non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:17 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
मैं और आदित्य बाहर से घूम फिर कर शाम को लगभग सात बजे घर पहुॅचे। अंदर आते ही आदित्य ने कहा वो फ्रेश होने अपने कमरे में जा रहा है। उसके जाने के बाद मैं सीधा नीलम के कमरे में उसको देखने के लिए चला गया। नीलम के कमरे का दरवाजा पूरी तरह से बंद नहीं था बल्कि थोड़ा सा खुला हुआ था। मैने उस खुले हुए हिस्से के पास चेहरा ले जाकर पहले सोनम दीदी को आवाज़ दी। किन्तु जब अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो मैं कुछ पल सोचने के बाद खुद ही दरवाजा खोल कर कमरे के अंदर आ गया।

कमरे में रखे शानदार बेड पर नीलम करवॅट के बल लेटी हुई थी। उसकी ऑखें बंद थी इस वक्त। कदाचित सो रही थी या फिर ऑखें बंद करके आराम कर रही थी। मैं उसके क़रीब जा कर बेड के पास ही खड़ा हो गया। मेरी नज़र उसके मासूम व खूबसूरत से चेहरे पर पड़ी। इस वक्त वो किसी छोटी सी बच्ची की भाॅति मासूम दिख रही थी। मुझे उसकी इस मासूमियत पर बेहद प्यार आया। मेरे होठों पर मुस्कान फैल गई। तभी अचानक मेरे मन में उसे छेंड़ने का ख़याल आया मगर फिर मैंने अपने मन से उसे छेंड़ने का ख़याल झटक दिया। मुझे लगा इस वक्त इसे आराम से सोने देना चाहिए। ये सोच कर मैं उसके चेहरे के क़रीब झुका और प्यार से उसके माॅथे पर हौले से चूॅम लिया। उसके बाद मैं पुनः सीधा खड़ा हुआ और फिर बिना कुछ बोले ही पलट कर कमरे से बाहर की तरफ जाने के लिए बढ़ा ही था कि सहसा तभी मैं चौंक पड़ा। पीछे से नीलम ने उसी वक्त मेरी दाहिनी कलाई को पकड़ लिया था।

उसके इस तरह मेरी कलाई पकड़ लेने पर मैं बरबस ही मुस्कुरा उठा। मेरे दिमाग़ में तुरंत ही ये बात आई कि नीलम ने कदाचित मुझे छेंड़ने के लिए ही मेरी कलाई पकड़ ली है। अतः ये सोचते हुए मैं पूर्वत मुस्कुराते हुए उसकी तरफ पलटा। नीलम ने अपने एक हाॅथ से मेरी कलाई को पकड़ा हुआ था, किन्तु उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। वो बस मुझे एकटक देखे जा रही थी। उसकी ऑखों में कुछ था जो फिलहाल मेरी समझ में नहीं आया कि वो क्या था?

"क्या बात है बंदरिया?" मैने उसे इस तरह देखते देख छेंड़ने वाले भाव से कहा___"क्या मुझसे पंगा लेने का इरादा है? देख अगर ऐसा है तो फिलहाल अपने ज़हन से इस ख़याल को निकाल दे। क्योंकि इस हालत में तुझको मुझसे पंगा लेना भारी पड़ जाएगा। इस लिए मेरी बात मान पहले तू ठीक हो जा। उसके बाद तू शौक से मुझसे जैसे चाहे पंगे ले लेना।"

"ऐसी कोई बात नहीं है राज।" नीलम ने सहसा गंभीरता से कहा___"तुमसे तो मैं इस हाल में भी पंगा लेने को तैयार हूॅ और यकीन मानो मुझे पंगे के भारी पड़ने की कोई फिक्र नहीं है। मगर मैं इस वक्त तुमसे कुछ और ही बात कहना चाहती हूॅ।"

"ओह आई सी।" मैने उसे गंभीर हालत में देखते हुए ज़रा खुद भी कुछ गंभीरता का नाटक करते हुए कहा___"तो ये बात है। फरमाइए, क्या कहना चाहती हैं आप?"
"कहने को तो बहुत कुछ है मेरे दिल में।" नीलम की आवाज़ सहसा लड़खड़ा सी गई, किन्तु तुरंत ही जैसे उसने खुद को मजबूती से सम्हालते हुए कहा___"मगर सिर्फ यही कहना चाहती हूॅ कि मेरी रितू दीदी का हमेशा ख़याल रखना। मैं नहीं चाहती कि उनका मोम का बन चुका दिल फिर से पत्थर में तब्दील हो जाए।"

