Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 02:15 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
मैने उन्हें क्या कहता? कि कौन कौन? किन किन व्याबचार रिश्तो को जनम दिया था मैने....अपने ही सग़ी संबंधियो से रिश्ता बनाया था पहले ताहिरा फिर रूपाली फिर तबस्सुम दीदी फिर अधेड़ उमर की वो काकी लगी रिश्तें मे सुधिया काकी.मैने बस बातों को गोल गोल घुमाते फिराते हुए यही कहा कि थी कोई? लेकिन राजीव दा छोड़ने वालो में से नही थे इसलिए मेरी हवस भरी हसरतों को जगाने वाली मेरी माँ की तरफ मेरा रुख़ करने वाली उस औरत का नाम मज़बूरी में ले डाला जिसका नाम था चंपा वहीं धंधे वाली जिसका मैं एक समय था कि आशिक़ बन गया था उसकी खूबसूरती का उसके गोरे चिकने जवान काटीले बदन का

राजीव : ह्म ये चंपा कौन थी?

आदम : बस थी यही रहती थी आपको बताया था ना कि मैं यहाँ पहले भी रह चुका हूँ अभी वापिस से शिफ्ट किया

राजीव : ओह हां हां

आदम : बस ऐसे ही संबंध बन गये थे उससे पर हमारा रिश्ता कुछ अलग ही मोड़ पे था

राजीव : क्यूँ?

आदम : बस वो एक प्रॉस्टिट्यूट थी और मैं एक घरेलू घर का लड़का

राजीव दा ने चौंकते हुए मुझे देखा ऐसा लग रहा था जैसे कह उठेंगे कि कोई नही मिली तो रंडी मिली तुम्हें चोदने को...जिससे इश्क़ लगा बैठे..पर सच पूछो तो चंपा के लिए फीलिंग्स थी दिल में वो सबसे पहली औरत थी मेरी लाइफ में और आज भी मैं उसे मिस करता हूँ कहा था उसने मुझसे कि भूलिएगा नही सरकार एक वहीं थी जो माँ और मेरे रिश्ते से वाक़िफ़ थी राजीव दा ने मुस्कुराते कहा ह्म नाइस पर भाई रंडी से संबंध तक ठीक था पर शादी कैसे करते ? सबसे पहली बात उसका तुम्हारा कोई मेल नही रहता तुम पढ़े लिखे समझदार लड़के सिर्फ़ तारक की हसरत थी तुम्हारी पर प्यार नही यार यहाँ तक कहानी ठीक नही लगती

आदम : प्यार अँधा होता है राजीव दा वाक़ई बेहद अँधा नही देखता जात पात रिश्ते नाते बस हो ही जाता है (माँ के चेहरे को सोचते हुए मैने कहा)

राजीव : ह्म सही तो कहा तुमने अब मुझे ही देख लो जिसको कल तक बहन कहा आज उसके साथ कितनी बार सोया हूँ अर्रे बीवी बन गयी वो मेरी पर देख यार माँ है तेरे पास तुझे काये को ऐसे लफडो में पड़ना जानता है रंडी के चक्कर में पड़ता तो एड्स हो जाता तुझे


आदम : रंडी तो हमने ही उसे बनाया है ना राजीव दा उसकी मज़बूरियो ने एक से नही दस से चुदवाती है सोती है उनके साथ उन्हें मज़ा देती है चाहे खुद कितने ही दर्द से ले....लेकिन ये फॅक्ट है कि आज घरो घर की लड़किया आमतौर पे इतने बाय्फरेंड्स बनाती है कि जितने धंधे वालियों के कस्टमर्स नही होते

राजीव : भाई दुनिया ही खराब हो चुकी है

आदम : ठीक है चलो मान लिया जाए कि ऐसा की जिस लड़की की ज़िंदगी में 3-4 लड़के बाय्फरेंड्स रहे हो उसकी शादी तय कर दी जाए तो फिर भी उसे घर की ही बहू माना जाता है पर अगर किसी कोठे में किसी लड़की के साथ एक मर्द भी सो जाए तो उसके पास्ट को जानते हुए भी उसका हाथ ना थामे बताइए ऐसा क्यूँ?

राजीव : क्यूंकी घरेलू औरतें कोई रंडी नही होती और ज़रूरी नही कि हर घरेलू औरत ऐसी हो

आदम : माना ना आपने वैसे ही एक रंडी भी किसी की बेटी होती है किसी की कोई लगती है फिर क्यूँ उसे शादी का हक़ नही सिर्फ़ इसलिए की वो धंधा करती थी या फिर किसी गैर मर्द से मिल ली सिर्फ़ इसलिए की वो एक धंधे वाली थी उसकी मज़बूरी थी या कोठे पे उसे रंडी बना दिया गया क्या ये उसका हक़ नही वो भी तो कल माँ बन सकती है

राजीव : पॉइंट में तो दम है दोस्त लेकिन कौन इतना बड़ा देवता होगा जो जाने सुनके ऐसा कदम उठाए लोग तो उसी से शादी करेंगे ना जिसे वो सुशील संस्कारी या घरेलू ही समझे

आदम : शायद इस सोच को कोई ना समझे पर प्यार को समझना ज़रूर है कि प्यार अँधा होता है

राजीव दा चुपचाप हो गये उन्होने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा फिर कंधे पे थापि मारते हुए कहा मुझे यकीन है कि तेरी मुहब्बत उसके लिए भाग्यशाली होती पर यार मेरी मान भूल जा उसे...मैं सिर्फ़ मुस्कुराया और फिर कुछ देर बातचीत किए वापिस घर लौटा...ज्योति भाभी फिर उपर चली गयी...बोली राजीव दा को लेट ना हो जाए पर मैं जानता था राजीव दा से दूर होने का उनका कोई मन नही था..

मैं जब कमरे में लौटा तो मेरे उपर उदासी छा गयी खुदा से यही नाराज़गी थी कि क्यूँ तूने ऐसे रिश्ते बनाए जिसमें अँधा प्यार डाला अगर आज प्यार ना होता तो मुझे इतनी तक़लीफ़ नही होती माँ के इनकार से मुझे तक़लीफ़ हुई नही थी पहले रूपाली भाभी जो मुझ बेपनाह प्यार करती थी फिर मेरी माँ की तरफ बढ़ती हसरतें जिसने मुझे सारी हदें पार करने पे मज़बूर किया और चंपा जिसका मैं आशिक़ बन गया आज मैने अपने दिल को टटोला तो सच में उसे मैं सच में प्यार करने लगा था लेकिन राजीव दा ने ये बात सही की थी उसे भूल जाना ही मेरी समझदारी है...

अब मेरे जीवन में कुछ नही रहा था सबकुछ था मेरे पास माँ का प्यार भी...मेरे मूड को दुखी देख माँ ने भाँपा की शायद उसके ही लवज़ो से मैं हर्ट हुआ हूँ लेकिन मैं आज अपने व्याबचार रिश्ते और अपने कुछ नापाक रिश्तो के वजह से दुखी था....माँ ने मेरे कंधे पे हाथ रखते हुए मेरी चुप्पी तोड़ी

आदम : क्या हुआ माँ?

माँ नज़ाकत से मुझे देखते हुए बोली कि आज उसे एक सीडी मिली है क्या मैं उसकी खातिर वो सीडी प्लेयर में चला सकता हूँ? मैने सोचा ये माँ शायद लगता है फिर प्यार करने के मूड में थी....हाहहाहा मैं वापिस बहेक गया उसकी बातों से...वो सीडी मेरी लाई हुई थी और वो एक पॉर्न फिल्म की सीडी थी
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