Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:09 PM,
#45
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
"डरिये नही काकी पर आप आजके बाद मेरे पे उंगली उठाने से पहले सौ बार सोचिएगा अगर बिशल तक को मालूम पड़ा ना तो माँ की हैसयत् भी खो देंगी आप?"......

ताहिरा अपने उपर हो रही बेज़्ज़ती को बर्दाश्त नही कर पा रही थी डर भी ज़रूर रही थी कि उसका आगे क्या अंजाम होगा

ताहिरा : ठीक है बोल दे क्या बोलेगी? कि मैं किससे चुदाई कर रही हूँ हां तेरे मौसा ने दे क्या रखा है मुझे उपर से बिशल ने तुझे लाके मेरा सर फुडवा दिया अब तू मुझे ब्लॅकमेल करेगी तो ठीक है सुन वो पराया मर्द मेरा अपना कौन है मेरा भांजा आदम

रूपाली की तो जैसे ज़मीन खिसक गयी वो एकदम घबराते हुए कह उठी "क्या? न..नहिी नही आप झूठ कह रही है इतना वाहियात इल्ज़ाम कोई और ना मिला तो अपने बेटे जैसा लड़के पे ही लगा दिया"..........रूपाली जैसे गुस्से से आग बाबूला हो गयी क्यूंकी आदम था तो उसका भी मर्द ना

ताहिरा : हां सच जानना चाह रही है ना उसने मुझे सुख दिया सुख खैर मुझे तुझसे कोई ज़्यादा बहस नही करनी कह देना अपने मुसा को और अपने पति को देखते है फिर कौन इस घर में ज़्यादा देर तक रहता है? क्यूंकी तेरे मौसा अपने भान्जे को अपने बेटे से भी ज़्यादा मानते है

रूपाली : आदम ऐसा नही कर सकता वो तो!

ताहिरा : वो क्या बक क्या कहना चाह रही है? चल भाग यहाँ से दिमाग़ ना खा और आइन्दा ये उंगली और ये धमकी अपनी माँ को दिखाना ये मेरा घर है समझी रंडी सिर्फ़ बिशल की वजह से तुझे झेल रही हूँ मैं

रूपाली से कुछ बोला ना गया...उसके आँखो से जैसे आँसू उबल पड़े...इसी बीच उसे उल्टिया सी लगने लगी तो वो उल्टी करने उल्टे पाओ गुसलखाने भाग गयी...ताहिरा उसके जाते ही अपने माथे के पसीने को पोछने लगी जैसे उसका सहमा दिल वापिस नॉर्मल हुआ था....उसने फट से आदम को कॉल लगाया

आदम : हां मासी बोलो?

ताहिरा : बेटा इसी दिन के लिए तुझे कहती थी कि अपनी हवस को काबू रखा कर बहुत बवाल हो गया

आदम : क्या हुआ मौसी? किसी ने देख लिया क्या?

ताहिरा : हां तेरी रूपाली भाभी ने और फिर (ताहिरा ने सबकुछ ब्यान करना शुरू किया आदम की आखे बड़ी बड़ी हो सी गयी ताहिरा ने बताया कि खुद की जान बचाने के लिए उसने आदम का नाम कबूला वरना पराए मर्द की धमकी रूपाली देते नही थकती)

आदम : ओह माइ गॉड (आदम की फॅट गयी क्यूंकी दूसरा रिश्ता उसकी बहू रूपाली से उसका था अगर ज़रा सा भी उसे मालूम चल जाता कि रूपाली उससे अब तक कितनो बार चुदवा चुकी है तो बेटे रूपाली के साथ साथ मुसीबतो का सामना उसे भी करना पड़ता लेकिन उसके दिल की धड़कन कम हुई जब ताहिरा मौसी ने बताया कि वो इतना कहने के बाद चली गयी)

रूपाली की तबीयत उधर खराब हो गयी थी....वो बीच बीच में उल्टिया कर बैठती...जिसको देखते हुए उसकी सास ताहिरा ने ही उस पर तरस ख़ाके उसे क्लिनिक ले गयी...वहाँ क्लिनिक में उसकी मेडिकल जाँच हुई जिसमें रूपाली को चौका देने वाला सच सामने आया वो पेट से हो गयी थी....रूपाली चुपचाप हो गयी क्यूंकी उसे मालूम था कि उसके पति से ज़्यादा संभोग उसने आदम के साथ किया था..ताहिरा तो बहुत खुश हुई लेकिन इतने बड़े बवाल होने के बावजूद वो उसे रिक्से पर से घर ले आई

आदम घर आया हुआ था उसने रिक्शे से रूपाली को उतरते पाया...वो वैसे ही घबराया हुआ था....उसने जैसे आगे बढ़ के रूपाली को थामना चाहा रूपाली ने उसे हल्का सा धकेल दिया उसकी निगाहो में आदम को गुस्सा सॉफ दिखा...उसे समझ आया कि रूपाली को सच मालूम चल गया है...उसे अपने दोनो रिश्ते खोते नज़र आए

"अर्रे बेटा अच्छा हुआ तू आ गया? अब तू ही तो अकेलेपन का सहारा है आ अंदर".....ताहिरा जानबूझ के रूपाली को कमरे में ले जाते हुए आदम को उसके सामने जानबूझ के छूने लगी ताकि वो जले और सच में उसे अंदाज़ा नही था कि रूपाली पे क्या बीत रही थी?

