RE: Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान
विकास- रूको, पहले मुझे देखने दो बाहर कोई है तो नहीं ना?
प्रिया साइड में हो गई.. विकास ने थोड़ा सा दरवाजा खोला ही था कि सामने से दीपाली आती हुई नज़र आई विकास ने जल्दी से दरवाजा बन्द कर लिया।
विकास- लो आ गई दीपाली. अब तुमको यहाँ देखेगी तो हम दोनों से ना जाने कितने सवाल पूछेगी. तुम ऐसा करो वो सामने वाले कमरे में छुप जाओ जब मैं उसको ले कर इस कमरे में आऊँ, तब तुम निकल जाना।
प्रिया- मगर सर… छुपने की क्या जरूरत है..??
वो आगे कुछ बोलती विकास उसका हाथ पकड़ कर दूसरे कमरे में ले गया और दरवाजा बन्द कर दिया। तभी दीपाली ने घन्टी बजा दी।
प्रिया- मेरी पूरी बात भी नहीं सुनी.. दीपाली को बोल देती सवाल पूछने आई थी.. सर भी ना पागल है.. वैसे लौड़ा बड़ा मस्त है उनका.. तभी दीपाली उनके प्यार में पागल हो गई है।
विकास- आ रहा हूँ रूको…
विकास ने दरवाजा खोला और दीपाली को देख कर उसको मुस्कान दी।
विकास- अब आ रही हो.. तुम्हारा कब से इन्तजार कर रहा हूँ।
दीपाली- हाँ जानती हूँ.. अकेले बोर हो रहे होगे.. अब अन्दर भी चलो.. क्या सारी बात यही करोगे?
विकास पीछे हट गया.. दीपाली अन्दर आ गई।
विकास- तुमको कैसे पता मैं अकेला हूँ?
दीपाली- व्व..वो बस ऐसे ही अंदाज से बोल दिया मैंने.. तो क्या सच में दीदी घर पर नहीं है?
विकास- हाँ, अपनी सहेली से मिलने गई हैं.. तुम इतनी देरी से क्यों आई हो?
दीपाली- वो घर पर थोड़ा काम था मुझे.. अब क्या सवाल करने लगे आप.. चलो थोड़ी मस्ती करते हैं।
विकास- आ जा मेरी जान कमरे में.. आज तो पूरा दिन तेरी चूत और गाण्ड बजा कर मज़ा लूँगा..
दीपाली- वहाँ नहीं, आज उस कमरे में चुदवाऊँगी.. हमेशा एक ही कमरे में मज़ा नहीं आता.. आज दूसरे कमरे में चलो..
जिस कमरे में प्रिया थी.. दीपाली उसी तरफ बढ़ने लगी।
विकास- रूको दीपाली, आज तुम्हें क्या हो गया है.. उस कमरे में क्या खास है? चूत में लौड़ा डालना है.. चाहे इस कमरे में डालो या उसमें, क्या फ़र्क पड़ जाएगा?
दीपाली- मुझे तो कुछ नहीं हुआ मगर आपको शायद कुछ हो गया है. इतने घबरा क्यों रहे हो? कोई और लड़की है क्या उस कमरे में? हा हा हा…
विकास- त..तू भी पागल है.. और कौन आएगी यहाँ? चल उसमें ही चल, आज तुझे वहीं चोदता हूँ।
दीपाली- ये हुई ना बात.. चलो उस कमरे में जाने का कारण है कि मैं घर के हर एक कोने में आपसे चुदना चाहती हूँ ताकि घर का कोना-कोना हमारे मिलन को याद रखे.. अब आ जाओ।
प्रिया अन्दर से दोनों की बात सुन रही थी उसको बड़ा मज़ा आ रहा था। उनकी बातों को सुन कर वो पर्दे के पीछे छुप गई। दीपाली ने दरवाजा खोला तो विकास की सांस कुछ देर के लिए थम गई। वो जल्दी से अन्दर आया और चारों तरफ़ निगाह घुमाई।
दीपाली- आ जाओ मेरे राजा जी, ये पलंग भी अच्छा है.. आज यही मज़ा लेंगे।
जब प्रिया कमरे में नहीं दिखी तो दीपक की जान में जान आई.. मगर उसकी निगाहें अब भी उसे ढूँढ रही थीं.. उसको तो पता था कि वो यहीं कहीं छुपी हुई है।
दीपाली- राजा जी, कपड़े मैं निकालूँ.. या आप निकालोगे?
विकास- अरे मेरी जान, मैं ही निकालूँगा.. आ जा मेरी रानी, आज तो बड़ी जबरदस्त चुदाई करूँगा तेरी..
दीपाली के सामने खड़ा हो कर विकास उसके कपड़े निकालने लगा। तभी पर्दे के पीछे से प्रिया ने झाँक कर अपनी मौजूदगी उसे बता दी कि मैं यहाँ हूँ। विकास ने इशारे से उसे वहीं रहने को कहा और दीपाली को नंगा करने में लग गया।
विकास- जान, मैंने कहा था ना.. ब्रा का साइज़ अब बड़ा ले आओ.. देखो कैसे तूने इसमें ज़बरदस्ती चूचों को जकड़ा हुआ है..
दीपाली- मेरे राजा, आप शायद भूल गए ब्रा आपको ही ला कर देनी है.. मुझे भी अब महसूस हो रहा है.. आज बड़ी मुश्किल से ब्रा पहनी मैंने देखो.. पहले इस पहले हुक में बन्द करती थी.. अब तो आखिरी वाले में भी बड़ी मुश्किल से आई है।
विकास अब थोड़ा खुल कर बात कर रहा था शायद वो प्रिया को रिझाने के लिए ये सब बोल रहा था।
विकास- मेरी जान, आज तेरी चुदाई के बाद साथ में जाएँगे.. तुझे ब्रा के साथ नई पैन्टी भी दिला दूँगा.. तेरे चूतड़ भी अब बड़ी होने लगे है।
दीपाली- हाँ.. राजा, उफ्फ क्या कर रहे हो? मेरे चूचे इतनी ज़ोर से दबा दिए.. अब देखो, आज आपके लौड़े को खा जाऊँगी।
विकास ने लोवर निकाल दिया. दीपाली के कपड़े निकालते हुए उसका लौड़ा तन गया था।
विकास- लो जानेमन, लौड़ा हाजिर है.. खा जाओ इसको।
दीपाली घुटनों के बल बैठ गई और लौड़े को मुँह में ले कर बड़े मज़े से चूसने लगी।
विकास- आह.. चूस जान आह्ह.. एक बात कहूँ रात को सपने में एक परी आई थी… वो लौड़ा बड़े अलग तरीके से चूस रही थी.. बड़ा मज़ा आया मुझे ... वैसे चूसो ना…
विकास ने प्रिया को सुनाने के लिए ये बात कही ताकि उसको अच्छा लगे.. दरअसल विकास की नियत प्रिया पर बिगड़ गई थी। अब वो किसी भी तरह उसको चोदना चाहता था।
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