Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:33 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
मैं उसी पतली गली से होता हुआ बरामदे में आया तो ऐसा लगा जैसे वापिस मैने बीते कल में कदम रखा हो....सामने ही वो गुसलखाना था जहाँ पर मैने ताहिरा मौसी को ना जाने कितनी बार चोदा था...उफ्फ उसके बाद रूपाली भाभी ने हमे रंगे हाथो पकड़ा उसके बाद उसके दिल पे क्या गुज़री थी? एक तो उसकी निगाहों में मेरे लिए जो गुस्सा था...जब उसने मुझसे नफ़रत भरे अंदाज़ में मुँह मोड़ लिया और मैं भी उसे उस अधूरे रास्ते पे छोड़के वापिस शहर आ गया था...वाक़ई आज एक साल बाद भी जैसे वो सब एकदम ताज़ी ताज़ी सी घटना लग रही थी मुझे...

अंदर चहेल पहेल थी गनीमत थी कि मुझे मौसा और रूपाली के पति कहीं नही दिखे समझ आया कि घर में महेज़ औरतें ही थी...जैसे ही दो कदम आगे ही बढ़ा तो बगल वाले कमरे में मुझे माँ दिखी साथ में ताहिरा मौसी भी बैठी हुई थी...जैसे ही मैं अंदर आया तो पाया उनके हाथ में रूपाली का बेटा था जिसे माँ खिला रही थी...वो उसकी गोद में किल्कारियाँ ले रहा था...

मुझे ताहिरा मौसी देखके बहुत खुश हुई और बैठने को कही तो मैं उसके बगल में बैठ गया माँ मुझे बेहद खुश नज़र आई वो तो जैसे रूपाली के बेटे को लेके ही व्यस्त थी उसे कभी पूचकार रही थी तो कभी गोद में लिए टहला रही थी....उसे क्या मालूम जो बच्चा उसकी गोद में है वो किसी और का नही बल्कि मेरा खुद का है ताहिरा मौसी मेरे कंधे पे हाथ फेरते हुए मुझसे पूछी और मैं कैसा हूँ? मैने भी जवाब दिया कि मैं ठीक हूँ मैं उनका हाल चाल पूछने लगा....ताहिरा मौसी काफ़ी कमज़ोर दिख रही थी आँखो के नीचे काले घेरे पड़ चुके थे ना कोई साज़ था ना सिंगार ऐसा लग रहा था जैसे कितनी बीमार सी हो गयी हो...फिर माँ ने मेरी गोद में राहिल को दिया उसे एक बार गोद में लेके मैने बड़े गौर से देखा सच में भाभी का बेटा तो पूरा मुझपे गया था

वो मेरी गोद में आते ही शांत हो गया मैं उसे लेके खड़ा होके टहलने लगा....माँ प्यार से मुझे राहिल को खिलाते देख खुश हो रही थी...."देख री ताहिरा एक टाइम था बच्चे को पसंद भी नही करता था? और आज कैसे अपने ही भतीजे को खिला रहा है
......."हां अंजुम दी वैसे एक बात बोलू राहिल को अब देखो और अपने आदम को देखो चेहरा एकदम एक जैसा है".........

माँ हंस पड़ी उसने भी शरारत भरे अंदाज़ में कहा चलो अच्छा हुआ अपने गोरे हॅंडसम चाचा पे गया है....मैं उन दोनो की बातों से शर्मा सा गया...उस वक़्त मैं जैसे अपनी आप बीती में चला गया था...

इतने में रूपाली भाभी अंदर आई उसे देखते ही जैसे मेरी साँसें रुक गयी जैसे उसे देखते ही मैं खुद को मुजरिम सा महसूस करने लगा उसके हाथ में चाइ का ट्रे था सच में रूपाली भाभी निखर गयी थी....कितना सुडोल बदन हो गया था उनका साड़ी के पल्लू के बीच से उसकी गोल गहरी नाभि दिख रही थी राहिल के जनम के बाद जैसे बदन और भी रूपाली भाभी का निखर गया था..पेट भी थोड़ा निकल गया था...वो भी एक टक मुझे घूर्र रही थी उसने पाया कि उसका बेटा राहिल मेरे हाथो में था..हम जैसे एकदुसरे के निगाहो में मुजरिम से थे मौसी और माँ दोनो जैसे हमे देखके मुस्कुरा रहे थे उन्हें ये नही मालूम था हमारे संबंधो के बारे में उन्हें ये नाही मालूम था कि जिस बच्चे को मैने गोद में लिया था वो रूपाली के पति का नही बल्कि मेरा और रूपाली भाभी का था...

इतने में मुझे अहसास हुआ कि राहिल ने मेरी गोद में सूसू कर दिया..तो माँ ने हड़बड़ाते हुए चाई की प्याली रख ली...."अर्रे ओह हो रूपाली ज़रा इसे थामना तो उफ्फ बेटा तेरा तो पूरा शर्ट खराब हो गया"........

"ओह काकी आइ आम सॉरी मेरी वजह से"......रूपाली ने आगे आके मुझे राहिल को लिया तो एक नज़र हमारी एकदुसरे की ओर हुई...

