Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 02:18 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
आदम : क्या हुआ आंटी? आप रो क्यूँ रही है? चंपा कहाँ है? क्या उसने ये शहर छोड़ दिया (जानने को मेरा दिल बेताब था एक वहीं तो मेरे दिल के इतने पास थी)

औरत : अब वो कभी नही आएगी बाबू वो अब इस दुनिया में ही नही रही वो छोड़के चली गयी हमेशा हमेशा के लिए इस ज़ालिम दुनिया को....लेकिन गम इस बात का है कि मरी भी तो कैसी मौत? कौन था उसकी माँ और बहन के सिवाय उसका ज्सिके लिए वो अपने जिस्म को बैच बैचके पैसा इकट्ठा करती थी काश तुम होते उस वक़्त उसके बुरे वक़्त में तो शायद उसे कुछ सहनभूति तो मिलती तुम्हारा अक्सर ज़िक्र किया था उसने मुझसे कि तुम उसके लिए थे सबसे ख़ास थे उसके कस्टमर....पर थे उसके एक सच्चे दोस्त जिसे वो हर्पल याद करती थी

मैं एकदम खामोश था...चुपचाप जैसे ठहर सा गया ऐसा लगा जैसे कुछ ऐसा हो गया कि मैं होशो हवास खो बैठा था मेरी सबसे करीबी जानने वाली एक दोस्त मुझे छोड़के इस दुनिया से जा चुकी थी....मैं जानने को उत्सुक था कि आख़िर ऐसा क्या हुआ था उसके साथ? तो उस औरत ने बताया कि उसे गंदी बीमारी ने जकड लिया था जो अक्सर इस पेशे की औरतों को हो जाती है....उसकी बीमारी कब इतनी बढ़ गयी उसकी लापरवाही के चलते कि वो अपने आख़िरत को नही रोक पाई....औरत ने बताया कि उसने उसे काफ़ी सावधानी बरतने को कहा पर थी तो वो भी लापरवाह इस चलते उसे एड्स हो गया था....जो उसकी मौत का कारण बना..

मिला तो मैं भी था उससे कयि बार लेकिन कभी इस मुसीबत को मैने दावत नही दी थी.....हम दोनो एकदुसरे के बेहद इतने करीब आए थे कि जितना करीब मैं अपनी ज़िंदगी में किसी औरत के साथ भी नही कुछ ऐसा किया था...वो पल वो दृश्य वो याद सब मेरे ज़हन में बिताए उसके साथ घूम रहे थे....मुझे उसके मौत की खबर ने जैसे झींझोड़ दिया था....

आदम : इतना सबकुछ हो गया और मुझे कोई खबर भी नही लगी उफ्फ चंपा ये तू कैसा दर्द देके गयी? (मन ही मन मैं खुद को कोस्ता सा बोला)

औरत ने जब मेरी आँखो में उसके खोने के गम को देखा तो उसे आश्चर्य हुआ मैं लगता ही उसका कौन था? था तो उसके चाहने वालो में से ही एक...लेकिन मेरे उमड़ते आँसुओं को देख उसने मुझे शांत होने कहा इस बीच मैने उसे अपने आँसुओं को भी पोंछते देखा

औरत : बेटा ज़िंदगी और मौत पे किसी का बस नही...और ये तो होना ही था क्या कहा जाए? ये तो उसकी ख़ुशनसीबी कि मरने के बाद भी उसके चले जाने पे भी कोई आँसू बहा रहा है वरना हमारे लिए आँसू बहाता ही कौन है?

