non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:16 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
अपडेट........《 60 》

अब तक,,,,,,,

"ये क्या है?" दूसरे साये ने पहले साये के हाॅथ में बैग देख कर पूछा।
"इसमें मंत्री का लैपटाॅप है।" पहले साये ने कहा___"ये मुझे इस बेड के नीचे बने बाक्स में मिला है। मैने इसे अभी देखा नहीं है। हो सकता है कि इसमें भी पासवर्ड वाला चक्कर हो इस लिए इसे हम अपने साथ ही ले चलेंगे।"

"ये बहुत अच्छा हुआ।" दूसरे साए ने कहा___"मंत्री के लैपटाॅप में भी काफी कुछ मसाला मिल सकता है। ख़ैर, इन फाइलों को भी इस बैग में डाल लो। उसके बाद हमें तुरंत यहाॅ से निकलना है। अब यहाॅ पर ज्यादा देर रुकना ठीक नहीं है।"

"ठीक है।" पहले साए ने कहने के साथ ही बैग को बेड पर रखा और दूसरे साये से फाइलें लेकर बैग में डाल लिया।

उसके बाद ये दोनो ही शातिर चोर जिस तरह छुपते छुपाते हुए यहाॅ बड़ी होशियारी से आए थे वैसे ही यहाॅ से निकल भी गए। बालकनी से जब दोनो नीचे ज़मीन पर उतर आए तो बालकनी में इनकी वो रस्सी ही फॅस गई। वो तो शुकर था कि इस तरफ आने वाले वो दोनो गनमैन इस तरफ आए ही नहीं। वरना उन्हें बालकनी की रेलिंग से झूलती हुई ये रस्सी ज़रूर दिख जाती और ये दोनो भी। ख़ैर दोनो ने किसी तरह उस रस्सी को निकाल ही लिया और फिर उसी रस्सी के द्वारा बाउण्ड्री वाल के उस पार भी चले गए। थोड़ी ही देर में वो दोनो अॅधेरे का लाभ उठाते हुए कहीं गायब से हो गए।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आगे,,,,,,,

सुबह हुई।

मंत्री दिवाकर चौधरी एक विशेष दौरे पर गया हुआ था। किन्तु दौरे पर भी उसका पूरा ध्यान अपने जासूस उस हरीश राणे के फोन पर ही था। उसे पता था कि राणे बहुत जल्द उसे विराज और रितू के ठिकाने का पता फोन पर बताएगा। पिछला सारा दिन और फिर लगभग सारी रात गुज़र गई थी मगर हरीश राणे का फोन अब तक न आया था उसके पास। उसने सोचा कि संभव है कि विराज और रितू अभी हास्पिटल में ही अपनी बहन नीलम का इलाज़ करवा रहे होंगे। जिसके चलते वो लोग अभी अपने ठिकाने पर वापस न गए होंगे। शायद यही वजह होगी कि राणे ने उसे अब तक कोई फोन न किया था। ख़ैर उम्मीद पर तो दुनियाॅ कायम है। यही हाल चौधरी का था। पिछली शाम को ही वह दौरे पर निकल गया था। उसका प्रोग्राम पहले से ही फिक्स था। अतः दौरे से लौटने में उसे दूसरा दिन शुरू हो जाना था।

सुबह मंत्री की ऑख उसके मोबाइल फोन के बजने से ही खुली थी। उसने उठ कर टाइम देखा तो सुबह के साढ़े पाॅच बज रहे थे। मोबाइल की स्क्रीन पर हरीश राणे का नाम देख कर उसके होठों पर मुस्कान उभर आई, साथ ही चेहरे पर चमक भी पैदा हो गई। उसने बेहद खुशी के साथ काल को रिसीव कर मोबाइल को कान से लगाया था और खुशी खुशी पूछा भी था कि 'बोलो राणे सुबह सुबह खुश ख़बरी सुनने के बहुत उतावले हो रहे हैं हम'। उसकी इस बात पर राणे ने उधर से खुशी वाले लहजे में ही कहा था कि चौधरी साहब आपका काम संपन्न हो गया है। इस लिए आप जल्दी से अपने आवास पर आ जाइये।

