RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 49
मैन पण्डितजी के सामने बैठके उनका कहना मान रहा हु. पण्डितजी पूजा सुरु कर दिया है. वह नाना जी से दूल्हा दुल्हन का नाम और उनलोगों का माता पिता का नाम पुछा. नानाजी मेरे नाम हीतेश बताया और माता पिता का नाम दीपिका और अरुन बताया. मैं थोड़ी टाइम समझ नहीं पया पर थोड़ी देर में याद आया की माँ का नाम उनका जमान कुन्डली में दीपिका ही लिखा हुआ है. बाकि सब क्लियर हुआ जब दुल्हन का नाम मंजु और माता पिता के नाम के लिए नाना ख़ुदका और नानी का ही नाम बताया. पंडित जी पूजा करने लगा. कुछ लेडीज लोग वहि चारों तरफ बैठ गये. मुझमें एक शर्म के साथ एक उत्तेजना भी फील हो रहा है. क्यूँ की बस मुहूर्त टाइम आनेहि वाला है. तभी पण्डितजी पूजा के बीच में बोले की दुल्हन को बुलाईये.
इन्सान का मन और दिमाग उसके ज़िन्दगी का एक एक दिन, हर पल, सारे मोमेंट्स को याद नहीं रख पाता. उसका मन बस उसके लाइफ के कुछ दिन, कुछ पल, कुछ मोमेंट्स को अपनी आँखों और दिल के अनुभव से उसको कैद कर लेता है और उसको अपने मन में बस ज़िन्दगी भर के लिए रख लेता है. ज़िन्दगी में घटे हर इन्सिडेंट्स की सारी डिटेल्स वह भूल जाएग, पर उस इन्सिडेंट्स का कुछ कुछ हिस्सा उसके दिल और दिमाग में बचा रहता है. वह कभी कभी उसको पीडा देता है, कष्ट देता है और कभी कभी वह उसको ख़ुशी और आनंद का एह्सास दिलाता है. हमारे सब की ज़िन्दगी ऐसे नियमोँ से चलती है.
आज मेरे ज़िन्दगी का वह दिन है, जिसको शायद में अखरि सांस तक , इस्सके हर मोमेंट्स को याद करना चहुंगा, पर मुझे यह भी मालूम है मेरा मन मेरी चाहत पूरी नहीं कर सकता. मुझे इस आनंद का, ख़ुशी का हर पल बस कुछ स्टिल तसवीरों से अपनी दिल के दिवार पे फ्रेम में लगाके सजाके रखना है. और मेरा मन ज़िन्दगी में कभी भी, कहीं भी दिल की दीवारों पे टंगी हुई वह तसवीरें याद करके अब की महसुस कि हुई ख़ुशी के पलों को महसूस करके उसके मिठेपन का एह्सास दिलाता रहेगा.
मै अपनी जगह पे खड़ा था वहाँ मजूद सब लोग दुल्हन के आगमन के लिए उत्सुक्ता से इंतज़ार कर रहे है. मेरे मन में एक तूफ़ान जैसा चल रहा है. यह है वह घडी जिसकी याद करके इतने दिन गुजारते आया. यह वह पल जो मेरे और माँ की ज़िन्दगी को एक नई दिशा में ले जाकर एक नये रिश्ते में जोड देगा. हमारे बीच के माँ बेटे के बंधन के साथ पति पत्नी का प्यार भरा एक रिश्ता जुड़ जायगा. मैं ब्याकुल मन लेकर माँ को दुल्हन के रूप में देखने लिए पागल हो रहा हु. मेरे इस चिंता के बीच मुझे वहां मौजूद सब लोगों की आनंद ध्वनि और मंगलमय आवाज से में मेरे लेफ्ट साइड में डोर के तरफ देखा. माँ अपनी दुल्हन की भेष में हॉल में एंट्री लि. पर मुझे उनका चेहरा नज़र नहीं आया. दो आदमीयोने उनके सामने एक पर्दे जैसा कुछ उठके रखा है. जिस से मेरे और माँ के बीच एक विज़न बैरियर तैयार कर दिया. वह अपना सर झुकाके , धीरे कदमों से पूजा की तरफ आनेलगी. नानाजी उनकी साइड से अपने दोनों हाथों से माँ को पकड़के आरहे है. यह मालूम पड़ रहा है की माँ एक सुन्दर लाल, मरून और हरे कलर का सुन्दर गोल्डन डिज़ाइन किया हुआ लेहेंगा पहनी हुई है. मेरे मन को एक हतोड़ा जैसा पीठ रहा है. जिस्को में बचपन से प्यार करता हु, जो मुझे प्यार देकर आज इतना बड़ा किया , वह औरत, मेरी माँ, आज मेरी धरम पत्नी बन रहहि है. हाँ यह बात सही है की आज तक में मेरे मन की गहराई में, उनको सोच क़र, उनके शरीर के एक एक अंग की कल्पना करके, एक आदमी का एक औरत के लिए जो प्यार होता है, वह प्यार उनसे करते आरहा हु. और आज इस मुहूर्त के बाद बस वह मेरी हो जाएगी, केवल मेरी. जिसके साथ मेरे खुद का परिवार बनाकर, पूरी ज़िन्दगी जीने की ख्वाईश है. नानीजी मुझे देखते ही हमारी नज़र मिले. वह बस होंठो पे एक मुस्कान लेकर मुझे देखी और फिर माँ की तरफ देखकर माँ के कान में धीरे धीरे से कुछ बोली. मुझे माँ का एक्सप्रेशन तो दिखाइ नहीं दिया, पर नानी अपनी मुस्कान को और चौड़ी करके हॅसनेलगी. माँ को लगा शायद वह शर्म और ख़ुशी की मिक्स अनुभुति से और सर झुकाके नानी के हाथ के बंधन के अंदर पिघलने लगी. चारों तरफ से सब लेडीज की ख़ुशी और मंगलमय आवाज़ मेरे कानोमे रस घोलने लगी. सामने मेरी माँ को अपनी दुल्हन बन के आते हुए देख के में बस एक नयी अनुभुति में डुबने लगा.
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