुभम भी हैरान और दंग था। दवा लगाने वाली युक्ति इस तरह से और इतनी अद्भुत तरीके से काम कर जाएगी इस बारे में वह भी पूरी तरह से दृढ़ निश्चयी नहीं था। लेकिन सब कुछ बहुत अच्छे से पार हो गया था इसीलिए उसके चेहरे पर विजयी मुस्कान तैर रही थी। यह दीजिए अकेले सिर्फ शुभम का नहीं था बल्कि निर्मला का भी था बल्कि जो कह दो कि अपनी मंजिल को पाने की यह पहली सीढी थी जिसे दोनों ने बहुत बखूबी पार कर ली थी।
उस दिन के बाद से दोनों एक दूसरे से कतराने लगे,,, दोनों के मन में शर्म महसूस हो रही थी इसलिए दोनों एक दूसरे को मुंह दिखाने से शर्मा रहे थे। निर्मला अपने बेटे को संपूर्ण निर्वस्त्र अवस्था में देखकर और वह भी उसके दमदार हथियार के साथ,,,,, यह नजारा ही उसके प्यासे मन को तड़पाने के लिए काफी था। सोते जागते उठते बैठते निर्मला की आंखों के सामने उसके बेटे का गठीला बदन और उसका हथियार नजर आ रहा था,, जिसके बारे में सोच कर ही दिन भर में न जाने कितनी बार उसकी पैंटी गीली हो जाती थी। अब हाल यह था कि बैगन से भी उसकी प्यास नहीं बुझती थी। अब तो वह अपने बेटे के लंड की प्यासी हो चुकी थी।
वह आगे बढ़ना चाहती थी शुभम भी आगे बढ़ना चाहता था लेकिन दोनों शर्म की वजह से अब आगे बढ़ने से कतरा रहे थे जबकि दोनों के बदन में आग बराबर की लगी हुई थी। शुभम तो अपनी मां को अपने ही हाथों से अपनी बुर को मसलते हुए देख कर जिस तरह से वो गरम सिसकारी ले रही थी उस पल को याद करके वह ना जाने कितनी बार मुट्ठ मार चुका था। एक बात की कसक उसके मन में भी रह गई थी की अपनी मां को अपने हाथों से अपनी रसीली बुर मसलती हुए देखा जरूर था लेकिन उसने इतना कुछ होने के बावजूद भी अपनी मां की नंगी बुर के दर्शन नहीं कर पाए थे। उस दिन भी निर्मला अपने बेटे के सामने अपनी बुर मसाले जरूर रही थी लेकिन पैंटी में हाथ डालकर इस वजह से शुभम को अपनी मां की रसीली बुर के दर्शन करना दुर्लभ हो चुका था।
उसने अपनी मां के बदन के लगभग हर अंग को देख चुका था,,,, लेकिन अभी तक उस द्वार को नहीं देख पाया था जिस द्वार मे से गुजरने का हर एक मर्द का सपना होता है। शुभम अभी तक उसी द्वार के भूगोल और आकार से बिल्कुल अंजान और अज्ञान था। इसलिए तो उसकी तड़प और ज्यादा बढ़ जाती थी।

खैर जैसे तैसे दिन गुजरने लगे दोनों अपनी प्यासी नजरों को हमेशा एक दूसरे के अंगों को देखने के लिए इधर उधर ताड़ में ही रखते थे। लेकिन अब दोनों को कुछ खास सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही थी। दोनों अंदर ही अंदर एक दूसरे से डरे हुए थे। धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य होने लगा दोनों एक दूसरे से बातें भी करने लगे लेकिन उस दिन वाली बात को याद करके दोनों के चेहरे पर शर्म के भाव साफ नजर आ जाते थे। हालांकि उस पल को याद करके आज निर्मला के मन में जरा भी ग्लानि महसूस नहीं होती थी बल्कि उस पल को याद करके उसके मन में तन-बदन में एक रोमांच सा फैल जाता था।

स्कूल में शीतल से रोज ही मुलाकात होती थी,,,, फैशन के मामले में वह एक कदम आगे ही थी,,,,, आज निर्मला स्कूल पहुंची तो शीतल को देखकर दंग रह गई,,,,, आज शीतल कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी। उसने आसमानी रंग की साड़ी और साथ में मेचींग. के रंग की ब्लाउज भी पहनी हुई थी। जो कि उसका ब्लाउज आगे से एकदम डीप था जिसमें से उसकी बड़ी-बड़ी चूचीयो की गहरी लकीर एक दम साफ नजर आ रही थी जिसे उसने अपनी एक ट्रांसपेरेंट साड़ी से ढक रखी थी ढंक क्या रखी थी,,,,, ट्रांसपेरेंट साड़ी की वजह से उसकी चूचियों का आकार और भी ज्यादा मादक लग रहा था। जिस पर लगभग सभी की नजर जा रही थी,,, और उसका ब्लाउज पीछे से एकदम खुला हुआ था जिसमें से उसकी नंगी चिकनी पीठ साफ साफ नजर आ रही थी जोकि ब्लाउज को बांधने के लिए मात्र एक पतली सी डोरी ही थी बाकी सब कुछ खुला हुआ था। यह देखकर निर्मला बोली।

वाह शीतल आज तो तुम पूरे स्कुल पर कहर ढा रही हो,,,,( निर्मला मुस्कुराते हुए बोली,,,, जवाब में शीतल भी मुस्कुरा कर बोली।)

थैंक यू निर्मला,,,,, रोज तुम कहरं ढाती हो सोची कि चलो आज मैं भी थोड़ा बहुत कहर ढा दूं,,,,,


नही शीतल मैं सच कह रही हूं तुम आज बहुत खूबसूरत लग रही हो,,,,, तुम आज बहुत ही स्टाइलिश कपड़े के साथ साथ बहुत ही खूबसूरत ब्लाउज पहन कर आई हो जो कि तुम्हारे बदन पर बहुत अच्छी लग रही है। ( निर्मला की बातें सुनकर शीतल मुस्कुराने लगी।) लेकिन शीतल तुमने जिस तरह का ब्लाउज पहने हो उसी से तुम्हारे बदन का बहुत कुछ हिस्सा नजर आ रहा है और देख रही हो सारे स्कूल के विद्यार्थी तुम पर एक नजर डाल कर ही आगे बढ़ रहे हैं।


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 03-31-2020, 03:21 PM

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