हरीश राणे की ये बात सुन कर चौधरी खुशी से फूला नहीं समाया था। वह फोन पर ही सारी बात जान लेना चाहता था मगर राणे ने कहा कि आमने सामने बात करने का मज़ा ही कुछ और होगा। इस लिए आप आइये और अपने सभी साथियों को भी बुला लीजिएगा। उसके बाद ही तसल्ली से सारी बात बताई जाएगी। राणे की इस बात से मंत्री ने हॅसते हुए कहा था कि ठीक है राणे हम जल्द से जल्द पहुॅच रहे हैं।

मंत्री जब अपने दलबल के साथ वापस लौट कर गुनगुन स्थित अपने आवास पर आया तो उस वक्त सुबह के सात बज गए थे। उसने अपने साथियों को राणे से बात करने के बाद ही फोन पर अपने आवास पर आ जाने को कह दिया था। शानदार बॅगले के अंदर पहुॅचते ही मंत्री दिवाकर चौधरी को ड्राइंगरूम में अपने सभी साथी सोफों पर बैठे मिल गए। किन्तु हरीश राणे उसे कहीं नज़र न आया। ये देख कर उसके चेहरे पर चौकने के भाव उभरे। बाॅकी उसके साथी लोग तो सामान्य ही बैठे हुए थे।

"अरे अवधेश।" मंत्री ने सोफे पर बैठने के बाद अवधेश की तरफ देखते हुए कहा___"राणे कहाॅ गया भई? उसने तो हमें सुबह फोन करके जल्द से जल्द यहाॅ आने को कहा था और अब वह खुद ही यहाॅ नहीं है। कमाल है भाई, इन जासूसों का भी कुछ समझ नहीं आता। कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं।"

"मैं तो यहीं हूॅ चौधरी साहब।" सहसा तभी हरीश राणे की चिर परिचित आवाज़ ड्राइंग रूम में गूॅजी___"और अपने साथ आपके लिए ऐसा तोहफा भी लेकर आया हूॅ कि आप उस तोहफ़े को देखेंगे तो यकीनन आप मुझ पर अपनी ये सारी दौलत लुटा देंगे।"

राणे की इस आवाज़ को सुन कर चौधरी ने पलट कर राणे की तरफ देखा। राणे के साथ साथ आ रहे जिन दो इंसानी चेहरों पर उसकी नज़र पड़ी उन्हें देख कर उसके चेहरे पर सोचने वाले भाव उभरे। यहाॅ पर एक अजीब बात ये भी हुई कि चौधरी के बाॅकी साथियों पर हरीश की इस बात का कोई भी प्रभाव न पड़ा था। वो तीनो ऐसे चुपचाप बैठे थे जैसे कि वो माटी के पुतले में तब्दील हो गए हों।

"ओह तो तुम यहीं हो।" राणे के साथ साथ उन दो चेहरों को भी देखते हुए चौधरी ने कहा___"हमें लगा कि हमें सीघ्र बुला कर तुम खुद ही गायब हो। ख़ैर, ये बताओ कि किस तोहफ़े की बात कर रहे थे तुम?"

"यही तो हैं।" राणे मुस्कुराते हुए अपने साथ आए उन दोनो की तरफ इशारा करते हुए कहा___"हाॅ चौधरी साहब, ये दोनो ही तो तोहफ़े हैं आपके लिए जिन्हें मैं अपने साथ लेकर आया हूॅ। क्या आपने इन दोनो को पहचाना नहीं?"

राणे की ये बात सुन कर चौधरी एकदम से चौंका। बड़े ग़ौर से उन दोनो को देखने लगा था वह। चौधरी जिन दो चेहरों को ग़ौर से देखे जा रहा था वो दोनो उसे इस संसार के सबसे खूबसूरत कपल नज़र आए। ऐसा लग रहा था जैसे वो दोनो सबसे अलग हों। इस वक्त वो दोनो चौधरी को देख कर मुस्कुरा रहे थे।

