Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:30 PM,
#90
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
ताहिरा मौसी को नानी ने बता दिया था कि मैं वापिस होमटाउन में इस बार माँ के साथ शिफ्ट हो गया हूँ तो वो खुश हुई लेकिन उन्हें जगह का मालूमात नही था...नंबर मैने यहाँ से जाने का बाद सिम चेंज कर दिया था इसलिए वो नंबर जो ताहिरा मौसी के पास था वो अब बंद हो चुका था...इसलिए वो मुझे कॉंटॅक्ट नही कर पा रही थी...नानी की ही बदौलत ताहिरा मौसी मेरे घर तक पहुचि मुझसे जिस दिन मिली थी उस दिन वो मुझसे लिपटके रोने ही लगी इतने दिनो बाद जो मुझे वापिस देख रही थी...उन्होने मेरे होंठो और गालो को चूमा पर माँ की मज़ूद्गी के अहसास से उसने अपने आँसू पोंछे और माँ से भी गले मिली

फिर वोई पुराना घरों जैसा माहौल दोनो बहने बात करने लगी फिर ताहिरा मौसी ने बताया कि सुधिया काकी बूढ़ी हो चुकी है और वो लगभग डिस्ट्रिक्ट में रहती है बेटे ने उनके शादी कर ली और बहू के साथ उनकी बनती नही इसलिए अक्सर गाओं में ही पड़ी रहती है...मैने कहा कि मेरी कोई चर्चा अब किसी से ना करे...रूपाली भाभी का तो ताहिरा मौसी ने ज़िक्र ही नाही किया मेरे सामने थोड़ा बहुत माँ के ही सामने की फिर उसकी शिकायत करने लगी कि ऐसा करती है वैसा करती है उनका घर बार आज भी कलेश में ही चल रहा था....रूपाली का हज़्बेंड यानी मेरा भाई एक आध बार आया था मिलने पर ना उसे अपनी औलाद में कोई इंटेरेस्ट था ना रूपाली में सुना था जब ठरक चढ़ती है तो तब बीवी को अकेला पाके उस पर टूट पड़ता है ये सब सुनके ही मुझे बेहद बुरा भी लगा और अच्छा भी ना लगा सुनके

मैने ताहिरा मौसी को अपने और माँ के संबंधो की कोई चर्चा नही बताई थी....उनके जाने के बाद उन्होने भी आना कम कर दिया....हालाँकि मौसा ने माँ को देखने की इच्छा जाहिर की थी..पर माँ उनसे मिलने के लिए कोई ख़ास मन ना बनाई हुई थी ऐसे ही तो मेरी मर्ज़ी पे मज़बूरी ही कह लो होमटाउन यानी अपने ससुराल आई थी...अपने ससुराल भी नही गयी थी किसी को कुछ खबर नही था....पिताजी भी कम कॉल किया करते थे

धीरे धीरे मेरे पैसो में बढ़ोतरी होने लगी और मैं अच्छी आमदनी कारोबार से कमाने लगा...मैं एक पर्चेस ऑफीसर की भमिका निभा रहा था....अब मेरी जान पहचान मार्केट में बहुत बढ़ चुकी थी....रिश्तेदार लोगो से भी मुलाक़ात की थी..पर ना तो रूपाली से मिला था ना ही चंपा से कभी भेट की थी....हालाँकि चंपा की बड़ी याद सताती थी उसके साथ मेरा रिश्ता गहरा सा था...लेकिन मैं तौबा कर चुका था की माँ के बाद अब किसी और औरत को टच तक नही करूँगा...

माँ भी धीरे धीरे सब्ज़ी लाने टाउन जाने लगी कहने लगी कि इतनी औरते रात रात गये अकेली लड़कियाँ तक टाउन से यहाँ आती है क्या हर्ज़ है? मैने कोई आपत्ति नही जताई...मैं तो अपनी ज़िंदगी में खुश था...सब्ज़िया राशन खरीदके वो घर लाती और हम माँ-बेटे एकदम इतमीनान से ज़िंदगी गुज़ारते

धीरे धीरे टीवी भी खरीद लिया और साथ में एक होम थियेटर सेट भी...कभी कभी गंदी गंदी फ़िल्मो वाली सीडी भी बेझीजक ले आता तो माँ टोकती...पर मैं कहता साथ देखेंगे तो वो शरमा जाती..जब घर पहुचता तो माँ खुले बाल को कंघी करते हुए टीवी पे लाउड वॉल्यूम में गाना सुन रही मुझे मिलती...आजकल माँ मेरे साथ ज़्यादा से ज़्यादा घुलने लगी थी...

एक दिन टीवी पे मस्त फिल्म आ रही थी....जो कि बी-ग्रेड मूवी थी उसमें पति को शराब पिलाके उसके दोस्त उसे बेहोश कर देते है उसके बाद उसी कमरे में मौज़ूद बीवी के साथ ज़बरदस्ती करने लग जाते है...वो विरोध करती है तो उसे उसके पति के नशे में धुत्त दोस्त धमकाने लगते है कि वो उसे चोदेन्गे भी साथ में उसका वीडियो भी बनाएँगे...ये सुन औरत डर जाती है वो दुल्हनो के जैसी लाल साड़ी वाले कपड़ों में होती है मैं वॉल्यूम थोड़ा कम किया इस बीच देखा कि माँ फिल्म मे ऐसे सीन्स को लेके कोई आपत्ति नही कर रही जब मैने टोका तो उसने फटाक से कहा तुझे बुरा लग रहा है ये सब देखके तो बंद कर दे मैने कहा नही नही...मैने उसके कंधे पे हाथ रखा...हम फिल्म देखने लगे..लड़की की चीखें पूरे कमरे में गूँज़ रही थी उसकी साड़ी और ब्लाउस फाड़ दी जाती है उस पर पाँचो के पाँच टूट पड़ते है

