Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:35 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
आदम : अब यहाँ क्या करने आया है तू? कल का डोज कम पड़ गया था क्या?

राज़ौल : देखो मुझे परवाह नही कि तुम मुझसे कितना गुस्सा हो? जो भी कल तुमने देखा वो महेज़ सिर्फ़ तुम्हारी मिसांडरस्टॅंडिंग्स थी मैं तुम्हारी माँ के साथ कोई ऐसी हरकत नही कर रहा था...

मैने अपनी मुट्ठी कस ली और उसे बड़े घूर्र के देखा...

आदम : फिलहाल तो माँ का लव्ज़ भी मुँह से मत निकालना तुम्हारी बातों में मुझे कोई विश्वास नही

राज़ौल : तुम्हें विश्वास करना होगा आदम मुझपे ना सही पर अपने पिता पे..

मैं जैसे एकदम ठिठक गया पिता पे क्या इस कमीने ने मेरे सो-कॉल्ड बाप को भी मोहरा बनाया था....शायद ये उसकी कोई धमकी हो पर उसके चेहरे पे ऐसे भाव थे जैसे वो मुझे ज़ज़्बातो के समुन्द्र में डूबो देना चाहता था..

आदम : पिता कौन सा पिता? मेरे पिता हमारे साथ नही रहते और भला उससे तुम्हारा क्या मतलब?

राज़ौल : मैं जानता हूँ शायद ये सुनके तुम्हें झटका लगे पर मैं यहाँ तुम्हारी ज़िंदगी को सवारने आया हूँ दरअसल अंजुम सॉरी तुम्हारी माँ और मेरा!

आदम : आगे कहो मुझे हिस्टरी नही जाननी

राज़ौल सकपकाता हुआ मेरी तरफ ऐसे देख रहा था जैसे माँ ने सबकुछ उसके बारे में मुझे बता दिया हो..

राज़ौल : कल जो तुमने किया शायद तुम्हें ये अहसास नही कि तुमने किसके गेरेबान पे हाथ डाला? किसे मारा? तुम्हारी माँ की नफ़रत जायेज़ थी भला तुम्हें और तुम्हारी माँ को राह पे छोड़के मैने गुनाह ही तो किया

आदम : तू कहना क्या चाहता है ?

राज़ौल : यही कि जिससे तुम्हारी मोम की शादी हुई है वो तुम्हारा पिता नही तुम्हारा पिता मैं हूँ

राज़ौल की इस बात से मेरी जैसे ज़मीन खिसक गयी...मुझे माँ पे अटूट यकीन था पर उस कमीने ने आज तो कल से भी ज़्यादा हद पार कर दी थी...मेरी माँ अंजुम जिसने अपनी कसम मुझे दी मेरी कसम मुझे दी जो कभी मेरी झूठी कसम नही खा सकती उस पवित्र औरत को अपनी बीवी और मुझे अपना बेटा कहना चाह रहा था यही कहना चाह रहा था कि मेरी माँ ने मुझे उस कमीने से लिया था...उसके साथ संबंध बनाए थे...अगर ये बात किसी बेटे के आगे कोई आदमी रखे तो उस पर क्या बीतती है ? वो उस गैर को कम और अपनी माँ को कोस्ता लेकिन यहाँ मुझे माँ पे पूरा विश्वास था मैं जानता था ये कमीना अपनी आखरी चला चलेगा और इसने इतनी घिनोनी बात कही वो बोलता गया और मैं उसे मारने का बस सवर करने लगा था मुट्ठी कस्स चुकी थी मेरी..

राज़ौल : हां हां मैं सच कह रहा हूँ तू मेरी औलाद है ना कि उस आदमी की जिसने तुम दोनो को इस राह पे छोड़ दिया तुम्हारी माँ और मेरे बीच अटूट रिश्ता था यही सच्चाई तुम्हारी माँ तुमसे छुपाना चाहती है एक बार यकीन करके देखो मैं बस इसी लिए इतने सालो बाद यहाँ आया जब खबर मिली थी तुम्हारी पैदाइश की तो मैं बेहद खुश हुआ मुझे इसलिए यकीन है क्यूंकी तुम्हारी माँ बिहार छोड़ने से पहले उस दिन मुझसे होटेल मे मिली थी !

राज़ौल आगे कुछ और कह पाता या अपने घिनोने झूठ और आगे कहता ही..कि अंजुम की बेज़्ज़ती ना बर्दाश्त किए रह नही पाया आदम..और उसने एक कस कर थप्पड़ जड़ दिया राज़ौल को वो तो गाल पकड़े वहीं गिर पड़ा..

