RE: Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान
दीपाली- दीपक, एक बात कहूँ तुमसे.. तुम सब लड़के एक जैसे होते हो.. सब का एक ही सपना होता है. बस एक के बाद सील-बंद चूत मिलती जाए.. मगर तुमने ये सोचा है कि जब सील टूटती है तो लड़की को कितनी तकलीफ़ होती है।
दीपक- अरे तकलीफ़ के बाद तो मज़ा है ना, यार…
दीपाली- हाँ, माना कि मज़ा है.. मगर मान लो कि प्रिया को तुमने एक बार चोद कर इसकी सील तोड़ दी तो क्या अब इसकी चूत में मज़ा नहीं रहा? भगवान ने भी हम लड़कियों के साथ नाइंसाफी की है.. सील दी मगर ऐसी कि बस एक बार में टूट जाए.. मैं तो कहती हूँ ऐसी सील देते कि उसे तोड़ने के लिए लड़कों को ज़ोर लगाना पड़ता.. उनका लंड छिल जाता.. चूत में 20-30 बार लंड घुसाने के बाद उसकी सील टूटती.. तब लड़कों को तकलीफ़ होती और हमें मज़ा आता।
प्रिया- हाँ यार, सही कहा.. फिर कोई लड़का पहले चोदने को नहीं बोलता.. दूसरे से कहता तू चोद ले पहले.. मैं बाद में चोदूँगा और लौड़े की तकलीफ़ से डर जाता।
दीपाली- हाँ यार, तब ये बलात्कार जैसी घटनाएं नहीं होतीं.. बलात्कार करने से पहले लड़के सोचते कि कहीं चूत कुँवारी तो नहीं है!
दीपक- वाह.. रे दीपा रानी.. क्या खयाली पुलाव पका रही है.. वैसे सोचा जाए तो सही है कि दर्द के डर से लड़के बलात्कार नहीं करते.. अच्छा सोचा तूने.
दीपाली- मेरे सोचने से क्या होता है.. भगवान को भी तो यह सोचना चाहिए…
प्रिया- यार, जाने दे.. ये बता कल का क्या सोचा तुमने? मैडी की पार्टी में जाएगी या नहीं?
दीपाली- पहले मन नहीं था.. मगर अब जाऊँगी. उन दोनों के लौड़े का मज़ा भी चख लूँ यार.. बाद में इम्तिहान शुरू हो जाएँगे तो फिर कहाँ लौड़े नसीब में होंगे…
दीपक- अरे मेरी जान, मैं हूँ ना.. इम्तिहान के बाद रोज चुदवा लेना, किसने मना किया है।
दीपाली- बस बस.. बोलना आसान है.. इम्तिहान की टेन्शन में किसको चुदाई याद आएगी.. आज और कल तुझे जितना मज़ा लेना है ले ले.. उसके बाद इम्तिहान ख़त्म होने तक सोचना भी मत…
दीपक- ठीक है मेरी रानी, कल उन दोनों के साथ मिल कर तेरी चूत और गाण्ड का मज़ा लूँगा और उस साले मैडी से हजार का नोट भी लेना है ... कड़क-कड़क!
दीपाली- साले कुत्ते, दिखा दी ना अपनी औकात.. किस बात के पैसे बे.. क्या चल रहा है तेरे दिमाग़ में?
दीपक- अरे अरे.. मेरी जान, तू गलत समझ रही है. मैं तेरी चूत की दलाली नहीं करूँगा.. मैंने शर्त लगाई थी उसके पैसे लेने हैं।
दीपाली- कैसी शर्त?
दीपक ने उसे सारी बात विस्तार से बताई तब दीपाली को सब समझ आया।
दीपाली- ओह.. ये बात है.. बड़ा हरामी है तू तो.. साले पहले ही पता लगा लिया कि मेरी सील टूट गई है.. अब सुन तू.. उनसे आज मिल और जो मैं बताती हूँ वैसा कर.. ताकि उनको पता ना चले कि मैं किसी से चुदवा चुकी हूँ.. अगर मेरे बारे में उनको कुछ पता लगा ना.. तो देख लेना तेरा और प्रिया का राज़ भी राज़ नहीं रहेगा…
प्रिया- ये तुम क्या बोल रही हो, दीपाली.. दीपक मेरा भाई है. किसी को पता लग गया तो मैं मर जाऊँगी।
दीपक- साली, धमकी देने की क्या बात है?
दीपाली- अरे कूल.. मेरे आशिक, मैं धमकी नहीं दे रही. अपने आप को सेफ करने के लिए बोल रही हूँ.. बदनामी का डर मुझे भी है.. बस तुम मेरा राज़ छुपाओ.. मैं तुम्हारा.. ठीक है ना…
दीपक- ओके जान, ठीक है.. अब बता उनको क्या बोलना है.. वो दोनों तुझे चोदना चाहते हैं और मैं भी चाहता हूँ कि तू उनसे चुदे.. आखिर वो मेरे खास दोस्त हैं।
दीपाली- ठीक है चुद जाऊँगी उनसे.. मगर ऐसे कि उनको मेरे पे ज़रा भी शक ना हो। अब सुन.. जैसा मैं बताती हूँ वैसा कर.. शाम को उनसे मिलना और…दीपाली बोलती रही, दीपक बड़े गौर से सब सुनता रहा। काफ़ी देर बाद प्रिया और दीपक के चेहरे पर मुसकान आई और उन्होंने खुश हो कर उसने दीपाली के होंठों को चूम लिया।
दीपक- वाह क्या आइडिया दिया है, मेरी जान.. मज़ा आ गया। अब चलो, दोनों शुरू हो जाओ. मेरे लौड़े को चूसो.. अब अभी मुझे तेरी गाण्ड भी मारनी है।
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