उसकी ज़बरन चुदाई शुरू हो जाती है...हर एक गुंडा उस पर चढ़ता है उसकी पेटिकोट के नाडे को जो कि नाभि के उपर हाथ डालता गुंडा खोल देता है उसके बाद सीन में बस उसकी पैंटी के उपर हाथ दिखाए जाते है उसके बाद सीन गुन्डो पे फिल्माया जाता है फिर उनके हाथो में उसके नीले रंग की पैंटी होती है जिसे सूंघते हुए वो लोग ठहाका लगाए उसे बेबस देखने लगते है....औरत रो रही है अब उसे गले और बगलो से ऐसा दिखाया जा रहा है कि वो नंगी उसका पूरा बदन पसीना पसीना हो रहा है साथ में उस पर चढ़ा उससे लिपटा गुंडा भी पसीने पसीने और गुलाबी आँखो में दिखाया जाता है बस सीन में उसके आगे पीछे होने के सीन होते है उसके हाथो की चूड़िया टूटते और उसके कलाईयों को मरोदते दिखाया जाता है...लड़की बेदर्दी से चीख रही है उसके माथे के सिंदूर और बिंदी को पोंछ दिया गया है...उसके बाल बिस्तर पे बिखरे हुए है बस उसकी छातियो और गले पे हाथ फिरता और उसकी नाभि को दबोचते गुंडे लोगो को दिखाया जाता है

उसके बाद उसका हिलना डुलना रुक जाता है...वो बस सिसक रही होती है...सूबक रही होती है पाँचो गुंडे अपने अपने कपड़े पहनते हुए हान्फते हान्फ्ते दिख रहे होते है फिर वो कमरे से निकल जाते है तो सोफे पे उसके नशे में चूर गहरी नींद में सो रहे हज़्बेंड को देखके हंसते ठहाका लगाते चले जाते है....

"उफ्फ कैसे कैसे सीन्स बना लेते है ये लोग इन औरतो को शरम नही आती".....माँ की आँखो को जब देखा तो वो गुलाबी हो चुकी थी....मैने टीवी ऑफ किया और माँ के एकदम करीब सॅट गया...."अर्रे माँ छोड़ ना ये तो नौटंकी है आक्टिंग के लिए इस फील्ड में लड़किया कोई भी हद तक जा सकती है"..........

"ह्म तू सही कहता है ऐसा लगता है जैसे रंडियो को ही कास्ट करते है यह लोग"......

"और नही तो क्या तू फिगर देख कितना बेढंगा है इसके पिछवाड़े को देख इसकी छातियो को देख"......मेरे ऐसा कहने से माँ शर्मा गयी...

"तू भी ना बहुत अकेलेपन का फ़ायदा उठाने लगा है"..........

"अर्रे माँ मैं तो बस मज़ाक कर रहा हूँ देखा तूने समीर और आंटी को कैसे एकदुसरे के साथ प्रेमी जोड़ा की तरह रहते है".......

."ह्म ये तो है".......फिर माँ मेरे साथ लेटते हुए मुझे सोफीया आंटी के साथ जो वार्तालाप किया वो बताने लगी मैं सुनके हैरान चलो ये तो अच्छा ही हुआ कि माँ ने हमारे रिश्तो के बीच के इस फ़ासले को ख़तम ही कर दिया था अब समीर और सोफीया आंटी की शादी में माँ को भी ले जा सकता था

अगले दिन समीर का कॉल आया था मैने उससे खूब बात की उसे मेरी फिकर लगी हुई थी....उससे बात चीत ख़तम करने के बाद मैं घर लौटा तो पाया आज मैं जल्दी घर आ गया था माँ खाना बना रही थी...मैं माँ को नोटीस कर रहा था उसके बदन को निहार रहा था आजकल वो नाइटी पहनने लगी थी आज उसने हरी रंग की मेरी दिलाई हुई नाइटी पहनी थी....उसके चूतड़ काफ़ी उभरे हुए लग रहे थे...चलो अच्छा है माँ को यहाँ आके खाना पीना लगने लगा था...

मैने पीछे से माँ को फिर पकड़ा इस बार उनके पेट पे अपने हाथ फँसाए और उसे हल्का सा दबाया तो मेरे चिपकने से हंस पड़ी..."चल आज तुझे मार्केट घुमा लाता हूँ कैसी फीका फीका चेहरा लिए रहती है"......

."हां अब तू मुझे सोफीया की तरह तय्यार करना चाहता है"......

."क्यूँ कौन बेटा अपनी माँ को तय्यार नही देखना चाहता चल तो सही सारा दिन चूल्हा रसोईघर में खड़ी रहती है अब बस भी कर तेरे दिन आ गये अब ये बाबूजी का दिन नही कि 24 घंटे उनकी सेवा में लगी रहे".......

"अच्छा ठीक है पहले तू छोड़ तो"........

"नही मैं नही छोड़ूँगा"....

"प्ल्ज़्ज़ ना"......माँ ने नज़ाकत से कहा

तो मैने मुस्कुरा कर अपने होंठ आगे बढ़ाए तो माँ ने मेरे होंठ पे होंठ रखके एक हल्का चुंबन दिया...हम दोनो एकदुसरे से अलग हुए फिर मैं बिस्तर पे जाके लेट गया...फिर माँ तय्यार हुई और हम बाहर गये
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