RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
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नानाजी का दिया हुआ नया सूट पहनके में तैयार हो रहा था रूम में बस में अकेला था मिरर के सामने खड़े होकर खुदको देखते देखते शायद मेरे मन में एक डर महसुस होने लगा. मैं ज़िन्दगी का सब से बड़ा स्टेप लेने जा रहा हु. शादी करके एक नई ज़िन्दगी में प्रवेश करने जा रहा हु. हमें मालूम नहीं हमारे नसीब में आगे क्या लिखा है. मैं माँ से बहुत प्यार करता हु. वह भी मुझसे बहुत बहुत प्यार करती है यह मुझे मालूम है. अब हम पति पत्नी बनके ज़िन्दगी गुजर ने की कसम खाने जा रहे है. हम एक दूसरे को चाहते है. एक दूसारे के साथ जीना चाहते है. एक दूसरे को ज़िन्दगी की हर ख़ुशी देना चाहते है. नाना नानी भी ऐसे ही रिश्ते दिल से चाह के हम सब को खुश देखना चाहते है. मैं आँख बंध करके प्रे करने लगा. हमारी ज़िन्दगी में कोई रुकावट या कोई बाधा या कोई कस्ट न आये. हम एक साथ पूरी ज़िन्दगी ख़ुशी और शान्ति से जी पाये.
मै कॉटेज से निकल गया. नानाजी और दो चार लोग बाहर खड़े थे, उनके साथ में चलने लगा. मुझे मालूम था की माँ और नानी पहले से ही वहां चले गये. क्यूँ की रिंग और मेहँदी के लिए यह लोग दुल्हन को थोडा बहुत सजाने का प्लान सेट करके रखा है. मेरे अंदर माँ को उस्सी तरह सजी हुई देखने की चाहत पूरे बदन में दौड ने लगी. में किसीको उसकी भनक तक लगने नहीं दे रहा हु.
एक हॉल में यह सेरेमनी का आयोजन किया हुआ है. वहाँ पण्डितजी और कुछ लेडीज थी, इनमे से में हल्दी के टाइम भी कुछ कुछ फेस देखा था मैं जाकर वहां सोफे पे बैठा. एक फोटोग्राफर आकर मेरी फोटो क्लिक करने लगा. मैं थोड़ी बेचैनी फील करने लगा. नानाजीने मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रखा तो मेंने उनको देखा. उनकी आँखों में एक आश्वासन का इशारा और सब कुछ ईजिली लेने का इशारा देख के में खुद को उस वातावरण के साथ मिलाने लगा. औरतें आपस में बात कर रही है. हस रही है. मैनेजर बीच बीच में नाना से बात कर रहा है. मैं बस सब कुछ देख रहा हु. और दुल्हन का यानि की माँ के आने का इंतज़ार करने लगा.
लेकिन यह इंतज़ार लम्बा होने से पहले ही कुछ औरतों के साथ माँ और नानीने हॉल में एंट्री लि. मैं माँ को देख के चौंक गया. क्या यह वहि लड़की है, जिस को में बचपन से देखते आरहा हु, जो मेरी माँ है, जिसको में जी जान से ज़ादा प्यार करते आरहा हु बचपन से!! थोडे मेकअप के साथ लेहेंगे और चोलीमें और कुछ हलकी ज्वेलरी में वह एकदम परी जैसे लगने लगी थी उनके बॉडी का हर कर्व परफेक्ट है. आज वह और भी सेक्सी लग रही है. लहेंगा पहन ने से उनका सेक्सी फ्लैट पेट् और नभि दिख रहा है. पहली बार उनका नाभि देखके मेरे अंदर सिरसिरानी सुरु हो गया. मेरी नज़र थोड़ी ऊपर होते ही उनका बूब्स पर अटक गयी. आज उनका वह दोनों सुडौल आकर क्लियर व्यू के साथ उनकी सुंदरता और बढा दिया. उनका चेहरा देखा तो वह नज़र झुका के , शर्म और लाज में लाल होकर मेरी तरफ बढ़ते आरही है. यहाँ किसीको मालूम न हो, लेकिन नाना नानी और मेरे सामने वह ज़ादा शर्मा गयी. क्यूँ की हमें ही केवल मालूम है हमारा रिश्ता , हमारी परिचय. हम एक रिश्ते से आज दूसरे एक नए रिश्ते में जुड़ने जा रहे है. मेरे अंदर एक एक्ससाइटटेमेंट तो था ही अंदर ही अंदर, और अब माँ को देख के मेरे मन में एक हलचल मचने लगी. मैं खुद को कण्ट्रोल करते ही जारहा हु केवल यह सोचके की बस और कुछ घंटों के बाद वह परी जैसी लडकि, मेरी बीवी बन के मेरी बन जाएगी.
मा आकर मेरे बगल में सोफे में बैठ गयी, नानी उनके पास बैठी गयी है. माँ अपनी नज़र एक दम झुकाके केवल खुद की गोद में रखे हुये हाथ के ऊपर टिकाके रखि, चारों तरफ एक बार भी नहीं देख रही है. मैं इतना सामने हु, तभी भी नहीं देख रही है, उनके होंठो पे जो मुस्कान है उससे पता चल रहा है वह इस रिश्ते को ख़ुशी ख़ुशी अपनाना चाहती है. बस यह मेहसुस करके मेरा मन उनके ऊपर प्यार से पिघल ने लगा. पंडित जी के पास पहलेही दो रिंग देकर रखे है नानीजी. वह बस एक रिंग उठाके मुझे और दूसरी माँ को दे दि. सारी औरतें ख़ुशी की आवाज़ से हमें इस मुहूर्त का इम्पोर्टेन्स मेहसुस करवाने लगी. मैं बस नानी को देखा तो वह मुझे इशारा कि अंगूठी पहनाने के लिये. मैं एकबार माँ को उनकी झुकि हुई नज़र के साथ उनके चेहरे को देख के मेरा हाथ थोडे आगे करते ही नानीने माँ को धीरे धीरे से कहा
?? मंजू,,??
ओर माँने अपना लेफ्ट हैंड को उठके आगे बढानेलगी. हम दोनों के हाथ बीच में आगये. मैं रिंग को पहनाने के लिए मेरी तीन उँगलियाँ में पकड़ के रखा है. और वह उनके ऊँगली में रिंग पेहनने के लिए बाकि उँगलियाँ को थोडा स्प्रेड करके रखी है. मैंने दोनों के हाथ के ऊपर नज़र डालके देखा. शायद हम दोनों के ही हाथ काँप रहे है. एक तो में पहली बार यह सब कर रहा हु. दूसरी बात हम हमारा रिश्ता बदल ने जा रहे है, और तीसरा हम इस रिश्ते को दिल से चाहके एक एक्ससाइटटेमेंट में डुबे हुए है. इस लिए हम दोनों ही थोडे थोडे काँप रहे है. यह शायद वहां की कुछ लेडीजने देख लिया और वह लोग कुछ आपस में बोलके हस पड़ी और हमे शर्म आइ, माँ अपना सर और नीचे झुका ली. मै धीरे धीरे उनके ऊँगली के पास रिंग ले जाके उनको अंगूठी पहना दिया. सब लोग क्लैप से और ख़ुशी का आवाज़ से हमें अभिनन्दन देणे लगे.
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