Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:26 PM,
#74
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
सोफीया : क्या करूँ बेटा? बस डरती हूँ कि किसी को इस बारे में मालूमात ना चले कि हम माँ-बेटे अब माँ-बेटे के रिश्तो में नही बँधे हुए है


समीर : दुनिया चाहे जो भी समझे तू मेरी बीवी है और मैं तेरा शौहर यही अंजानो को भी मालूम चलेगा अब कोई सवालात नही माइ डार्लिंग सोफीया अब कोई सवालात नही

सोफीया ने प्यार से बेटे के गाल पे चुटकी काटी...और दोनो हंसते हुए एकदुसरे से लिपटके सो गये....

मैं ये दृश्य देखके खुद पे काबू ना पा सका था...मेरी आँखो में आँसू भी थे और मुझे खुशी भी थी कि कैसे इनका अटूट प्रेम बँधा हुआ था? अब मुझे कोई शक़ या सवालात नही था....मैं बाहर आया दरवाजा ढंग से लगाया और घर आ गया

अंजुम : फिर तूने क्या किया?

अब तक माँ ने मुस्कुरा कर मेरे वार्तालाप को सुनते हुए कहा..."मैने क्या किया मतलब? घर आया उसे सीधा मेसेज किया...अगले दिन फिर मुलाक़ात हुई थी तो वो काफ़ी खुश लग रहा था पूछा तो उसने वोई बातें दोहराई..लेकिन उसे ये नही पता था...कि मैने सबकुछ देख लिया है"........माँ अब तक मुस्कुराते हुए मेरे सीने पे हाथ फेर रही थी

अब तक मुझे अहसास हुआ कि माँ के दो-तीन बार टाँगों को सही करने के चक्कर में मेरे टाँगों के बीच उनकी टाँग की घिस्साई से लंड एकदम उत्तेजित तौर पे खड़ा था

आदम : अब कहो तुम्हें क्या महसूस होता है?


अंजुम : यही कि हमारे बेटे हमसे कितना प्यार करते है शुरू में मुझे भी अज़ीब लगा क्यूंकी मुझमें ऐसी कोई फीलिंग नही थी पर उस दिन के बाद से सच में मैं भी ऐसे रिश्तो को बारीक़ी से पहचानने लगी हूँ

आदम : तो तुम्हें क्या ऐसा कुछ अपने बेटे में?

अंजुम ने शरारत से मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और मेरे गाल को पिंच किया...हम दोनो अटखेलिया करने लगे...माँ की गरम साँसें मुझे अपने चेहरे पे महसूस हो रही थी....इसलिए मैं माँ के एकदम नज़दीक आया बेहद नज़दीक माँ ने मेरे होंठ पे उंगली रखी और थोड़ी गंभीर सी हुई...मैने उनकी उंगली हटाई उन्होने आँखे बंद कर ली अभी हमारे होंठ एकदुसरे से मिले ही थे कि माँ ने झट से मेरे होंठो को चूम लिया

वो एकदम से हंस पड़ी..मैं भी एकदम से उसकी हरकत पे हंसते हुए उसे अपने सीने से लगा लिया..हम दोनो माँ-बेटे वैसे ही कुछ देर तक लेटे रहे...जब माँ एकदम गहरी नींद में आई...तो मैने जानबूझ के अपना हाथ उनके पेट पे जो रखा था उसे उनकी छाती पे रख दिया...और धीमे से बाई चुचि को जंपर के उपर से ही दबा दिया..उस अहसास से ही मेरा लंड फनफना उठा...


शाम को माँ जब अंगड़ाई लेने के लिए उठी..तो उसे अपने छातियो पे आदम के हाथ की गिरफ़्त महसूस हुई...उस पल उसे बेहद अज़ीब सा ज़रूर लगा....किस्सा सुनते सुनते कब वो कामुकता में भर गयी और अपने बेटे से लिपटके सो गयी उसे पता नही चला? समीर और उसकी माँ की स्टोरी सुनके यक़ीनन उसे बेहद मज़ा आया था...उसने अपने बेटे को देखा जो अभी गहरी नींद की आगोश में था उसने पास आके उसके माथे को हल्का सा चूमा और उसके हाथ को अपने छातियो से हटाते हुए उठके बाथरूम चली गयी...

यह तो जैसे सिलसिला सा शुरू हो गया था...कि दोनो माँ-बेटे इतना खुलने लगे थे...उस दोपहरी जब आदम ने माँ को किस्सा सुनाया था उसके बाद उसका कॉन्फिडेन्स माँ के प्रति बढ़ गया था क्यूंकी माँ ने समीर और उसकी माँ की व्यभिचारी रिश्ते के सुनने के वक़्त कोई भी आपत्ति नही जताई थी..चुदाई का हर लम्हा वो बेटे के मुँह से सुनें जा रही थी...आज रात को पिता घर जल्दी नही आए तो माँ को राहत हुई वरना आके वो या तो बीवी से झगड़ा करते या जल्दी जल्दी खाना देने को कहते...

