RE: Kamukta kahani बर्बादी को निमंत्रण
समीर: अरे नहीं नहीं मैडम मैं आपका अभी मास्टर नहीं हुआ हूँ । ये कपड़े पहन कर तो आपने अभी तक ये साबित किया है कि आप दिल से मेरी स्लेव बनना चाहती है। लेकिन अभी तो आपको ये साबित करना है कि क्या आप मेरी स्लाव बनने के लायक है भी की नहीं।
चंचल: और वो सब साबित करने के लिए मुझे क्या करना होगा।
समीर: मेरे चार काम करने होंगे आपको। और वो ऐसे काम होंगे जो केवल मेरी पक्की स्लेव कर सकती है जिसके लिए मैं भी कुछ भी कर सकता हूँ।
चंचल: अच्छा बोलो क्या करना है।
समीर: ये लो (एक पैकेट चंचल की तरफ बढ़ाते हुए) इस आफिस से बाहर निकल कर ये कपड़े पहनना और सीधे मेरे फार्म हाउस पर आ जाना। और हाँ चंचल के कान के पास जाकर । नो इनरवेयर ओनली ड्रेस। याद रखना वरना वही से वापस लौट जाना और मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना।
समीर बिना चंचल की बात सुने मुस्कुराता हुआ चंचल के केबिन से बाहर निकल जाता है।
चंचल ने समीर के पहले पैकेट को स्वीकार करके ये साबित कर दिया था कि वो जल्दी से समीर को किसी बात के लिए इनकार नहीं कर सकती
चंचल: समीर समीर (समीर को चंचल रोकने का असफल प्रयास करती है)
अब चंचल के लिए ये नई मुसीबत थी। लेकिन चंचल को ये पता नहीं था कि वो क्या करे। समीर ने उसे कैसे कपड़े दिए है। आखिर समीर चाहता क्या है?
करीब चार घंटे बाद समीर का कॉल चंचल के पास आता है।
समीर: अगर मेरी स्लेव बनना है तो आ जाओ, अभी
चंचल: लेकिन समीर (फ़ोन काट)
चंचल फ़ोन को एक टक देखती रहती है। उसे समीर का सुरेश की तरह फ़ोन काटना बिल्ककुल पसंद नहीं आता। चंचल कैसे - जैसे हिम्मत करके आफिस से बाहर निकलती है। और पास के बने मॉल में जाकर चेंजिंग रूम में घुस जाती है। चेंजिंग रूम में चंचल समीर का दिया हुआ पैकेट खोलती है। चंचल के लिए सब बिल्कुल सामान्य नहीं था। कल जो पैकेट दिया था उसमें और आज के पैकेट में बहुत अंतर था। इस तरह के कपड़े चंचल ने ना तो कभी पहने थे ना ही वो पहन सकती थी। इस तरह के कपड़े केवल और केवल अंग प्रदर्शन और अश्लीलता को भड़काने के काम आते है।
ये एक टॉप था जो कि बैकलैस था। लेकिन चंचल ने फिर भी पता नही क्या सोच कर उस कपड़े को पहनने का निर्णय ले लिया। चंचल चेंजिंग रूम में वो कपड़े पहन कर बाहर अपने को सामने लगे आईने में निहारती है। चंचल इस वक़्त वाकई में ऐसी लग रही थी जैसे कई पुरुषों को आकर्षित करने के उदेश्य से उसने अपने जीवन मे पहली बार सेक्सी कपड़ो को पहना है। चंचल वो कपड़े पहनने के बाद एक तरफ एक्साइटेड थी तो दूसरी तरफ थोड़ा घबरा भी रही थी।
चंचल कपड़े बदल कर फिर से समीर के फार्महाउस की और निकल पड़ती है। चंचल कुछ देर बाद समीर के फार्महाउस पर जाकर डोर बेल बजाती है। समीर खुद आकर डोर खोलता है। समीर की नज़र जैसे ही चंचल पर पड़ती है समीर मुस्कुरा पड़ता है।
समीर: आज से तुम मेरी स्लेव हुई। अब तुम्हे वो हर काम करना होगा जो मैं तुमसे कहूंगा। मंज़ूर है।
चंचल: जब तुम्हारी स्लाव बन ही गयी हूँ तो मुझे सब मंज़ूर है।
समीर: आओ अंदर आओ। आज तुम्हे में तुम्हारे मालिक की असली दुनिया से रूबरू करवाता हूँ। याद रखना यहां इस दुनिया मे आने वाला वापस अपनी दुनिया मे तब तक नहीं जा सकता जब तक वो खुद मालिक बनने की औकात नहीं रखता।
चंचल: मंज़ूर है। (चंचल समीर के साथ फार्महाउस में अंदर जाती है।)
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