RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 66
मैं जब फिर से बैडरूम में आया तो तभी भी माँ बाथरूम में ही थी.
मैं मेरा मोबाइल और पर्स निकाल के कंप्यूटर टेबल की ड्रावर में रख दिया.
तभी पीछे से बाथरूम का डोर अनलॉक करके खोलने की आवाज़ आई. मैं पीछे मुडा तो देखा की माँ बाथरूम डोर को थोड़ा खोलकर मेरे ही तरफ देख रही है.
हमारा नज़र मिलतेही हम दोनों स्माइल किया.
माँ का मेहँदी किया हुआ राईट हैंड डोर को पकड़ी हुई है.
डोर थोड़ा सा ओपन के कारन उतनी छोटी गैप से उनका चेहरा पूरा नहीं दिख रहा है.
पर उनके भीगी जुल्फे उनके राईट साइड के गाल के ऊपर से लटक रही है.
उनके राईट शोल्डर का थोड़ा हिस्सा दिख रहा है उस गैप से.
गोरी गोरी मुलायम स्किन के ऊपर दो चार पानी की बून्द मोती जैसा चमक रहा है.
और आर्म के नीचे से टॉवल लपेटि हुई है और वह उनके स्तन के ऊपर पकड़ी हुई है, समझ में आरहा है.
माँ ब्लाउज वगेरा लेकर तो गयी थि,
शायद वह अभी तक पेहनी नहीं है.
मैं स्माइल करते हुए वहां खड़े खड़े उनको देख रहा था तो माँ को शर्म आ गयी.
माँ आँखों में प्यार और शर्म की एक अद्भुत मिश्रण लेकर स्माइल के साथ बोली
"जाइये यहाँ से..मुझे बाहर आना है"
मा के साथ धीरे धीरे थोड़ा सहज होना सुरु हो गया था.
इस लिए मेरे दिमाग में एक बदमाशी आइडिया आगया.
मैं होठ पे एक बदमाशी हसि लेकर उनको देखते देखते टेबल पे टेक लगाया.
माँ मेरा ईरादा समझ गयी. वह बस गले में थोड़ा अनुरोध का सुर लेकर प्यारी बीवी के जैसे फिर से बोली
"जाइये ना आप"
मुझे माँ को इस तरह सताने में मज़ा आरहा था.
मैं यहाँ खड़े रहूँगा तोह वह बाहर नहीं आयेगी.
और वह अब बाहर आना चाहती है.
माँ तोह अब मेरी बीवी है.
मैं उनको टॉवल में क्यों नहीं देख सकता.
ऐसा एक हल्का विचार मेरे दिमाग में घूम रहा था.
मैं उसमे बंध होकर माँ को देखते रह गया.
उनको उस तरह भीगे बालों में, शरीर में टॉवल लपेटे हुई भेष में थोड़ा दिदार करके और बाकि कल्पना में सोचके मेरे अंदर खुन दौड रहा था.
हम पति पत्नी बन्ने के बाद अभी तक एक दूसरे के पास पूरी तरह ओपन नहीं हो पाये.
पर हम दोनों ही कोशिश कर रहे है की हमारे बीच कोई ब्याबधान न रहे.
हम दो शरीर और एक आत्मा होजाए.
और हमे यह भी मालूम है की इनिशियल झिझकपन के बाद टाइम के साथ साथ सब ठीक हो जाएगा.
मेरा हिलने का कोई ईरादा न देख के माँ प्यार से धीरे धीरे एक अद्भुत अदाओ के साथ बोली
"आप यहाँ ऐसे खड़े रहेंगे तो में आ नहीं पाउँगी"
मै भी हास्के धीरे धीरे बोला
" क्यूं...तुम तो टॉवल पहनी हुई हो, आजाओ बाहर"
मेरी बात सुनकर उनका चेहरा शर्म से लाल हो गया.
वह अपनी नज़र झुका ली और डोर के ऊपर राईट हैंड को हल्का हल्का रब करती हुई फुसफुसाकर बोली
"नहि....मुझे शर्म आरही है"
मै समझ गया माँ मेरी बीवी बन गयी.
पर मेरे सामने पत्नी के जैसा पूरी तरह खुलकर आने में उनको समय लग रहा है.
वह चाहती है हम पति पत्नी की तरह बन जाये और उनके लिए उनके अंदर वह कोशिश भी दीखती है.
लेकिन अचानक माँ से बीवी बनना उनके लिए भी एक कठिन चैलेंज है.
और इसमें मुझे उनका साथ देना चहिये.
उनकी भावनाएं मेरे मन को छु के गयी.
मैं वहां से बाहर की तरफ जाने लगा. तब माँ पीछे से बोली
"बाहर जाकर पर्दा लगा डिजियेगा"
मैने मुड़के उनको एक स्माइल दिया.
वह मेरी नज़र में नज़र मिलाकर जैसे यह कह रही है की
"सॉरी जाणु, में तुम्हारे साथ ज़िन्दगी का हर पल एक साथ जीना चाहती हु, तुमको प्यार करके, तुम्हारा प्यार पाकर मेरी ज़िन्दगी को ख़ुशी के सागर में बहा देना चाहती हु,
लेकिन हमारे इस नयी रिश्ते में खुद को तुम्हारी पत्नी बनकर हमारे बीच की सारी बाधा को पार करने में थोड़ा वक़्त लग रहा है, प्लीज फॉरगिव मि"
उनके दिल की बाते महसुस करके मेरे मन में उनके ऊपर और प्यार आने लगा. और में एक स्माइल के साथ उनकी वह बाते समझके वहां से बाहर आगया.
बाहर आकर में दरवाजे का पर्दा ठीक से खिचके बंद कर दिया.
मुझे समझ में आरहा है की माँ अंदर बाथरूम से बाहर अगयी.
उनके पायल की और बँगलेस की रुन-झुँन आवाज़ से में वहि खड़े खड़े सब समझ पा रहा था.
अगर में चाहु तो पर्दा क्रॉस करके रूम के अंदर दाखिल हो सकता हु.
लेकिन में उनके बिस्वास को तोडना नहीं चाहता.
वह चाहती तो खुद आकर दरवाजा लॉक कर सकती थी.
पर वह केवल मुझे पर्दा लगा ने के लिए बोलकर मेरे ऊपर के बिस्वास से उनके मन में एक भरोसा आया.
और उसमे वह खुद को मेरे पास सुरक्षित,
मेहफ़ूज़ महसुस कर रही है.
मैं वह नहीं तोड़ सकता. हर रिश्ते में बिस्वास और भरोसे के पिलर होते है.
उसी की बुनियाद के ऊपर विश्व संसार के सारे रिश्ते टिके हुए है.
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