रूपाली को पलंग पे लिटाते हुए ताहिरा ने पीछे मूड कर आदम को देखा

"मौसी सब ठीक है? यह रूपाली भाबी को क्या हुआ था?".......आदम ने फिर भी लड्खडाये लब्जों में रूपाली की तरफ देखते हुए कहा

ताहिरा : बेटा तू चाचा बनने वाला है तेरी भाभी प्रेग्नेंट है . है ना खुशख़बरी (आदम को तो जैसे काफ़ी खुशी हुई पर उसे अहसास हुआ रूपाली के चुप और उदास रहने का मतलब...ताहिरा को लगा शायद उसकी आज हार हुई इसलिए वो चुपचाप उदास है वो बिना कुछ कहे बाहर निकल गयी)

आदम रूपाली के पास बैठने को हुआ तो रूपाली ने अपनी टाँगें उससे दूर कर ली.....

आदम : रूपाली?

रूपाली : अब कुछ नही बचा हमारा आदम मुझे लगा था कि मेरे सिवा तुम्हारी ज़िंदगी में कोई औरत नही है तुमने मेरे होते हुए मेरी सासू माँ अपनी मौसी जो माँ समान होती है उसे नही बख्शा धोका और फरेब देना तो कोई तुमसे सीखे (रूपाली रोने लगी)

आदम : रूपाली प्लीज़ शांत हो जाओ तुम पेट से हो ?

रूपाली : तुम्हें पता है मुझे जानके कितनी तक़लीफ़ हुई अगर मैं अभी ये कह दूं इन्हें कि इस पेट में ठहरा गर्भ किसका है? तो ज़मीन तो उनकी खिसक जाएगी

आदम : रूपाली ऐसा मत करना वरना तुम्हें बिशल दा तलाक़ दे देगा प्लीज़ रूपाली गुस्सा थूक दो जो हुआ उसे भूल जाओ उसमें मेरा बस नही था मैं हवस के आगे अँधा हो गया आइ आम अड्मिटिंग इट बेबी

रूपाली : प्लीज़ आदम अपने मुँह से मुझे कुछ ना कहना ठीक है मैं नही कहूँगी ना तुम्हारे भैया को और ना तुम्हारी रखैल को (मौसी की तरफ इशारा देते हुए) लेकिन आदम हमारा रिश्ता यही ख़तम होता है हमारा जो संबंध बीच में हुआ शायद वो एक खॉकला रिश्ता था मुझे अब घिन आ रही है तुमसे

आदम : प्लीज़ रूपाली ऐसा मत कहो ठीक है मैने ग़लती की लेकिन उसकी सज़ा अपने आपको मत दो खैर तुम पेट से हो सब खुश है इन्हें गुमराह ही रहने दो ताकि तुम्हें कोई प्राब्लम ना आए

रूपाली ने कोई जवाब नही दिया गुस्सा तो खूब उसका उबाल पर था पर पेट पे उसके प्रेशर पड़ जाता...और उसके बाद जो आदम ने कहा उससे रूपाली और हिल गयी...आदम को डर था कि वो कोई ग़लत कदम ना उठा ले..आदम ने उसे ब्यान किया कि वो आने वाली 10 तारीख को जो जा रहा है शायद वापिस ना आ सके

रूपाली को बस यही लग रहा था कि बीच राह पे वो उसको छोड़ कर जा रहा था....आदम ने उससे और कुछ ना कहा वो खुद उसकी नज़र में मुजरिम खुद को फील कर रहा था....वो बाहर आया रह रहके डर रहा था कि बवाल बढ़ ना जाए

