non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:18 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
"ज्यादा समय नहीं है हमारे पास।" उस आदमी के आते ही अजय सिंह ने धीमे स्वर में कहा___"इस लिए जैसा कहा गया था फौरन ही वैसा करो। उसके बाद जल्दी से यहाॅ निकलना भी है।"

अजय सिंह की इस बात को सुन कर उसके अन्य आदमी फौरन ही हरकत में आ गए। कुछ लोग नीचे की तरफ के कमरों की तलाशी लेने लगे और बाॅकी लोग सीढ़ियों के द्वारा ऊपर की तरफ चले गए। लगभग दस मिनट बाद ही मंज़र ये था कि ऊपर से आने वाले आदमियों के कंधों पर एक एक इंसानी जीव बेहोश अवस्था में लदा हुआ नज़र आ रहा था। नीचे के एक कमरे से एक आदमी शंकर के बेहोश जिस्म को कंधे पर लादे आ रहा था।

उन सबके आते ही अजय सिंह बिंदिया व हरिया को पकड़े आदमियों को भी इशारा किया। इशारा मिलते ही उन आदमियों ने पलक झपकते ही खतरनाॅक हरकत की। जिसका नतीजा ये हुआ कि कुछ ही पलों में बिंदिया व हरिया दोनो ही बेहोश हो चुके थे। सबको लेकर बाहर की तरफ बढ़ चले वो लोग।

कुछ ही देर में सभी बेहोश हो चुके लोगों को बाहर खड़ी गाड़ियों पर भूसे की तरह ठूॅस दिया गया। उसके बाद सभी आदमी अपनी अपनी गाड़ियों पर बैठ गए। टाटा सफारी के चलते ही बाॅकी तीनों गाड़ियाॅ भी उसके पीछे चल दी। गहरी नींद में सोये शहर वासियों को इस सबका ज़रा भी इल्म न हुआ कि रात के सन्नाटे में यहाॅ क्या कुछ हो चुका था? जबकि अजय सिंह सबको लेकर अपने नियत स्थान की तरफ ऑधी तूफान की तरह बढ़ा चला जा रहा था।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सुबह हुई।
उधर मुम्बई में,
उस वक्त सब लोग सुबह का नास्ता कर रहे थे जब एकाएक ही पवन के मोबाइल फोन की घंटी बजी थी। पवन अपने कमरे से तैयार होकर ही नास्ता करने आया था। नास्ता करने के बाद उसे कंपनी चले जाना था। डायनिंग हाल में कुर्सी पर बैठे पवन का मोबाइल उसकी पैन्ट की जेब में बज रहा था। चारो तरफ कुर्सियों पर बैठे बाॅकी सबका ध्यान भी उसके मोबाइल की रिंगटोन पर गया। सबका ध्यान एक साथ जाने की विशेष बात ये थी कि पवन के मोबाइल की रिंग टोन पर "ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोंड़ेंगे" बज रही थी।

पवन पहले तो हड़बड़ाया फिर सबकी तरफ देखते हुए वह कुर्सी से उठा और अपनी बाईं जेब से मोबाइल निकाला। मोबाइल की स्क्रीन पर "राज" लिखा नज़र आ रहा था। यानी कि उसके मोबाइल पर विराज की काल आ रही थी। ये देख कर पवन के चेहरे पर सहसा खुशी की चमक उभर आई। उसने मुस्कुराते हुए तुरंत ही काल को रिसीव किया और फिर जाने क्या सोच कर उसने मोबाइल का स्पीकर ऑन करके बोला___"आख़िर तुझे इतने दिनों बाद ही सही मगर मेरी याद आ ही गई न राज।"

