Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:22 PM,
#56
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
खैर उसने पार्टी कहाँ हो रही थी? और कैसी पार्टी थी? सबकुछ जान लिया था...पार्टी एक क्लब में हो रही थी जो कि आनंद विहार के पास था....माँ सब्ज़ी लाने शाम को बाज़ार चली गयी पर आज आदम माँ के साथ नही गया ना उसने माँ की आब्सेंट में ब्लू फिल्म देखी वो बस चुपचाप सोच की कशमकश में कमरे के इधर से उधर टेहल रहा था....इतने में उसके मन में समीर से बात करने का विचार आया...आदम ने समीर को कॉल लगाया लेकिन अलग तरीके से ताकि समीर को उसके मन में छुपे इरादे मालूम ना चल जाए

आदम : हेलो समीर हेलो?

समीर : हां यार बोल सॉरी वो दरअसल थोड़ा (समीर अपने कपड़े ठीक कर रह था बिस्तर पे उसकी माँ रज़ाई ओढ़े लेटी हुई थी कमरे में ठंडी ए सी की हवा चल रही थी)

समीर ने ए सी कम किया और मोबाइल लेके अपने कच्छे को पहनते हुए आँगन की तरफ आया.....

आदम : अर्रे यार समीर तू मेरी मदद कर सकता है?

समीर : अबे सेयेल भाई से मदद की गुहार लगा रहा है मैं तो हमेशा तेरे लिए तय्यार हूँ बोल कैसे काम आउ तेरे ?

आदम : यार वो माँ जो है ना ?

समीर ह..हां बोल

आदम : यार माँ ना अपनी सहेली के साथ तुझे बताया था ना वो हेमा आंटी

समीर : हां वो दो नंबर टाइप की जो सहेली है तेरी माँ की? हां हां क्या हुआ?

आदम : अर्रे यार वो माँ को अपने साथ किसी ब्लॅक नाइट क्लब ले जा रही है जो आनंद विहार एरिया में पड़ता है

समीर सोचने लगा वो क्लब का नाम बडबडा रहा था...उसके माथे की शिकन एकदम से चिंता में फैल गयी..."क्या? अंजुम आंटी ऐसे वाहियात क्लब में क्या करने जा रही है?"........समीर ने सवालात भरे लवज़ो में कहा

आदम : क्यूँ अबे? क्लब बदनाम है क्या? (वो तो जानता था की राजेश कौन सा अच्छा आदमी है? फिर भी माँ को क्या पता था उस क्लब के बारे में)

समीर : साले वो क्लब नशाखोरों के साथ ठरकीयो का जगह है...और आनंद विहार के आस पास तुझे तो पता ही है जंगल झाड़ बहुत है....ऐसे सुनसान एरिया में ही ऐसे वाहियात काम होते है वहाँ ऐसे एक आध क्लब है...असल में ये क्लब काफ़ी बदनाम है यहाँ रहीश लोग ज़्यादा आते है पर ज़्यादातर इन्वाइटेड होते है भाई गैरो को कोई आक्सेस नही मिलता?

समीर की बात सुनके मेरा हौसला टूट रहा था...लेकिन मुझे माँ की इज़्ज़त की हिफ़ाज़त करनी थी क्यूंकी माँ को रोक तो सकता था...लेकिन अगर मैं माँ को रिस्क लेने देता हूँ तो ऐसी बदनाम पार्टी में उनके साथ कुछ भी उल्टा सीधा हो क्या पता? राजेश के दोस्त लोग कुछ ऐसा वैसा काम करे....क्यूंकी समीर ने मुझे बताया था कि वहाँ की हर एक नॉर्मल ड्रिंक्स यहाँ तक पानी में भी नशा मिला हुआ होता है...और ऐसे में माँ का बदहवास होना और अपने उपर से काबू हट जाना आम हो जाता..मेरे दिल में रह रहके अज़ीब अज़ीब सीन माँ को लेके आ रहे थे..मैने फिर बात शुरू की

आदम : यार ये तो ठीक नही

समीर : तू माँ को मना कर देना

आदम : या माँ ने मुझे नही बताया मैने मना किया है कि हेमा आंटी के पास भी ना जाए पर सहेली है ना एक वक़्त था हमारे घर खाना नही जुट रहा था तो उसी ने हमे फाइनान्षियल हेल्प दी थी

समीर : पर सुन आदम आंटी को ऐसी जगह मत जाने दे कोई कुछ ड्रिंक वृंक पीला दिया और तू तो जानता है आंटी एकदम भर जवान है (समीर के कहने से अच्छा तो नही लगा पर उसकी बात सच थी)

