Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
01-02-2020, 01:06 PM,
#47
RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
ये जानलेवा नज़ारा देख जयसिंह का रोम रोम रोमांचित हो उठा था, उसके सारे शरीर मे मीठी मीठी टीस सी उठ रही थी, अब उससे और बर्दास्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था, ये खतरनाक मंज़र देख जयसिंह का लंड बगावत पर उतर आया, उसने तुरंत अपने दिमाग को झटक कर अपना ध्यान भटकाने की कोशिश की पर हर बार उसकी आंखें उसकी इज़ाज़त मानने से इनकार कर देती और तुरंत उस नज़ारे को खुद में समाने के लिए उसी ओर उठ पड़ती,

"क्या हुआ पापा ,आप क्या देख रहे हो" मनिका ने जानबूझकर अपने पापा को छेड़ने के लिए कहा जबकि वो खुद जानबूझकर उन्हें अपनी घाटी का दर्शन दे रही थी
"कककककक.....कुछ...भी तो नही......वो ....वो....मैं" अचानक मनिका के इस तरह पूछने जयसिंह थोड़ा सा घबरा गया पर उसने तुरंत खुद को संभाल लिया

"अच्छा पापा, वो मुझे एक और पुरानी बुक चाहिए थी स्टोररूम से , तो उस दिन की तरह आज भी आप मुझे चढ़ा लोगे क्या" मनिका ने थोड़ी मादक आवाज़ में कहा

"हाँ हाँ क्यों नही , मैं तुम्हे जरूर चढ़ा लूंगा मणि.....मेरा मतलब चढ़ा दूंगा मणि" जयसिंह ने कहा


"देख लो पापा, मुझे चढ़ाना इतना आसान नही है, कहीं आप दब न जाये" मनिका ने अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लाते हुए कहा

"चिंता मत कर मणि, तू देखना मैं तुझे कितनी अच्छी तरीके से चढ़ाता हूँ" जयसिंह भी धीरे धीरे इस खेल का मज़ा लेने लगा था, वो सोच रहा था कि उसकी बेटी बड़ी भोली है वो उसके सब्दो का मतलब नही समझ रही पर उसे क्या पता था कि खेल तो उसकी बेटी ने ही शुरू किया है

"हम्म्म्म, वो तो पता लग जायेगा कि आप कैसे चढ़ाते है" मनिका ने कहा

वो दोनों अभी बातें कर ही रहे थे कि अचानक मधु तेज़ तेज़ कदमो से कनिका के रूम से निकलती हुई उनके पास आ खड़ी हुई, वो कुछ परेशान सी लग रही थी

"अरे अब तुम्हे क्या हुआ, इतनी परेशान क्यों हो? " जयसिंह ने उसे इस हालत में देखकर पूछा

"अभी जब मैं कनिका के रूम में थी तो वहां मुझे अपनी माँ का फ़ोन आया था, वो कह रही थी कि मेरे पापा की तबियत कुछ दिनों से खराब चल रही है, इसलिए वो मुझे बच्चो के साथ 2-3 दिन के लिए वहां बुला रहीं है" मधु ने थोड़ा दुखी होकर कहा

"अरे तुम चिंता क्यों करती हो, तुम्हारे पापा जल्दी ही ठीक हो जाएंगे, तुम्हे फिक्र करने की जरूरत नही " जयसिंह ने उसको हिम्मत बंधाते हुए कहा

" पर हमारे वहां जाने के बाद आपको खाना कौन बना के देगा, आपने तो छुट्टी भी ले ली अब " मधु ने परेशान होकर पूछा

"अरे तुम मेरी चिंता बिल्कुल मत करो, मैं कुछ दिन बाहर से मंगाकर कहा लूंगा, तुम तीनो बच्चो को लेकर जल्दी ही अपने गांव जाओ" जयसिंह ने कहा

"जैसा आप ठीक समझे , मैं अभी कनिका और हितेश को उठाकर तैयार करवाती हूँ, मणि तू भी जाकर तैयार होजा, हम 1 घण्टे में ही निकलेंगे, शाम तक वहां पहुंच जाएंगे" मधु ने मनिका को लगभग आदेश देते हुए कहा
इधर मनिका जो इतनी देर से उनकी बातचीत सुन रही थी, उसके दिमाग मे एक खुराफाती तरकीब बन चुकी थी

"नहीं मम्मी, मुझे गांव नही जाना है" मनिका ने उनको चोंकाते हुए कहा

"पर क्यों नही जाना, हम जल्दी ही वापस आ जाएंगे, बस 2-3 दिन की ही तो बात है" मधु ने उससे पूछा