"हमें तो तुम सबकी ही बहुत ज़ोरों से याद आती है बर्खुरदार।" मोबाइल पर उधर से अजय सिंह की इस आवाज़ को पहचानने में किसी को ज़रा सी भी देर न हुई। सबके सब इस आवाज़ को सुन कर एकदम हक्के बक्के से रह गए। जबकि उधर से स्पीकर पर पुनः अजय सिंह की इस बार ज़रा कठोर आवाज़ उभरी____"मैं अच्छी तरह जानता हूॅ कि इस वक्त इस नंबर से मेरी आवाज़ सुन कर तुम सबके पैरों तले से ज़मीन गायब हो गई होगी। हर किसी को साॅप सा सूॅघ गया होगा। ख़ैर मुझे लगता है कि तुम में से किसी को भी मुझे ये बताने की या फिर समझाने की ज़रूरत नहीं है कि इस वक्त तुम लोगों का वो मसीहा विराज तथा उसके साथ साथ और भी बाॅकी लोग मेरे रहमो करम पर हैं। इस लिए बेहतर होगा कि बग़ैर मेरी किसी चेतावनी के तुम सब वहाॅ से फौरन मेरे पास या यूॅ कहो कि मेरे सामने आकर घुटनों के बल मेरे पैरों पर झुक जाओ।"

स्पीकर से उभर रहे अजय सिंह के ये वाक्य डायनिंग टेबल पर मौजूद लगभग सभी के मनो मस्तिष्क में ऐसा धमाका कर रहे थे जिसकी भीषण गूॅज से सभी के कानों के पर्दे तक झनझना रहे थे। और फिर ऐसा लगा जैसे एक ही पल में सब कुछ खत्म हो गया हो। चारो तरफ कुर्सियों पर बैठे सबके सब मानो किसी ऋषि के द्वारा दिए गए भयंकर श्राप की वजह से अचानक ही पत्थर की शिला में तब्दील होते चले गए हों। एक ही पल में वक्त मानो ठहर सा गया था। जो जिस हालत में बैठा था वो वैसी ही हालत में स्टेच्यू में तब्दील हो गया था।

सबकी चेतना तब जागृत हुई जब पुनः स्पीकर से अजय सिंह की आवाज़ के साथ साथ ज़ोरों का अट्ठहास गूॅजा था___"देखा, मैने कहा था न कि तुम सबको साॅप सा सूॅघ जाएगा। मगर साॅप सूॅघ जाने से कुछ नहीं होगा मेरे प्यारो बल्कि जो कुछ भी होगा मेरे पास आने के बाद ही होगा। इस लिए फौरन वहाॅ से चले आओ। वरना तुम लोग सोच भी नहीं सकते कि यहाॅ पर मैं तुम्हारे उस मसीहा के साथ साथ बाॅकी सबका भी क्या हस्र कर सकता हूॅ?"

अभी स्पीकर पर अजय सिंह का ये वाक्य पूरा ही हुआ था कि सहसा डायनिंग हाल में एक भयंकर चीख़ गूॅज उठी, साथ ही फर्श पर किसी चीज़ के गिरने की ज़ोरदार आवाज़ हुई। इस चीख़ व आवाज़ को सुन कर सबके सब बुरी तरह उछल पड़े। जैसे ही सबने चीख़ की दिशा में देखा तो सबके होश उड़ गए। दरअसल ये चीख गौरी के हलक से खारिज़ हुई थी। वो अपने हाॅथ में बर्तन पर कुछ लिए हुए किचेन से आ रही थी और डायनिंग हाल में आते ही उसने स्पीकर पर उभर रही अजय सिंह की उस आवाज़ के साथ साथ उसके संपूर्ण वाक्य को सुन लिया था। उसके बाद ही उसके हलक से ये भयंकर चीख़ निकली थी।

पवन के हाॅथ से मोबाइल छूटते छूटते बचा। उधर गौरी की चीख़ सुन किचेन से रुक्मिणी व करुणा भी भागती हुई डायनिंग हाल की तरफ आ गई थीं। गौरी को डायनिंग हाल के फर्श पर अजीब हालत में लुढ़की पड़ी देख कर भौचक्की सी रह गई वो दोनो। इधर डायनिंग टेबर के चारो तरफ रखी कुर्सियों पर बैठे बाॅकी सब लोग भी अपनी अपनी जगहों से उठ कर गौरी की तरफ दौड़ पड़े थे। देखते ही देखते डायनिंग हाल में रोना धोना शुरू हो गया। यहाॅ का रोना धोना चालू मोबाइल के द्वारा अजय सिंह भी सुन रहा था और ज़ोरों से हॅसे जा रहा था।