."कोई बात नही माँ कोई बात नही बच्चा है क्या फरक पड़ता है"........मैं अपने शर्ट के बटन्स को खोलता हुआ बोला

ताहिरा : हां वोई तो बच्चे तो पाक होते है अर्रे रूपाली तुम जाओ और आदम को उसके बड़े भाई का कोई एक शर्ट निकाल के दे दो

रूपाली : जी काकी (रूपाली ने कुछ नही कहा वो बस जैसे आगे आगे चली गयी बिना मुझे कुछ कहे जैसे नाराज़गी अब भी थी उसे मुझसे)

मैं पीछे ताहिरा मौसी और माँ को गफलत में छोड़ बाहर आया...हम दूसरे वाले कमरे में आए...रूपाली मुझे देखते हुए नज़रें चुराने लगी और मुझे एक शर्ट अपने पति यानी मेरे भाई का निकालते हुए मुझे देते हुए जाने लगी....मैने उसे रोका

आदम : रूपाली प्लीज़ रुक जाओ

वो ठहर गयी पर कोई जवाब नही दिया...जैसे नाराज़गी को वो ज़ाहिर कर रही थी अपनी खामोशी में (उसकी गोद में मेरा बेटा राहिल था)

आदम : मैं मानता हूँ जो मुझसे हुआ लेकिन प्लीज़ ऐसे कब तक नाराज़गी रखोगी जवाब दो

रूपाली : कब तक आदम कब तक नाराज़गी रखूँगी? (उसने पलटते हुए जैसे मेरे शब्दो को दोहराया उसकी आँखो में गुस्सा और आँसू दोनो उमड़े हुए थे)

रूपाली : भला मैं क्यूँ नाराज़ रहूंगी तुमसे क्यूँ कोसुन्गि तुम्हें कोसुन्गि तो अपनी किस्मत को जो मुझे ऐसी ज़िंदगी मिली देखो आदम मैं बदल चुकी हूँ अब मैं खुश हूँ मेरे पास राहिल है और परिवार वाले इस बात से बेहद खुश है और मैं भी

आदम : क्या ताहिरा मौसी अब भी तुमसे नाराज़ है? जो कुछ हुआ था? जवाब दो

रूपाली ने कोई जवाब नही दिया मैने उसे अपनी तरफ पलटा तो वो थोड़ी घबराई नज़रें इधर उधर फैरने लगी...उसने राहिल को बिस्तर पे रखते हुए उसके गीले पॅंट को उतार उसे डाइपर ढूँढते हुए पहनाना शुरू किया

आदम : मेरी बातों को इग्नोर करके तुम ये मत समझो कि मैं तुम्हारी हालत को नही जानता मैं जानता हूँ कि सबने तुम्हें मान लिया है ताहिरा मौसी को अभीतक कुछ मालूम नही और मुझे खुशी है और ना मैं चाहता हूँ कि सिर्फ़ मौसी बल्कि मेरी माँ को भी कुछ मालूम ना चले पर तुम्हारे चेहरे का दुख ये मुझे अच्छा नही लग रहा

रूपाली : तुम्हें क्या अच्छा नही लग रहा और क्या नही ? मुझे फरक नही पड़ता प्लीज़ अब इस टॉपिक को और मत छेड़ो मैं नही चाहती की किसी को कुछ भी मालूम चल जाए

आदम : मेरे अच्छा लगने से क्या होता है? मैं तो बस यही चाहता हूँ कि तुम जहाँ भी रहो खुश रहो लेकिन तुम्हारे चेहरे पे सिमटा ये दुख मुझे भा नही रहा अगर तुम बदल ही चुकी हो तो क्यूँ तुम खुश नही?

आदम जानता था रूपाली ने उसे क्यूँ जवाब नही दिया? क्यूंकी रूपाली खुद को भी शर्मिंदा महसूस कर रही थी...उसे जैसे दर्द हुआ था आदम की बेवफ़ाई से...उसे दुख हुआ कि उसके पेट में उसके पति का नही आदम का गर्भ ठहरा था...लेकिन ताहिरा मौसी की बेज़्ज़ती और उनसे अपने सच के ना खुलने का ही डर उसे खा रहा था...आदम ने उसे अपनी तरफ किया और उसे तफ़सील से समझाने लगा जो हुआ सो हुआ अब वो ये गिले शिकवे दूर करे वो आज यहाँ अपने मर्ज़ी से नही आया बल्कि माँ की वजह से आया वरना जिस दिन रूपाली ने उसे कहा था उस दिन से ही उसने कसम खा ली थी कि वो और रूपाली की ज़िंदगी में दखल नही देगा...पर आज राहिल को देख जैसे उसके दिल में फिर से प्यार उमड़ सा गया था...वो न ही चाहता था कि रूपाली भाभी के साथ वो दुबारा कोई संबंध बनाए ना ही वो उसके ग्रहस्थी को उजाड़ना चाह रहा था वो बस यही चाहता था कि रूपाली उसे मांफ कर दे क्यूंकी अब हालत दोनो के काबू में थे....किसी को कुछ मालूम नही था....उसने ये भी जानना चाहा कि रूपाली के दिल में क्या है? क्या वो अब भी आदम के लिए अपने दिल में फीलिंग्स रखी हुई है...रूपाली ने बस अपने आँसू पोंछते हुए आदम की ओर रोई सी निगाहो को देखा...और मुस्कुरा कर बस इतना कहा
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