RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
मै हितेश। बचपन से में अपना नाना नानी और माँ के साथ रह के बड़ा हुआ। फादर न रहने के कारन मेरा नाना नानी कभी कमी नहीं छोड़ि प्यार और सपोर्ट देणे में। माँ हमेशा आपनि ममता और प्यार से मुझे पालन किया। नाना के पास पैसा होने के कारन मुझे कभी कुछ भी चीज़ का कमी मेहसुस करने नहीं दीए। मैं ऐसे ही तेज स्टूडेंट था। इस्स लिए सब लोग मुझे प्यार ही प्यार देते थे। मैं बदमासी भी करता था। पर इतना नहीं जो की बिगडे बच्चे करते है। छोटा मोटा शरारत करता वह अपनी तरीके से माफ़ किया कर देता थे। पर हाँ।।।मुझे हमेशा अच्चा वैल्यूज और मोरालिटी के साथ की पाला वह लोग। बाहर ज़ादा लोगों के साथ मेरा दोस्ती भी नहीं था। नाना नानी और माँ सब मेरा दोस्त भी थे और टीचर भी। डांटते भी थे । फिर सीखाते भी थे। हम चारों एक बॉन्डिंग से बढ रहै थे बचपन से।यही देखते गया। मैंने यह सुना की मेरा पिताजी गुजर जाने के कुछ साल बाद , मेरा नाना नानी मेरा माँ का दोबारा शादी करवा नेके लिए कोसिश किया थे। तब मेरा माँ २३-२४ साल की थी। बहुत सुन्दर देखने में थी। स्लिम और गोरी। लम्बे बाल था । पान का पत्ते जैसा मुह का शेप। उनका आँख , ऑय ब्रोव्स , नाक, होठ सब कोई अर्टिस्ट का बना हुआ लगता है। बारवी क्लास तक पढ़ी है। उसके बाद जिन्दगी में हदसा और बाद में मुझे देख भाल करके बड़ा करने में जुट गई। मेरा और कोई मौसी नहि। सो नाना नानी की वही देख भाल करति थी। घर का काम भी करति थी , फिर मुझे पढाती भी थी और टाइम मिलता तोह वह बड़े बड़े लेखक के नावेल स्टोरी पड़ने में उस्ताद थी। एक बेटी होने के कारन नाना नानी भी उनको घर में रहने का सब बंदोबस्त कर दिया था। उनको भी बुक पड़ने का नशा लग गया बचपन से। बाद में वह एक ही की थी जो वह अपनी खुद के लिए ,अपनी मन की ख़ुशी के लिए करती थी। मेरा नानी भी इतने ओल्ड नहीं थे। पर मेरी माँ मेरे पिताजी का फॅमिली नहीं होने के कारन अपना बेटा लेके नाना नानी के फॅमिली को ही अपना फॅमिली सोच के सब देख भाल करती थी। शायद उस में उनको ख़ुशी मिलति थी और वक़्त भी गुजर ने का तरीका मिला था। वह शांत स्वाभाव की थी पर हसि की बातों से हस्ति भी थी और टीवी में दुःख दर्द भरी फिल्म देखके मायूस भी हो जाति थी। कुछ लोग नाना जी के पास उनको शादी करने के लिए प्रपोजल भी लाया था। पर कुछ मेरा नाना जी।।और बाकि मेरा माँ कैंसिल कर दिया। स्टार्टिंग में नाना नानी माँ से गुस्सा करता था । माँ का भविष्य के लिए वह बोलते थे की सारी ज़िन्दगी पड़ी है तेरी, कैसे गुजारेगि। और यह भी कहते थे की हितेश को भी तो एक बाप पाने का इचछा होता होगा। बाप का प्यार। पर माँ का कहना था की अगर वह किसी को फिर से शादी किया तोह वह आदमी अपना अधिकार दिखाके मुझे त्याग करने को कहेगा और नाना नानी को छोड़ के भी जाने लिए कहेंगा। आब इस सिचुएशन पे वह उनके लिए सम्भब नहीं था वह मुझ से दूर नहीं रह सकति , और नाना नानी को अकेले छोड़के और किसी फॅमिली में जाके अपना गृहस्थी कर सकता थीं। माँ ने मेरा मुह देख के उनका सब सुख ख़ुशी विसर्जन देणे का फैसला किया था। नाना नानी धीरे धीरे उनका बात मान ने लगा , पर अंदर ही अंदर फ्यूचर को लेके परेशान थे।
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