RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 44
मैनेजर मेरे पीछे ही था. वह बोलने लगा की यहाँ हमने सब प्रॉपर तरीके से पण्डितजी के साथ परामर्श करके सारा बंदोबस्त किया है. यह सब मैरिड लेडीज है. यह लोग हमारे यहाँ शादी के सारे प्रोग्राम में अपना अपना डूटीस करते है. हम आगे बढ्ने लगे. मैं नानाजी के साथ मेरे रूम में घुसते ही सब लेडीज की तरफ देखा. सबने स्माइल और ख़ुशी की आवाज़ के साथ मेरा स्वागत किया. एक दो ओल्ड लेडीज आगे आकर मेरा हाथ पकड़ के आगे ले जानेलगी. उनके चेहरे पे माँ या बड़ी बहन के जैसा प्यार और खुशियां नज़र आई. मुझे एक छोटी चौकी पे बैठने के लिए कहा. मैं बैठा. नानाजी और मैनेजर साहब वहि साइड में रखे सोफे पे बैठे. मैं इतनी सारी औरतों के बीच पहले थोडा नर्वसनेस फील करने लगा. पर वह लोग अपनी स्माइल और प्यार भरी नज़र देकर मुझे सहज करनेलगी. तभी पण्डितजी अंदर आये. मेरे सामने वाले आसन में बैठे. वह अपना कुछ सामान वहि रखके एक पुस्तक निकाल के पड़ना शुरु किया. मेरा नाम पूछे नानाजी से. फिर कुछ मंत्र बोलके वह पुस्तक बंध किया. फिर एक लाल और पीला रंग का धागा लेकर मेरे हाथ में बाँधने लगे. एक दो लेडीज मंगलमय ध्वनी देकर और शंख बजाके इस मुहूर्त को और धार्मिक करने लगी. पण्डितजी मंत्र के साथ साथ वह धागा बाँधना ख़तम किया. और अपनी एक ऊँगली सामने रखी हल्दि, चंदन और गुलाब पाणी से बना हुआ पेस्ट को छुँकर तीन बार बिरबीर करके कुछ मंत्र पढ़ा फिर एक सीनियर लेडी को आगे का कार्यक्रम सुरु करने को कहा. एक एक करके सात लड़की आगे आयी. सब मैरिड दीखती है. सब उस हल्दी पेस्ट लेकर एक एक करके मेरे पैर में, घुटनो में, बाजु में, हाथ में और चेहरे पे लगाने लगी. सब थोड़ी थोड़ी लगाके रब करते जा रहा है. मुझे एक सुखानुभूति का अनुभव हुआ. बचपन से दुसरों को शादी करते हुए देखके खुदकी भी शादी का मन करता था और आज वह पल है. मेरी शादी की रसम सुरु हो गयी. लाइफ में एक परफेक्ट पार्टनर पाना बहुत जरुरी होता है. जो आपके लाइफ के रास्ते में चलना और स्मूथ करदे. सारे सुख एंड दुख में आपका साथ देके जीना सहज कर दे. नाना नानी मेरे लिए वैसे ही एक लड़की ढूंढे है. जिस्को में दुनिया में सबसे ज़ादा प्यार करता हु. अपनी ज़िन्दगी में पाकर एकसाथ चलना चाहता हु. सारी खुशियां उनको देना चाहता हु, वह लड़की यानि की मेरी प्यारी माँ, आज मेरी बीवी बनने जा रही है . और वह अपने बेटे को अपने पति के रूप में पाने जा रहि है. मैं ऐसी कुछ चिंता में खो गया था थोड़ी देर बाद मैं मेहसुस किया की मेरे पूरे बदन पे वह लोग हल्दी लगा रही है. मेरा कपडा पूरी तरह पीला पीला हो गया. कुरते का स्लीव फोल्ड करके, पाजामे को ऊपर की तरफ उठाके फोल्ड करके , छाती का बटन खोलके, पीछे गर्दन के पास से अंदर की तरफ..