जब उस रात आदम ने माँ को किचन में सब्ज़िया काटते खड़ा पाया माँ ने उसे प्याज़ उठाने के लिए कहा...तो वो जैसे नीचे झुका तो उसे माँ के दोनो पाओ में पहनी पायल दिखी उसने माँ के पाओ को झट से उठाया तो उसकी माँ हड़बड़ाई उसने बेटे को प्यार से देखके मुस्कुराया...बेटे ने माँ की पायल पे चूम लिया तो माँ ने झट से उसे रोका और हैरत से ना का इशारा करते हुए शरम से हंस पड़ी..माँ उसे उठाने लगी...आदम मुस्कुरा कर माँ के पीछे खड़ा हो गया उसके साथ शरारत करने लगा...आदम ने सवाल किया कि दोपहर को जब समीर वाली बात उसे बताई थी तो उसने आपत्ति क्यूँ नही की? बेटा उसके सामने खुले गंदे शब्द कह रहा था...माँ ने उसे देखा और कहा "जब तुझे मेरे सामने गालिया देने में शरम नही आती तो ऐसा किस्सा सुनने में क्या बेशरामी?"......आदम माँ को हैरत से देखने लगा...माँ फिर उससे समीर और उसकी माँ की चर्चा करने लगी...इस बीच अंजुम को महसूस हुआ की उसका बेटा उससे एकदम चिप्पके नज़ाकत से उसकी बातें सुन रहा है

अंजुम : मैं क्या तेरी गर्लफ्रेंड हूँ या बीवी जो तू बार बार मुझसे लिपट जाता है

आदम : उस दिन आपने मुझसे कुछ वादा किया था ना कि आप मुझे हर मुमकिन खुशिया देंगी

अंजुम : तू भी बहुत शैतान हो गया है ज़रा सा रज़ामंदी क्या दे दी तू तो प्रेमियो के कान काट रहा है

आदम : हाहाहा उम्म्म (आदम ने इस बीच माँ के दाए हिप्स पे हल्के से हाथ रख दिया और उसे सहलाने लगा)

माँ एकदम से चुपचाप सब्ज़िया जो काट रही थी उसे छोड़ते हुए गंभीरता की कशमकश में घिर गयी....आदम के हाथो के स्पर्श को महसूस करते हुए एक बार उसका पूरा शरीर सिहर गया...उसने एक बार सर अपना पीछे मोडते हुए बेटे की तरफ देखा....जिनके आँखो में उसके लिए उमड़ा प्यार था...वो जानती थी बेटा खुद को काबू नही कर पा रहा था....आदम ने इस बीच अपने चेहरे को माँ के पास लाया ही था कि एकदम से दरवाजे पे दस्तक.....दोनो चौंक उठे अंजुम ने तुरंत बेटे के हाथ अपने नितंब से हटाया

और हड़बड़ाते हुए उसे दरवाजा खोलने कही....आदम जनता था उसका पिता आ गया उसे सख़्त गुस्सा आया कि इस नाज़ुक मोड़ पे वो एकदम से आ धम्के ....लेकिन वो कर भी क्या सकता था? हालत का मांरा हुआ अपनी माँ को देखते हुए...जाके दरवाजा खोला....पिता की सड़ी सी शकल देखके उसने उनके हाथ से फलो से भरा पोलिथीन लिया और फिर वो जूते खोलते हुए अंदर आए..

लेकिन रुकावटें माँ-बेटे को एकदुसरे से अलग कहाँ कर सकती थी? वो जितना अगर उन्हें दूर करती तो वो उतना ही नज़दीक आ जाते...माँ-बेटे फिर एकदुसरे के साथ वक़्त काटने लगे....दोनो जैसे अपनी ही दुनिया में खुश थे उन्हें किसी की ज़रूरत नही थी...अब तो माँ अपने दिल-ए-हाल को बाटने के लिए अपने मायके भी कॉल कम करती थी...उसका ज़्यादा वक़्त बेटे के साथ ही कंटता था

दस दिनो बाद मोरतुज़ा काका से मिलने माँ-बेटे दोनो पुरानी दिल्ली के उस होटेल पहुचे जहाँ वो अक्सर ठहरा करते थे....वो 1 दिन से ज़्यादा दिल्ली में ठहरते नही थे....इसलिए आदम का घर उन्हें दूर पड़ता था और वजह आदम के पिता के साथ उनकी बनती नही थी...माँ वैसे तो अपने ससुराल वाले और उनसे जुड़े सगे संबंधी रिश्तेदारो को पसंद तो नही करती थी पर बात आदम के फ्यूचर की थी इसलिए उसको अपनी नफ़रत को एक साइड करके उनसे जुड़ना पड़ा...हालाँकि आदम की बुआ के परिवार से उसे कोई ख़ास आपत्ति नही थी

मोरतुज़ा काका आदम से मिले...और उसकी माँ अंजुम को देखके खुश हुए कुछ देर घरेलू बातों का दौर चला उसके बाद आदम के हालत को मोरतुज़ा काका ने सुना फिर उसे बताया कि वो अपना कारोबार भी खड़ा कर सकता है....जो माल दिल्ली से बेंगाल जाता है उसे रिसीव करना और डिस्ट्रिब्यूशन के गॉडाउन के साथ उसे सप्लाइ करने का ठेका आदम को करना था....आदम राज़ी हो गया उसे इस फील्ड की काम करते हुए होमटाउन में काफ़ी नालेज हो गयी थी....मोरतुज़ा काका को माँ-बेटे दोनो ने घर पे आमंत्रित किया..पर उन्होने कहा कि वो बस आदम से मिलना चाह रहे थे अब वो दिल्ली में और नही आएँगे अब उनका एजेंट आया करेगा जो आदम के कॉंटॅक्ट में रहेगा वोई आदम को दिल्ली का माल लाके देगा जिसकी ज़िम्मेदारी डिस्ट्रिब्यूशन और सप्लाइ में आदम की होगी....आदम इस नौकरी से खुश था...और उसकी माँ भी
Reply


Messages In This Thread
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - by sexstories - 12-09-2019, 01:26 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,489,968 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 543,174 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,227,361 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 928,288 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,647,494 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,075,169 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,941,721 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,026,447 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,020,418 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,828 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 24 Guest(s)