आदम : मदर्चोद बेहेन्चोद माँ के लौडे क्या समझ रखा है रांड़ की पैदाइश कि मैं तेरी बातों पे विश्वास कर लूँगा अर्रे कल तो तुझे मौका दिया था कि तू यहाँ से दफ़ा हो जा पर तू तो ठहरा सूअर की चॅम्डी का तू कहाँ इतनी जल्दी हार मानता हराम के पिल्ले तेरी माँ सोई होगी किसी के साथ उससे चुद के तुझे पैदा किया होगा तूने कैसे कही ये बात कि मेरी माँ मेरी माँ तेरे से संबंध बनाई है..साले हराम के जने एक पवित्र औरत के उपर ऐसा गंदा इल्ज़ाम लगाने से तेरी आत्मा नही कांपी कुत्ते उसे तिल तिल के तक़लीफ़ पहुचाई अब मुझे ज़रिया बनाके उसके पास आना चाहता है हरामजादे आज तो मैं तुझे नही छोड़ने वाला

राज़ौल मेन गेट पे ना खड़ा होके पीछे के कॉंपाउंड में आया था.जहाँ एक पतली सी गली शुरू होती थी वहाँ से आस पास के लोग बहुत कम गुज़रते थे वो ऑफीस का पिछवाड़ा था...मैं तो बस उस पर टूट पड़ा था...कल की कसर आज एक बार फिर पूरी कर दी थी मैने उसे मैने एक लात देके साइकल के ठेलो पे गिरा दिया और ठीक उसके उपर झपटते हुए उसके चेहरे पे अनगिनत मुक्के बरसाने शुरू कर दिए उसे गेरेबान से उठाया और पीछे की दीवार पे उसके सर को दे मारा...वो चक्कर खाए सर पकड़े वहीं ढेर हो गया...मैने उसके हाथ को मरोड़ते हुए तोड़ने का प्रयत्न किया वो दर्द से बिलबिला उठा सर नाक और होंठ से उसके खून बह रहा था...उसे शायद पछतावा हुआ होगा कि उसकी ये चाल भी कामयाब नही हो सकी...उसने सोचा था कि वो यहाँ आएगा मुझे भड़काएगा और फिर मैं धीरे धीरे उसे अपनी माँ के करीब ले आउन्गा और फिर वो मुझे ज़रिया बनाके माँ से अपनी हसरत पूरी कर लेता यही उसकी चाल थी...पर कमीना ये भूल गया कि माँ की हसरातों पे भी अब मेरा क़ब्ज़ा था और उसकी रूह पे भी वो ये नही जानता था उसका बेटा उससे भी कितना उसकी माँ के लिए जुनूनी और दीवाना था..

अभी उसकी बाँह को मरोड़े मैं वहीं फर्श पे उसके साथ गिरा उसकी हड्डी तोड़ने ही वाला था कि इतने में राजीव दा अपनी वर्दी में अपने कॉन्स्टेबल और बाकी पोलीस कर्मी के साथ वहाँ पहुच गये थे वो सब मुझे छुड़ाने लगे पीछे स्टाफ मेंबर भी दफ़्तर के आ गये कि आख़िर क्या हो रहा था? मेरे शर्ट के बटन टूट गये थे लगभग हाथा पाई में मुझे भी बहुत जगह चोट आई थी शर्ट पूरा गंदा हो गया था...राजीव दा ने फुरती से मुझे कस कर उसकी गर्दन और बाँह से छुड़ाया...वो दर्द से कराहता हुआ वहीं ज़मीन पे ढेर हो गया....राजीव दा ने कॉन्स्टेबल को कहा तो वो लोगो भी लगभग घँसीटते हुए उसे पकड़े ले जाने लगे..

राजीव : पागल हो गये हो क्या? आदम शांत हो जाओ शांत हो जाओ लो पानी पियो (राजीव दा ने वॉचमन से बॉटल लेते हुए मुझे दिया)

मैं हान्फ्ते हुए खुद के साँसों पे काबू पाया...फिर उन्हें बताया कि राज़ौल यहाँ क्या कहने आया था सुनके राजीव दा का भी खून खौल उठा..और फिर उन्होने कहा कि अब डरने की ज़रूरत नही...उन्होने पीछे ले जाते राज़ौल को पोलीस वालो की गिरफ़्त में देख गुस्से से ज़ोर से दहाड़ते हुए कहा "गिरफ्तार करो साले को बिठाओ जीप में हरामी के जने को आओ आदम चलो"........राजीव मेरे कंधे पे हाथ रखके मुझे वहाँ से ले आए

हम जल्द ही थाने पहुचे सलाखो के पीछे राज़ौल को वॉटर ट्रीटमेंट और लाठी की मार दी जा रही थी वहाँ सब क़ैदियो में से सबसे ज़्यादा उसी की दहाड़ सुनाई दे रही थी..पोलीस उसकी 2 घंटे तक धुलाई करती है तो इस बीच राजीव दा खुद अंदर जाके सबको रोकके वापिस अपने सीट पे आके बैठ जाते है...

राजीव : बस कुछ ही देर में तुम्हारी मोम भी यहाँ आ जाएगी आदम

आदम : उन्हें बुलाने की क्या ज़रूरत थी?

राजीव : केस उन्होने फाइल किया था इसके खिलाफ अब ये पकड़ा जा चुका है तुम्हें फिर ये धमकी देने आया और अगर तुम शांति से भी पेश आते जो तुम करने नही वाले थे फिर भी यह बाज़ नही आता ये फिर कोई और ख़तरनाक चाल इस बार चलता क्यूंकी मैने जैसा कहा था ये ज़हरीला साँप बन चुका है अब पोलीस वाले इससे इसका स्टेट्मेंट उगलवा लेंगे कि आख़िर क्या वजह थी जो यह तुम्हारी माँ के पीछे आया? तुम फिकर मत करो मैं उसे खुद इंटेरगेट करने जा रहा हूँ तुम यही बैठो
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