RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 75
माँ शायद मेरी दुविधा समझ गई
और अपनी सहमति देणे के लिए थोड़ा पीछे हो गई और बिलकुल मुझ से सट गई
मेरे हाथ सरकते हुए उसकी बाँहों को सहलाने लगे, में उन्हे अपनी तरफ घूमाना चाहता था, उनके सुन्दर चेहरे को देखने चाहता था, उनके रूप के रस को पीना चाहता था
माँ धीरे धीरे सिसक रही थि, उनका बदन कांप रहा था शायद या यक़ीनन वो भी मिलन के लिए तड़प रही थी और मेरा तो बुरा हाल होता जा रहा था
वक्त सरकता जा रहा था, और हम दोनों अपने दिलों की धड़कन बढ़ाते हुये वहीँ खड़े थे किचन में, गरम दूध भी ठण्डा हो चला था
आखीर माँ बोल ही पडी
‘आप चलिये न में आती हु’
लेकिन शायद में चाहता था की मेरी दुल्हन पहले कमरे में जाये और मेरा इंतज़ार करे.
‘तुम चलो में आता हूँ’
माँ ने गर्दन घुमा कर अपने नशीली आँखों से मुझे देखा ... जैसे कह रही हो ... प्लीज मान जाओ न.
‘दूध ठण्डा हो गया है ... में गरम कर के आती हु’
‘ऐसे ही रहने दो ... गरम करने की जरुरत नहीं’
‘प्लीज….’
आगे मैंने बोलने नहीं दिया और दूध का गिलास उठा लिया और अपने माँ के कंधो पे अपनई बाँह फैला कर उसे अपने साथ खिंच लिया.
ओर माँ भी कुछ बोल न पाइ और मेरे साथ खिंचति चलि गई
कमरे में पहुँच कर जब माँ ने बिस्तर को देखा जो गुलाब की पंखुडियों से मैंने सजाया था वो शर्म के मारे दोहरी हो गई और मुझ से छिटक के अलग हो गई
मैने दूध का गिलास बिस्तर की साइड में रख दिया.
वह पल आ चुक्का था जिसका मुझे सदियों से इंतज़ार था, में अपनी माँ की तरफ बढा, जैसे ही उनके पास पहुंचा मुझे लगा वो सूखे पत्ते की तरह कांप रही है शायद आने वाले पलों के बारे में सोच कर.
मैने धीरे से मंजू को अपनी तरफ घुमाया. उसने अपना चेहरा झुका लिया, आँखें बंद कर ली. उनके होंठ कांप रहे थे, जिस्म थरथरा रहा था
मैने माँ की थोड़ी पे अपनी ऊँगली को रखा और उनके चेहरे को ऊपर उठया.
माँ के लाल सुर्ख़ होंठ मुझे बुला रहे थे,
कह रहे थे, कब से तड़प रहे है,
अब बर्दाश्त नहीं होता, आओ और चूम लो.
‘आँखे खोलों ना’
माँ ने ना में सर हिलाया.
‘देखोना ना मेरी तरफ’
माँ ने अपने नशीली आँखें थोड़ी खोली जैसे बहुत जोर लगाना पड़ा हो.
मैं उन अधखुली आँखों में बस प्यार के समुन्दर में डुबता चला गया
और मेरे होंठ माँ के होठो से मिलने के लिए तडपने लगे.
धड़कते दिल से में झुक्ने लगा और अपने
होंठ माँ के होठो के करीब करता चला गया.
फर एक बिजली सी कौंधी और मेरे होंठ माँ के होठो से चिपक गये,
माँ की बाहे मेरे गले में हार की तरहा पड़
गई और हम दोनों चिपक गये
|