"क्या मतलब???" मैं नीलम की इस बात से एकदम से चकरा सा गया, बोला___"ये क्या ऊल जुलूल बोल रही हो तुम?"
"एक गुजारिश भी है तुमसे।" नीलम ने मेरी बात पर ज़रा भी ध्यान न देते हुए फीकी मुस्कान से कहा___"इतने कम समय में भी मुझे एहसास हो चुका है कि तुम्हारे दिल में हम सबके लिए बेपनाह प्यार व सम्मान की भावना है। इस लिए मेरी गुज़ारिश है कि हमेशा ऐसे ही बने रहना। चाहे जैसी भी परिस्थितियाॅ आ जाएॅ मगर तुम खुद को नहीं बदलना।"

"ये तुम कैसी बातें कर रही हो नीलम?" मैं नीलम की इन बातों से बुरी तरह हैरान व चकित रह गया था, फिर बोला___"देखो किसी भी तरह की पहेलियाॅ मत बुझाओ। जो भी बात है उसे साफ साफ कहो।"

"अब इससे ज्यादा साफ साफ नहीं कह सकती मेरे भाई।" नीलम ने भारी आवाज़ में कहा___"मुझे पता है कि तुम बेहद समझदार हो, इस लिए मैं उम्मीद करती हूॅ कि तुम मेरी बातों को समझ जाओगे।"

"देखो अगर तुम्हारे ये सब कहने का मतलब।" मैने इस बार ज़रा गंभीर भाव से कहा___"इस बात से है कि इस सबके बाद क्या होगा तो तुम इस बात से बेफिक्र रहो। मैं जानता हूॅ कि इस जंग का अंत यकीनन बेहद दुखदायी होगा। मगर होनी तो अटल है न। पाप और बुराई का अंत तो निश्चित है। किन्तु उसके बाद हम सब साथ मिल कर एक नया संसार बनाएॅगे। उस नये संसार में हम सब एक साथ ढेर सारी खुशियों का हिस्सा होंगे। मैं तुमसे वादा करता हूॅ कि जीवन में कभी भी किसी को मैं उदास या दुखी होने का मौका नहीं दूॅगा।"

"मुझे पता है राज।" नीलम ने फीकी सी मुस्कान के साथ मेरी तरफ देखते हुए कहा____"मैं जानती हूॅ कि तुम्हारे रहते कोई भी जीवन में दुखी नहीं हो पाएगा। किन्तु मेरे ये सब कहने का मतलब इन सब बातों से नहीं था भाई, बल्कि मैं तो बस रितू दीदी के लिए वो सब कह रही थी।"

"क्या मतलब??" मेरे चेहरे पर सोचने वाले भाव उभरे।
"यही तो बिवसता है राज।" नीलम ने बेबस भाव से मेरी तरफ देखा___"कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें मुख से नहीं कहा जाता बल्कि सामने वाले को खु ही समझ जाना होता है और मैं तुमसे यही उम्मीद करती हूॅ कि तुम बिना कुछ बताए सब कुछ समझ जाओगे।"

"कमाल है।" मैं चकित भाव से कह उठा____"भला ये क्या बात हुई? मैं कोई अंतर्यामी हूॅ क्या जो किसी के बताए बिना ही सब कुछ जान लूॅगा या फिर समझ लूॅगा?"
"क्यों नहीं राज।" नीलम ने बड़े ग़ौर से मेरी तरफ देखते हुए कहा____"तुम यकीनन बिना कुछ बताए सब कुछ समझ सकने की काबीलियत रखते हो और मुझे ऐसा लगता भी है कि तुम सब कुछ समझते भी हो।"

"अब ये क्या बात हुई यार?" मैं बुरी तरह चौंका।
"पता नहीं क्यों?" नीलम ने पूर्वत मेरी तरफ बड़े ग़ौर से देखते हुए ही कहा___"पर मुझे ऐसा लगता है कि तुम जानते समझते सब कुछ हो मगर प्रत्यक्ष रूप में ज़ाहिर यही करते हो कि तुम्हें सामने वाले की कोई भी बात समझ में नहीं आई है। है ना?"

"और मुझे ऐसा लग रहा है।" मैने कहा___"कि जैसे तुम मुझसे पंगा लेने के मूड हो। क्योंकि तुम्हारी ये बेसिर पैर की बातें इसी बात का इशारा करती हैं। मगर मिस नीलम, जैसा कि मैं पहले ही कह चुका हूॅ तुमसे कि तुम इस वक्त मुझसे पंगा लेने की हालत में नहीं हो। इस लिए बेहतर होगा कि अपने ज़हन से पंगा लेने वाले ख़याल निकाल दो।"

मेरी इस बात से नीलम कुछ न बोली। बस एकटक देखती रही मेरी तरफ। मैं खुद भी उसी की तरफ देख रहा था। उसके चेहरे पर कई तरह के भावों का आवागवन चालू था। ऐसा लग रहा था जैसे किसी बात के लिए उसे अपने आपसे काफी ज़द्दो जहद करनी पड़ रही हो। एकाएक ही उसने मेरे चेहरे से अपनी नज़रें हटाईं और अपने सिर को दूसरी तरफ कर लिया। मैं ये देख कर बुरी तरह चौंका कि दूसरी तरफ सिर किये नीलम की ऑखों से ऑसू छलक पड़े थे। मुझे कुछ समझ न आया किन्तु इतना ज़रूर हुआ कि उसकी ऑखों से इस तरह ऑसू छलकते देख मैं बेचैन हो गया।