"ये दोनो खूबसूरत कपल कौन हैं भाई?" चौधरी के माॅथे पर उलझन के भाव आए थे___"और ये दोनो भला हमारे लिए तोहफे जैसे कैसे हो सकते हैं?"
"आप भी कमाल करते हैं चौधरी साहब।" हरीश राणे ने ठहाका लगा कर हॅसने के बाद कहा___"आप इन दोनो को नहीं पहचानते हैं? ये तो दुनियाॅ का सबसे बड़ा आश्चर्य है। अरे ये दोनो तो वही हैं चौधरी साहब जिन्होंने आपकी रातों की नींद हराम कर रखी थी। जी हाॅ, ये वही हैं जिन्होंने आपके बच्चों को अपने कब्जे में लिया हुआ था और उन वीडियोज के बल पर आपको भीगी बिल्ली बनाया हुआ था।"

"क्याऽऽऽ????" सोफे पर बैठा चौधरी राणे की इस बात को सुन कर इस तरह उछल पड़ा था जैसे अचानक ही उसके पिछवाड़े के निचले हिस्से की सोफे की पुश्त गर्म तवे में तब्दील हो गई हो। आश्चर्य से ऑखें फाड़े वह कुछ देर तक हकबकाया सा देखता रहा। फिर जैसे उसे होश आया तो अजीब भाव से बोला___"ये..ये दोनो वही हैं?? नहीं नहीं राणे....ये दोनो तो बहुत मासूम दिख रहे हैं, ये भला इतना बड़ा काण्ड कैसे कर सकते हैं?"

"लो भाई।" राणे फिर हॅसा और फिर मेरी तरफ देखते हुए कहा___"अब तुम ही बताओ इन्हें।"
राणे की बात सुन कर मैं मुस्कुराया और फिर मैं चौधरी के क़रीब आ गया। मेरे साथ ही रितू दीदी भी आ गई।

"तुझे मंत्री किसने बना दिया चौधरी?" मैने सहसा तीखे भाव से कहा___"तुझमें तो इतनी भी समझ नहीं है कि मौजूदा हालात में तुम्हारे लिए तोहफे के रूप में राणे किसे ला सकता है? अगर समझ होती तो फौरन ही समझ जाता कि हम दोनो कौन हैं?"

"ज़बान को लगाम दे लड़के।" बुरी तरह तिलमिलाया हुआ चौधरी सहसा गुर्रा उठा___"तुझे पता नहीं है कि तू इस वक्त कहाॅ खड़ा है? हमसे इस लहजे में बात करने वालों का बहुत ही भयावह अंजाम होता है।"

"अंजाम का डर उन्हें होता है चौधरी।" मैने कहा___"जिन के पिछवाड़े में दम नहीं होता। तुझे तो इतना भी एहसास नहीं हो रहा कि तेरे आवास में आकर मैं तेरे ही सामने तुझसे इस लहजे में बात कैसे कर सकता हूॅ?"

"जब किसी की मौत आती है तो वो ऐसे ही तेरे जैसे अनाप शनाप बकने लगता है।" चौधरी ने कहा।
"तुझे क्या लगता है?" रितू दीदी ने कहा___"हम लोग तेरे सामने राणे की वजह से आए हैं? नहीं चौधरी, ये सब तो हमारा ही खेल है। हमने ही राणे के द्वारा फोन करवा के तुझे यहाॅ बलवाया है। तेरे ये सभी साथी इतनी देर से पुतले की तरह क्यों बैठे हैं क्या तुझे कुछ समझ नहीं आया?"

रितू दीदी की बात सुन कर चौधरी के मस्तिष्क में मानो एकाएक ही विष्फोट सा हुआ। दिमाग़ की सारी बत्तियाॅ रौशन हो उठी। सारी बातें बड़ी तेज़ी से उसके मन में चलने लगी। उसने अजीब भाव से अपने साथियों की तरफ देखा और फिर राणे की तरफ।

"खेल खत्म हो चुका है चौधरी साहब।" राणे तुरंत बोल उठा___"मैं तो कल ही इनके आदमियों के द्वारा पकड़ लिया गया था। उसके बाद इन लोगों ने मुझसे सब कुछ पूछ लिया और मुझे बताना ही पड़ा। मुझे भी इस बात का अंदेशा था कि आपके पीछे गुप्त रूप से कार्यवाही की जा रही है। अतः मैने सोचा कि अगर मैने आपके लिए काम किया तो निश्चय ही मैं भी कानून की चपेट में आ जाऊॅगा इस लिए मैंने वही रास्ता चुना जो सच्चा था और मेरे लिए बेहतर भी था।"

