RE: Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान
सोनू- क्या बोल रहा है यार.. होश में चुदेगी? कसम से तेरे मुँह में कोरी चूंची.. अगर ऐसा हुआ तो मज़ा आ जाएगा, यार…
मैडी- क्यों लंबी फेंक रहा है तू, साले?
दीपक- अबे चूतिया, आज दोपहर को उसे चोद चुका हूँ मैं और तुम दोनों के लिए भी मना लिया है, समझे?
सोनू- अरे बाप रे! साला, मेरे को लगा ही था. कुछ ना कुछ गड़बड़ है.. मगर ये चमत्कार हुआ कैसे? प्रिया भी तो वहीं थी.. ये सब कैसे हुआ, यार?
मैडी- बकवास. मैं नहीं मानता कि एक ही दिन में तूने उसे पटा भी लिया और चोद भी लिया. नामुमकिन…
दीपक- तुझे मेरी बात पर भरोसा नहीं ना.. रात को वो तुझे फ़ोन करेगी.. तब पता चल जाएगा, समझे?
मैडी- क्या? वो मुझे फ़ोन क्यों करेगी और ऐसा क्या हो गया जो वो खुद राज़ी होगी चुदने के लिए.
सोनू- माँ कसम, मज़ा आ जाएगा. यार, साली की जवानी के मज़े लेंगे. काश तू सच बोल रहा हो, दीपक।
दीपक- अबे चूतिया साले, काश का क्या मतलब है.. मैं सच ही बोल रहा हूँ.. कल देख लेना और हाँ मैडी, तुझे तो रात को ही पता चल जाएगा.. ओके, अब चलो. मुझे घर पर थोड़ा काम भी है यार…
तीनों वहाँ से चाय पी कर निकल गए मैडी. अब भी सोच रहा था कि दीपक की बात सही है या गलत.. इसी उलझन में वो घर चला गया।
दीपक की माँ ने बताया कि प्रिया आज यही रहेगी तो दोनों एक ही कमरे में सो जाओ.. और अपने इम्तिहान की तैयारी करो। दीपक के मन की मुराद पूरी हो गई. वो तो सोच रहा था रात को सब के सोने के बाद प्रिया के कमरे में जाएगा मगर यहाँ तो सारी बाजी ही उसके हाथ में आ गई।
(दोस्तों, अब देखें कि दीपाली के यहाँ क्या हो रहा है.)
दीपाली आज की घमासान चुदाई से थक कर चूर हो गई थी। खाना खाने के बाद अपने कमरे में बैठी सुस्ता रही थी.. तभी अचानक से उसे कुछ याद आया और वो फ़ौरन फ़ोन के पास चली गई। उसने मैडी को फ़ोन लगाया।
मैडी- हैलो कौन?
दीपाली- मैडी, मैं हूँ दीपाली.. तुमसे एक जरूरी बात कहनी थी.. सुबह तुम दीपक से मिल लेना.. कल मैं 11 बजे तक फ्री होकर आ जाऊँगी मगर सुबह दीपक से जरूर मिल लेना और होटल का खर्चा मत करना.. बस नॉर्मल सी पार्टी रखना.. वहाँ सिर्फ़ तुम तीन दोस्त और मैं हों. और किसी को मत बुलाना, समझे?
मैडी- मगर अचानक ये सब कैसे? दीपक शाम को मिला था. कुछ बता रहा था. क्या वो बात सही है?
दीपाली- वो सब कल आ कर बता दूँगी ओके बाय.. अभी मैं जरा बिज़ी हूँ।
दीपाली ने फ़ोन काट दिया मगर मैडी अब भी मूर्ति बना हुआ वहीं खड़ा रहा.. उसको यकीन ही नहीं हो रहा था। काफ़ी देर बाद वो नॉर्मल हुआ और खुश होकर अपने कमरे में चला गया। उसके दिमाग़ में यही था कि कल क्या होगा।
दीपाली भी थकी हुई थी.. तो वो अपने कमरे में जा कर सो गई।
उधर खाना ख़त्म करके दीपक और प्रिया कमरे में चले गए।
प्रिया- भाई, किताबें निकाल लो.. अभी सब जाग रहे हैं.. तब तक पढ़ाई कर लेते हैं.. अगर कोई अन्दर आए भी तो किसी को शक ना हो….
दीपक को प्रिया की बात समझ आ गई और दोनों पढ़ने बैठ गए.. थोड़ी देर बाद ही उसकी मम्मी देखने आई और उनसे कहा- ये गर्म दूध पी लो. दिमाग़ फ्रेश हो जाएगा…
मम्मी के जाने के काफ़ी देर बाद दीपक खड़ा हुआ और घर का मुआयना करके आया कि सब सो गए या नहीं…
प्रिया- क्या हुआ भाई.. कहाँ गए थे आप? बड़ी देर में आए?
दीपक- अरे मेरी चुदक्कड़ बहन.. सब सोए या नहीं.. ये देखने गया था।
प्रिया- ओह.. क्या हुआ.. सो गए क्या?
दीपक- हाँ जानेमन, सो गए.. अब जल्दी से कपड़े उतार. आज तेरी गाण्ड का मुहूरत करूँगा.. साली, आज तक दीपाली की मटकती गाण्ड देख कर लौड़ा खड़ा होता था.. आज तेरी गाण्ड के नाम से ही देख कैसे पजामे में तंबू बन रहा है।
प्रिया- हाँ भाई, दिख रहा है मगर मुझे थोड़ा डर लग रहा है.. आपका इतना बड़ा लंड मेरी छोटी सी गाण्ड में कैसे जाएगा।
दीपक- अरे पगली, जब दीपाली की गांड में चला गया तो तेरी गाण्ड में भी चला जाएगा.. तू डर मत. दीपाली ने हमें तरीका भी बता दिया है. वैसे करेंगे तो सब ठीक होगा।
प्रिया- नहीं भाई, दीपाली तो पहले गांड में लंड ले चुकी थी. मेरी गांड तो कोरी है. पहली बार जब आपका लंड मेरी कोरी चूत में गया था, मेरी जान निकलते-निकलते बची थी।
दीपक- अरे तब तो मैं तुझे गुस्से में चोद रहा था.. अब तो बड़े प्यार से अच्छी तरह थूक लगा कर तेरी गाण्ड में लौड़ा डालूँगा.. तू डर मत मेरी प्यारी बहना…
प्रिया- ठीक है भाई.. जैसी आपकी मर्ज़ी.. आ जाओ अब आप ही मुझे नंगी कर दो।
दीपक उसके करीब गया और उसके कपड़े निकाल दिए.. और खुद भी नंगा हो गया.. उसका लौड़ा झटके खा रहा था।
प्रिया- भाई देखो, कैसे ये झटके खा रहा है.. बड़ा हरामी है.. इसको पता लग गया है कि आज ये मेरी कोरी गाण्ड में जाएगा।
दीपक- हाँ मेरी जान, ये सब महसूस करता है. पहले तुझे अच्छे से चूमूँगा.. चाटूँगा.. उसके बाद ही तेरी गाण्ड मारूँगा।
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