RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 65
मैं मार्किट में था और माँ इसी बीच में हमारे सारे कपडे तो समेट के रख दिया है, ऊपर से घर की साफ़ सफाई कर दि है. किचन बिलकुल साफ़ नज़र आया.
कुछ बर्तन को धोकर वहि रखी है.
जो एक्स्ट्रा पैकेट और कुछ यूज़लेस सामान पड़ा था उसको एक अलग पैकेट में भरके वहि स्लैब के नीचे रखी हुई है.
मैं अकेला क्या करता कुछ नहि
और आज माँ के हाथ की छांया से पूरा घर चमक रहा है.
यह घर भी जैसे मेरी तरह उनके मालकिन के आने से उनके स्पर्श से खुश हो रहा है.
माँ पैकेट से कुछ कुछ सामान निकाल के बाहर रख रही है.
तभी काम करते करते मेरी तरफ एकबार देख के बोली
" देखिये तो....फ्रीज क्यों नहीं ऑन हो रही है"
मै मेरे हाथ का सामान सब वहि रख दिया था.
और वहां खड़ा होकर माँ को और इस घरको देख रहा था.
जब माँ बोली में तुरंत घूम के फ्रिज की तरफ जाते हुए बोल
"क्यूं...क्या हो गया"!!
ओर में फ्रिज के पास जाकर डोर खोला तो देखा की फ्रिज बंद है.
माँ तब पीछे से बोली
"क्या मालुम्....स्टेबिलाइजर में तो करंट है"
मै सीधा होकर उठके जैसे ही देखा तो में खुद हस पडा.
माँ मेरी तरफ देखने के लिए पीछे की तरफ सर घुमाकर होठो पे एक हल्का स्माइल लेकर पुछी
"आरे.... हस क्यों रहे है"
मैने ने फ्रिज का प्लग लगाते लगाते बोल
"जाने के दिन सुबह यह स्टेबीलाइजर वाला इसको रीप्लेस करके नया देकर गया,
और उनके बाद से फ्रिज चला नहि,
तभी से फ्रिज का प्लग खुला हुआ था"
मैने प्लग लगाकर डोर खोलतेही अंदर लाइट ऑन दिखते ही. में हास्के माँ की तरफ देखा. माँ तभी वहां से जाने के लिए कदम बढायी और बोली
"ठीक है उसको चल्ने दीजिये. मैं आकर सामान भरती हु”
मुझे मालूम है माँ नहाने जायेगी, फिर भी में अचानक बेवकुफ जैसा सवाल पुछा
"कहा जा रही हो"
मा मेरे पास आगयी थी. मुझे क्रॉस करके जाते जाते मेरी तरफ मुड़के देखते हुए स्माइल किया और कंधे से टॉवल निकाल के लेफ्ट हाथ के ऊपर रखि. फिर आँखों में एक अद्भुत अदायें और होठ पे एक प्यारी हसि को दबाते हुए धीरे से बोली
"नहाने"
ओर फिर हस्ते हुए मेरी तरफ एक अद्भुत नज़र फ़ेक के किचन से बाहर निकल गयी. माँ मेरे बेवकूफ़ सवाल में ऐसा एक आवाज़ महसुस किया था जिसके जवाब में वह शायद ऐसी अदायें और आँखों की भाषा से यह कह के गयी की
"अब में कहाँ जाउंगी, अब तो में तुम्हारी ही हो चुकी हु, हमेशा तुम्हारे पास ही रहुंगी".
मेरा मन उनके इस इशारे से झूम उठा. और देखा की माँ बाहर जाकर बेडरूम की तरफ चलि गयी. इस घर पे बेड रूम के साथ लगा हुआ बाथरूम बहुत बड़ा है.
दूसरा जो हॉल के साथ अटैच्ड है वह बाथरूम कम टॉयलेट तो है पर वह इतना छोटा है की उसको केवल टॉयलेट कहना ही ठीक होगा.
मैं बाहर आकर रैक से वह फूलों का पैकेट उठाया और बैडरूम के तरफ चला.
बेडरूम में आकर देखा माँ सारे कपडे वगेरा अलमारी में सजाके रख दिया और रूम को भी सजाके सामान वगेरा प्रॉपर अपने अपने जगह पे रख दिया था.
और मेरे मन के अंदर हथोड़ा पीठना शुरू होगया जब देखा की माँ हमारे लिए नयी ख़रीदी हुई डबल बेड के ऊपर एक नयी बेडकवर बिछाकर रखी है.
ऊपर की तरफ दोनों तकिया भी नयी कवर के साथ है.
यह बिस्तर आज से मेरा और माँ का है.
नीचे की तरफ माँ एक साड़ी और मेरा पाजामा और टी शर्ट रखी हुई है बेड के उपर.
मुझे नहाके पहन ने के लिए वह कपडा माँ निकाल के रखदी और खुद अपने ब्लाउज और पेटिकोट लेकर बाथ रूम में चलि गयी लेकिन साड़ी यहाँ रखके गयी.
बाथरूम से पानी गिरने का और माँ की बँगलेस का आवाज़ आरहा है. तभी मेरा मोबाइल रिंग होने लगा.
मैं पॉकेट से निकालके देखा की मेरा ऑफिस का कलीग का फोन है मैं रिसीव करके "हल्लो" बोला और बाहर जाने के लिए चल पडा.
मैं फूलों का पैकेट वहि साइड में कंप्यूटर टेबल के नीचे छुपा के रख के बैडरूम से बाहर आगया.
मेरा कलीग मेरे से सीनियर है.
वह पुछ रहा था कल से में ज्वाइन कर रहा हु की नहि.
मैं तीन दिन की छुट्टी और शनिवार हाफ डे लिया था.
कल से मुझे ज्वाइन करना था.
इस लिए वह कन्फर्म कर रहा है क्यों की उस हिसाबसे कल का प्लान ऑफ़ एक्शन बनेगा.
मैं बोला की हाँ में आज एम.पी आगया और कल से ऑफिस आऊंगा.
फिर थोड़ा ऑफिस के काम की बातें और इधर उधर की बातें करने के बाद हम "बाय” बोलके फ़ोन कट किये.
मैं अचानक इस ख़ुशी का एक अद्भुत नशा
लगनेवाले माहौल से ऑफिस के काम की दुनिया में चला गया था.
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