Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:00 PM,
#27
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
उधर आदम मन ही मन खुश भी था और कहीं ना कहीं माँ से बातचीत के बाद दुखी भी…आज वो फिर रूड पेश आया था…जिस बात का उसे दुख था…उफ्फ कल रात से शरीर टूट रहा है…अपने से बडबडाते हुए वो ब्रश करने के लिए उठ खड़ा हुआ….यहाँ इस छोटे से शहर में उसे इतना भागा दौड़ी नही करनी पड़ती थी आज काम भी था चूत भी मिल रही थी…और भी था सबकुछ था…हालाँकि गान्ड चूत और निपल्स थोड़े काले ज़रूर थे यहाँ की कुछ औरतों के पर उन्हें चोदने का वो मज़ा….उफ्फ उनका नमकीन जिस्म और उनके बर्ताव में इतनी मिठास किसका दिल चाहे? उन्हें चोदने में जिससे दिल ना लगे…दिल्ली में पूरी कोशिश की थी…पर कोई लौंडिया हाथ नही आई…जो भी आई बस गले पड़ने वाली सी थी…ना कमर छूने देती ना बदन…ऐसे में उस जैसे ठरकीबाज को कौन रास आती?...उम्मीद तो थी अच्छी पढ़ाई करके अमेरिका में नौकरी मिल जाएगी तो गोरी मेम से शादी करके बस जाएगा….पर खुदा ने उसकी यह इच्छा नामंज़ूर कर दी और वो इस काबिल बन ना सका….खैर अब तो ये बात उसके लिए किसी भूले कल की तरह थी…

अचानक शेविंग करते करते उसके ज़हन में रूपाली भाभी का ख्याल आ गया….ख्याल में उसे रूपाली भाभी की सेक्सी स्माइल और उस रात हुए वाक़ये में सबकुछ वापिस आदम याद करने करने सा लगा…रूपाली भाभी मस्त थी उमर में आदम की हमउमर थी…उपर से पहली मुलाक़ात में वो सेक्सी स्माइल पास कर रही थी काफ़ी देर तक हाथ भी मिलाए रही…ह्म रूपाली भाभी को देने में हिचखिचाहट तो नही लगता होगी…खुश तो वो भी नही अपने मर्द से…जो दिन रात दारू का नशा करता है घर चार पैसे भी लाता नही और घर आते ही बिस्तर पे पटक्के उस पर चढ़ जाता है…

ऐसी ज़िल्लत भरी ज़िंदगी कोई औरत नही पसंद करेगी…इसी कशमकश में आदम ने अपना शेविंग पूरा किया और चेहरा धोया…वो ख्यालों में इतना गुम था कि उसके दाए गाल पे हल्का ब्लेड लग जाने से कट गया था…

खैर रूपाली के करीब पहुचने के लिए उसे पहले तो अपनी मौसी और फिर अपने मौसेरे भाई यानी रूपाली के पति से होके गुज़रना था….क्यूंकी ताहिरा मौसी को जितना भी चोद दूँ वो कभी भी एक सास होके अपने बेटे की ग्रहस्थी उजाड़ने नही देगी…ना ही वो रूपाली से मेरे संबंध बनाने या होने में मदद करेगी ना ही वो ऐसा चाहेगी…

रूपाली को फासना मेरे लिए एक चॅलेंज ही था….जिसे मैं हर हाल में पूरा करना चाहता था..क्यूंकी मेरा दिल रूपाली पर आ गया था वो कद में 5 फुट 2 इंच की सुडोल बदन वाली हमेशा साड़ी और सूट पहनने वाली कमसिन छोटी छोटी आँखो वाली छोटे शहर की खिलती कली सी थी…और अब मैं एक अड़ेढ़ और बुढ़िया की भोस्डे की चुदाई करके थक चुका था