"गद्दार।" चौधरी पूरे क्रोध में बोल पड़ा___"अपनी सलामती के लिए तूने हमें फॅसवा दिया। तुझे ज़िंदा नहीं छोंड़ेंगे हम। तुम सबको अब मौत ही मिलेगी। तुम लोग अब यहाॅ से ज़िंदा वापस नहीं जा सकते।"

"जिनके दम पर तू हमें मौत देने की बात कर रहा है न वो सब तो पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं।" मैने सहसा झुक कर चौधरी की ऑखों में ऑखें डाल कर कहा___"और तेरे में इतना दम ही नहीं है कि तू मेरा बाल भी उखाड़ सके।"

मेरी इस बात से चौधरी को साॅप सा सूॅघ गया। अनुभवी आदमी था। उसे समझते देर न लगी कि जिस अंदाज़ से मैं उससे बात कर रहा था वो तभी संभव था जब वो कुछ भी कर पाने की पोजीशन में न हो। अभी मैं उसे देख ही रहा था कि सहसा तभी बाहर से ढेर सारे पुलिस के आदमी अंदर दाखिल हुए। उन सभी पुलिस वालों के बीच से ही एसीपी रमाकान्त शुक्ला चलता हुआ हमारे पास आया।

"वेल डन इंस्पेक्टर रितू।" फिर उसने दीदी की तरफ देख कर कहा___"यकीनन तुम दोनो ने बहुत ही बड़ा काम किया है।" कहने के साथ ही एसीपी चौधरी की तरफ पलटा___"दुनियाॅ की कोई भी ताकत अब तुम्हें कानून की सलाखों के पीछे से नहीं निकाल सकती। तुम्हारे खिलाफ़ हमें इतने सबूत मिल चुके हैं कि अब तुम किसी भी कीमत पर बच नहीं सकते।"

"किन सबूतों की बात कर रहे हो आफीसर?" चौधरी ने हैरानी से कहा___"और ये इतनी सारी पुलिस फोर्स यहाॅ किस लिए लेकर आए हो तुम?"
"देखते जाओ चौधरी।" एसीपी ने कहा___"कुछ ही देर में सब कुछ पता चल जाएगा तुम्हें।"

पुलिस वालों को कदाचित पहले ही समझा दिया गया था कि क्या करना है। अतः वो यहाॅ आते ही अपने काम पर लग गए थे। चौधरी ये सब देख कर एकाएक बुरी तरह बौखला गया। उसके चेहरे पर डर व घबराहट के भाव उभर आए। चिंता व परेशानी के चलते पूरा चेहरा पसीने पसीने हो गया उसका। उसके साथियों का भी वही हाल था।

कुछ ही देर में वहाॅ पर पुलिस महकमे के कुछ और आला अधिकारी आ गए। चौधरी को कुछ भी करने का मौका न मिला। वो तो यही नहीं समझ पा रहा था कि इतनी सारी पुलिस फोर्स इतनी जल्दी यहाॅ कैसे आ गई? अंदर की तरफ गए हुए पुलिस वाले थोड़ी ही देर में बाहर आए और उन्होंने जो कुछ बताया उसे सुन कर चौधरी के सिर पर सारा आसमान भरभरा कर गिर गया। उसका चेहरा एकदम से निस्तेज पड़ गया।

लगभग एक घंटे की कठोर कार्यवाही के बाद आला अधिकारियों के साथ मंत्री को गिरफ्तार कर बॅगले से बाहर ले जाया जाने लगा। बाहर आते ही चौधरी ने देखा कि बाहर भीड़ जमा है। उस भीड़ में प्रेस व मीडिया के लोग थे जो मंत्री व पुलिस के आला अधिकारियों से तरह तरह के सवाल पूछने लगे थे। प्रेस व मीडिया वालों को संक्षेप में उनके सवालों के कुछ जवाब देकर चौधरी को लेकर पुलिस वाले चले गए। मंत्री के आवास को सील कर पुलिस सिक्योरिटी लगा दी गई।