"हाहाहाहाहा यही।" उधर से अजय सिंह की आवाज़ पुनः उभरी____"अब यही हाल होगा तुम सबका। मगर जैसा कि मैं पहले ही कह चुका हूॅ इस सबसे कुछ नहीं होगा बल्कि यहाॅ आने पर ही होगा। इस लिए अब मैं आख़िरी बार कह रहा हूॅ कि तुम सब वहाॅ से फौरन ही मेरे सामने हाज़िर हो जाओ। कल दोपहर तक तुम सब मेरी ऑखों के सामने होने चाहिए। दोपहर तक अगर तुम सब नहीं आए तो समझ लेना कि इसका परिणाम कितना घातक हो सकता है।"

इन वाक्यों के साथ ही अजय सिंह कहकहे लगा कर हॅसा और फिर काल कट हो गई। किन्तु उसके इन वाक्यों को सुनने की हालत में यहाॅ था ही कौन? यहाॅ तो बस रोना धोना तथा चीख़ पुकार ही मचा हुआ था। बड़ी मुश्किल से एक दूसरे को सम्हाला सबने।

उधर होश में आते ही गौरी दहाड़ें मार मार रोने लगी और चीख़ चीख़ कहने लगी____"मैने कहा था न कि हत्यारे ने मेरे बेटे को मार दिया है। हे भगवान! अब अगर मेरा बेटा ही नहीं तो मैं भला जी कर क्या करूॅगी? मुझे भी मौत दे दे भगवान। मैं अपने बेटे के बग़ैर एक पल भी जीवित नहीं रहना चाहती।"

"शान्त हो जाइये भाभी।" अभय सिंह सिसकते हुए बोल उठा___"हमारे राज को कुछ नहीं होगा। वो मादरजाद तो बस गीदड़ भभकियाॅ ही दे रहा था। जबकि मैं जानता हूॅ कि वो मेरे भतीजे का बाल भी बाॅका नहीं कर सकता। मेरा भतीजा शेर है शेर....ये साले सब गीदड़ हैं भाभी। भगवान के लिए भरोसा कीजिए और शान्त हो जाइये। सब कुछ ठीक हो जाएगा।"

"कुछ भी ठीक नहीं होगा अभय।" गौरी बुरी तरह बिलखते हुए बोली___"वो हत्यारा मेरे बेटे को गोलियों से छलनी छलनी कर देगा। वो मेरे बेटे के खून प्यासा है। मुझे मेरे बेटे के पास पहुॅचा दो अभय मैं तुम्हारे पाॅव पड़ती हूॅ।"

गौरी पागल सी हो गई थी। सचमुच ही वो अभय के पैरों पर गिर पड़ी। अभय का कलेजा ये देख कर हाहाकार कर उठा। बुरी तरह तड़प उठा वह। तेज़ी से वह पीछे की तरफ हटा और फिर तुरंत ही गौरी को दोनो कंधों से पकड़ कर ऊपर किया।

"क्यों मुझे पाप के सागर में डुबा रही हैं भाभी?" अभय सिंह रो पड़ा____"आप जानती हैं कि मैंने हमेशा आपको अपनी माॅ की तरह समझा है। मेरे पैरों में गिर कर मुझे ऐसे गर्त में मत डुबाइये कि जहाॅ से मैं फिर कभी निकल ही न पाऊॅ।"

"मुझे मेरे बेटे के पास पहुॅचा दो कोई।" गौरी पागलों की तरह सबकी तरफ याचना भरी दृष्टि से देखते हुए बोले जा रही थी___"मेरा बेटा बहुत कष्ट में है। वो सब मिलके उसे मार देंगे। मुझे अभी के अभी मेरे बेटे के पास जाना है और अगर तुम लोग मुझे नहीं पहुॅचाओगे तो मैं खुद ही चली जाऊॅगी। मुझे यहाॅ अब नहीं रहना। मेरे बेटे को मार देंगे वो लोग।"

