Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:29 PM,
#84
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
आदम जानता था समीर ने ऐसा क्यूँ कहा? अपनी माँ की तरफ आकर्षित होने की वजह से उसने ऐसा कहा था लेकिन उसकी बातों में ही वो जता रहा था कि शायद वो ग़लत था आदम बहुत पाक दिल का है..कि उसने अपने खुशी भरी ज़िंदगी को छोड़के वापिस दिल्ली आने का फ़ैसला किया....और सबसे बढ़ कर अपनी माँ को संभाला

अंजुम भी समीर के सामने बेटे की तारीफ करने लगी...आदम शरमा रहा था...समीर ने उसे आँख मांर दी....कुछ देर बातचीत के बाद समीर ने आदम और अंजुम दोनो को अपने घर दावत में इन्वाइट किया कहा फिर मौका मिले ना मिले....आदम उसके गले लगा समीर थोड़ा भावुक हो गया

आदम : अर्रे भाई मैं तो हूँ ना हर्वक़्त कॉल करूँगा और वीडियो चॅट भी

समीर : बिल्कुल करना होगा साले पहले तो फोन करता था तो उठाता नही था (समीर ने आँख मांर दी आदम समझ गया कि उसने ऐसा क्यूँ कहा उसे याद आया कि जिस दिन उसका कॉल आया था वो चंपा के साथ था समीर तो सबकुछ जानता था उसने मुस्कुरा दिया आदम को भाँपते हुए देखकर)

आदम : अब गॅरेंटी देता हूँ तेरे उठाने से पहले मैं फोन रिसीव करूँगा और इतना तुझे परेशान कर दूँगा फोन कर करके कि पगला जाएगा तू

समीर आदम और अंजुम हँसने लगे...समीर ने फिर अंजुम को सलाम किया जाने से पहले...आदम उसे गेट तक छोड़ने गया..फिर समीर आदम के घर से चला गया....माँ उसके उपर आते ही उसके कंधे पे हाथ रखके उसे अंदर ले आई....शाम तक पिता नोएडा में सामान शिफ्ट करके आ चुके थे...वो आदम और माँ के निकलने के 20 तारीख के बाद घर खाली करके जाने वाले थे...

नानी के घर जाने से पहले हम समीर और उसकी माँ से एक आखरी मुलाक़ात कर लेना चाहते थे...इसलिए हम दोनो माँ-बेटे समीर की दी दावत पे दोपहर 12 बजे निकले...चूँकि समीर अपनी माँ के साथ अकेला ही रहता था इसलिए हमे उसके किसी भी और सदस्य के ना होने से टेन्षन ना थी...माँ थोड़ा खुले गले वाला सूट पहनी थी जो काफ़ी उनपे सेक्सी लग रहा था...मैं वोई फॉर्मल शर्ट और जीन्स में तय्यार था जल्दी जल्दी तय्यार होके समीर के यहाँ पहुचे

समीर जैसे हमारे ही स्वागत में पलके बिछाए बैठा था....झट से दरवाजा खोल उसने मेरा और माँ का बड़ी इज़्ज़त से स्वागत किया....मैं समीर के गले लगा और हम भाई अंदर आए....माँ के वेलकम के लिए सोफीया आंटी पास ही खड़ी थी उन्होने ट्रॅन्स्परेंट सी ब्लॅक साड़ी पहनी हुई थी और मॅचिंग फिते वाला ब्लाउस देखके लग ही नही रहा था...कि वो सोफीया आंटी थी....समीर ने मुझे पीछे से हल्का सा धक्का दिया मैं जब उसकी तरफ मुड़ा तो उसने इशारे से कहा देख मस्त लग रही है ना?....मैने भी इशारे से एक आँख मारते हुए अंगूठा दिखाया

सोफीया आंटी माँ के गले मिली...दोनो को आपस में घुलते मिलते देख ऐसा लग रहा था जैसे कितने सालो की सहेलियाँ हो .....इतने में समीर ने मेरी माँ ने जो सूट पहना उसकी तारीफ कर डाली....अंजुम जैसे झेंप गयी वो शरमाई नज़रों से मुझे देखने लगी और सोफीया आंटी को...सोफीया आंटी भी हंस पड़ी

समीर : सच में आंटी आज आप बड़ी ब्यूटिफुल लग रही हो लगता है आदम ने आते ही आपको बिल्कुल बदल दिया

सोफीया : हां हां क्यूँ नही भला बेटे के सुख से बढ़ के हम माँ को कहाँ से खुशी मिल सकती है भला?

आदम : अर्रे आंटी खाली मेरी माँ की तारीफ होगी और आप तो लग ही नही रही कि आप सोफीया आंटी हो जिसे मैं कॉलेज टाइम से देखता हुआ आया हूँ

समीर और सोफीया भी शरमाते हुए हंस पड़े इस बार अंजुम भी मेरी तारीफ सुनके हंस पड़ी...."हां सच में सोफीया जी आप तो बहुत ही खूबसूरत लग रही है चेहरे पे कितना निखार आ गया आपके"........अंजुम की बात सुन समीर की माँ का चेहरा लाल हो गया...समीर बस शरमाता हुआ माँ की तारीफ सुन रहा था और सोफीया आंटी उसे चोर निगाहो से शरमाये देख मुस्कुरा रही थी....दोनो का नैन मटक्का देख मैने समीर को हल्की सी चूटी काटी तो समीर हंस पड़ा

मैं उसे ऐसा जता रहा था कि कम से कम मेरी माँ का तो लिहाज कर ......लेकिन उसे क्या पता? कि अंजुम को कल रात ही मैने इन माँ-बेटो की शादी तय होने की बात बता दी थी इसलिए माँ उन्हें देख देखके मुस्कुरा रही थी...