"देखो मम्मी, तुम तो जानती ही हो जी मुझे धूल मिट्टी से एलर्जी सी है, ऊपर से गांव में बिजली भी नही आती, और पिछली बार जब मै गांव गयी थी तो कितना बीमार पड़ गयी थी मैं, इसलिए मुझे गांव नही जाना, आप लोग ही चले जाओ" मनिका ने मधु को टका से जवाब दे दिया

"पर बेटी, 2-3 दिन में भला क्या प्रॉब्लम होगी" मधु ने आखिरी बार कोशिश करते हुए पूछा

"हाँ, मणि तुम्हारी मम्मी ठीक कह रही है, यहां पर तुम अकेले बोर हो जाओगी"जयसिंह ने भी मधु का पक्ष लेते हुए कहा

"नहीं, मैन एक बार बोल दिया तो बोल दिया मुझे गांव नही जाना, और वैसे भी मैं अकेली कहाँ हूँ, आप हैं ना मेरे साथ" मनिका ने कनखियों से जयसिंह की ओर देखकर कहा, उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कुराहट थी जिसे जयसिंह समझ नही पा रहा था

"चल ठीक है, तुझे नही जाना तो मत जा, इसी बहाने तू यहां रुक कर अपने पापा के लिए खाना वगरैह बना देना ,ताकि इन्हें बाहर का खाना ना खाना पड़े" मधु ने हारकर मनिका से कहा और कनिका ओर हितेश को उठाने के लिए चल पड़ी

जल्दी ही मधु , दोनों बच्चो के साथ जाने के लिए बिल्कुल तैयार थी, हालांकि कनिका का मन बिल्कुल भी नही था अपने पापा से दूर जाने का, कल ही तो बेचारी को पहली बार जयसिंह के सामिप्य का सुख मिला था , पर मधु की बात टालने की उसमे हिम्मत नही थी


जयसिंह उन्हें छोड़ने के लिए बस स्टैंड तक गया और उन्हें अच्छे से बैठाकर खुद वापस अपने घर की तरफ चल पड़ा

वो अभी गाड़ी में घर की तरफ जा ही रह था कि उसके पास ऑफिस से कॉल आ गया, उसे किसी क्लाइंट से मिलने अभी जाना था , इसलिए उसने गाड़ी मोडी और सीधा क्लाइंट के घर की तरफ चल दिया, उसने मनिका को फ़ोन करके भी बता दिया कि वो शाम को लेट ही आएगा इसलिए वो दोपहर सिर्फ अपना ही खाना बनाये

मनिका मन ही मन बहुत खुश थी, उसे तो यकीन ही नही हो रहा था कि वो 2 - 3 दिन तक अपने पापा के साथ बिल्कुल अकेली रहेगी, उसने अब पक्का इरादा कर लिया था कि वो अब जल्द ही अपनी मंज़िल पे पहुंचेगी क्योंकि ऐसा मौका उसे दोबारा नही मिलने वाला था,
इधर शाम के 5:00 बजने वाले थे पर जयसिंह अभी भी अपने क्लाइंट्स के साथ बिज़ी था, आखिर एक लंबी और थकाऊ मीटिंग के बाद जयसिंह फ्री हुआ, वो अभी गाड़ी में बैठा ही था कि अचानक आसमान में काले बादल छा गए, ओर बदलो की गड़गड़ाहट के साथ ही हल्की बूंदाबांदी शुरू हो गई, पर मौसम को देखकर लग रहा था कि आज तो पूरी रात ही बारिश होने वाली है, जयसिंह तुरंत गाड़ी में बैठा और फर्राटे से गाड़ी को दौड़ाने लगा, घर तक पहुंचने में उसे एक लंबा सफर तय करना था, उसने सोचा कि रात का खाना बाहर से ही खरीद कर ले चलते है ताकि मनिका को इस मौसम में परेशानी न उठानी पड़ी, यही सोचकर उसने पिज़्ज़ा हट के सामने अपनी गाड़ी रोकी और जल्दी ही 3 पिज़्ज़ा ओर कुछ बाकी खाने का सामान पैक करवा लिया, उसने मनिका को फ़ोन करके भी बता दिया कि वो आज खाना ना बनाये

जयसिंह सारा सामान पैक करके निकला ही थी कि अब मूसलाधार बरसात शुरू हो गई, देखते ही देखतेपुरी सड़के पानी से तरबदतर हो गई, जयसिंह भागकर अपनी कार में पहुंचा और तुरंत गाड़ी को घर की तरफ दौड़ा दिया, रास्ते भर में चारो तरफ पानी ही पानी था, सर्दी के मौसम में कभी कभी जो बारिश होती है उसे 'मावढ' कहा जाता है, थोड़ा भीगने की वजह से जयसिंह को हल्की हल्की ठंड भी लग रही थी, पर वो लगातार गाड़ी चलाते हुए घर पहुंचने की जल्दी में था