ये मामला ही ऐसा था कि पलक झपकते ही मंत्री की गिरफ्तारी की ख़बर प्रदेश में हर तरफ फैल गई। मंत्री के चाहने वाले तथा पार्टी के उसके सहयोगियों ने विरोध प्रदर्शन तो किया किन्तु उस सबको पुलिस वालों ने सम्हाल लिया। मैं और रितू दीदी मंत्री के इस किस्से को खत्म करके वापस लौट आए थे। हरीश राणे को खुशी खुशी हमने छोंड़ दिया था। वो खुद भी इस सबसे खुश था कि उसने अच्छाई का साथ दिया। राणे जाते जाते हम लोगों के कान्टैक्ट नंबर ले गया था।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
उधर मंत्री के पकड़े जाने की ये ख़बर हवेली में अजय सिंह को भी हो गई। इस ख़बर ने अजय सिंह की हालत को लकवा मारने जैसी बना दिया। कुछ समय के लिए तो उसे ऐसा लगा जैसे इस संसार में अब कुछ बचा ही नहीं है बल्कि सब कुछ शून्य में ही खो गया है। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसा कुछ हो जाएगा। विराज और रितू ने उसके लिए जैसे हर तरफ से रास्ता ही बंद कर दिया था। कहाॅ वह मंत्री के फोन द्वारा ये पता चलने का इन्तज़ार कर रहा था कि उसका भतीजा और उसकी बेटी आदि सब पकड़ लिए गए हैं और कहाॅ अब इस ख़बर ने उसके मुकम्मल वजूद को ही हिला कर रख दिया था।

अजय सिंह मंत्री के पकड़े जाने से चिंतित व परेशान तो था ही साथ ही वह इस बात के लिए भी बेहद परेशान हो गया था कि उसके दोस्तों ने अपने जिन आदमियों को उसकी सहायता के लिए भेजा था वो सब पुलिस द्वारा पकड़ लिए गए थे। सुबह से फोन पर फोन आ रहे थे उसे। ये सब फोन उसके उन दोस्तों के ही थे। जो कह रहे थे कि उन्हें अपने आदमियों के पकड़े जाने का इतना दुख नहीं है बल्कि चिंता इस बात की है कि उनके वो सब आदमी पुलिस के सामने अपना मुह न खोल दें जिसकी वजह से वो सब भी कानून की चपेट में आ जाएॅ। अतः इससे बचने के लिए वो सब अजय सिंह से कोई न कोई समाधान चाह रहे थे। मगर अजय सिंह कुछ कहने की हालत में ही नहीं था। वो तो खुद भी अब मंत्री की वजह से असहाय सा हो गया था। मंत्री का कानूनन इस तरह पकड़े जाना उसके लिए बहुत बड़ी क्षति थी। क्योंकि अब उसे मंत्री पर ही भरोसा था कि वो उसे इस सारे खेल में जीत दिलाएगा। मगर अब सब कुछ जैसे स्वाहा हो चुका था।

प्रतिमा और शिवा सुबह से उसके पास ही थे। इस वक्त दोपहर हो चुकी थी। अजय सिंह अकेला ही ड्राइंग रूम में गुमसुम सा बैठा था। प्रतिमा किसी काम से बाहर गई हुई थी। शिवा अपने कमरे में था। सोफे पर बैठा अजय सिंह शिगार पे शिकार फूके जा रहा था। सविता जो उसकी घरेलू नौकरानी थी उसने उसे अब तक जाने कितनी बार चाय बना कर पिलाया था। हालात की गंभीरता का उसे भी एहसास था। उसे इस हवेली का सब कुछ पता था किन्तु उसने कभी इस मामले में हवेली के किसी भी सदस्य से कोई बात नहीं की थी। उसे पता था कि इस बारे में बात करने का सबसे पहले तो उसका कोई हक़ ही नहीं है दूसरी बात उसकी बातों को कोई सुनना पसंद भी नहीं करता।