खैर उस दिन दोनो की भीषण चुदाई के बाद उन दोनो का आना जाना कम तो नही हुआ बल्कि वो लोग अपने दिल में हसरत लिए मेरे पास हमेशा आने लगे….अब तो ताहिरा मौसी के घर भी जाने की ज़रूरत नही थी…साथ में ताहिरा मौसी पकवान लेके आती…ताकि मैं उनकी जमके चुदाई कर सकूँ सुबह आती तो शाम से पहले जाने का नाम ना लेती….सनडे या कोई ऑफ डे मैं छुट्टी काट नही पाता था क्यूंकी उस दिन ताहिरा मौसी या उनकी सहेली सुधिया काकी आ जाते और मुझे थका देते…

रूपाली तक पहुचने के लिए मुझे उससे नज़दीकिया बढ़ानी थी ..इसलिए मैने रूपाली भाभी की ज़िंदगी और ससुराल में उसके हालातों का जायेज़ा लिया….जो मेरे लिए हथ्यार साबित हुई….रूपाली भाभी घर में नौकरी से आने के बाद थक जाती थी इसलिए खाना ताहिरा मौसी को बनाना पड़ता था…दोनो सास बहू के बीच नोक जोख चलती रहती….और इसी हट स्वाभाव में मेरा बड़ा भाई बिशल रूपाली को पीट देता या फिर उसे कमरे में ले जाके दरवाजा लगाके उसे मारता या तो उसकी रफ चुदाई करता….कुँवारी तो रही नही होगी क्यूंकी चुदवा वो मेरे भाई से शादी से पहले से रही थी..

कुल मिलाके घर में उसकी पटरी माँ बेटे दोनो से नही खा रही थी…ज़्यादा लड़ाई अगर बढ़ जाती तो वो अपने घर भाग जाती…ये सब मुझे सुधिया काकी से मालूम पड़ता या फिर जब कभी ताहिरा मौसी से मिल लेता या वो आ जाती तो रूपाली भाभी की शिकायत करने लगती….वो यही चाहती थी कि रूपाली भाभी नौकरी छोड़ दे और घर संभाल ले क्यूंकी मेरी ताहिरा मौसी की उमर ढल रही थी और उमर के साथ साथ वो कमज़ोर पड़ रही थी…पर रूपाली के कान में जु भी नही रैंग्ती…

इससे मुझे मेरा चॅलेंज मुस्किल से आसान लगने लगा कि रूपाली अच्छा पहनावा और घूमने फिरने की भुक्कड़ है अगर साली को पटा लिया जाए तो चोद देने में कोई परेशानी नही खड़ी होगी उल्टे मेरा काम और आसान हो जाएगा पर साथ में सावधानी भी थी क्यूंकी अगर उसके पति को हमारे संबंध के बारे में पता चला तो मैं रूपाली भाभी के साथ साथ ताहिरा मौसी से भी हाथ धो बैठूँगा…और ताहिरा मौसी मुझे कभी मांफ नही करेगी ये मैं होने देना नही चाहता था..

खैर रूपाली भाभी को पटाने में मैने ठर्की सुधिया काकी की मदद ली जो घर की होते हुए भी गैर थी…..उस दिन सुधिया काकी अकेले आई थी चुदने को….घर की सॉफ सफाई मैं खुद कर रहा था तो उन्होने मुझे मना किया और खुद सॉफ साफाई करके सारा काम मेरे घर का निपटा दिया मैं खुश हुआ…हम दोनो ने दोपहर का भोजन साथ किया और मैने फ़ौरन चटाई बिछाई

सुधिया काकी तुरंत नंगी हो गयी बस एक पेटिकोट उन्होने डाल रखा था…जिसका नाडा उसने खोल कर अपनी पेटिकोट पेट तक उपर कर ली थी…मैने फ़ौरन अपना मूसल जैसा 8 इंच का खड़ा लंड उसकी चूत के दाने को सहलाते हुए भोसड़ी में पूरा सरका दिया…मैने अपने कमरे एक बॉक्स रखा था…जिसमें मैने काई ब्रॅंडेड कॉंडम के डब्बे उसमें डाल रखे थे…क्यूंकी चुदाई का सेशन बहुत हो जाता या कभी मौसी या कभी सुधिया काकी को चोदता तो कॉंडम फॅट जाता इसलिए पहले से बहुत से कॉंडम खरीद के रखे हुए था…