लगभग 1 घण्टे के सफर के बाद जयसिंह घर पहुंच गया, उसने तुरंत गाड़ी गेराज में खड़ी की और भागकर दरवाज़े की बेल बजाई, जल्दी ही मनिका ने दरवाज़ा खोला तो देखा जयसिंह हाथ मे कुछ पैकेट लिए भीग रहा है, उसने तुरन्त जयसिंह से अंदर आने को कहा


जयसिंह ने अंदर आकर पैकेट मनिका को पकड़ाया ही था की मनिका की ड्रेस देखकर वो लगभग गिरते गिरते बचा था , मनिका ने आज एक छोटी सी ब्लू कलर की स्कर्ट पहनी थी जो उसके घुटने से भी काफी ऊपर थी, उसकी सुडौल गदरायी जाँघे बिल्कुल नंगी जयसिंह की आंखों के सामने चमक रही थी, ऊपर जो उसने टॉप पहना था वो बमुश्किल उसके खूबसूरत मम्मों को छिपाए था, उसके कसे हुए मम्मे उसकी टीशर्ट में कैद होकर भी अपनी शेप को बखूबी बता रहे थे, जयसिंह की पारखी नज़रों ने तुरंत ताड लिया क़ि आज मनिका ने अंदर ब्रा नही पहनी है,

ये सोचकर तो जयसिंह का दिमाग भन्ना ही गया, वो जहाँ खड़ा था वही जड़वत खड़ा रह गया, उसके माथे पर पसीने की कुछ बूंदे उभर आई जो बारिश के पानी मे मिलकर उसे गर्म और ठंडे दोनों का अहसास एक साथ दे रही थी, उसकी उत्तेजना धीरे धीरे बढ़ने लगी, शरीर गरम होने लगा, आंखे एकटक मनिका के अधखुले बदन को निहारे जा रही थी, जयसिंह के लिए तो मानो दुनिया ठहर सी गयी, वो तो इस पल को सदा सदा के लिए अपनी आंखों में कैद कर लेना चाहता था, उसके होठ सूखने लगे, बड़ी मुश्किल से उसे थूक निगलते बना, सांसे भारी भारी सी होने लगी, उसे लग रहा था कि अगर वो थोड़ी देर और इस नवयौवन को निहारता रहा तो कहीं अपना आपा न खो बैठे ,

कहीं कोई भूल न हो जाये
इसलिए उसने अपनी पूरी हिम्मत समिति और लगभग भागते हुए अपने रूम में घुस गया, भीगे कपड़े पर गरम शरीर , उसके मन मे अजीब से ख्याल आया रहे थे, जयसिंह ने तुरन्त अपने भीगे कपड़े निकाले और अपनी बेकाबू सांसो को समेटकर टॉवल से अपने शरीर को पोंछने लगा, वो बिल्कुल नंगा अपने कमरे के बीचों बीच खड़ा खुद को सुखा रहा था, उसका लोडा अभी के नजारे को देखकर बुरी तरह फनफना रहा था, लंड की नसें तनकर बिल्कुल चमक रही थी

इधर मनिका की आंखों से जयसिंह की ये हालात छुप नही पायी, दरअसल ये उसी की खुराफात थी , उसने पहले से ही जयसिंह पर कहर ढाने की तैयारी कर ली थी,

जयसिंह ने अपने शरीर को अच्छे तरह से पोंछने के बाद एक पतले कपड़े का वाइट टॉवल लिया (जैसा सांवरिया मूवी में रणवीर कपूर ने पहना था), और उसे अपनी कमर के इर्द गिर्द लपेट लिया, उसकी वासना अभी भी शांत नही हुई थी, मनिका की कातिल अदाओं को देखकर जयसिंह इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि उसे डर था कि कहीं उसके लंड का लावा फूट ना पड़े। उसके लंड की नसों में खून का दौरा दुगनी गति से दौड़ रहा था। उसका लंड इतना ज्यादा टाइट हो चुका था कि टॉवल के दोनों छोर को जहां से बांधा हुआ था, लंड के तगड़ेपन की वजह से टॉवल का वह छोर हट गया था या युं कह सकते हैं कि लंड टॉवल फाड़कर बाहर आ गया था, बड़ी मुश्किल से जयसिंह ने अपने लंड को थोड़ा शांत किया, और फिर अपना पजामा और टीशर्ट पहनने के लिए अलमारी खोली,