सोफीया : अच्छा भाई सारी बात यही हॉल रूम में करेंगे क्या चलो आदम बेटा उम्म्म अंजुम जी मैं खाना लगाती हूँ

समीर : हां आज मेरी माँ ने गरमा गरम आप लोगो के लिए चिकन बिरयानी बनाई है

अंजुम : अर्रे वाह सोफीया जी तब तो आज आपके हाथो का ज़ाएका मिलेगा खाने को

सोफीया : ज़रूर ज़रूर चलिए आओ तुम लोग भी (सोफीया अंजुम को कह कर किचन में चली गयी अंजुम मदद करने गयी तो समीर ने उन्हे मना कर दिया)

हम दोनो माँ-बेटे डाइनिंग टेबल के पास लगी कुर्सियो पे बैठ गये....माँ पानी पीने लगी...माँ दोनो माँ-बेटों को किचन में इकहट्टे काम करते देख काफ़ी खुश हुई उसे लग ही नही रहा था कि ये कोई प्रेमी जोड़ा हो सकता है कैसे इन्होने खूनी रिश्तो के अंदर ही अपने एक नये संबंध को जनम दिया था...माँ ने मेरे बाज़ू पे कोहनी मारी तो मैं उनकी तरफ पलटा

आदम : क्या हुआ माँ?

अंजुम : वाक़ई देख किस्मत हो तो ऐसी तेरा दोस्त समीर अपनी माँ का कितना ख्याल रखता है? और इतने आलीशान फ्लॅट में रहता है वाक़ई देख कैसे अपनी माँ का हाथ बटा रहा है (माँ ने मुझे माँ-बेटों की तरफ इशारा करते हुए कहा)

आदम : अर्रे माँ क्या मैं तेरा घर के कामो में हाथ नही बटाता

अंजुम : उफ्फ पगले मैं कह रही हूँ दोनो को देख मैं तो सिर्फ़ सुनती थी पर सच में तेरा दोस्त तो अपनी माँ का पूरा दीवाना है.....ऐसे उसके साथ व्यवहार कर रहा है जैसे मिया बीवी हो

आदम : तो क्या हर्ज़ है? मैं क्या कहता नही था? कि ऐसे रिश्तो में प्यार भरपूर होता है

अंजुम : हां सच कहा तूने शुरू शुरू में अज़ीब सा महसूस होता है पर माँ-बेटों के रिश्तो में जो प्यार घुला हुआ होता है वो तो हर संबंधो से बढ़ के है

आदम : ह्म अच्छा वो लोग आ रहे है ज़्यादा डिस्कशन मत करना मैं समीर को अपने और तेरे बारे में कुछ नही बताता

अंजुम : मतलब क्या नही बताता?

आदम : कि हमारे बीच भी एक और रिश्ता जुड़ सा गया है (इस बीच आदम ने टेबल पे रखे माँ के हाथो पे हाथ रख दिया और उसे हल्का सा सहलाया दोनो एकदुसरे को प्यार भरी निगाहो से देखने लगे)

समीर के आने की आहट को सुन दोनो ने झट से अपने हाथ अलग किए...समीर मुस्कुराए अपनी माँ के साथ थाली परोसने लगा...माँ भी पतीले से गरमा गरम चिकन बिर्यानी प्लेट्स में डालने लगी

आदम : अर्रे आंटी बस बस

सोफीया : ह्म यहाँ ना नुकुर नही चलेगा समीर के बाद तुमपे भी मेरा हक़ बनता है क्यूँ अंजुम?

अंजुम : हां हां ये भी आपका ही तो बेटा है

सोफीया : जवान लड़के हो और इतना कम खाओगे

समीर : हां मम्मी देख ना कैसे पतला दुबला हो गया चल चुपचाप खा आंटी आप भी लीजिए

आदम : अच्छा बाबा बस बस

हम चारो हंसते हुए बात करने लगे थे....साथ में लंच का भी आनंद ले रहे थे....समीर की मोम फिर समीर के पिता के बारे में बताने लगी....समीर थोड़ा उस वक़्त भावुक होके चुप सा हो गया....जैसे उसे अच्छा नही लग रहा हो....सोफीया आंटी ने बताया कि पिता के गुज़रने के बाद उसने एक मर्द की तरह माँ को सहारा दिया है कोई कमी नही होने दी...अंजुम भी सहमति में मुस्कुरा रही थी....समीर शरमा रहा था....फिर बातों बातों में हमारे होमटाउन की बात निकल गयी....गपशप होते होते 3:30 बज गया...झूठे खाली प्लेट्स को सोफीया आंटी ले जाने लगी तो माँ भी उनकी हेल्प करने चली गयी..
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