इतना सब कहने के साथ ही गौरी को चक्कर आ गया और वह रुक्मिणी की गोंद में ही शिथिल पड़ गई। उसकी हालत देख कर हर कोई रो रहा था। निधी की हालत बेहद ख़राब थी। वो अपनी माॅ को अपने बेटे के लिए इस तरह तड़पते देख खुद भी तड़पी जा रही थी। हालत तो सबकी ही ख़राब थी।

"ऐसे कब तक यहाॅ इन्हें रोता तड़पता हुआ देखते रहेंगे अभय चाचू?" सहसा पवन ऊॅचे स्वर में मानो चीख सा पड़ा___"मेरा दोस्त वहाॅ भयंकर संकट में है। मैं खुद भी अब यहाॅ एक पल के लिए भी रुकना नहीं चाहता। उस कसाई का कोई भरोसा नहीं है। वो कुछ भी कर सकता है।"

"सही कहते हो तुम।" अभय सिंह ने सहसा अपने ऑसुओं को पोंछते हुए बोला____"फौरन यहाॅ से चलने की तैयारी करो पवन। गौरी भाभी को अगर राज के पास न ले जाया गया तो ये यहीं पर अपना सिर पटक कर मर जाएॅगी। वैसे भी जिस तरह से उसने चेतावनी देकर हम सबको वहाॅ बुलाया है तो हम सबको फौरन जाना ही पड़ेगा। इसके सिवा दूसरा कोई चारा नहीं है। मौजूदा हालात में वो कुछ भी कर सकता है। इंसान से राक्षस बन गया है वो। मगर भवानी माॅ की कसम अगर उसने मेरे भतीजे को ज़रा सी भी चोंट पहुॅचाई तो सारी दुनियाॅ को आग लगा दूॅगा मैं।"

"ठीक है चाचू।" पवन ने कहा___"आप इन्हें देखिये। मैं तब तक सबकी टिकटों का इंतजाम करता हूॅ। वैसे मुमकिन तो नहीं मगर देखता हूॅ शायद सबके लिए टिकटें मिल ही जाएॅ।"

"आप एक बार जगदीश भाई साहब को भी फोन पर इस बारे में सब कुछ बता दीजिए।" पवन के जाते ही करुणा ने अभय सिंह की तरफ देखते हुए दुखी भाव से कहा___"आख़िर इस बारे में जानकारी तो उन्हें भी होनी ही चाहिए कि हम अचानक यहाॅ से किस वजह से जा रहे हैं?"

"सही कहा तुमने।" अभय सिंह ने कहने के साथ पैन्ट की जेब से अपना मोबाइल निकाला, फिर बोला___"भाई साहब को बताना बेहद ज़रूरी है। वैसे भी वो हमें अपने सगे जैसा ही मानते हैं। उन्हें इस बारे में बताना ही चाहिए। रुको मैं अभी बात करता हूॅ उनसे।"

कहने के साथ ही अभय ने जगदीश ओबराय को फोन लगाया। कुछ देर तक टुक टुक की आवाज़ आती रही, उसके बाद सहसा मोबाइल से आवाज़ उभरी___"आप जिस उपभोक्ता से बात करना चाहते हैं वो इस समय उपलब्ध नहीं है अथवा नेटवर्क क्षेत्र से बाहर हैं।"

ये सुन कर अभय सिंह परेशान सा हो गया। उसने पुनः नंबर रिडायल कर फोन लगाया। किन्तु फिर से वही जवाब मिला। अभय ने कई बार फोन मिलाया मगर हर बार यही बताया गया कि वो इस समय उपलब्ध नहीं है अथवा नेटवर्क क्षेत्र से बाहर हैं। अभय को चिंतित व परेशान देख कर करुणा ने उससे पूछा कि क्या हुआ? उसके सवाल पर अभय सिंह ने उसे सब कुछ बता दिया। जिसे सुन कर वो भी चिंता में पड़ गई।
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