फिर मैने समीर को एक प्लान बताया..ताकि मैं माँ को आधे समय में ही पार्टी से सही सलामत वापिस घर ले आ सकूँ...तो मेरे दिल की चिंता कुछ कम हो जाएगी....अगर मैं माँ के आस पास भी रहा तो मेरी माँ को कोई ख़तरा नही...पर समीर ने कहा कि ऐसी अडल्टरी पार्टी में अगर आदम का गुस्सा बहक गया..तो क्या वो सच बता देगा? कि हेमा के साथ आई सहेली अंजुम का वो बेटा है...आदम ने ना में सर हिलाया और कहा नही...उसने निसचिंत होते हुए कहा कि किसी को कुछ मालूम नही चलेगा....समीर के मुताबिक वहाँ कपल में आती सहेलिया या औरत मर्द का जोड़ा अंदर आके मास्क वैसे ही पहना हुआ होता है और उसी हालत में किसी भी सिंगल पर्सन से जुड़ जाता है...फिर बाद में रज़ामंदी या फिर नशे की हालत में दोनो उपर वाले किसी भी रूम्स को शेयर कर लेते है...ये पार्टी धरल्ले से होती है और अब तक कोई लफडा यहाँ हुआ नही....

आदम के मन में आया कि उसको नही जाना चाहिए...पर ना जाने क्यूँ उसे माँ की चिंता सताए जा रही थी....उसकी माँ को तो लगा बस हेमा जाएगी और आ जाएगी और उपर से राजेश को तो वो जानती थी इसलिए उसे डर नही था...पर वो क्लब राजेश का नही था सिर्फ़ उसने उस पार्टी में शामिल होने के लिए हेमा और उसे इन्वाइट किया हुआ था....ताकि अपने घर से दूर आके हेमा जैसी औरत से अपनी शहवत (चुदाई की कसर) पूरी करे...हेमा और उसके बीच अफेर काफ़ी सालो से था

आदम की तरक़ीब के मुताबिक समीर उसकी मदद को तय्यार हो गया...लेकिन क्लब में घुसने का इंतज़ाम उसने हेमा के पास जाके ही करना था...इसलिए वो दूसरे दिन उसकी बेटियो की गैर मज़ूद्गी में हेमा के पास जाके हो आया....हेमा उस वक़्त सोफे पे सुस्ता रही थी...इतने में आदम के अंदर आने से वो एका एक चौंक उठी

आदम : क्यूँ आंटी माँ को कहाँ ले जाने की बात की हो तुम?

हेमा : अर्रे तुझे कैसे पता? चल जब जान चुका है तो कह दूं एक क्लब में राजेश ने बुलाया है ना तो तेरी माँ को साथ ले जा रही हूँ तू तो जानता है अकेले जाउन्गी आने में दिक्कतें होंगी

आदम : ह्म लेकिन तुम जहाँ जा रही हो वहाँ मेरी माँ की गॅरेंटी कौन देगा? कि वो सेफ रहेगी

हेमा : हाहाहा तू इसलिए यहाँ आया है अच्छा अच्छा तो चल तू भी चल साथ

आदम : नही आंटी माँ फिर तुम्हारे जाएगी नही भला माँ-बेटा ऐसी वाहियात जगह पे संग जा सकते है भला बस तू मेरा इतना सा काम आसान कर दे कि

हेमा : मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है ? क़ि तुझे डर है कि कही कोई ऐरा ग़ैरा आदमी तेरी माँ को छू ना दे

आदम : साली जब तुमको पता है तो फिर पूछ काहे रही हो?

हेमा : हाहाहा बेटा तू तो मुझसे भी बड़ा वाला है....मैं तो सिर्फ़ लॉडा अंदर लेती हूँ तू तो तीनो छेदों में डालता है कुँवारा लड़का झिझकता है शरमाता है पर तू तो एकदम छुट्टे सांड़ की तरह मुझ जैसी औरत से बात करता है

आदम : अब तुम मेरी इतनी प्यारी आंटी हो तो रहेगा ना रही बात जवानी की तो माँ से ना कहना दो को प्रेग्नेंट कर चुका हूँ

हेमा : हाहाहा साला चूतिया बना रहा है चूत फादा होगा चोदा भी होगा पर बच्चा बच्चा दिया होता किसी को तो तू यहाँ क्या कर रहा होता?