बाहर आते ही ताहिरा मौसी ने उसे पकड़ लिया और उसने सबकुछ बताया कि सुबह सुबह उसके जाने के बाद रूपाली ने क्या बवाल मचाया?....पर आदम चुपचाप रहा उसने बनावटी अंदाज़ में कहा...चलो अब रूपाली को आपको बेज़्ज़त या धमकी देने का कोई मौका नही मिलेगा. पर आप सास बहू अपना गुस्सा छोड़ दीजिए...रूपाली अब पेट से है उसके घर का चिराग पेट में लिए हुई है....ताहिरा चुपचाप सुबकने लगी....आदम ने बताया कि वो वापिस जा रहा है ताहिरा ने कुछ नही कहा अफ़सोस ज़ाहिर किया फिर उसे आशीर्वाद दिया कि जहाँ रहे खुश रहे....कही ना कही उसे यही डर सता रहा था कि कही रूपाली उसके परिवार में ये बात फैला ना दे कि उसके भानजे से उसके नाजायेज़ संबंध जुड़ चुके है लेकिन रूपाली कैसे कह पाती? आदम परिस्थिति जानता था कि रूपाली खुद उस भवर में फसि थी उसे खुद डर था कि उसकी एक सच्चाई उसका घर तहेस नहेस ना कर दे...आदम विदा लेके ताहिरा मौसी से वहाँ से निकल गया

आँखो में आँसू समेटे....वो अपने हाल-ए-दिल को किसी से ब्यान नही कर सकता था?....रूपाली को दर्द में छोड़ वो दिल्ली शहर के लिए रवानगी देने लगा....करीब 10 तारीख होते होते वो गाड़ी में चढ़ चुका था....कितनी यादें समेटे वो यहाँ से लेके जा रहा था?....पिछले दिन रूपाली के घर से आने के बाद सुधिया काकी आई थी उसे सबकुछ बताते हुए आदम लगभग रो पड़ा..सुधिया काकी ने कहा दोनो औरतों को वो भूल जाए अब उनके साथ अपनी हसरत पूरी करना उसके लिए बेहद मुस्किल था....एक तरफ रूपाली से उसका रिश्ता ख़तरे में आ जाता दूसरी तरफ जो रिश्ता बना भी था वो भी टूट चुका था रूपाली उसे कभी मांफ ना कर पाए....रूपाली उसके बच्चे की माँ बन चुकी थी अब जो राज़ सिर्फ़ सुधिया काकी और उसके साथ इस शहर से दूर जा रहा था...

आदम ने एक बार ट्रेन से अपने होमटाउन की ओर देखा फिर उसे पछतावा सा हुआ....सच में क्या कुछ नही लेके यहाँ से जा रहा था वो...एक तरफ खुशख़बरी तो दूसरी तरफ रूपाली भाभी को दिया दर्द.....बस कही रूपाली कोई ग़लत कदम ना उठा ले...यही सोचते सोचते उसकी ट्रेन कबकि वेस्ट बेंगाल छोड़ चुकी थी उसे अहसास भी नही हुआ

पीछे छूटी रह गयी सारी यादें....हसरत सेक्स की....हसरत उसकी मौसी की कहीं ना कहीं ज़रूरत...तो कही ना कही हसरत रूपाली भाभी की हवस की...तो कहीं ना कहीं सुधिया काकी जैसियो के लिए फन...तो कही ना कही हसरत उसकी तबस्सुम दीदी के लिए ग्रहस्ति का रास्ता उफ्फ सच में कितने अज़ीब हालातों से गुज़ारा था आदम

कुछ महीनो बाद आदम को जब मालूम चला था सुधिया काकी से तो पाया कि तबस्सुम को गर्भ ठहर गया था....और वो खुशी खुशी अपने शौहर के साथ कोलकाता लौट गयी थी सुना था कि उसे जुड़वा बच्चे होने वाले थे...दूसरी तरफ रूपाली भाभी ने एक बेटे को जनम दिया था....ये खबर सुनके आदम को बेहद खुशी हुई थी पर होमटाउन छोड़ने के बाद रूपाली से उसने एक बार भी नही बात की थी...रूपाली ने भी सॉफ सॉफ सुधिया काकी को कह दिया था कि उसे आदम से बात तक नही करनी....आदम ने भी मान लिया कि अब उसका और रूपाली का कोई रिश्ता नही बचा...

खैर रुख़ फिर करते है उन महीनो से पहले जब आदम अब भी ट्रेन में दिल्ली आने के लिए सफ़र कर रहा था....इन्ही कशमकश में उसकी आख लग गयी थी और जब आख खुली तो स्टेशन लगभग आने को था....

12 तारीख तक आदम की गाड़ी न्यू दिल्ली में घुस चुकी थी....इस बीच आदम की जब नींद खुली तो काफ़ी सुबह सुबह ही अपने बॅग पॅक करके नाश्ता ख़तम किए वापिस खिड़की के पास आके बैठ गया....उसके मन में पीछे छूट गये सभी रिश्तो की सोच उमड़ रही थी.....वो इतने स्ट्रेस में था कि एक पल को भूल गया कि यार वो तो अपनी हसरत-ए-माँ के पास ही आ रहा है जिसके लिए उसने अपना सबकुछ दाव पे लगा दिया था
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