आदम : ऐसा नही है काकी मेरी ज़िंदगी में चंपा बहुत अहमियत रखती थी काश काश मैं वापस शहर आते ही उससे भेंट करता....पर सच पूछिए तो वक़्त की नज़ाकत ही कुछ ऐसी थी कि मैं चाह कर भी यहाँ ना आ सका मुझे बहुत दुख हुआ उसकी मौत का मुझे बेहद अफ़सोस है एक वहीं तो थी जिससे दिल-ए-हाल ब्यान करता था बस गम है इस बात का कि उसके लिए कुछ कर ना सका इतने दुख को समइते हुए भी उसने कभी उफ्फ तक नही किया मेरे सामने अगर कह कर देखती एक बार तो पक्का मेरा साथ उसे नसीब होता हर मुमकिन हर कोशिश उसकी मदद करता

औरत : बहुत देर हो चुकी है बेटा वो अब जा चुकी अब मेरी मानो तो यहाँ आना अब तुम्हारा फ़िज़ूल है शायद तुम ही रहे होंगे एक जो यहाँ आके उसके लिए इतना दुख प्रकट कर रहे हो वरना आजतक जीतनों के साथ भी वो सोई थी उनमें से किसी ने भी आके हमसे ठीक तरीके से उसके बारे में जाना तक नही मौत की खबर सुनते ही किसी और रंडी के पास चले गये होंगे भ्डवे क्यूंकी अब दिल बहलाने वाली जो नही रही

आदम : काकी प्ल्स ऐसा ना कहिए ये उसका पेशा था ज़रूरत नही...उसकी ज़रूरत तो वो पैसे थे जो मैं अक्सर उसे दिया करता था पर अफ़सोस मेरे वो पैसे भी उसके जान नही काम आए...एनीवे उनकी मदर और बहन जो थी वो कहाँ गयी?

औरत : करीब 2 महीने पहले जब वो बेहद बीमार थी तो उसने बताया कि उसकी माँ के पास उसे कॉल करने तक के लिए बॅलेन्स नही था और वो इतनी ज़्यादा कमज़ोर पड़ चुकी थी कि उस काबिल नही थी कि पैसे भेज सके उसी के पैसो पे ही तो उसकी बीमार माँ भी निर्भर थी...उसके ही पैसो पे उसकी बहन कॉलेज में पढ़ रही थी...जो करीब उसी की हम उमर थी चंपा का असल नाम तंज़िमा था...वो पस्चिम दीनयजपुर की थी बेचारी उसने इस पेशे को क्यूँ चुना? मैने मना भी किया हमारी तो मज़बूरी है तेरा क्या है तू जवान है तुझपे तो लोग पैसे बरसाएँगे पर जब कल को साथ थामने वाला कोई नही होगा....

आदम : अच्छा तो वो लोग यहाँ नही आए

औरत : आएँगे कैसे? एक माँ और बहन ही तो थी उसे हॉस्पिटल ले गयी थी डॉक्टर ने सॉफ कह दिया था इसे अड्मिट करना होगा अड्मिट करके भी क्या उखाड़ लेते वो लोग क्या उसकी बीमारी ठीक कर पाते जनरल वॉर्ड में उस सरकारी हॉस्पिटल में उसने दम तोड़ दिया कोई देखने नही आया उसे वो शूकर है मेरी सहेलियो का जो उसे काफ़ी मानती थी घर में भी उसके ये मेसेज भी हमने छोड़े थे पर वहाँ से कोई नही आया...और आते भी तो क्या मुझे तो डर है कि उसके मौत के बाद उसके परिवार का क्या हाल हुआ होगा?

मन ही मन में सच में आज मूड इतना खराब हो गया था कि कुछ कहने को नही...औरत ने बताया कि ये कमरा खाली हो चुका जो कुछ सामान भी था वो मकान मालिक ने ज़ब्त कर लिया....सुनके बेहद दुख हुआ मेरे अब वहाँ ठहरने की कोई उमीद नही थी बस अपने आँसू पोछते हुए इतना कहा

आदम : काश एक बार वो कह कर देखती बस एक फोन कॉल कर देती तो उसे कह पाता कि मुझे उसकी कितनी परवाह है? उसे हर मुमकिन मदद की कोशिश करता उसका इलाज मैं करता लेकिन शायद किस्मत में हमे जुदा होना ही लिखा था
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