चुदाई के बीच में मैं सुधिया काकी के भोसड़ी में धक्का दबा कर पेल रहा था सुधिया काकी के मोटे मोटे तरबूज़ जैसे लटकते चुचों को दबाते हुए मैं उन्हें गरम कर रहा था….चुदाई के बीच ही रूपाली का ज़िक्र मैने करना शुरू किया…पहले तो सुधिया काकी चुपचाप मुस्कुराती सुनती रही..फिर उसके बाद मुझे उसकी मोटी टाँगें अपने कमर में लिपटी महसूस हुई

सुधिया काकी : अच्छा जी तो तेरा दिल अपनी ही भाभी पे आ गया है

आदम : हां काकी आहह ससस्स (मेरे लिंग को सुधिया ने बड़े मज़बूती से अपनी चूत की ताक़त से दबा लिया)

सुधिया काकी : ह्म पर ये बात ताहिरा को पता है

आदम : तुम मत बताना वरना वो मुझे मेरी हसरत पूरी करने नही देगी तुम तो जानती हो वैसे भी रूपाली भाभी का घर का माहौल ठीक नही उसे पति का प्यार तो मिलता भी नही होगा

सुधिया काकी : ह्म एक आध बार बताया था रूपाली ने मुझे उसका पति उसे बेदर्दी से चोद्ता है उसकी एक बार गान्ड भी छील दी अर्रे गान्ड मारने का शोकीन है ना

आदम : तो फिर क्या होगा आगे डाइवोर्स लेगी क्या?

सुधिया काकी : बेटा वो गाओं साइड से है जहाँ बेटियो को आज भी भारी समझा जाता है क्यूंकी दो वक़्त की रोज़ी रोटी जुटता नही कोई टाउन आ जाते है तो कोई बड़े शहर कोलकाता इन्ही वजहों से कयि घर की बहू बेटियाँ या तो नौकरी करके रहती है या फिर कोई किसी से भलोबशा करके शादी कर लेती है या फिर कोई धंधा करने लगती है या फिर किसी को बेच दिया जाता है

आदम : ओह्ह्ह तो यानी रूपाली भाभी बिशल दा का पिंड नही छोड़ने वाली

सुधिया काकी : ह्म सहह लेगी पर तेरे साथ चुदाई का खेल में उसका शामिल हो जाना आसान है

आदम : क्या सच काकी ? यार तुम कोशिश करो तो बात बन जाए बस एक बार

सुधिया काकी : भाई ताहिरा से हाथ धो बैठेगा अगर मालूम चला उसे तो पानी हुक्का लेके तेरे सर पे बैठ जाएगी भला कोई माँ अपने बेटे की अमानत किसी और को सौंपे या उससे खेलने दे

आदम : ह्म सो तो है

सुधिया काकी : बेटा इस शहर की है रूपाली पटाना तेरे हाथ में है मौका देखके हठोड़ा मार देना हो जाएगी पट जाएगी और भला क्यूँ ना पटे? तू तो उसके पति से हज़ार गुना मस्त है….और तेरा यह 8 इंच का हथियार मैं तो सोचती हूँ चुद भी पाएगी इससे वो

आदम : कोई बात नही वो मेरे हाथ में है

सुधिया काकी : तो फिर तू कोशिश शुरू कर मैं तेरे साथ हूँ अगर भला इस बुढ़िया को इस लंड से मज़ा मिल सकता है तो जिस कुँवारी या शादी शुदा भाभी को चोदेगा वो तो भाग्य शालि होगी
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RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - by sexstories - 12-09-2019, 01:00 PM

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