सारी जगह हल्दी लग गयी. मुझे शर्म आने लगी. इतनी सारी औरते. और वह लोग आपस में हस रहे है, बाते कर रहे है. कोई कोई मेरे से बात करने की कोशिश कर रही है. पर में सब को केवल एक स्माइल देकर मेरे जवाब दे रहा हु. फिर वह लोग मेरे सरके ऊपर पाणी ड़ालनेलगी. मैं गिला हो गया. वह लोग मेरी हालत देखके खील खीला कर के हस पडी. मैं भी क्या करे.. लोगों के साथ बस मुस्कुराते रहा. रब करके मेरी हल्दी उतारने लगे वह लोग. थोडा टाइम ऐसे चलने के बाद सब लोग मुझे छोड़के साइड में चले गये. पण्डितजी बोले " बेटे अब जाकर खुद नहालो". मैं वहां से उठके सब को नमस्ते बोलके अपने कॉटेज के लिए चल पडा नानाजी भी मैनेजर के साथ उस रूम से बाहर गये. मैं बाहर आतेहि दुल्हनके रूम की तरफ देखा. वहाँ से हसि मजाक और ख़ुशी की आवाज़ें आ रही है. मैं समझ गया वहां का हल्दी का कार्यक्रम अभी तक पूरा नहीं हुआ. नानाजी मेरे पास आतेहि हम वहां से निकल पडे.
पुरा बदन रगड रगड के नहाने के बाद भी बहुत जगह अभी भी पीला पीला होकर रह गया. चेहरे पे भी एक पीलेपन का अभास जैसा लगा हुआ है. मैं दूसरे एक नये कपड़े जो में एमपी से लेके आया, हु पहन के रूम में आया और तभी नानाजी बाहर से अंदर आकर बोले
?? बेटा ..वह मैनेजर पुछ रहा था की हम लंच कहाँ करना चाहते है. मैं तुम्हारी नानी??.मतलब मम्मी को पूछा तोह वह लोग बोले की यहाँ रूम में ही आज लंच करेंगे. तोह में वैसे ही बोल दिया??
नानाजी भी बात करते टाइम खुद को सुधार रहे थे. वह लोग भी अपने आपको चारों तरफ से नए रिश्ते के साथ जोड ने की कोशिश कर रहे है. मुझे अब बस क्या कहना है. मैं बोला
?? ठीक है पापा??.
हल्दी के बाद से शाम तक न में माँ को देखा न नानीजी को. हालांकी मुझे माँ का चेहरा देखने के लिए मन उतावला हो रहा था लेकिन मुझे और कोई कारन न होने की वजह से उनके रूम में जाने में शर्म आने लगा. हम लोगोने अपने अपने रूम में ही लंच कर लिया था नानाजी केवल दो एक बार बाहर जाकर शायद उनलोगों को मिलके आये. नानाजी को देखके वैसे ही लग रहा है जैसे बेटी के शादी में बाप बहुत बिजी रह्ता है. वह रिसोर्ट वाले से, नानीजी और माँ से, मेरे से सब से कोआर्डिनेट कर रहे थे. कहाँ किसको क्या चीज़ की जरुरत, सब कुछ ध्यान दे रहे थे. अब वह अपने बेड पे रेस्ट करने के लिए सोये हुये थे क्यूँ की बस थोड़ी देर बाद रिंग सेरेमनी और मेहँदी है. यहाँ रिसोर्ट वाले ने हमारे शार्ट टाइम को पकङकर, सारे रसम और प्रोग्राम को सेट किया है. साथ में पण्डितजी का दिया हुआ टाइम को भी ध्यान रखना पड़ा . सो हमें सब कुछ थोडा जल्दी जल्दी लगने लगा. पर क्या करे. ऐसेही सब फिक्स किया हुआ है. और शादी में जितना प्लान करो, जितना टाइम लो, आखिर में सब ऐसेही लगता है.
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