"अरे ये क्या मेरी प्यारी सी बहन की ऑखों से ऑसू क्यों छलक पड़े?" मैं एकदम से उसके समीप ही बेड के किनारे पर बैठ गया और फिर उसके हाॅथ को अपने हाॅथ में लेकर बोला___"देख अगर तुझे मेरी किसी बात से बुरा लगा हो तो मुझे माफ़ कर दे। मैं तुझे इस तरह ऑसू बहाते नहीं देख सकता। तू तो जानती ही है कि मैं कितना बेवकूफ हूॅ। मुझमें किसी की भावनाओं को समझने का ज्ञान नहीं है। अतः अगर तुझे मेरी किसी बात से तक़लीफ हुई है तो प्लीज माफ़ कर दे मुझे।"

"ऐसा मत कह राज।" नीलम एकदम से मेरी तरफ पलट कर सिसक उठी____"तू तो ऐसा है जो भूल से भी किसी को कोई तक़लीफ नहीं दे सकता। मुझे खुशी है दुनियाॅ में सबसे खूबसूरत दिल का लड़का मेरा भाई है। ये ऑसू तो फक़त ऐसी ही खुशी के तहत छलके हैं। मैं नहीं जानती कि किसके जीवन में क्या क्या खोना और पाना लिखा है मगर मेरी हसरत तो यही है कि मेरी रितू दीदी को हर वो चीज़ मिल जाए जिस चीज़ की उन्होंने रज़ा की हो।"

"मेरे रहते मेरी बहनों को कभी भी किसी चीज़ की कमी का एहसास तक नहीं होगा नीलम।" मैने कहा___"मैं बहनें मेरी जान हैं, उनके लिए कुछ भी कर सकता हूॅ मैं। रितू दीदी ही बस क्यों मैं तो अपनी सभी बहनों को बराबर प्यार व सम्मान दूॅगा।"

"जैसा तुम्हें अच्छा लगे वैसा करना राज।" नीलम ने गहरी साॅस ली____"अब तुम जाओ और नैना बुआ या सोनम दीदी में से किसी को भेज दो। मेरा सिर ज़रा भारी भारी सा लग रहा है।"

"सिर भारी लग रहा है???" मैं चौंका___"इतनी सी बात के लिए उनको क्यों कष्ट देना? लाओ मैं तुम्हारे सिर की मालिश कर देता हूॅ। इतना तो मैं भी कर सकता हूॅ।"
"तुम रहने दो राज।" नीलम ने कहा___"तुम परेशान न हो। सोनम दीदी को भेज देना।"

"ओये चिंता मत कर यार।" मैं सहसा मुस्कुराया___"सिर की मालिश ही करूॅगा, तेरा गला नहीं दबाऊॅगा मैं।"
"काश! तू मेरा गला ही दबा दे भाई।" नीलम की आवाज़ एक बार पुनः जाने क्या सोच कर भर्रा गई___"तेरे पास तेरी ही बाहों के दरमियां इस दुनियाॅ से रुख़्सत हो जाऊॅगी।"

"ज्यादा बकवास मत कर।" मैने सहसा कठोर भाव से कहा___"वरना कान के नीचे एक लगाऊॅगा तो सारा सेन्टिमेंट निकल जाएगा तेरा। अब अगर कुछ बोला तो देखना फिर।"

मेरी बात सुन कर नीलम बस मुस्कुरा कर रह गई। जबकि मैं उसके सिरहाने के क़रीब ही बैठ कर उसके माॅथे पर हाॅथ से मालिश का दबाव आहिस्ता आहिस्ता करने लगा और साथ ही सोचने लगा कि नीलम ने आख़िर ऐसी बात क्या सोच कर कही हो सकती है? अभी मैं नीलम की बातों के बारे में सोच ही रहा था कि तभी कमरे में नैना बुआ व सोनम दीदी एक साथ ही आ गईं। मुझे इस तरह नीलम का सिर दबाते देख वो दोनो ही चौंकते हुए एक जगह ठिठक गईं।

"ओहो।" फिर सहसा नैना बुआ ने मुस्कुराते हुए कहा___"क्या बात है राज, अपनी लाडली बहन की बड़ी सेवा कर रहे हो तुम। वैसे मैने सुना है कि तुम दोनो आपस में बड़ा लड़ते झगड़ते हो। फिर ये सेवा भाव कैसे?"
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RE: non veg kahani एक नया संसार - by sexstories - 11-24-2019, 01:17 PM

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