सारी बातों को सोचते सोचते अजय सिंह इतना परेशान हो चुका था कि उसका सिर दर्द करने लगा था। वह उठा और सविता को आवाज़ दे कर कहा कि वो उसके सिर की बढ़िया से मालिश कर दे। ये कह कर अजय सिंह अपने कमरे की तरफ बढ़ गया। सविता चालीस के आस पास की साॅवली सी औरत थी। उसका पति उसे बरसों पहले छोंड़ कर चला गया था। सविता और उसका पति पहले खेतों पर ही काम करते थे। बाद में उसका पति जब वापस लौट कर न आया तो गजेन्द्र सिंह ने उसे हवेली के काम धाम पर लगा लिया। सविता को हवेली में रहते हुए लगभग दस साल हो गए थे। उसने इस हवेली के अंदर अब तक क्या क्या हुआ सब कुछ देखा सुना था। मगर उसने कभी इस बारे में कोई दखलअंदाज़ी न की थी। उसे ये भी पता था कि अजय सिंह का परिवार कैसा है तथा ये भी कि ये रिश्तों को नहीं मानते। उसने शिवा को अपनी ऑखों से अपनी ही माॅ को संभोग करते देखा था। उस दिन उसे लगा था कि कलियुग वाकई आ चुका है।

अजय सिंह ने सविता के साथ जाने कितनी बार संभोग किया था इसका उसे खुद पता नहीं था। कई बार वह पेट से भी हुई थी किन्तु अजय सिंह ने हर बार उसके पेट से अपना बीज गिरवा दिया था। सविता ने परिस्थितियों के साथ पहले ही समझौता कर लिया था। उसका अपना कोई नहीं था। रितू व नीलम को वो अपनी ही बेटी की तरह मानती थी और हमेशा दुवा किया करती थी कि वो दोनो खुश रहें। रितू व नीलम भी उसे बहुत इज्ज़त व सम्मान देती थीं। उन दोनो ने कभी उसे नौकरानी नहीं समझा था। बल्कि हमेशा उसे काकी ही कहती थी। हलाॅकि शिवा का ब्यौहार अपने बाप की तरह ही था। किन्तु सविता के साथ ज़बरदस्ती करने की हिम्मत उसमे कभी न हुई थी। सविता एक तंदुरुस्त तबीयत की औरत थी। मेहनत कर करके वह बेहद मजबूत हो गई थी। वह दिखती भी ऐसी थी कि शिवा जैसा छोकरा उससे ज़बरदस्ती करने की हिम्मत कर ही नहीं सकता था। पिछले कुछ सालों से अजय सिंह ने सविता को भोगना बंद कर दिया था। इस बात से सविता को राहत महसूस हुई थी। अजय सिंह के सविता के साथ संबंधों की जानकारी प्रतिमा को शुरू से ही थी। किन्तु उसे इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी।

थोड़ी ही देर में सविता अपने हाॅथ में एक कटोरी लिए अजय सिंह के कमरे में दाखिल हुई। कटोरी में शुद्ध सरसो का तेल था। कमरे में पहुॅचते ही सविता ने देखा कि अजय सिंह बेड पर लेटा हुआ है। आज काफी समय बाद अकेले कमरे में अजय सिंह के पास आते हुए सविता को थोड़ा असहज सा लगा। किन्तु उसे पता था कि मालिश तो उसे करनी ही पड़ेगी और अगर अजय सिंह ने उसके साथ संभोग करने की इच्छा ज़ाहिर की तो उसे उसकी वो इच्छा भी पूरी करनी पड़ेगी।

अजय सिंह की नज़र हाॅथ में कटोरी लिए आई सविता पर पड़ी तो उसने उसे ऊपर से नीचे तक देखा। पहले की अपेक्षा सविता का जिस्म काफी आकर्षक सा हो गया था। हर अंग अपनी जगह सही से ढला हुआ था। ऊम्र का असर उसके सिर के बालों से दिख रहा था। बाॅकी उसका समूचा जिस्म कसा हुआ था। सीने के उभार प्रतिमा से कतई कम न थे। ब्लाऊज फाड़ कर बाहर आने को आतुर थे। अजय सिंह को ग़ौर से अपनी तरफ देखते देख सविता के संपूर्ण जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गई।
Reply


Messages In This Thread
RE: non veg kahani एक नया संसार - by sexstories - 11-24-2019, 01:16 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,464,074 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 540,195 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,217,024 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 920,446 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,631,898 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,063,321 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,921,141 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,958,581 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,993,682 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 281,351 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 7 Guest(s)