आदम को खुशी हुई रंडी पूरी तरीके से उसे पहचान नही पाई थी....फिर हेमा ने आदम को शान्त्वना दिया कि वो अंजुम के लिए निश्चिंत रहे उसे कुछ नही होगा वो किसी मर्द को अंजुम के पास फटकने भी नही देगी अंजुम तो उसके साथ कयि जगह भी गयी अगर वो लिविंग रूम में होती तो मर्द को हेमा खुद बेडरूम ले जाती..इसी लिए हेमा को अंजुम पे विश्वास था वो उसकी एक मात्र सबसे अच्छी सहेली थी...पर उसे जलन भी कि उसका एक घरेलू जीवन था और उसकी रखैल भरी ज़िंदगी फिर भी आदम ने ज़ोर दिया तो हेमा ने आदम के लिए राजेश से एक बार और बात कर ली राजेश तो हेमा की मौजूदगी चाहता था इसलिए उसने कह डाला कि चाहे जिसको भी साथ ला लेकिन आना तुझे बनता है

आदम खुश हुआ उसका रास्ता आसान हो गया था....हेमा ने फोन कट करते हुए आदम को इशारा किया कि वो भी चल सकता है पर वो साथ आएगा कैसे?.....आदम ने बस उसे ना में इशारा करते हुए कहा इसकी फिकर वो लोग ना करे...वो उनके आस पास ही होगा बाकी उसकी माँ अंजुम को कुछ भी पता चलने ना दे....हेमा आंटी मान गयी...इतने में आदम ने हेमा आंटी के पेट की तोंद जो साड़ी से दिख रही थी उस पर एक चुटकी काटी

हेमा खिलखिला के हंस पड़ी...वो समझ गयी उसने आदम को धकेला

हेमा : वाहह बड़ा हुआ भी नही और अभी से अपनी हेमा आंटी के उपर चढ़ने की कोशिस कर रहा है

आदम : मैं तो तुम्हें अपनी माँ जैसा मानता हूँ

हेमा : तो कमीने माँ पे भी चढ़ ना वो तो मुझसे ज़्यादा तीखी और मस्त है...मुझमें क्या है ?

आदम : आंटी तुम्हारे में जो है वो मेरी माँ में नही

हेमा : बेटा शोरुम अलग ज़रूर है मेरा पर गॉडाउन नीचे का तेरी माँ का और मेरा सबका सेम है और तू तो मेरे बेटे जैसा है

आदम : लेकिन मुझे इसी शोरुम से खरीदना पसंद है

हेमा : अर्रे कमीना मत कर (आदम ने हेमा की गुदाज़ पेट पे हाथ चलाते हुए उसकी तोंद को मुट्ठी में लेके मसल दिया...हेमा के सामने एक कम उमर का लौंडा था जो उसके बेटे जैसा था उसका दिल डगमगा रहा था पर वो उसकी सहेली का था इसलिए वो उसके हाथ को नोचते हुए उसे अपने पेट से हाथ हटाने को कह रही थी)

हेमा : तेरी माँ को कह दूँगी

आदम : हां हां कह देना कि हेमा आंटी इतनी सेक्सी है कि उसके बेटे की उमर के लौन्डे का भी खड़ा कर देती है

हेमा : हाए कमीना आज तू कुछ पीके आया है क्या? आज तुझे ज़्यादा ठरक चढ़ रही है

आदम ने इस बार हेमा का पल्लू ज़ोर से खींचते हुए उतारा और उसकी दोनो छातियो को भर हाथो में ब्लाउस के उपर से ही दबाने लगा..हेमा सिसक उठी उसने दाँतों से होंठ भीच लिए

आदम : साली आंटी अगर मेरी माँ को किसी ने भी छुआ ना तो कसम से तेरी भोसड़ी और भी चौड़ी कर दूँगा

हेमा : अर्रे कमीना तू तो ऐसे धमका रहा है कि अंजुम तेरी घरवाली .........

आदम ने कस कर एकदम से हेमा की दोनो टाँगें जो फैली हुई थी उसके बीच के पेटिकोट में हाथ डाल उसकी चूत को मुट्ठी में लेके दबा देता है...उईईइ...हेमा ज़ोर से सिसक उठती है....आदम हेमा के होंठो से होंठ जोड़ देता है....दोनो एकदुसरे को लगभग 1 मिनट स्मूच करते है...आदम हेमा की गँवारो वाले किस का आनंद ले रहा होता है...वो हेमा के दोनो होंठो को लगभग चबा जाता है दाँतों से...फिर एकदम से उसके उपर से उठ खड़ा होता है..
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