अलमारी खोलते ही उसके आश्चर्य का ठिकाना ही ना रहा, उसकी अलमारी में कपड़े का नामो निशान ही नहीं था, वो इस तरह खाली थी जैसे उसमे कभी कपड़े थे ही नही, उसे समझ नही आ रहा था कि उसके कपड़े गए कहाँ, अब उसे लगा कि शायद उसे मनिका से ही पूछ लेना चाहिए, पर समस्या ये थी कि इस हालत में वो उसके सामने कैसे जाए

थोड़ी देर इसी उलझन में रहने के बाद उसकी ये समस्या अपने आप ही सुलझ गयी, दरअसल भारी बारिश के चलते पूरे कस्बे की बत्ती गुल हो गयी थी, चारों तरफ घुप्प अंधेरा छा चुका था, बारिश के बाद का ये अंधेरा इतना गहरा था कि जयसिंह की आंखे अपने हाथों को भी नही देख पा रही थी, पर उसे इस बात की खुशी थी कि वो अब आसानी से मनिका के सामने जा सकता था,

जयसिंह दबे पांव अपने कमरे से बाहर निकला, पर अंधेरे में उसे मनिका कहीं नज़र नहीं आ रही थी, हारकर इसने मनिका को आवाज़ लगाई

"मणि, कहाँ हो तुम?" जयसिंह ने हल्की आवाज़ में उसे पुकारा
"मैं यही हूँ पापा, सोफे पे बैठी हूँ" मनिका ने जवाब दिया

"मणि, वो....वो...मैं पूछ रहा था कि मेरे कपड़े कहा गए अलमारी से , वहां पर एक भी कपड़ा नही है" जयसिंह ने पूछा

"सॉरी पापा, मैन सुबह सारे कपड़े धोने को डाल दिए थे, मैन सोच आपके आने तक सभी कपड़े धोकर सूखा दूंगी, पर मुझे क्या पता था कि इतनी जोर की बारिश आ जायेगी, इसीलिए कपड़े नही सुख पाये, और कुछ कपड़े तो अभी भी छत पर ही है क्योंकि बारिश इतनी तेज हो गई थी कि मुझे उन्हें उतारने का मौका ही नही मिला, एम रियली सॉरी पापा" मनिका ने शातिर तरीके से जवाब दिया

"पर अब मैं पहनूं क्या, मेरे कपड़े तो बरिस में आते टाइम गीले हो गए" जयसिंह ने परेशान होकर कहा

"अरे पापा, अब आप कोनसा बाहर जा रहे है, कोई तौलिया लपेट लीजिये न" मनिका बोली

"अरे वो तो अभी लपेट ही है मैंने वरना कोई नंगा....मेरा मतलब ऐसे ही थोड़े खड़ा हूँ" जयसिंह बोला

"वैसे बिना कपड़े के होंगे तो भी मुझे दिखाई नही देगा, अंधेरा कितना है" मनिका ने अब अपने पूरे हथियार इस्तेमाल करने का फैसला कर लिया था

"क्या........" जयसिंह मनिका के इस बेबाक अंदाज़ से थोड़ा ठिठक गया पर उसके लंड ने एक जोरदार तुनकी ली

"कुछ नही पापा, वो मैं कह रही थी कि मैं पानी गर्म कर देती हूं, आप थोड़ी देर बाद नह लीजिये , वरना बारिश के पानी से सर्दी लग जायेगी" मनिका ने बात बदलते हुए कहा

थोड़ी देर शांति के बाद अब मनिका अपना तुरुप का पत्ता फेंकने वाली थी,

"पापाआआआ....." मनिका ने कहा

"हां, मणि" जयसिंह ने थोड़े दुलार से कहा

"पापा मुझे आपसे एक बात कहनी है" मनिका ने थोड़ी सीरियस होकर कहा

"हाँ बोलो मणि, क्या बात है" जयसिंह को समझ नही आ रहा था कि अचानक मनिका सीरियस सी क्यों हो गई है
"पापा दरअसल मुझे आपसे माफी मांगी है" मनिका ने कहा

"मांफी , किस बात की माफी मणि" जयसिंह अब थोड़ा सा घबरा से गया था

"पाप, मुझे आपसे उस दिल्ली वाली घटना के लिए माफी मांगनी है, जिसकी वजह से मैंने आपसे इतने महीनों तक बात नही की, आपको कितना परेशान किया मैन, मुझे माफ़ कर दीजिए पापा" अब मनिका थोड़ी रुआंसी हो गयी थी, उसकी आवाज़ में भारीपन आने लगा था
!
Reply


Messages In This Thread
RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी - by sexstories - 01-02-2020, 01:06 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,564,046 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 551,567 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,259,869 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 952,606 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,689,689 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,111,414 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,003,576 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,231,631 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,094,949 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,997 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)